Supreme Court News: भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकील मैथ्यूज नेदुंपरा को कड़ी फटकार लगाई। सीजेआई ने ऐसा इस वजह से किया क्योंकि उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान उन्हें सिर्फ वर्मा कह दिया था।
वकील मैथ्यूज नेदुंपरा ने कोर्ट से जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया था। उन्होंने कोर्ट में यह तीसरी रिट याचिका दायर की है। एक मौके पर उन्होंने जस्टिस वर्मा को केवल वर्मा कह दिया। इस पर तुरंत सीजेआई ने वकील को कड़ी फटकार लगाई और कहा, ‘अगर आप चाहते हैं कि मैं इसे अभी खारिज कर दूं, तो मैं इसे अभी खारिज कर दूंगा। क्या जस्टिस वर्मा आपके दोस्त हैं? वे अब भी हाईकोर्ट के एक विद्वान जज हैं। कुछ तो शिष्टाचार रखें। आप उन्हें ‘वर्मा’ कैसे कह रहे हैं।’
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, नेदुंपरा ने कहा, मुझे नहीं लगता कि यह महानता उन पर लागू हो सकती है। मामला लिस्ट होना चाहिए। इस पर सीजेआई गवई ने कहा कि कोर्ट को हुक्म मत दो।’ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी नेदुंपरा के वर्मा शब्द पर कड़ी आपत्ति जताई और जोर देकर कहा कि वह अभी भी इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज हैं।
वकील और प्रोफेसर का घर गिराने पर बिफरा सुप्रीम कोर्ट
वरिष्ठ वकील नेदुंपरा ने अपनी याचिका में दिल्ली पुलिस को जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और नकदी बरामदगी की जांच करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि इतने बड़े पैमाने पर नोटों की बरामदगी एक क्राइम है। बता दें कि 14 मार्च को आग लगने की जानकारी मिलने के बाद फायर ब्रिगेड के कर्मचारी और पुलिसकर्मी जज के सरकारी आवास पर पहुंचे। वहां उन्हें प्लास्टिक की थैलियों में बड़ी मात्रा में अधजले नोट मिले।
नेदुंपरा की याचिका में कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल पर वीडियो और फोटों लीं, लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की। ऐसा इसलिए क्योंकि के. वीरास्वामी बनाम भारत सरकार मामले में दिए गए फैसले में कहा गया है कि किसी जज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए सीजेआई की इजाजत बेहद ही जरूरी है। जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ आएगा महाभियोग प्रस्ताव?