Why Did Jagdeep Dhankar Resign: उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा हो चुका है। उस इस्तीफे को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। धनखड़ ने खुद जरूर स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, लेकिन विपक्ष इसे एक बड़ा राजनीतिक कदम मान रहा है, वो इसके अलग ही मायने निकाल रहा है। यहां भी सबसे ज्यादा चर्चा बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा की हो रही है। पूरा विपक्ष इस समय जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद जेपी नड्डा को ही विलेन की तरह पेश कर रहा है।
अब विपक्ष के पास अपनी एक थ्योरी इस समय तैयार है। उस थ्योरी के आधार पर ही वो धनखड़ के इस्तीफे के बाद नड्डा को निशाने पर ले रहे हैं। यह पूरा विवाद सोमवार को शुरू हुए मानसून सत्र से जुड़ा हुआ है। असल में राज्यसभा में जेपी नड्डा की विपक्षी सांसदों के साथ कहासुनी हुई थी। संसद की कार्यावही के दौरान क्योंकि विपक्ष लगातार हंगामा कर रहे थे, ऐसे में जेपी नड्डा ने दो टूक कहा था- मैं जो बोल रहा हूं, वहीं ऑन रिकॉर्ड जाएगा, बाकी कुछ नहीं जाएगा। अब इसी बयान को विपक्ष ने एक बड़ा मुद्दा बना लिया है।
विपक्ष के नेताओं का तर्क है कि जेपी नड्डा ने इस बयान से सीधे-सीधे चेयर का अपमान किया है। विपक्ष ही इस थ्योरी को भी बल दे रहा है कि इसी वजह से जगदीप धनखड़, जेपी नड्डा से खफा हो गए थे। इसके ऊपर इस समय खबर यह भी है कि बिजनेस एडवाइजरी की जो मीटिंग सोमवार शाम को होनी थी, उसमें जेपी नड्डा ने हिस्सा नहीं लिया। विपक्ष ने इसे भी मुद्दा बना लिया है, वो भी इसे भी धनखड़ की नाराजगी और अपमान से जोड़कर देख रहा है। यह अलग बात है कि इस विवाद पर अब खुद जेपी नड्डा ने सफाई पेश की है।
सबसे मुखर उपराष्ट्रपति बनने में सफल रहे धनखड़
बैठक में शामिल ना होने पर नड्डा ने कहा था कि उपराष्ट्रपति कार्यालय को बैठक में उपस्थित न हो पाने की हमारी असमर्थता के बारे में सूचित कर दिया गया था। इसके अलावा संसद वाले विवाद के लिए भी नड्डा ने दो टूक कहा कि उनका बयान चेयर के लिए नहीं बल्कि हंगामा कर रहे विपक्षी सांसदों के लिए था। वैसे एक और कारण इस समय सामने आया है जिसे धनखड़ के इस्तीफए से जोड़कर देखा जा रहा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस यशवंत वर्मा को जो हटाने की तैयारी चल रही है, उसमें राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने भी एक नोटिस दे दिया था, वो साइन किया गया नोटिस वर्मा को हटाने को लेकर ही था। बड़ी बात यह रही कि जगदीप धनखड़ ने उसे स्वीकार कर लिया। यह तब की बात है जब लोकसभा में सरकार द्वारा जस्टिस वर्मा को हटाने की कार्रवाई शुरू तक नहीं की गई थी। ऐसे में माना गया कि क्रेडिट की रेस में विपक्ष आगे निकल गया और सरकार की फजीहत हुई। कुछ लोग इस थ्योरी को भी जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से जोड़कर देख रहे हैं।
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