‘अमेरिका से डिपोर्टेशन कोई पहली बार नहीं हो रहा…’, विदेश मंत्री ने भारतीयों से बुरे बर्ताव पर कही बड़ी बात

S. Jaishankar On Deportation: विदेश मंत्री एस जयशंकर आज दोपहर 2 बजे संसद में अमेरिका से कथित अवैध भारतीय प्रवासियों के निर्वासन के मुद्दे पर बयान दिया। उन्होंने डिपोर्टेशन पर संयुक्त राष्ट्र की संधि का जिक्र किया और कहा कि ये लीगल माइग्रेशन को सपोर्ट करने और अवैध माइग्रेशन को हतोत्साहित करने लिए है। जयशंकर ने कहा कि डिपोर्टेशन कोई नई बात नहीं है। विदेश मंत्री ने 2009 से लेकर अब तक के आंकड़े भी बताए और कहा कि हर साल अवैध प्रवासियों को वापस भेजा जाता है। अमेरिकी नियम के हिसाब से कार्रवाई की गई है।

विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने गुरुवार को राज्यसभा को जानकारी दी कि अमेरिका सरकार के साथ बातचीत कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘अगर कोई नागरिक विदेश में रह रहा पाया जाता है तो उसे वापस बुलाना सभी देशों का दायित्व है। हम अमेरिकी सरकार से संपर्क कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वापस लौटने वाले निर्वासितों के साथ किसी भी तरह का बुरा बर्ताव न हो।’

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका से भारतीयों के डिपोर्टेशन के सवाल पर कहा कि 104 भारतीयों को वापस भेजने के बारे में हमें पूरी जानकारी थी। हमने अधिकारियों को यह निर्देश दिया है कि वह एक वापस आने वाले भारतीय से बैठकर बात करे कि वह कैसे अमेरिका पहुंचे। उन्हें किसी एजेंट्स ने धोखा दिया था या फिर कुछ और वजह थी।

अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों को बेड़ियों में जकड़ कर भेजा गया भारत

विपक्षी पार्टियों के कई सारे सांसदों ने अमेरिका में अवैध तरीके से भारतीयों को वापस भेजने के तरीके पर सवाल खड़े किए। बुधवार को एक अमेरिका का सैन्य विमान 104 अवैध भारतीय प्रवासियों को लेकर अमृतसर पहुंचा। निर्वासित लोगों ने दावा किया कि अपनी इस पूरी यात्रा के दौरान उनके हाथ और पैरों में हथकड़ी लगी रही और जब वह अमृतसर के एयरपोर्ट पर पहुंचे उसी के बाद में उन्हें खोला गया। इनमें से हरियाणा और गुजरात से 33-33, पंजाब से 30, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तीन-तीन तथा चंडीगढ़ से दो लोग शामिल थे।

अवैध रूप से अमेरिका में प्रवास करने वाले एक भारतीय शख्स ने कहा, ‘मुझसे झूठ बोला गया था कि मुझे कानूनी तरीके से भेजा जाएगा, लेकिन मुझे डंकी रूट के रास्ते से भेजा गया। मुझे रास्ते में बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। अब जब मैं वापस आ गया हूं, तो मैं यहां काम करूंगा। मैंने बड़ी मुश्किल से सीमा पार की। मैं 8 महीने में वहां पहुंचा। मुझे 20 दिनों तक अमेरिकी सीमा पर जेल में रखा गया और फिर मुझे वापस भेज दिया गया। हमारे हाथ-पैर जंजीरों से बांध दिए गए और हमें बताया गया कि हमें वापस भारत भेजा जा रहा है। हमें अमृतसर एयरपोर्ट पहुंचने में 40 घंटे लगे। बच्चों को छोड़कर सभी को जंजीरों से बांध दिया गया। अब हम यहां खेती करेंगे। स्थानीय विधायक ने कहा है कि सरकार हमारी मदद करेगी। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह हमारे पैसे वापस दिलाने में हमारी मदद करे। हमसे झूठ बोला गया और डंकी रूट से अवैध तरीके से भेजा गया।’ पढ़िए अमेरिकी जहाज में कितनी मुश्किलें झेली पंजाब के हरविंदर ने पढ़ें पूरी खबर…

Income Tax New Bill: कब आएगा इनकम टैक्स का नया बिल? मोदी कैबिनेट की मुहर का इंतजार

Income Tax New Bill: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वित्तीय बजट पेश किया था, जिसमें इनकम टैक्स में 12 लाख की छूट का ऐलान किया था। बजट पेश करने के दौरान ही उन्होंने कहा था कि जल्द ही इनकम टैक्स के लिए नया बिल लाया जा सकता है। अब मीडिया रिपोर्ट्स ने भी इस बिल के अगले हफ्ते संसद में आने की पुष्टि की है।

अनुमान है कि सोमवार 10 फरवरी को यह बिल लोकसभा में पेश किया जा सकता है। इससे पहले शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट इस बिल को हरी झंडी भी दिखा सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इन विधेयक को कल मंजूरी दिए जाने के बाद, इसे सोमवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। सरकार इसे वित्त विधेयक के तौर पर पेश करने वाली है, जिसके चलते इसे बस लोकसभा में पास होना होगा।

आज की बड़ी खबरें

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नया इनकम टैक्स कानून मौजूदा आयकर अधिनियम 1961 को रिप्लेस करेगा। इसके जरिए टैक्सेशन सिस्टम को अधिक सरल और स्पष्ट बनाया जाएगा। नया आयकर कानून सरल भाषा में होगा जिससे करदाताओं और कर विशेषज्ञों को प्रावधानों के तहत बेहतर मदद मिलेगी।

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इसके साथ ही नए इनकम टैक्स कानून में डिजिटल प्रक्रियाओं को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे टैक्स फाइलिंग पूरी तरह डिजिटल हो जाएगी। इससे कानूनी विवादों में भी कमी आ सकती है। इसके अलावा कर निर्धारण वर्ष और वित्तीय वर्ष को मिलाकर कर वर्ष बनाने पर भी विचार किया जा सकता है।

केंद्र सरकार का दावा है कि नया कर विधेयक अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। साथ ही नए कानून को संक्षिप्त बनाया गया है, क्योंकि इसमें पुराने प्रावधानों को पूरी तरह से हटा दिया है, जिससे ये आम लोगों के लिए बोझिल नहीं होगा।

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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने अपडेटेड आईटी रिटर्न (आईटीआर-यू) के बारे में कहा कि पिछले तीन सालों में करीब 90 लाख ऐसे रिटर्न दाखिल किए गए। इससे करीब 8,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, नया बिल पूरी तरह से नया है और इसे फिर से लिखा गया है। इस बिल में टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस नए बजट का उद्देश्य मुद्रास्फीति की समस्या पैदा किए बिना विकास को बढ़ावा देना है। इनकम टैक्स से संबंधित अन्य सभी खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

Airforce Plane Crash: मध्य प्रदेश में एयरफोर्स का विमान क्रैश, पायलट सुरक्षित, दिए गए कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश

Mirage 2000 Fighter Aircraft Crashes: मध्य प्रदेश के शिवपुरी में इंडियन एयरफोर्स का एक विमान क्रैश होने की खबर है। गनीमत की बात यह है कि इस हादसे में इस प्लेन को उड़ा रहे पायलट सुरक्षित हैं, हालांकि दोनों को चोट लगने की बात सामने आ रही है। टीवी चैनल्स पर दिखाए गए विजुल्स में विमान आग की लपटों में देखा जा सकता है।

न्यूज एजेंसी ANI द्वारा डिफेंस सूत्रों के हवाले से दी गई जानकारी के अनुसार, मध्य प्रदेश के शिवपुरी के पास के पास जो विमान क्रैश हुआ है, वह एक ट्विन-सीटर मिराज 2000 लड़ाकू विमान है। यह प्लेन नियमित प्रशिक्षण उड़ान पर था। दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया जा रहा है। अधिक जानकारी की प्रतीक्षा है।

इंडियन एयरफोर्स द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, “भारतीय वायुसेना का मिराज 2000 विमान आज नियमित प्रशिक्षण उड़ान के दौरान शिवपुरी (ग्वालियर) के पास सिस्टम में खराबी आने के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। दोनों पायलट सुरक्षित बाहर निकल आए। दुर्घटना के कारणों का पता लगाने के लिए भारतीय वायुसेना ने जांच के आदेश दे दिए हैं।”

सेंट्रल एयर कमांड के प्रवक्ता ने बताया कि दोपहर करीब 2.40 बजे बरहेटा सानी गांव के पास खेत में दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद दो सीटों वाले प्रशिक्षण विमान में आग लग गई। उन्होंने बताया कि विमान में खराबी के कारण यह दुर्घटना हुई। उन्होंने बताया कि घटना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए गए हैं।

Indian Air Force tweets, “A Mirage 2000 aircraft of the IAF crashed near Shivpuri (Gwalior), during a routine training sortie today, after encountering a system malfunction. Both the pilots ejected safely. An enquiry has been ordered by the IAF to ascertain the cause of the… https://t.co/gg4dfyuOK0

Love Jihad Case: इस राज्य में मुस्लिम युवक और हिंदू युवती की शादी का मामला गर्माया, विरोध में उतरा बजरंग दल, लव जिहाद का लगाया आरोप

Uttarakhand Love Jihad Case: उत्तराखंड में एक मुस्लिम युवक और हिंदू युवती की शादी के प्रस्ताव का मामला सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। प्रेमी जोड़े का आरोप है कि उन्हें बजरंग दल और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों की ओर से धमकियां मिल रही हैं। उत्तराखंड में हाल ही में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हुआ है। उत्तराखंड सरकार पहले ही लव जिहाद को लेकर कानून बना चुकी है।

मोहम्मद शानू (22) और आकांक्षा कंडारी (23) ने 7 जनवरी को उधम सिंह नगर जिले के सब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के ऑफिस में एक नोटिस दिया था और कहा था कि वे शादी करना चाहते हैं लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनका यह नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हो जाएगा। नोटिस में उन दोनों की व्यक्तिगत जानकारी भी शामिल थी।

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शानू उधम सिंह नगर जिले के बाजपुर में एक सैलून चलाते हैं। शानू द इंडियन एक्सप्रेस को बताते हैं कि नोटिस देने के बाद उन्हें उनके परिवार ने बताया कि सोशल मीडिया पर लव जिहाद के कैप्शन के साथ उन दोनों की तस्वीर और प्राइवेट जानकारी वाली एक पोस्ट वायरल हो रही है। इससे पहले उत्तराखंड की हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर को आदेश दिया था कि इस प्रेमी जोड़े को पुलिस सुरक्षा दी जाए।

हाई कोर्ट के सामने अपनी याचिका में प्रेमी जोड़े ने कहा था कि वह शादी करना चाहते थे लेकिन आकांक्षा की मां और कुछ हिंदू संगठनों की धमकियों की वजह से ऐसा नहीं कर सके। हाई कोर्ट ने बाजपुर पुलिस से कहा था कि वह प्रेमी जोड़े को 6 हफ्ते की सुरक्षा दें।

इस प्रेमी जोड़े का कहना है कि हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद उन्हें बजरंग दल और कुछ अन्य दक्षिणपंथी संगठनों का विरोध झेलना पड़ रहा है।

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शादी के लिए नोटिस दिए जाने के बाद 30 जनवरी को बजरंग दल के कार्यकर्ता आकांक्षा की मां के साथ स्थानीय एसडीएम ऑफिस में गए और उन्होंने इसका खुलकर विरोध किया। कंडारी की मां रीना देवी ने एसडीएम को लिखे पत्र में कहा कि शादी के लिए दिए गए नोटिस की जांच की जाए और तब तक शानू को हिरासत में रखा जाए। आकांक्षा की मां ने कहा कि मोहम्मद शानू ने लव जिहाद के तहत उनकी बेटी को बहकाया है।

मोहम्मद शानू ने बताया कि आकांक्षा ने एसडीएम के सामने गवाही दी थी कि वह अपनी इच्छा से उससे शादी कर रही है। दोनों की मुलाकात 2018 में फेसबुक के जरिए हुई थी और 2022 में पहली बार मिले थे। शानू ने बताया कि आकांक्षा की मां और भाई शुरू में इस रिश्ते से खुश नहीं थे लेकिन बाद में वे मान गए थे लेकिन बजरंग दल को इसकी जानकारी मिलने पर उन्होंने आकांक्षा की मां पर दबाव बना दिया।

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इस प्रेमी जोड़े के वकील राहुल अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में कई अंतरजातीय और अंतरधार्मिक प्रेमी जोड़ों ने सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कहा कि ऐसी शादियों के मामलों में काफी राजनीति होती है और कई तरह के संगठन इन मामलों में शामिल हो जाते हैं। इस पूरे विवाद का असर मोहम्मद शानू की दुकान पर भी पड़ा है। शानू बताते हैं कि वह पहले रात 10 बजे तक काम करते थे और शाम को सैलून में आते थे लेकिन अब डर के चलते वह अपनी दुकान 6 बजे ही बंद कर देते हैं।

उधम सिंह नगर की बजरंग दल इकाई के प्रमुख यशपाल राजहंस ने फेसबुक पर एक वीडियो जारी कर कहा कि उनके संगठन के कार्यकर्ताओं ने आकांक्षा को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह शानू से शादी करने के फैसले पर डटी रही। यशपाल राजहंस ने कहा कि बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद लव जिहाद को रोकने के लिए खड़े हैं और सभी को अपनी बहनों और बेटियों को उन लोगों से बचाना चाहिए जो नाम बदलकर गुमराह करते हैं।

समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद उत्तराखंड में पहला लिव-इन रिलेशनशिप रजिस्टर, 5 आवेदनों को मंजूरी का इंतजार

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू होने के बाद से ही जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा है, वह लिव इन रिलेशनशिप के मामलों को लेकर है। इसे लेकर पहला मामला रजिस्टर हो गया है। इसके अलावा सरकार को 5 और आवेदन प्राप्त हुए हैं जिसकी अधिकारी जांच कर रहे हैं। उत्तराखंड सरकार पहले ही लव जिहाद को लेकर कानून बना चुकी है।

बताना होगा कि उत्तराखंड की धामी सरकार ने यूसीसी को लेकर जो नियम बनाए हैं उनमें लिव इन में रहने वाले कपल्स को रजिस्ट्रेशन के लिए 16 पेज का फॉर्म भरना होगा। किसी पुजारी से एक प्रमाण पत्र भी लेना होगा जिसमें लिखा होगा कि प्रेमी जोड़ा यदि चाहे तो विवाह करने के योग्य है। अगर कोई कपल लिवइन का रजिस्ट्रेशन नहीं कराता है तो उसे 6 महीने की जेल हो सकती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि यूसीसी किसी धर्म या वर्ग के खिलाफ नहीं है बल्कि इसका उद्देश्य सभी को समान अधिकार प्रदान करना है।

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Jammu-Kashmir: श्रीनगर में चेकपोस्ट तोड़कर भागा ट्रक ड्राइवर, सेना के जवान ने रोकने के लिए चलाई गोली तो…

कश्मीर में सोपोर के नजदीक श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाइवे पर सेना के जवानों के साथ हुई गोलीबारी में एक ट्रक ड्राइवर की मौत हो गई। सेना ने बताया कि ट्रक ने चेकपॉइंट पार कर लिया, जिसके बाद उसका 23 किलोमीटर से ज़्यादा तक पीछा किया गया। सेना के बयान के अनुसार, सैन्यकर्मियों ने ट्रक के टायरों पर गोली चलाई ताकि उसकी हवा निकल जाए और ट्रक रुक गया। सेना ने कहा कि इसके बाद वे घायल चालक को अस्पताल ले गए, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि उन्होंने घटना की जांच शुरू कर दी है। उन्होंने ट्रक चालक की पहचान 32 वर्षीय वसीम अहमद मीर के रूप में की है जो सोपोर के बोमई गांव का निवासी है।

श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर सेना के शिविर और पुलिस चौकियां हैं। इसे चौड़ा करने के लिए कई जगहों पर खुदाई भी की गयी है। चिनार कोर ने एक बयान में कहा, “5 फरवरी, 2025 को आतंकवादियों की गतिविधि के बारे में एक खुफिया इनपुट के आधार पर, सुरक्षा बलों द्वारा एक मोबाइल वाहन चेक पोस्ट स्थापित किया गया था। एक तेज गति से चलने वाला संदिग्ध नागरिक ट्रक देखा गया और जब उसे रुकने के लिए कहा गया तो बार-बार चेतावनी के बावजूद ट्रक नहीं रुका। इसके बजाय ड्राइवर ने चेक पोस्ट को पार करते हुए स्पीड और भी तेज कर ली।”

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बयान में आगे कहा गया है, “सतर्क सैनिकों ने 23 किलोमीटर से ज़्यादा समय तक वाहन का पीछा किया। टायरों को निशाना बनाकर गोलियां चलाई गईं, जिससे वाहन को संग्राम चौक पर रुकना पड़ा। विस्तृत तलाशी के बाद, घायल चालक को सुरक्षा बलों ने तुरंत जीएमसी बारामुल्ला पहुंचाया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।”

सेना के अनुसार, “ ट्रक को नजदीकी पुलिस स्टेशन भेज दिया गया है। पुलिस हिरासत में लिए गए ट्रक की विस्तृत तलाशी ली जा रही है और संदिग्ध के पिछले रिकॉर्ड की जांच जारी है।”

वहीं, दूसरी ओर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता इल्तिजा मुफ्ती ने इस घटना पर आश्चर्य व्यक्त किया और सवाल उठाए। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “यह चौंकाने वाली बात है कि कठुआ में ‘ओजीडब्ल्यू (ओवरग्राउंड वर्कर)’ के नाम पर एक नागरिक की हत्या के बाद सोपोर के एक अन्य नागरिक को सेना ने गोली मार दी। यह कितना अजीब है कि 23 किलोमीटर से अधिक समय तक ट्रक का पीछा करने के बाद, वे टायरों पर गोली चलाने का दावा करते हैं लेकिन किसी तरह से उस पर गोली नहीं चल पाती। क्या कश्मीरियों की जान इतनी सस्ती है? आप कब तक हर किसी पर शक की सुई घुमाकर इस बेलगाम दंडहीनता को उचित ठहराते रहेंगे?” पढ़ें- पिनाका रॉकेट लॉन्चर के लिए 10 हजार करोड़ का एमओयू तैयार, रक्षा समिति ने दी मंजूरी

2009 से 2025 के बीच अमेरिका से कितने भारतीयों को भेजा गया वापस? विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया

Jaishankar on Illegal Indian Immigrants: अमेरिका में गैर कानूनी रूप से रह रहे भारतीयों को वापस भेजने का मामला काफी तूल पड़ गया है। विपक्ष के सांसदों ने इसे लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है और कहा है कि जिस तरह भारतीयों को वहां से हवाई सफर में बेहद खराब हालात में भेजा गया वह बेहद शर्मनाक है। विपक्षी सांसदों ने इस मामले में मोदी सरकार से कदम उठाने की मांग की है। इंडिया गठबंधन ने संसद परिसर में प्रदर्शन किया है।

इस मामले में लगातार हंगामा बढ़ने के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लोकसभा और राज्यसभा में बयान दिया है।

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विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि हम इस मामले में अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्वासित किए गए व्यक्तियों के साथ हवाई सफर के दौरान किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न हो। मंत्री ने स्पष्ट किया कि निर्वासन या वापस भेजा जाना कोई नई प्रक्रिया नहीं है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका से भारतीयों के डिपोर्टेशन के सवाल पर कहा कि 104 भारतीयों को वापस भेजने के बारे में सरकार के पास पूरी जानकारी थी। 

कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई ने विदेश मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका की सरकार ने भारतीयों को बेहद अमानवीय तरीके से देश भेजा, उन्हें जंजीरों मे बांधकर बहुत बदसलूकी की। गोगोई ने कहा कि इस मामले में विदेश मंत्री ने बहुत ही कमजोर बयान दिया है। मोदी सरकार देश की अस्मिता को झुकाने पर तुली है, हम इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज जब भारतीयों का अपमान हो रहा है तो मोदी सरकार चुप्पी साधे बैठी है।

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Parliament Session: ‘मजबूरी के कारण लगा रहे ‘जय भीम’ का नारा…’, जानें राज्यसभा में PM मोदी के भाषण की 5 बड़ी बातें

संसद के बजट सत्र के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण प्रेरक और प्रभावी था और हम सब के लिए आगे के काम करने का मार्गदर्शन भी था।

1.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में कहा, “कांग्रेस के मॉडल में सर्वोपरि है फैमिली फर्स्ट। कांग्रेस से ‘सबका साथ सबका विकास’ के बारे में अपेक्षा करना गलती होगी। ये उनकी सोच-समझ के बाहर है और उनके रोडमैप में भी ये सूट नहीं करता। क्योंकि जब इतना बड़ा दल, एक परिवार को समर्पित हो गया है, तो उसके लिए ‘सबका साथ-सबका विकास’ संभव ही नहीं है।”

2. प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां पर ‘सबका साथ-सबका विकास’ पर बहुत कुछ कहा गया। ‘सबका साथ-सबका विकास’ तो हम सबका दायित्व है। इसलिए देश ने हम सबको यहां बैठने का अवसर दिया है। पीएम ने कहा, “मैं तीसरी बार सेवा के लिए हमें चुनने के लिए देश का आभारी हूं। भारत के लोगों ने हमारी प्रगति की नीति को परखा है और हमें वादों को पूरा करते हुए देखा है। हमने लगातार ‘राष्ट्र प्रथम’ के आदर्श के साथ काम किया है। पांच-छह दशकों तक देश के लिए कोई वैकल्पिक मॉडल नहीं था। 2014 के बाद देश को शासन का एक वैकल्पिक मॉडल मिला है। यह नया मॉडल तुष्टिकरण पर नहीं बल्कि संतुष्टि पर केंद्रित है।”

3. पीएम ने आगे कहा, “कांग्रेस ने राजनीति का एक ऐसा मॉडल तैयार किया था, जिसमें झूठ, फरेब, भ्रष्टाचार परिवारवाद, तुष्टिकरण आदि का घालमेल था। कांग्रेस के मॉडल में ‘Family First’ ही सर्वोपरि है। इसलिए, उनकी नीति-रीति, वाणी-वर्तन उस एक चीज को संभालने में ही खपता रहा है।”

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4. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “तीन दशकों से दोनों सदनों के सभी दलों के ओबीसी सांसद सरकार से ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की मांग कर रहे थे। इसे बार-बार नकारा गया। यह उस समय की उनकी राजनीति को शोभा नहीं देता था.दशकों के इंतजार के बाद, समुदाय की मांगों का सम्मान करते हुए, हमने इस आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया। भारत के पास जो समय है, उसके पल-पल का उपयोग देश की प्रगति के लिए, जन-सामान्य के लिए हो। इसके लिए हमने Saturation का अप्रोच अपनाया। जो योजना बनें, जिनके लिए बनें, उनको उसका शत-प्रतिशत लाभ मिलना चाहिए। किसी को दिया, किसी को नहीं दिया, उस स्थिति से बाहर आकर saturation के अप्रोच की ओर हमारे काम को हमने आगे बढ़ाया है।”

5. राज्यसभा में बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा, “यह अच्छी तरह से पता है कि कांग्रेस के मन में डॉ बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति कितना गुस्सा और नफरत थी। उन्होंने कभी भी बाबा साहेब को भारतरत्न के लायक नहीं माना। लेकिन, आज मजबूरियों के कारण उन्हें ‘जय भीम’ का नारा लगाना पड़ रहा है।” पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स

Mahakumbh 2025: पाकिस्तान से पहली बार महाकुंभ आए 50 लोग, बोले- अपनी संस्कृति को जानने का मौका भारत आकर मिला

भारत-पाकिस्तान के संबंध आमतौर पर तनावपूर्ण ही रहते हैं। लेकिन, इस सबके बीच पाकिस्तान से पहली बार 50 लोग महाकुंभ आए हैं। सोशल मीडिया पर महाकुंभ की दिव्यता के बारे में देख-सुनकर पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हिंदू श्रद्धालु खुद को यहां आने से रोक न सके। गुरुवार को सिंध से 68 हिंदू श्रद्धालुओं का एक जत्था प्रयागराज पहुंचा।

मेला क्षेत्र के सेक्टर-9 में स्थित श्रीगुरुकार्ष्णि के शिविर में ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में सिंध से आए गोबिंद राम माखीजा ने बताया, “हमने जब से महाकुंभ मेले के बारे में सुना है, तब से हमारी इच्छा थी कि हम यहां आएं। हम खुद को यहां आने से रोक नहीं सके।” मखीजा ने कहा, “पिछले साल अप्रैल माह में 250 लोग पाकिस्तान से प्रयागराज आए थे और गंगा में डुबकी लगाई थी। इस बार सिंध के छह जिलों-गोटकी, सक्कर, खैरपुर, शिकारपुर, कर्जकोट और जटाबाल से 68 लोग प्रयागराज पहुंचे हैं, जिनमें करीब 50 लोग पहली बार महाकुंभ में आए हैं।”

गोबिंद माखीजा ने आगे कहा, “यहां अजब आनंद आ रहा है, बेहद खुशी हो रही है, यहां का अनुभव बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। कल हम गंगा में डुबकी लगाएंगे। यहां आने पर हमें सनातन धर्म में जन्म लेने के गौरव की अनुभूति हो रही है।”

सिंध प्रांत के गोटकी से आई 11वीं कक्षा की छात्रा सुरभि ने बताया कि वह पहली बार भारत आई है। उसने कहा, “यहां पहली बार हमें अपने धर्म को गहराई से देखने-जानने का मौका मिल रहा है। बहुत अच्छा लग रहा है।” वहीं, सिंध से आई प्रियंका ने कहा, “मैं पहली बार भारत और इस महाकुंभ में आई हूं। यहां अपनी संस्कृति को देखकर बहुत दिव्य अनुभव हो रहा है। मैं गृहिणी हूं और भारत आना मेरा सबसे बड़ा सौभाग्य है। हम पैदा ही वहां हुए और मुस्लिमों के बीच ही रहे। सिंध प्रांत में हिंदुओं के साथ बहुत भेदभाव नहीं है, जैसा कि मीडिया दिखाती है। लेकिन अपनी संस्कृति को जानने का मौका हमें यहां आकर मिल रहा है।”

PM मोदी ने संगम में लगाई आस्था की डुबकी तो रवींद्र पुरी बोले- ऐसा पीएम ना पहले कभी हुआ और ना होगा

भारत में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर अपने विचार प्रकट करते हुए सक्कर जिले से आए निरंजन चावला ने कहा, “सिंध में ऐसा माहौल नहीं है कि लोग भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करें। लेकिन कुछ इलाकों में हिंदुओं के लिए थोड़ी मुश्किले हैं।” चावला ने आगे कहा, “मैं भारत सरकार से निवेदन करना चाहूंगा कि वीजा जारी करने की प्रक्रिया थोड़ी आसान की जाए। अभी वीजा मिलने में 6 महीने लग जाते हैं। हालांकि, यहां आए जत्थे को सरलता से वीजा दिया गया, जिसके लिए हम भारत सरकार को धन्यवाद देते हैं।”

निरंजन चावला ने बताया, “कल रात हम महाकुंभ के इस शिविर में आए और 8 फरवरी को यहां से रायपुर जाएंगे, जिसके बाद हम हरिद्वार की यात्रा करेंगे। हमारे जत्थे में लोग छह अस्थि कलश लेकर आए हैं, जिन्हें वे हरिद्वार में विसर्जित करेंगे। हम लोग आज शाम को अखाड़ों के साधु-संतों से मिलने जाएंगे और पूरे मेला क्षेत्र का भ्रमण करेंगे।” पढ़ें- ‘इलाहाबाद हाई कोर्ट जाइए’, महाकुंभ भगदड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक

(इनपुट-भाषा)

PVTG Yojana: मोदी सरकार ने क्यों रोका उत्तर प्रदेश को दिया जाने वाला पैसा? केंद्रीय मंत्री ने बताई वजह; इन राज्यों को भी लगा झटका

PVTG Yojana: केंद्र सरकार ने हाल ही में एक बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि उसने PVTG योजना के तहत राज्यों के दिए जाने वाले फंड में से कई राज्यों को झटका दिया है। इन राज्यों को केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने उनके हिस्से का पैसा नहीं दिया है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि इसमें बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश भी है, जहां पार्टी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का शासन है।

जानकारी के मुताबिक, केंद्र की मोदी सरकार ने कई राज्यों को 2022-023 में कमजोर जनजातीय समूहों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए योजना का पैसा नहीं मिला है। इसमें उत्तर प्रदेश का नाम होने से सभी चकित है। इसके अलावा योजना के पैसे से वंचित रहने वाले राज्यों में झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, उत्तराखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों का नाम भी है।

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इसको लेकर लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने जवाब दिया और बताया कि यूपी समेत अन्य राज्यों का पैसा PVTG Yojana के तहत क्यों रोका गया है। उन्होंने बताया कि यूपी और अन्य राज्यों ने केंद्र सरकार की शर्तों को पूरा नहीं किया है, जिसके चलते उन्हें योजना के तहत अभी तक कोई पैसा नहीं दिया गया है।

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केंद्रीय मंत्री ने दुर्गादास उइके ने कहा कि 2022-23 के दौरान पीवीटीजी की विकास योजना के तहत झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों को उक्त शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण कोई धनराशि जारी नहीं की गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) के सामाजिक-आर्थिक और समग्र विकास के लिए ‘पीवीटीजी का विकास’ योजना लागू की और इस योजना के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रस्तावों के आधार पर धनराशि प्रदान की गई।

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इस योजना के बारे में बता दें कि इसका मुख्य उद्देश्य विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) का विकास है। इस योजना का उद्देश्य कृषि विकास और पशु विकास प्रदान करके PTGs के कल्याण को बढ़ावा देना है, जिससे उनके भरण-पोषण के लिए आय उत्पन्न की जा सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 75 समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए 24,104 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 15 नवंबर, 2023 को प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) की शुरुआत की।

सरकार की इस योजना के 2026 तक जनजातीय समूहों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच, सड़क और दूरसंचार संपर्क, घरों का विद्युतीकरण और स्थायी आजीविका के अवसर जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है। केंद्र सरकार की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई योगी सरकार को फटकार? यूपी गैंगस्टर एक्ट से जुड़ा है मामला, कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य के गैंगस्टर विरोधी कानून के तहत दर्ज एक मामले में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अपने जवाब में अप्रचलित मामलों को शामिल करने के कारण वह “प्रॉसिक्यूटर नहीं बल्कि पर्सिक्यूटर” है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने एक आरोपी की याचिका पर राज्य के हलफनामे का हवाला दिया और सवाल किया कि उसके खिलाफ ऐसे मामले क्यों हैं जिन्हें या तो रद्द कर दिया गया या जिनमें उसे बरी कर दिया गया।

न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, बेंच ने कहा, “आप अपने जवाब में उन मामलों को भी शामिल कर रहे हैं जिन्हें खारिज कर दिया गया है और जिनमें याचिकाकर्ता को बरी कर दिया गया है। अगर यह आपकी कार्यप्रणाली है, तो आप प्रॉसिक्यूटर नहीं नहीं, पर्सिक्यूटर हैं।”

इसलिए अदालत ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 के तहत आरोपों का सामना कर रहे चार व्यक्तियों को जमानत दे दी। बेंच ने यूपी सरकार से पूछा, “अगर वह (याचिकाकर्ता) पहले से ही कुछ मामलों में जमानत पर रिहा है, अगर कुछ कार्यवाही रद्द कर दी गई हैं, अगर कुछ कार्यवाही में उसे बरी कर दिया गया है… तो क्या आपके लिए इस कोर्ट के समक्ष फैक्चुअल स्थिति रखना जरूरी नहीं था?”

सुप्रीम कोर्ट में यह आदेश आरोपियों द्वारा दायर चार अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया गया। आरोपियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के नवंबर 2024 के आदेशों को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि याचिकाकर्ता भाई हैं और 2017 के बाद दर्ज मामलों में उन्हें फंसाया गया है, क्योंकि उनके पिता एक राजनीतिक दल से संबंधित MLC थे।

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उन्होंने कहा कि राज्य की कार्यप्रणाली ऐसी है कि जब याचिकाकर्ताओं को एक मामले में जमानत मिल जाती है तो उनके खिलाफ दूसरी FIR दर्ज कर दी जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें कभी राहत न मिले। लूथरा ने राज्य के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि एक याचिकाकर्ता के खिलाफ 28 FIR दर्ज हैं, जबकि अन्य के खिलाफ 15 FIR दर्ज हैं।

उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में राज्य ने आपराधिक पृष्ठभूमि के आधार पर जमानत का विरोध किया, याचिकाकर्ताओं को या तो बरी कर दिया गया या जमानत पर रिहा कर दिया गया और कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने उनमें से कुछ के खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी। लूथरा ने कहा, “मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है। राज्य अथॉरिटी का लगातार यही व्यवहार रहा है कि वे FIR दर्ज करते रहते हैं। मुझे नहीं पता कि मेरा मुवक्किल जेल में सुरक्षित है या बाहर।”

यूपी सरकार के वकील ने जमानत याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि दर्ज मामलों में से एक कथित केस गैंगरेप का है। वकील ने सेक्शन 19(4) का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी आरोपी को तब तक जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को जमानत का विरोध करने का मौका न दिया जाए और जहां प्रॉसिक्यूटर इसका विरोध करता है। रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट संतुष्ट थी कि यह मानने के लिए उचित आधार थे कि आरोपी ऐसे अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रहते हुए उसके द्वारा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।

बेंच ने उसके सामने पेश किए गए एक चार्ट से पता चलता है कि याचिकाकर्ता कई मामलों में संलिप्त थे, लेकिन अधिकतर मामलों में याचिकाकर्ता या तो जमानत पर रिहा हो गए या बरी हो गए। बेंच ने यह भी कहा कि कुछ मामलों में, इस कोर्ट  ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी। कथित गैंगरेप केस पर कोर्ट ने कहा कि जुलाई 2022 में सहारनपुर की एक ट्रायल कोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन राज्य सरकार ने ढाई साल बाद भी इसे रद्द करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

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