जस्टिस वर्मा की छुट्टी होना तय! 208 सांसद हटाने को तैयार, पक्ष-विपक्ष दोनों के नेता शामिल

Justice Yashwant Varma | Supreme Court

Justice Yashwant Verma News: कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा की मुश्किलें हर बीतते दिन के साथ और ज्यादा बढ़ती जा रही हैं। अब बताया जा रहा है कि लोकसभा के 145 सांसदों ने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए एक पेटीशन सबमिट कर दी है। राज्यसभा के 63 सांसदों ने भी ऐसी ही पेटीशन दी है, यानी कि यशवंत वर्मा को हटाने की तैयारी पूरी हो चुकी है।

अब अगर किसी भी जज को उसके पद से हटाना है तो लोकसभा में कम से कम 100 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है, वहीं राज्यसभा में भी आंकड़ा 50 तो होना ही चाहिए।

केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने सोमवार को ही जानकारी दी थी कि 100 सांसदों ने एक नोटिस पर साइन किया है, वो नोटिस जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने को लेकर ही है। सरकार इस मुद्दे पर स्पष्ट कर चुकी है कि वो किसी भी तरह की राजनीति में नहीं पड़ना चाहती है। एक आम सहमति बनाकर जस्टिस वर्मा को उनके पद से हटाना है।

वैसे एक तरफ देश की संसद जस्टिस वर्मा के खिलाफ एक्शन लेने की तैयारी कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ खुद जस्टिस यशवंत वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि जो जांच कमेटी इस पूरे मामले की तफ्तीश कर रही है, उसने उन्हें सही तरीके से अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया।

यशवंत वर्मा का जन्म 6 जनवरी, 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से बी.कॉम ऑनर्स की डिग्री ली थी, इसके बाद रीवा विश्वविद्यालय से उन्होंने लॉ में ही अपना ग्रेजुएशन पूरा किया। 8 अगस्त, 1992 को वे एक एडवोकेट के रूप में नामांकित हुए थे, कहा जा सकता है कि कानून की दुनिया में उनका डेब्यू हुआ था। यशवंत वर्मा के करियर को अगर समझा जाए तो उन्होंने सबसे ज्यादा संवैधानिक, इंडस्ट्रियल विवाद, कॉर्पोरेट, टैक्सेशन, पर्यावरण जैसे केस लड़े हैं। लंबे समय तक वे इलाहाबाद हाई कोर्ट के विशेष वकील के रूप में भी काम कर चुके हैं।

2012 से 2013 तक यशवंत ने यूपी के मुख्य स्थायी वकील के रूप में भी काम किया, फिर वे एक सीनियर एडवोकेट के रूम में नामित हो गए। उन्हें अगला बड़ा प्रमोशन 13 अक्टूबर 2014 को तब मिला जब वे एडिशनल जज बन गए। इसके बाद 1 फरवरी 2016 को उन्हें परमानेंट जज के रूप में काम करने का मौका मिला, उन्होंने शपथ ली। साल 2021 में उनका दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर हो गया। बतौर जज कई मामलों की सुनवाई यशवंत वर्मा कर चुके हैं, अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर भी उनकी एक अहम टिप्पणी रही है।

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