Delhi Assembly election 2025: क्या दिल्ली का चुनाव तय करेगा इंडिया गठबंधन का भविष्य? राहुल-केजरीवाल की लड़ाई क्यों है BJP के लिए खुशी की वजह

Rahul Gandhi Sheeshmahal Remark: दिल्ली के विधानसभा चुनाव से न सिर्फ राजधानी की राजनीति पर बल्कि केंद्र की राजनीति पर भी बड़ा असर होने जा रहा है क्योंकि इंडिया गठबंधन के दो बड़े नेता- लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल आमने-सामने आ गए हैं। निश्चित रूप से बीजेपी इससे खुश हो रही होगी। यहां यह बात भी दिलचस्प है कि 8 महीने पहले दिल्ली में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर ही दिल्ली में बीजेपी के खिलाफ चुनावी लड़ाई लड़ी थी। तब राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के निशाने पर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होते थे लेकिन आज यह दोनों नेता एक-दूसरे पर व्यक्तिगत हमले करने से भी नहीं चूक रहे हैं।

राहुल गांधी ने मंगलवार को दिल्ली में हुई अपनी चुनावी सभा में अरविंद केजरीवाल पर तीखे हमले बोले। राहुल ने केजरीवाल की ईमानदारी पर सवाल उठाया और कहा कि वह पहले छोटी गाड़ी में चलते थे। दिल्ली में उन्होंने बहुत बड़ा शराब घोटाला किया। राहुल ने यहां तक कहा कि केजरीवाल ने खुद के लिए शीशमहल बनवा लिया।

राहुल ने केजरीवाल की ‘नए तरीके की राजनीति’ को लेकर सवाल उठाया और कहा कि दिल्ली दंगे के दौरान वह चुप बैठे रहे। राहुल ने कहा कि नरेंद्र मोदी से अरविंद केजरीवाल कांप जाते हैं।

ईमानदारी का चोला ओढ़कर आएसबसे बड़ा शराब घोटाला कर दिया ये है केजरीवाल की राजनीति pic.twitter.com/lb15YkxZDE

अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी के तीखे हमलों का जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने X हैंडल पर सवाल उठाया, “राहुल गांधी और उनके परिवार को नेशनल हेराल्ड के घोटाले में अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है। रॉबर्ट वाड्रा को बीजेपी से क्लीन चिट कैसे मिल गई है।” केजरीवाल ने पूछा कि राहुल गांधी राजमहल को लेकर क्यों चुप हैं? आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के सरकारी आवास को राजमहल कहती है।

मोदी जी तो शराब घटोले जैसा फ़र्ज़ी केस बनाकर भी लोगों को जेल में डाल देते हैं। आप और आपका परिवार नेशनल हेराल्ड जैसे ओपन एंड शट केस में अभी तक गिरफ्तार क्यो नहीं हुए? रॉबर्ट वाडरा को बीजेपी से क्लीन चिट कैसे मिल गई? डर और बहादुरी पर ज्ञान ना ही दें तो अच्छा है। देश जानता है कौन… https://t.co/leVJ3abx2L

निश्चित रूप से देश की राजनीति पर नजर रखने वाले तमाम पत्रकारों, राजनीतिक विश्लेषकों और एनडीए के साथ ही इंडिया गठबंधन के नेताओं ने भी कभी इस बात की कल्पना नहीं की थी कि राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल इस तरह एक दूसरे के आमने-सामने आ जाएंगे।

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर इससे पहले भी इन दोनों नेताओं के बीच हल्की नोक-झोंक देखने को मिली थी लेकिन उसके बाद मामला शांत होता दिख रहा था। राहुल गांधी ने सीलमपुर की एक चुनावी रैली में कहा था कि जब भी कांग्रेस जाति जनगणना की बात करती है तो नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल कुछ नहीं बोलते हैं। इसके जवाब में केजरीवाल ने भी कहा था कि राहुल गांधी कांग्रेस को बचाने की जबकि वह देश को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

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आम आदमी पार्टी की चुनावी राजनीति को देखने से एक बात साफ समझ में आती है कि AAP का आगे आना कांग्रेस के लिए बेहद घाटे का सौदा साबित हुआ है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के आने से पहले कांग्रेस लगातार 15 साल तक सरकार चला चुकी थी लेकिन आज दिल्ली में कांग्रेस की यह हालत हो गई है कि वह पिछले दो चुनाव में 0 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई। जबकि 2013 में पहली बार कांग्रेस के समर्थन से ही केजरीवाल सीएम बने थे।

इसके अलावा पंजाब में कांग्रेस को हटाकर आम आदमी पार्टी सत्ता में आ गई। गोवा और गुजरात में आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने की वजह से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ। कांग्रेस को एक बड़ा नुकसान यह भी हुआ कि विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस के लगातार कमजोर होने की वजह से अरविंद केजरीवाल एक मजबूत नेता के रूप में उभरे।

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इसका असर इंडिया गठबंधन के बाकी नेताओं पर भी पड़ा और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने खुलकर ऐलान कर दिया कि वे कांग्रेस के साथ नहीं हैं बल्कि आम आदमी पार्टी के साथ हैं। निश्चित रूप से देश की सबसे पुरानी पार्टी और लंबे वक्त तक अपने दम पर केंद्र में सरकार चला चुकी कांग्रेस के लिए यह बहुत बड़ा झटका था और उसका अपमान भी था।

राहुल गांधी इस बात को बहुत बेहतर ढंग से जानते हैं कि अगर उन्हें बीजेपी का मुकाबला करना है और केंद्र की सत्ता से एनडीए सरकार को हटाना है तो राज्यों में मजबूती से चुनाव लड़ना होगा लेकिन 2014 के बाद से ही कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है और केंद्र में भी वह कमजोर हो गई है। हालांकि इस बार उसने लोकसभा चुनाव में पिछली बार के मुकाबले अपनी सीटें लगभग दोगुनी की लेकिन राज्यों में आज भी उसकी पकड़ काफी कमजोर है। कुल मिलाकर तीन राज्यों- कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में ही वह अपने दम पर सरकार चला रही है।

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा और महाराष्ट्र में वह हार चुकी है। ऐसे में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की कोशिश है कि कांग्रेस कम से कम ताकत से चुनाव लड़ती हुई दिखाई दे भले ही नतीजे कुछ भी हों।

शायद इसी रणनीति पर चलते हुए राहुल गांधी ने सीधे अरविंद केजरीवाल पर ऐसे तीखे हमले किए जिसका अंदाजा किसी को नहीं था।

अब सवाल यह है कि विपक्ष के दो बड़े नेताओं की यह लड़ाई कहां जाकर रुकेगी क्योंकि 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके होंगे। अगर चुनाव नतीजों में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस की वजह से राजनीतिक नुकसान होता है तो यह तय माना जाना चाहिए कि इससे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच खाई और चौड़ी हो जाएगी।

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यह कहा जा सकता है कि दिल्ली का विधानसभा चुनाव कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सियासी दोस्ती से लेकर कट्टर दुश्मनी की ओर आगे बढ़ रहा है और इसका सीधा असर इंडिया गठबंधन पर पड़ सकता है।

अगर अरविंद केजरीवाल दिल्ली में लगातार तीसरी बार अपने दम पर सरकार बनाने में कामयाब रहे तो वह 2029 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का नेता बनने का दावा कर सकते हैं। याद दिलाना होगा कि पिछले महीने ही इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा, इसे लेकर अच्छी-खासी लड़ाई हो चुकी है। ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी कह चुकी है कि ममता को इस गठबंधन की अगुवाई करनी चाहिए। कांग्रेस के पुराने सहयोगी और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी ममता बनर्जी का साथ दिया था।

निश्चित रूप से दिल्ली के चुनाव नतीजों के बाद भारत की सियासत में कोई बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अगर कांग्रेस दिल्ली में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई तो इंडिया गठबंधन में उसकी स्थिति और कमजोर होगी और अगर अरविंद केजरीवाल फिर से सरकार बनाने में कामयाब रहे तो वह विपक्ष में बड़े नेता के तौर पर सामने आएंगे खासकर उत्तर भारत में।

यह भी कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की सियासी लड़ाई खत्म नहीं होगी क्योंकि 2027 की शुरुआत में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं और वहां इन दोनों राजनीतिक दलों को फिर एक-दूसरे का मुकाबला करना है। निश्चित रूप से राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के आमने-सामने आने की वजह से बीजेपी काफी खुश होगी और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में वह इसका फायदा लेने की पूरी कोशिश करेगी।

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