Velikkakathu Sankaran Achuthanandan News in Hindi: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ सीपीआई(एम) नेता वी.एस. अच्युतानंदन का 102 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समस्य से अस्पताल में भर्ती थे। अच्युतानंदन का निधन हार्ट अटैक के कारण हुआ है। अच्युतानंदन को करिश्माई नेताओं में से एक माना जाता था। उनका राजनीतिक करियर करीब 8 दशक लंबा था। अच्युतानंदन वामपंथी दल के प्रमुख नेता थे और उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था।
अच्युतानंदन का जन्म 20 अक्टूबर 1923 को अलफूजा के एक गरीब परिवार में हुआ था और बचपन में ही उनके माता-पिता की मौत हो गई थी। अपनी जीविका चलाने के लिए अच्युतानंदन एक दर्जी की दुकान में काम करने लगे और बाद में कारखाने में काम करने लगे। इसके बाद वामपंथी आंदोलन से अच्युतानंदन इतने प्रभावित हुए कि उससे जुड़ गए। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 32 नेताओं ने की थी और इसमें अच्युतानंदन का भी नाम शामिल था।
अच्युतानंदन 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे। 82 वर्ष की आयु में वे इस पद को ग्रहण करने वाले सबसे वृद्ध व्यक्ति थे। अच्युतानंदन ने 2016 से 2021 तक केरल में प्रशासनिक सुधारों के अध्यक्ष के रूप में राज्य कैबिनेट रैंक के साथ काम किया। अच्युतानंदन 15 वर्षों तक विपक्ष के नेता भी रहे। वह ऐसे पहले केरल के नेता बन गए, जो 15 साल तक विपक्ष के नेता रहें। अच्युतानंदन 1985 से जुलाई 2009 तक CPI(M) पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे।
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अच्युतानंदन ने मुख्यमंत्री के रूप में कई कार्य किए, जिनमें मुन्नार में अवैध रूप से कब्ज़ा की गई कई एकड़ ज़मीन को वापस लेने के लिए चलाया गया अतिक्रमण विरोधी अभियान भी शामिल है। अच्युतानंदन ने राज्य में लॉटरी माफिया के खिलाफ संघर्ष भी किया है। उन्होंने पूर्व मंत्री आर. बालकृष्ण पिल्लई को भ्रष्टाचार के आरोपों में दोषी ठहराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अच्युतानंदन ने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य में मुफ्त सॉफ़्टवेयर को बढ़ावा देने और राज्य की सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली में मुफ्त सॉफ़्टवेयर को अपनाने में भी अहम भूमिका निभाई।
अच्युतानंदन ने ट्रेड यूनियन गतिविधियों के जरिए से राजनीति में एंट्री की और 1938 में कांग्रेस में शामिल हो गए। 1940 में वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सदस्य बन गए। एक राजनेता के रूप में अपने 40 वर्षों के दौरान उन्हें पांच साल और छह महीने की कैद हुई और साढ़े चार साल तक वे छिपे रहे। वे 1957 में CPI के राज्य सचिवालय सदस्य थे। अच्युतानंदन उन 32 सदस्यों में से एकमात्र जीवित थे, जिन्होंने 1964 में CPI राष्ट्रीय परिषद छोड़कर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का गठन किया था। अच्युतानंदन 1980 से 1992 के बीच केरल राज्य समिति के सचिव थे।