महाराष्ट्र सरकार ने जुलाई 2024 में मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिण योजना (Mukhyamantri Ladki Bahin Yojana) शुरू की थी। तब से अब तक पात्र महिलाओं को सात किश्तों में रुपये मिल चुके हैं। पर, अब इसमें कुछ बदलाव करते हुए आज से महाराष्ट्र सरकार उन महिलाओं की पहचान करेगी और उन्हें ‘अयोग्य’ घोषित करेगी, जिन्होंने चार पहिया वाहन रखने के बावजूद लाडकी बहन योजना के तहत लाभ उठाया है।
लाडकी बहन योजना के तहत 65 वर्ष तक की आयु वाली उन महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है। इसके लिए उनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी कर्मचारी नहीं होना चाहिए, लाभार्थी के पास चार पहिया वाहन नहीं होना चाहिए या किसी अन्य सरकारी योजना के तहत मासिक सहायता नहीं मिलनी चाहिए। अधिकारियों के अनुसार, अकेले पुणे की 21 लाख से अधिक महिलाओं ने इस योजना का लाभ उठाया है।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पुणे जिला परिषद के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी जामसिंह गिरासे ने कहा, “उन्हें अयोग्य घोषित करना ही एकमात्र कार्रवाई है जिसे हम करने का प्रस्ताव रखते हैं। कोई जांच नहीं होगी और न ही उन पर कोई जुर्माना लगाया जाएगा।” गिरासे ने कहा कि अधिकारी भी घर-घर जाकर ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “हमने आरटीओ से ऐसी महिलाओं की सूची जमा करने को कहा है। हम सूची के अनुसार काम करेंगे। इसमें एक महीने का समय लग सकता है।”
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इस बीच, पिंपरी-चिंचवाड़ के इंद्रायणी नगर इलाके की एक महिला लाभार्थी ने कहा कि भले ही उसके पास एक चार पहिया वाहन है लेकिन इसे 10 साल पहले खरीदा गया था। “मैंने तीन साल से ज़्यादा समय पहले अपनी नौकरी खो दी थी। मुझे कोई वेतन नहीं मिलता लेकिन मेरे पास एक चार पहिया वाहन है जिसे मैंने 10 साल पहले खरीदा था जब मैं काम करती थी। मैं क्या करूँ?”
इस पर गिरासे ने कहा, “सरकारी निर्देशों के अनुसार अगर किसी महिला के नाम पर चार पहिया वाहन है तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।”
वहीं, पुणे कांग्रेस के प्रवक्ता गोपाल तिवारी ने सरकार की इस कार्रवाई को महिलाओं के लिए अमानवीय” और अपमानजनक करार दिया। उन्होंने कहा, “कुछ महिलाओं के पास चार पहिया वाहन हो सकता है। कई महिलाओं ने कोविड-19 महामारी से पहले इसे खरीदा था। कोविड के दौरान, पुणे के कई निवासियों ने अपनी नौकरी खो दी। वे अपनी ईएमआई का भुगतान करने की स्थिति में भी नहीं थे। कुछ अभी भी नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अगर ऐसे व्यक्ति के पास अभी भी कार है, लेकिन उसके पास कोई नौकरी नहीं है, तो क्या सरकार उन्हें अयोग्य घोषित करेगी? यह केवल महिलाओं के प्रति सरकार के अमानवीय और अपमानजनक रवैये को दर्शाता है।” पढ़ें- दिल्ली चुनाव से जुड़े लेटेस्ट अपडेट्स