Explained: रूस से तेल आयात पर भारत की दुविधा क्यों बढ़ी? जानिए अब क्या करना होगा

भारत पर रूस से तेल आयात बंद करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन यानी नाटो के महासचिव मार्क रुट ने चीन, ब्राजील और भारत से कहा है कि वे रूस पर यूक्रेन में युद्ध बंद करने का दबाव डालें, नहीं तो अमेरिकी प्रतिबंध के लिए तैयार रहें। दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा है कि यूक्रेन में युद्ध पर अगले 50 दिनों में कोई समझौता नहीं होता है, तो रूस को भारी शुल्क का सामना करना पड़ेगा।

तेल मंत्रालय के अनुसार, भारत अपनी जरूरत का करीब 88 फीसद तेल आयात करता है। रूस के कुल तेल निर्यात का 38 फीसद तेल भारत खरीद रहा है। दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रूसी और मध्य एशिया अध्ययन केंद्र में असोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं कि भारत पर दबाव तो बढ़ गया है और इस दबाव की यूं ही उपेक्षा नहीं की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि भारत के सामने दो चुनौतियां होंगी। रूस से तेल आयात बंद हुआ तो भारत को सस्ता तेल नहीं मिलेगा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बढ़ेंगी। यानी भारत को महंगा तेल खरीदना होगा, लेकिन मामला केवल तेल का नहीं है। अमेरिका तो कह रहा है कि भारत रूस से व्यापार ही बंद कर दे। ऐसे में भारत की रक्षा आपूर्ति का क्या होगा? मुझे नहीं लगता है कि भारत अमेरिका के इस दबाव को पूरी तरह से मानेगा।

राजन कुमार कहते हैं, ट्रंप की धमकी अगर सच्चाई में बदलती है तो भारत के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी। जहां तक रूस की बात है तो मुझे लगता है कि वह भारत की मजबूरी को समझता है, लेकिन भारत के सामने चीन भी है और चीन अमेरिकी धमकियों के सामने झुकेगा नहीं। चीन ने ट्रंप की हर धमकी का जवाब दिया है और ट्रंप खुद व्यापार समझौता करने के लिए मजबूर हुए। यानी ट्रंप अपने दोस्तों के साथ बहुत सख्ती से पेश आ रहे हैं, लेकिन जो उन्हें उसी भाषा में जवाब दे रहा है, उससे समझौते कर रहे हैं। लेकिन भारत चीन नहीं है। चीन ने रेयर अर्थ मिनरल और सेमीकंडक्टर की सप्लाई रोक दी थी।

राजन कुमार कहते हैं, जाहिर कि रूस की निर्भरता चीन पर और बढ़ेगी और यह भारत के लिए किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है। रूस के पास अब चीन का कोई विकल्प नहीं है। रूस के कुल तेल निर्यात का 47 फीसद चीन में हो रहा है। इसके बावजूद चीन पूरी तरह से पश्चिम विरोधी नहीं हो सकता है क्योंकि पश्चिम के साथ चीन का व्यापार बहुत बड़ा है। रूस से तमाम करीबी के बावजूद चीन ने रूस को रक्षा समाग्री नहीं दी।

भारत के सामने दो चुनौतियां होंगी। रूस से तेल आयात बंद हुआ तो भारत को सस्ता तेल नहीं मिलेगा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बढ़ेंगी। यानी भारत को महंगा तेल खरीदना होगा, लेकिन मामला केवल तेल का नहीं है। अमेरिका तो कह रहा है कि भारत रूस से व्यापार ही बंद कर दे। ऐसे में भारत की रक्षा आपूर्ति का क्या होगा?

रूस में भारत के राजदूत रहे और भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा कि नाटो अब भारत को धमकी दे रहा है। यहाँ तक कि नाटो प्रमुख ने चीन से पहले भारत का जिक्र किया है। नाटो प्रमुख भारत, चीन और ब्राजील को धमकी देकर जियोपालिटिकल गहराई की अज्ञानता ही जाहिर कर रहे हैं। सिब्बल ने कहा, क्या इन तीनों देशों को भी नाटो निर्देशित करेगा? तुर्की रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है। तुर्की नाटो का सदस्य है। क्या नाटो महासचिव तुर्की पर भी प्रतिबंध लगाएंगे?

उन्होंने कहा कि ईयू अब भी अपनी जरूरत का सात फीसद तेल रूस से आयात करता है। क्या हंगरी और स्लोवाकिया पर भी प्रतिबंध लगाए जाएंगे? ये दोनों देश भी नाटो के सदस्य हैं। मार्क रूट इस पर भी चुप हैं। नाटो को हमें आधिकारिक रूप से जवाब देना चाहिए ताकि ट्रंप को भी एक संदेश जाए। ट्रंप यूक्रेन में युद्ध बंद कराना चाहते हैं लेकिन पुतिन तैयार नहीं हैं। अब ट्रंप रूस को सीधे बोलने के बजाय उन देशों को निशाना बना रहे हैं, जो रूस से तेल खरीद रहे हैं। रूस प्रति दिन 70 लाख बैरल से ज्यादा तेल निर्यात कर रहा है और अगर यह बाधित होता है तो कच्चे तेल की कीमत बढ़ेगी।

नाटो अब भारत को धमकी दे रहा है। यहां तक कि नाटो प्रमुख ने चीन से पहले भारत का जिक्र किया है। नाटो प्रमुख भारत, चीन और ब्राजील को धमकी देकर जियोपालिटिकल गहराई की अज्ञानता ही जाहिर कर रहे हैं। क्या इन तीनों देशों को भी नाटो निर्देशित करेगा? नाटो महासचिव को अहसास नहीं है कि ऐसी चेतावनियों का क्या असर होगा।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के मुताबिक, भारत को ये दबाव नहीं मानना चाहिए क्योंकि अमेरिका का यह आखिरी दबाव नहीं होगा। इनकी मांगें बढ़ती जाएंगी। रूस से सस्ता तेल मिल रहा है और हमें खरीदना चाहिए। अगर रूस से तेल नहीं लेंगे तो तेल महंगा होगा और इसका असर सीधे भारत की जनता पर पड़ेगा।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने एक बयान में कहा था कि हम किसी भी तरह के दबाव में नहीं हैं। भारत का तेल आयात किसी देश पर निर्भर नहीं है। हम पूरे मामले में किसी तरह से परेशान नहीं हैं। अगर कुछ होता है, तो हम उसे संभाल लेंगे। तेल आपूर्ति को लेकर कोई समस्या नहीं है। भारत और चीन रूस के कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक देश हैं।

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धनखड़ के इस्तीफे के बाद कौन चलाएगा राज्यसभा? यहां जानें जवाब

Jagdeep Dhankar Vice President Resigns: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, उनकी तरफ से स्वास्थ्य कारणों का हवाल देकर इतना बड़ा कदम उठाया गया है। अब उनके अचानक दिए गए इस्तीफे ने सभी को हैरान कर दिया है। इस फैसले ने कई सवालों को भी जन्म दिया है, सबसे जरूरी और स्वभाविक तो यही है- आखिर अब राज्यसभा कौन चलाने वाला है? मानसून सत्र तो अभी चल रहा है, धनखड़ वाली कुर्सी पर कौन बैठेगा?

अब इस सवाल जवाब एकदम स्पष्ट है। जो भी देश के उपराष्ट्रपति होते हैं, उनका सबसे बेसिक काम राज्यसभा को संभालना ही होता है, संवैधानिक भाषा में इसे हम सभापति का पद कहते हैं। जिस तरह लोकसभा की कार्यवाही स्पीकर देखते हैं, राज्यसभा में यही जिम्मेदारी सभापति की होती है। अब इस केस में अभी तक तो सभापति की जिम्मेदारी जगदीप धनखड़ ने संभाल रखी थी, लेकिन उन्होंने क्योंकि इस्तीफा दे दिया है तो इस जिम्मेदारी को कोई और लेने वाला है।

अब जैसे हर चीज का बैकअप होता है, राज्यसभा भी ऐसी अप्रत्याशित घटनाओं के लिए तैयार रहता है। अगर कभी उपराष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा दे दें तो उस स्थिति में संसद की कार्यवाही उपसभापति के पास चली जाती है। जब तक नए उपराष्ट्रपति नहीं चुन लिए जाते, उपसभापति ही उस पद को संभालते हैं। इस समय राज्यसभा के उपसभापति की जिम्मेदारी हरिवंश नारायण सिंह के पास है। ऐसे में जब मानसून सत्र फिर शुरू होगा, उस कुर्सी पर धनखड़ की जगह हरिवंश बैठे होंगे।

वैसे कुछ सवाल पूछ रहे हैं क्या हमारा संविधान कार्यवाहक उपराष्ट्रपति की बात करता है? अब यह सवाल भी इसलिए क्योंकि हमने कार्यवाहक पीएम, कार्यवाहक सीएम देखे हैं, ऐसे में क्या कार्यवाही उपराष्ट्रपति भी होते हैं? इसका सीधा जवाब है नहीं। हमारा संविधान कोई भी ऐसा पद नहीं देता है, ऐसे में अगर उपराष्ट्रपति इस्तीफा देंगे तो जल्द से जल्द फिर चुनाव ही करवाना होगा।

धनखड़ के इस्तीफे के बाद नीतीश कुमार को लेकर जोरदार चर्चा

उपराष्ट्रपति ने अपने पत्र में लिखा, “मैं संविधान के अनुच्छेद 67A के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं। मैं भारत के राष्ट्रपति में गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा और मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा। मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदों से जो मुझे स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला, वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा। मैं इस महान लोकतंत्र के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान मिला, वह अत्यंत मूल्यवान रहा। यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है कि मैंने भारत की अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और परिवर्तनकारी युग में तेज विकास को देखा और उसमें अपनी भागीदारी निभाई। इस महत्वपूर्ण दौर में सेवा करना मेरे लिए सच्चे सम्मान की बात रही है। आज जब मैं इस पद को छोड़ रहा हूं तो मेरे दिल में भारत की उपलब्धियां और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है।

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आज की ताजा खबर, हिंदी न्यूज 22 जुलाई 2025 LIVE: बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, 24 जुलाई को होगी सुनवाई

आज की ताजा खबर (Aaj Ki Taaja Khabar), Hindi News (हिंदी न्यूज़) LIVE: सरकार ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। लोकसभा के 145 और राज्यसभा के 63 सांसदों ने वर्मा को हटाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा के पीठासीन अधिकारियों को ज्ञापन दिए हैं। नोटिस पर साइन करने वालों में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद और अनुराग ठाकुर और सुप्रिया सुले सहित अन्य शामिल हैं। यह नोटिस संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपा गया। सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ जज, एक हाई कोर्ट के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश और एक प्रतिष्ठित न्यायविद वाली समिति जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच करेगी और उसे तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहा जाएगा। जांच रिपोर्ट संसद में पेश की जाएगी। इसके बाद दोनों सदनों में चर्चा होगी और उसके बाद जस्टिस वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर मतदान होगा।

धनखड़ के इस्तीफे के बाद कौन चलाएगा राज्यसभा?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिया इस्तीफा: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया और स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र भेजकर कहा है कि वह तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं। उनके पत्र में लिखा था, ‘स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं।’ पल-पल की अपडेट्स के लिए जुड़े रहिये जनसत्ता के साथ

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मराठी भाषा विवाद पर महाराष्ट्र के मंत्री गिरीश महाजन ने कहा, “निश्चित रूप से मराठी हमारी मातृभाषा है और यह हमारी प्राथमिकता है, लेकिन अगर हम किसी और को मराठी बोलने के लिए मजबूर करते हैं या उन्हें पीटते हैं, तो यह भी हमारे राज्य के लिए सही नहीं है। हम भी बाहर जाते हैं और अगर कोई हमें तमिल या बंगाली में बोलने के लिए कहे तो हम क्या करेंगे। हम ऐसे देश में रहते हैं जहां कई भाषाएं बोली जाती हैं। हमें अपनी भाषाओं से प्यार है, लेकिन मुझे भी इस तरह का रवैया पसंद नहीं है।”

मराठी भाषा विवाद पर महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा, “जब मैं तमिलनाडु में सांसद था, तो एक दिन मैंने कुछ लोगों को किसी को पीटते देखा। जब मैंने उनसे समस्या पूछी, तो वे हिंदी में बात कर रहे थे। फिर, होटल मालिक ने मुझे बताया कि वे तमिल नहीं बोलते हैं, और लोग उन्हें तमिल बोलने के लिए पीट रहे थे। अगर हम इस तरह की नफरत फैलाएंगे, तो कौन आएगा और निवेश करेगा। लंबे समय में, हम महाराष्ट्र को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मैं हिंदी समझने में असमर्थ हूं और यह मेरे लिए एक बाधा है। हमें अधिक से अधिक भाषाएं सीखनी चाहिए, और हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व होना चाहिए।”

एयर इंडिया का कहना है कि बोइंग बेड़े में फ्यूल स्विच लॉकिंग सिस्टम का निरीक्षण पूरा हो गया है, कोई समस्या नहीं पाई गई।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा, “मैं उनकी कुशलता और लंबी आयु की कामना करता हूं। यह पहली बार है जब किसी उपराष्ट्रपति ने इस तरह से इस्तीफा दिया है। दुर्भाग्य से, उनके स्वास्थ्य ने उन्हें आगे काम करने की अनुमति नहीं दी। उम्मीद है कि अगले उपराष्ट्रपति अपने पद और कार्यालय के साथ न्याय करेंगे।”

लोकसभा 23 जुलाई को 11:00 बजे शुरू होगी, इस पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “वे (विपक्ष) चर्चा की मांग कर रहे हैं और हम इसके लिए तैयार हैं। फिर वे सदन को चलने क्यों नहीं दे रहे हैं? यह दोहरा मापदंड गलत है। अगर आप चर्चा चाहते हैं, तो हंगामा न करें। सरकार ने कहा है कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं। आप जनता का पैसा बर्बाद कर रहे हैं।”

जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने कहा, “राज्य की मांग अब एक जन आंदोलन में बदल गई है। हम सरकार पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के लिए दबाव डाल रहे हैं।”

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के विरोध में सड़क जाम कर विरोध प्रदर्शन और आर्थिक नाकेबंदी की।

जगदीप धनखड़ के भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने पर, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण कहते हैं, “जब वे अस्पताल में भर्ती थे, तब मैंने उन्हें अपने संदेश दिए थे। मेरी उनसे हमेशा अच्छी बातचीत रही है। वे अत्यंत संतुलित, बुद्धिमान और राजनीतिक रूप से अनुभवी व्यक्ति हैं, जिस तरह से वे सदन चलाते हैं, वह एक बड़ी क्षति है। हालांकि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, मैं हमेशा चाहता हूं कि वे आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करें। मुझे उम्मीद है कि वे एक भूमिका निभाएं, मेरे जैसे लोग उनसे प्रेरणा लेते हैं।”

बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, “सिर्फ देश के निवासियों को ही वोट देने का अधिकार है। अगर इसकी जांच हो रही है तो उन्हें दिक्कत क्यों है? अररिया, पूर्णिया और किशनगंज में 125 प्रतिशत लोगों को आधार कार्ड जारी किए गए हैं। चुनाव आयोग ने कहा है कि ज्यादातर लोग बाहर से आए हैं। भारत कोई धर्मशाला नहीं है। बांग्लादेशियों और घुसपैठियों के नाम पर राजनीति करने वाले नेता घबराए हुए हैं।”

जगदीप धनखड़ के भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने को लेकर सामूहिक चिंता के बीच, उनके बहनोई प्रवीण बलवदा कहते हैं, “लंबे समय से स्वास्थ्य समस्या थी, मार्च में एक प्रक्रिया हुई, स्टेंट डाले गए, उन्हें भाषण देने में कठिनाई होती थी, स्वास्थ्य अधिक महत्वपूर्ण है, वह काम के प्रति बहुत समर्पित हैं, उन्हें लगता था कि वह काम के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे। उन्होंने आखिरकार वही स्वीकार किया जो परिवार चाहता था।”

बांग्लादेश वायुसेना के विमान हादसे पर माइलस्टोन स्कूल एंड कॉलेज की 11वीं कक्षा की छात्रा संजीदा अख्तर स्मृति कहती हैं, “मैंने 10-12 लोगों के क्षत-विक्षत शव देखे। वे कैसे कह सकते हैं कि सिर्फ़ 21 लोग ही मरे? विमान इस इमारत से सिर्फ 5 फीट ऊपर था। अगर यह यहां गिरता, तो हज़ारों छात्र मारे जाते। इतनी घनी आबादी वाले इलाके में प्रशिक्षण विमान क्यों उड़ेगा? 1966 में चीन से ख़रीदे गए इतने पुराने विमान से प्रशिक्षण क्यों दिया जा रहा है?”

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर भाजपा सांसद कंगना रनौत ने कहा, “देश और संसद को अपना समय और सेवा देने के लिए हम उनके आभारी हैं। इसके लिए हम हमेशा उनके आभारी रहेंगे।”

बीजेपी सांसद अशोक चव्हाण ने कहा, ‘विपक्ष का सदन में हंगामा करना ठीक नहीं है। विपक्ष को एक जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका निभानी चाहिए।”

गृह मंत्रालय ने संविधान के अनुच्छेद 67ए के तहत उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देने की सूचना दी है।

अपने पार्टी सहयोगी के मुरलीधरन की ‘अब हम में से नहीं’ टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस सांसद शशि थरूर कहते हैं, “जो लोग ऐसा कह रहे हैं, उनके पास कहने का कोई आधार भी होना चाहिए। वे कौन हैं? उनकी पार्टी की स्थिति क्या है। मैं जानना चाहता हूं। मुझसे दूसरों के व्यवहार के बारे में बताने के लिए मत कहिए। आप उनसे उनके व्यवहार के बारे में बात कीजिए। मैं सिर्फ अपने व्यवहार के बारे में ही बात कर सकता हूं।”

पंजाब के सीएम भगवंत मान लैंड पूलिंग योजना पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहते हैं, विपक्षी दलों द्वारा यह अफवाह फैलाई जा रही है कि जहाँ भी सरकार अधिसूचना जारी करेगी, उन सभी ज़मीनों की रजिस्ट्री रोक दी जाएगी। यह एक निराधार आरोप है। अगर सरकार को शहरी बसावट बनानी है, लेकिन कोई कहता है कि वह अपनी ज़मीन नहीं देना चाहता। तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह व्यक्ति उस ज़मीन पर लोन नहीं ले सकता या रजिस्ट्री नहीं करा सकता। वे उस जमीन पर आजादी से खेती कर सकते हैं। वह मुफ्त जमीन है। सरकार उस शहरी बसावट को दूसरी मुफ्त जमीन पर भी बना सकती है। अगर वे एक-दो साल बाद ज़मीन की कीमत देखकर उसे देना चाहें, तो दे सकते हैं।’

बिहार विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन पर राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा, “सरकारी आंकड़ों के अनुसार, बिहार के 3 करोड़ लोग मज़दूरी करने राज्य से बाहर जाते हैं और अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए बिहार आते हैं। चुनाव आयोग ने अनपढ़ और गरीबों के लिए क्या तैयारी की है? चुनाव आयोग अब तक क्यों सोया हुआ था? यह प्रक्षेपण पिछड़े वर्गों, दलितों, अल्पसंख्यकों को मतदाता सूची से बाहर करने का एक बहाना है। एक विशेष पार्टी का दावा है कि बांग्लादेशी पलायन कर गए हैं, और यदि ऐसा है, तो यह केंद्र सरकार की विफलता है। बीएसएफ कहां थी? हम इसका सड़क पर और विधानसभा में भी विरोध करेंगे।”

बिहार में SIR (विशेष गहन समीक्षा) अभ्यास के मुद्दे पर विपक्ष के विरोध पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, “वे लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। हम इसका विरोध कर रहे हैं और यह गलत है।”

बिहार विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन पर बिहार AIMIM अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा, “राज्य सरकार के काम कालिख पोतने लायक हैं। मैंने AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के साथ SIR के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। बिहार में हर कोई परेशान है और यह कानून नीतीश कुमार सरकार के ताबूत में कील साबित होगा।” वीपी जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर उन्होंने कहा, “अगर वह बीमार होते, तो उनका इलाज हो सकता था। इस्तीफा कोई समाधान नहीं है। पार्टी (भाजपा) ही बीमार हो रही है।”

बिहार में SIR (विशेष गहन समीक्षा) अभ्यास के मुद्दे पर विपक्ष के विरोध पर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने कहा, “सरकार का जनता की शिकायतों को सुनने का कोई इरादा नहीं है और SIR (विशेष गहन समीक्षा) अभ्यास विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आखिरी समय में किया जा रहा है। इससे सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लग रहे हैं।”

धनखड़ के इस्तीफे के बाद वाइस प्रेसिडेंट पद की दौड़ में सीएम नीतीश कुमार के शामिल होने की अटकलों के बारे में पूछे जाने पर बिहार के मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू कहते हैं, “यह अच्छी बात है। अगर वह बन जाते हैं, तो इसमें क्या दिक्कत है?…”

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, “यह अचानक नहीं हो सकता। कल वह सदन की अध्यक्षता कर रहे थे और आज उन्होंने इस्तीफा दे दिया। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उन्हें लंबी और स्वस्थ आयु प्रदान करें। उनके इस्तीफे का कोई और कारण है।”

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा, “वह बहुत गंभीर और अनुशासित व्यक्ति हैं; देश के लिए उनका योगदान अतुलनीय रहा है। वह सबकी बात सुनते थे, लेकिन कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया।”

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस नेता सुबोधकांत सहाय कहते हैं, “जगदीप धनखड़ मेरे पुराने मित्र रहे हैं। कांग्रेस की चंद्रशेखर सरकार में मंत्री रहे। मंत्री बनने का मौका मिलने पर उन्होंने सोनिया गांधी का आभार व्यक्त किया था। वह खुशमिजाज़ इंसान रहे हैं, उपराष्ट्रपति भी बने। एक बार मैं अपनी पत्नी के साथ बंगाल गया था, तो उन्होंने मेरा बहुत अच्छे से स्वागत किया। मुझे नहीं लगता कि उनकी तबीयत खराब है, वह हरियाणा से हैं, बहुत मजबूत इंसान हैं। जहां तक मोदी जी की समझ का सवाल है, लगता है वह हमेशा शतरंज की बिसात पर ही रहते हैं। लगता है वह उनके लिए अप्रासंगिक हो गए।”

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर भाजपा सांसद अशोक चव्हाण ने कहा, “विपक्ष को जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे के कारण पर भरोसा करना चाहिए।”

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि यह बहुत दुखद है और जो कुछ भी हुआ वह सामान्य नहीं है।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा, “हमें जानकारी मिली है कि जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है। यह उनका निजी फैसला है।”

बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने कहा, “विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर चर्चा होगी। विपक्ष को सदन चलने देना चाहिए। आज, किसानों के मुद्दों पर सभी प्रश्न सूचीबद्ध हैं। लोकसभा के विपक्ष के नेता राहुल गांधी को सदन की परंपराओं का ज्ञान होना चाहिए। राहुल गांधी चर्चा नहीं करना चाहते; कांग्रेस पार्टी के नेता वेल में आकर हंगामा करना चाहते हैं।”

राज्य विधानसभा चुनाव 2025 से पहले बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ विपक्षी नेताओं ने बिहार विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, ‘उनका इस्तीफा दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन यह देखते हुए कि उन्होंने पूरे दिन राज्यसभा की कार्यवाही संचालित की और 23 जुलाई को जयपुर में उनका कार्यक्रम है और महीने में 20 दिन दौरे भी करते थे, यह संकेत है कि पिछले कुछ दिनों में उनके द्वारा दिए गए बयान भाजपा को स्वीकार्य नहीं थे। भाजपा किसानों को नहीं, बल्कि सभी को अपने नजरिए से काम करते देखना चाहती है, जो जगदीप धनखड़ नहीं कर पाए और हम देख सकते हैं कि उन्होंने अब इस्तीफा दे दिया।’

Blog: दुनिया भर में विधवा महिलाओं की दशा कमोबेश एक जैसी ही, पूर्वाग्रहों और उपेक्षा से उपजा संकट

दुनिया भर में विधवा महिलाओं की दशा कमोबेश एक जैसी है। उनके प्रति हिंसा, निंदा, नफरत, उपेक्षा का भाव भारत के अलावा दुनिया के तमाम देशों में परंपरागत रूप से है। भारत में लंबे समय से ऐसी महिलाओं की उपेक्षा हो रही है। यही वजह है कि समाज सुधारकों ने विधवाओं की दशा सुधारने के लिए संघर्ष किया और कई आंदोलन चलाए। भारत में नवजागरण काल में राजा राम मोहन राय, आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानंद, केशवचंद्र सेन, महात्मा फुले, सावित्री बाई फुले और कुछ विदेशी समाज सुधारकों ने भी विधवाओं की दयनीय दशा सुधारने के लिए भरसक कोशिशें कीं। अंग्रेजी हुकूमत में सती प्रथा के खिलाफ कानून बनाया गया, जिसका समाज पर अनुकूल असर पड़ा।

भारत जब आजाद हुआ, तो विकास और प्रगति के साथ देश की दयनीय स्थिति में काफी सुधार आया, लेकिन विधवाओं की दशा में कोई खास बदलाव नहीं आया। इतना जरूर हुआ कि सती प्रथा को गैरकानूनी और संगीन अपराध के दायरे में ला दिया गया। विकास और सामाजिक जागरूकता के तमाम प्रयासों के बावजूद आज विधवा महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक दशा में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ। पारिवारिक और दूसरे तमाम कारणों से आज भी इनकी दशा समाज के दूसरे वर्गों के मुकाबले चिंताजनक है। अध्ययन इस बात के गवाह हैं कि विकासशील देशों में विधवाओं की दशा विकसित देशों की अपेक्षा कहीं ज्यादा खराब है।

एक अध्ययन के मुताबिक, दुनियाभर में 26 करोड़ से ज्यादा विधवा महिलाएं हैं। इनमें भारत और चीन में सबसे ज्यादा हैं। भारत में इनकी संख्या चार करोड़ से अधिक है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं कमजोर तबके से ताल्लुक रखती हैं। पूर्व सैनिकों की विधवाओं की संख्या सात लाख से अधिक है और सरकार इनके लिए तमाम योजनाओं के माध्यम से मदद करती है। इनमें पुनर्विवाह अनुदान, पेंशन, वित्तीय सहायता, व्यावसायिक प्रशिक्षण, चिकित्सा सहायता और रोजगार के अवसर शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में सबसे अधिक पूर्व सैनिकों की विधवाएं रहती हैं, जिनकी संख्या 75 हजार से अधिक है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में करीब 72 हजार, केरल में 71 हजार से ज्यादा, महाराष्ट्र में 67 हजार से अधिक, राजस्थान में करीब 61 हजार और हरियाणा में 58 हजार से ज्यादा विधवाएं हैं। केंद्र सरकार विधवाओं को हर तरह से मदद देती है, जिनमें पारिवारिक पेंशन, महंगाई राहत, बेटी की शादी के लिए अनुदान, विधवा पुनर्विवाह अनुदान, गंभीर रोग अनुदान, व्यावसायिक प्रशिक्षण और प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना शामिल हैं। इसके अलावा राज्य सरकारें भी कई योजनाएं चला रही हैं।

आर्थिक नीति और विकास की राह, दस वर्ष में दुनिया की ग्यारहवीं से ऊपर उठ कर पांचवीं महाशक्ति बन चुका है भारत

किसी महिला के विधवा होने पर उसके सामने सबसे बड़ी समस्या आर्थिक होती है। उनकी संतानों को भी स्वास्थ्य और शिक्षा के मामले में उपेक्षा का दंश झेलना पड़ता है। ऐसे में उस महिला के सामने खुद को संभालते हुए बच्चों की परवरिश और उनकी शिक्षा के लिए उपयुक्त प्रबंध करना बड़ी चुनौती होती है। सवाल यह है कि बड़े स्तर पर सरकारी और गैरसरकारी राहत मुहैया कराने के बावजूद भारत में विधवाओं की दशा असंतोषजनक क्यों है? आजादी के अठहत्तर वर्ष बाद भी समाज में इनकी दशा में सुधार क्यों नहीं हुआ? भारत में विधवाओं की दशा दुनिया के दूसरे देशों की विधवाओं से खराब क्यों है? पारिवारिक और सामाजिक नजरिए में सकारात्मक बदलाव क्यों नहीं आया, खासकर गांवों में। इनके प्रति उपेक्षा का भाव आज तक नहीं बदला। अशुभ मानने की सोच, अनादर और निंदा करने की लोगों की आदत में व्यापक बदलाव देखने को नहीं मिला है। सवाल ज्यादा हैं, लेकिन इनके जवाब बहुत कम या न के बराबर हैं।

आज भी उत्सव, संस्कार और काज-प्रयोजनों में विधवा महिलाओं को निमंत्रित नहीं किया जाता है। यदि किया भी जाता है, तो उनको वैसा सम्मान नहीं मिलता, जिसकी वे हकदार हैं। यहां तक कि पारिवारिक आयोजनों में उनकी भूमिका भी खत्म कर दी जाती है। सवाल यह है कि अपशगुन विधवा की वजह से ही क्यों होता है? विधुर की मौजूदगी अपशगुन की वजह क्यों नहीं बनती? पति की मृत्यु को महिला के अपशगुन से क्यों जोड़ कर देखा जाता है? असल में अपशुगन तो उपेक्षा और रूढ़िवादी सोच है, जो विधवा महिलाओं की इस दशा के लिए जिम्मेदार है।

किसी पुरुष के विधुर होने पर उसका फिर से विवाह आसानी से हो जाना और महिला का विवाह सहजता से न होना या बाकी जिंदगी अकेले गुजारने के लिए उसे सलाह देना या इसके लिए विवश करने जैसे हालात पैदा करने के पीछे कौन-सी मानसिकता है, जिसकी वजह से विधवाओं की दशा में सुधार नहीं हो पा रहा है।

95% नहीं तो फेल, अब नंबरों में तौली जा रही है काबिलियत, 2022 में 13,714 छात्रों ने डर में तोड़ी सांसें

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विधवा महिलाओं की समस्याओं और सामाजिक पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों का उद्देश्य इन्हीं सब सवालों के समाधान के लिए समाज को तैयार करना है। विधवाओं के प्रति पुरुष या स्त्री की मानसिकता के अध्ययन का निष्कर्ष हैरान करने वाला है। पुरुष विधवाओं को जितना अपशगुन मानते हैं, कई सुहागिन महिलाएं उससे कहीं ज्यादा मानती हैं। ऐसे उदाहरण आम हैं, जिनमें शादीशुदा महिला किसी विधवा को अपने साथ उत्सव या दूसरे किसी खास मौकों पर ले जाना या उसके साथ बैठना अच्छा नहीं मानती है। यहां तक कि कई उच्च शिक्षित महिलाओं में भी इस तरह का बर्ताव देखा जा सकता है।

इस मसले पर सामाजिक जागरूकता फैलाने का उद्देश्य यह भी है कि जिन वजहों से कोई महिला विधवा होती है, उन कारणों पर बारीकी से गौर किया जाए और फिर उसके समाधान के लिए ठोस प्रयास किए जाएं। इसके अलावा, किसी महिला के विधवा हो जाने के बाद परिवार और समाज में उसे वैसा ही सम्मान और प्यार मिलना चाहिए जैसे पहले मिलता था। इसके लिए लोगों को जागरूक करना ही काफी नहीं है, बल्कि उन सभी तरह की मानसिकता, मान्यताओं, धारणाओं, हालात और नकारात्मक बर्ताव के प्रति सावधान भी करना है। क्योंकि, विधवा महिलाओं से नफरत, निंदा या उसे प्रताड़ित करना कानून की नजर में तो अपराध है ही, सामाजिक तौर पर भी यह अमानवीय कृत्य है।

एक अध्ययन के मुताबिक, विधवा होने की एक मुख्य वजह पति की गंभीर बीमारी या किसी हादसे में मौत होना भी है। यह प्राकृतिक मौतों से अलग प्रश्न है। कारण कोई भी हो, लेकिन इसके बाद ऐसी महिलाओं के जीवन में उपजी मुश्किलों को दूर करने की कोशिशें बहुत कम होती हैं। खासकर गरीब परिवारों में जहां हालात ऐसे नहीं होते कि बीमारियों से बचाव के लिए समय रहते उचित उपचार की व्यवस्था की जा सके। चीन में भी भारत जैसी स्थिति है। वहां भी कोई महिला विधवा होने पर परिवार व समाज दोनों से उपेक्षित होती है। ऐसी महिलाओं के प्रति बहिष्कार वाली मानसिकता चीन व भारत सहित दुनिया के कई विकासशील देशों में है। विधवा होते ही किसी महिला को अशुभ मानना और उसके साये से भी दूर रहने की मानसिकता आज भी बदली नहीं है। भारत, चीन और दूसरे देशों में कुछ समुदायों में विधवाओं को पुनर्विवाह की अनुमति नहीं दी जाती है, इस रूढ़िवादी सोच को बदलने की जरूरत है।

Bihar News: आधार, वोटर ID और राशन कार्ड को शामिल करने से चुनाव आयोग का इनकार; एफिडेविट में क्या वजह बताई?

Bihar Voter List Revision: बिहार में जैसे-जैसे 25 जुलाई की तारीख नजदीक आ रही है, वोटर लिस्ट के रिवीजन Special Intensive Revision (SIR) का काम भी रफ्तार पकड़ गया है। इसे लेकर अफरा-तफरी जैसा माहौल भी है। इस बीच, चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट के रिवीजन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा (Counter-Affidavit) दाखिल किया है।

बताना होगा कि चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट के रिवीजन के तहत कहा है कि राज्य के 7.8 करोड़ मतदाताओं को एक फॉर्म भरना होगा और जरूरी दस्तावेज भी जमा करने होंगे। तभी वे बिहार के विधानसभा चुनाव में वोट डाल पाएंगे।

विपक्ष ने इसका जबरदस्त विरोध किया और कहा कि चुनाव आयोग के इस कदम से बिहार में बड़ी संख्या में मतदाता वोट नहीं डाल पाएंगे और यह गरीब लोगों के वोट काटने की एक बड़ी साजिश है। चुनाव आयोग ने कहा है कि वोट डालने के लिए 11 में किसी एक डॉक्यूमेंट का होना जरूरी है।

विपक्ष के हमलों के बीच वोटर लिस्ट के रिवीजन का काम तेज, चुनाव आयोग को मिले 90% फार्म

इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई और 10 जुलाई को जब सुनवाई हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से कहा था कि वह इस बात पर विचार करे कि क्या आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को भी डॉक्यूमेंट के रूप में स्वीकार किया जा सकता है?

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह इस मामले में 21 जुलाई तक अपना जवाब दाखिल करे।

चुनाव आयोग ने हलफनामे में कहा है कि आधार कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता और कई हाईकोर्ट भी ऐसा कह चुकी हैं। इसलिए इसे चुनाव आयोग के द्वारा जारी किए गए 11 डॉक्यूमेंट की सूची में नहीं रखा गया है।

चुनाव आयोग ने हलफनामे में यह भी कहा है कि बड़ी संख्या में फर्जी राशन कार्ड जारी किए जाते हैं। आयोग ने कहा है कि केंद्र सरकार ने 7 मार्च को 5 करोड़ से ज्यादा फर्जी राशन कार्ड रद्द कर दिए थे। वोटर आईडी कार्ड को लेकर चुनाव आयोग ने कहा कि वोटर आईडी कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है।

चुनाव आयोग ने अपने हफनामे में दोहराया है कि मतदाता जो भी दस्तावेज देंगे उसे लेकर Electoral Registration Officers (ERO) ही फैसला करेंगे। बिहार में इससे पहले वोटर लिस्ट का रिवीजन जनवरी 2003 में किया गया था।

‘हमारे पास केवल आधार कार्ड है…’, बिहार के गांवों में परेशान हैं लोग

बताना होगा कि चुनाव आयोग के इस कदम के विरोध में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी खुलकर विरोध में उतर आई। ममता ने कहा कि यह बैकडोर से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस लागू करने (NRC) की तैयारी है लेकिन चुनाव आयोग ने साफ तौर पर कहा कि वोटर लिस्ट के रिवीजन का काम पूरे देश भर में होगा और बिहार से इसकी शुरुआत हुई है।

चुनाव आयोग ने हलफनामे में कहा है कि वोटर लिस्ट के रिवीजन के किसी भी शख्स की नागरिकता खत्म नहीं होगी लेकिन उसे चुनाव में वोट डालने के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है। आयोग ने कहा कि भारत के संविधान के आर्टिकल 324 और 326 के मुताबिक, उसे यह अधिकार है कि वह वोटर लिस्ट की सूची और मतदाताओं की योग्यता को लेकर फैसला कर सकता है।

कुल मिलाकर चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि आधार, राशन कार्ड और वोटर ID कार्ड को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जा सकता। 28 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई होनी है और इस पर बिहार के राजनीतिक दलों की नजरें लगी हुई हैं। बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं।

बिहार से बाहर रह रहे लोगों को वोट डालने में नहीं होगी परेशानी

ना विपक्ष को बख्शा, सरकार को भी आईना… सबसे मुखर उपराष्ट्रपति बनने में सफल रहे धनखड़

Jagdeep Dhankar Resigns: जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया, अचानक लिया गया यह फैसला कई को हैरान कर गया। जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी, जिसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों तक में नहीं चल रही थी, वो फैसला धनखड़ ने सोमवार देर रात लिया। कारण उन्होंने स्वास्थ्य बताया, लेकिन नेताओं के बयान बता रहे हैं कि वजह से सियासी भी हो सकती है। अब असल कारण या सियासी कारण तो आने वाले दिनों में साफ होगा, इस समय हर कोई जगदीप धनखड़ के कार्यकाल को याद कर रहा है।

देश में जब भी उपराष्ट्रपति की बात होती है, उनके पास संवैधानिक अधिकार तो होते हैं, लेकिन कभी ज्यादा चर्चा नहीं की जाती। कितने उपराष्ट्रपति आए कितने उपराष्ट्रपति गए, लेकिन ऐसा नहीं देखने को मिलता कि उनके कार्यकाल को उस तरह से याद रखा जाए। इसका बड़ा कारण यह होता है कि उपराष्ट्रपति ज्यादा सक्रिय दिखाई नहीं देते, वे खुलकर अपने विचार नहीं रखते। लेकिन इसी मामले में जगदीप धनखड़ दूसरे कई उपराष्ट्रपतियों से एकदम अलग दिखाई दिए।

जगदीप धनखड़ जब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनाए गए थे, उनके तेवर साफ दिख चुके थे। उन्होंने उस समय भी साबित कर दिया था कि राज्यपाल भी मायने रखता है, उनकी सक्रियता के बिना भी कुछ नहीं हो सकता। अब विवाद हुए, तकरार हुई, लेकिन जगदीप धनखड़ जबरदस्त लोकप्रियता और सुर्खियां बंटोरते रहे। इसी वजह से जब बाद में जगदीप धनखड़ को उप राष्ट्रपति पद के लिए आगे किया गया, साफ समझ आ चुका था कि अब यह पद भी खूब सुर्खियां बंटोरने वाला है।

ऐसा हुआ भी और जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति की कुर्सी संभालते अलग ही तेवर दिखाएं, उन्होंने राह ऐसी पकड़ी जो किसी दूसरे वाइस प्रेसिडेंट तो नहीं पकड़ी थी। उन्होंने खुलकर अपने विचार रखें, उन्होंने बिना हिचके किसी एक पक्ष का समर्थन किया, जरूरत पड़ने पर सरकार तक को आईना दिखाया। शायद ही कोई दिन रहा जब जगदीप धनखड़ का बयान ना आया हो, उनकी खबर ना बी हो। यह बताने के लिए काफी रहा कि जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है।

यहां जानते हैं जगदीप धनखड़ कुछ ऐसे बयान जो उन्हें तुरंत सुर्खियों और विवादों में लाए-

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India America Trade Deal: क्या साकार नहीं हो पाएगी डोनाल्ड ट्रंप की प्लानिंग? दो कदम आगे बढ़ते हैं और एक कदम पीछे हट जाते हैं

भारत के साथ संभावित व्यापार समझौते की खबरों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से टैरिफ (सीमा शुल्क) बढ़ाने की धमकी दी है। स्टील और एल्युमीनियम के बाद उन्होंने तांबे पर 50%, साथ ही अगले साल से आयातित दवाओं पर 200% तक शुल्क-वृद्धि की चेतावनी दी है। बेशक, ऐसे बयानों पर अभी स्पष्टता आनी शेष है, लेकिन सीमा शुल्क में यदि इस तरह की बढ़ोतरी होती है, तो भारत पर भी इसका कुछ हद तक असर पड़ सकता है, खासकर दवा उद्योग पर।

दरअसल, भारत का सबसे बड़ा दवा बाजार अमेरिका ही है। वित्त वर्ष 2025 में उसने 9.8 अरब डालर की दवाइयां मंगवाई थी, जो पिछले साल के मुकाबले 21 फीसद ज्यादा थी। भारत जितनी दवाइयां दूसरे देशों को बेचता है, उसका 40 फीसदी हिस्सा अमेरिकी बाजार को जाता है। इनमें भी जेनेरिक दवाइयों की मात्रा काफी ज्यादा 45 फीसद तक होती है। ऐसे में, सीमा शुल्क बढ़ाने से अमेरिकी बाजार में भारतीय दवाइयां महंगी हो सकती हैं, जिससे उनकी मांग भी प्रभावित होगी।

रही बात तांबे की, तो साल 2024-25 में भारत ने वैश्विक स्तर पर दो अरब डालर मूल्य का तांबा और तांबे से बने उत्पादों का निर्यात किया था, जिनमें से 36 करोड़ डालर मूल्य का, यानी 17 फीसदी निर्यात अमेरिकी बाजारों को किया गया था।

आंकड़ों की मानें, तो तांबा निर्यात के लिहाज से अमेरिका भारत का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। हमसे ज्यादा तांबा सऊदी अरब (26 फीसद) और चीन (18 फीसद) अमेरिका भेजते हैं। मगर अच्छी बात यह है कि तांबे की गिनती काफी महत्त्वपूर्ण खनिजों में होती है और इसका ऊर्जा, विनिर्माण व बुनियादी ढांचे सहित तमाम क्षेत्रों में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। नए शुल्क के बाद यदि अमेरिकी बाजार में इसकी मांग घटती भी है, तो घरेलू उद्योग से उसकी भरपाई की जा सकेगी।

लिहाजा, ट्रंप यदि अपनी धमकी को अमल में लाते हैं, तब भी हमें कुछ हद तक ही परेशानी होगी। मगर मूल सवाल तो यह है कि क्या वह ऐसा करेंगे?

दरअसल, ट्रंप अब तक शुल्क को लेकर अपने बयान बार-बार बदलते रहे हैं। वह कभी नए शुल्क का एलान करते हैं, तो अगले ही दिन उसे टाल देने की बात भी कहने लगते हैं। इससे लगता है कि वह दो कदम आगे बढ़ते हैं और एक कदम पीछे हट जाते हैं। उनकी उलझन वाजिब भी दिखती है।

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असल में, उन्होंने पद संभालने के साथ ही सख्त शुल्क नीति लाने का एलान किया था। उनका मानना था कि ऐसा कहने से तमाम देश अमेरिका के साथ नया समझौता करने को बाध्य होंगे और वाशिंगटन को अपने व्यापार-घाटा से पार पाने में मदद मिलेगी। उस वक्त उन्होंने 90 दिनों में 90 समझौते करने की उम्मीद जताई थी। मगर ऐसा हो नहीं सका।

अब तक बमुश्किल दो-तीन समझौते ही वह कर सके हैं, वे भी पूरी तरह से लागू नहीं हो सके हैं। मसलन, ब्रिटेन व वियतनाम के साथ उन्होंने संधि का एलान किया, जबकि चीन के साथ सीमित प्रावधानों पर सहमति बन सकी है। जाहिर है, ट्रंप अपनी नीतियों पर मनमर्जी आगे नहीं बढ़ सके हैं। उनकी यह सोच साकार होती नजर नहीं आ रही कि सख्त शुल्क नीति के जवाब में अन्य देश अमेरिका के आगे झुकने को मजबूर होंगे।

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जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद ये 5 सवाल सभी के मन में आ रहे हैं

Jagdeep Dhankar Resignation: जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है, सोशल मीडिया पर तो अभी से ही अटकलों का बाजार गर्म हो चुका है। कोई कारण सियासी मान रहा है तो कोई इसे सीधे किसी और चीज से जोड़कर देख रहा है। लेकिन क्योंकि सरकार ने इस पर कुछ स्पष्ट नहीं बताया है, धनखड़ ने भी सिर्फ स्वास्थ्य कारणों पर फोकस किया है, ऐसे में अभी तक पुख्ता रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता।

अब इस बीच हर किसी के मन में 5 सवाल जरूर आ रहे हैं, हर कोई गूगल पर इन्हें लेकर सर्च कर रहा है। ऐसे में एक ही जगह पर उन सभी पांच सवालों के जवाब दे देते हैं।

जगदीप धनखड़ ने जो एक चिट्ठी जारी की है, उसमें उन्होंने स्वास्थ्य कारणों को ही अपने इस्तीफे का कारण बताया है। उन्होंने अपनी तरफ से किसी भी तरह के सियासी प्रेशर का जिक्र नहीं किया है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में अभी से चर्चा है कि किसी और वजह से अचानक से इस्तीफा हुआ है।

अभी तक किसी का भी नाम सामने नहीं आया है, लेकिन बीजेपी के अंदरखाने ऐसी बात चल रही है कि किसी अनुभवी नेता को ही इतना जरूरी पद मिलना चाहिए। चर्चा हरिवंश नारायण सिंह की भी हो रही है, इस समय वे उपसभापति की भूमिका निभा रहे हैं।

जैसे हर चीज का बैकअप होता है, राज्यसभा भी ऐसी अप्रत्याशित घटनाओं के लिए तैयार रहता है। अगर कभी उपराष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा दे दें तो उस स्थिति में संसद की कार्यवाही उपसभापति के पास चली जाती है। जब तक नए उपराष्ट्रपति नहीं चुन लिए जाते, उपसभापति ही उस पद को संभालते हैं।

इसका सीधा जवाब है नहीं। हमारा संविधान कोई भी ऐसा पद नहीं देता है, ऐसे में अगर उपराष्ट्रपति इस्तीफा देंगे तो जल्द से जल्द फिर चुनाव ही करवाना होगा।

संविधान के आर्टिकल 68 के मुताबिक, उपराष्ट्रपति के पद पर उनकी मृत्यु, इस्तीफा या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से होने वाली रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, पद खाली होने के बाद जल्द से जल्द कराया जाएगा। संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति यानी प्रपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम से होता है।

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Jagdeep Dhankhar Resigns: ‘सितंबर में बहुत कुछ होगा…’, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर संजय राउत बोले – दिल्ली में पर्दे के पीछे कुछ हो रहा

Jagdeep Dhankhar Resign: देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर ना केवल विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष को भी चौंका दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों को इसकी वजह बताया। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक का था। इसी बीच, शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने एक बड़ा दावा किया है और कहा कि सितंबर में बहुत कुछ होने वाला है।

मीडिया से बातचीत में शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘देखिए मैं इस बारे में अभी कोई बात नहीं कर सकता हूं। लेकिन पर्दे के पीछे कुछ हो रहा है। बड़ी राजनीति हो रही है। दिल्ली में राष्ट्रीय राजनीति में पर्दे के पीछे कुछ ऐसी बात हो रही है जो जल्दी ही सामने आ जाएगी। उपराष्ट्रपति का जो इस्तीफा है वो कोई साधारण घटना नहीं है। जो कारण दिया गया है उनकी हेल्थ का मैं वो मानने को बिल्कुल तैयार नहीं हूं। वो बहुत ही स्वस्थ आदमी हैं और खुश मिजाज आदमी हैं। वैसे मैदान छोड़ने वाले आदमी में से तो नहीं है। हमारे उनसे मतभेद तो हो सकते हैं और दूसरा मैं मानता हूं कि वो सहजता से मैदान छोड़ने वाले व्यक्ति नहीं है। वो लड़ने वाले आदमी है।’

संजय राउत ने आगे दावा करते हुए कहा, ‘नहीं उनकी हेल्थ ठीक है और वो एकदम स्वस्थ हैं। कल दिनभर मैं जब उनको देख रहा था तो वो एकदम परफैक्ट थे। कुछ ना कुछ तो हो रहा है। इस बात का जल्द से जल्द पता चलेगा। बहुत कुछ हो सकता है सितंबर के महीने में। आपको जल्दी ही देखने को मिलेगा। बीजेपी को तो विपक्ष से प्रॉब्लम होती ही है। वो तो विपक्ष को देश में रखना ही नहीं चाहती है।

ना विपक्ष को बख्शा, सरकार को भी आईना… सबसे मुखर उपराष्ट्रपति बनने में सफल रहे धनखड़

VIDEO | Delhi: While addressing a press conference, Shiv Sena (UBT) leader Sanjay Raut says, “Something is happening behind the curtains in Delhi which will be revealed soon. It’s not an ordinary event. Jagdeep Dhankar’s health was totally fine. I have been observing him. He is… pic.twitter.com/GO9rlUZkBY

कांग्रेस पार्टी के सांसद जयराम रमेश ने भी धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘कल दोपहर 12:30 बजे जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की अध्यक्षता की। इस बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत ज़्यादातर सदस्य मौजूद थे। थोड़ी देर की चर्चा के बाद तय हुआ कि समिति की अगली बैठक शाम 4:30 बजे फिर से होगी।’

धनखड़ के इस्तीफे के बाद कौन चलाएगा राज्यसभा? यहां जानें जवाब

कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ‘शाम 4:30 बजे जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में समिति के सदस्य दोबारा बैठक के लिए इकट्ठा हुए। सभी नड्डा और रिजिजू का इंतजार करते रहे, लेकिन वे नहीं आए। सबसे हैरानी की बात यह थी कि जगदीप धनखड़ को व्यक्तिगत रूप से यह नहीं बताया गया कि दोनों मंत्री बैठक में नहीं आएंगे। स्वाभाविक रूप से उन्हें इस बात का बुरा लगा और उन्होंने BAC की अगली बैठक आज दोपहर 1 बजे के लिए टाल दी। इससे साफ है कि कल दोपहर 1 बजे से लेकर शाम 4:30 बजे के बीच जरूर कुछ गंभीर बात हुई है, जिसकी वजह से जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू ने जानबूझकर शाम की बैठक में हिस्सा नहीं लिया।’

जयराम रमेश ने कहा, ‘अब एक बेहद चौंकाने वाला कदम उठाते हुए, जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसकी वजह अपनी सेहत को बताया है। हमें इसका मान रखना चाहिए। लेकिन सच्चाई यह भी है कि इसके पीछे कुछ और गहरे कारण हैं। जगदीप धनखड़ ने हमेशा 2014 के बाद के भारत की तारीफ की, लेकिन साथ ही किसानों के हितों के लिए खुलकर आवाज उठाई। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बढ़ते ‘अहंकार’ की आलोचना की और न्यायपालिका की जवाबदेही व संयम की जरूरत पर जोर दिया। मौजूदा ‘G2’ सरकार के दौर में भी उन्होंने जहां तक संभव हो सका, विपक्ष को जगह देने की कोशिश की।’ पल-पल की अपडेट्स के लिए पढ़ें लाइव ब्लॉग

Dharmasthala Case: कर्नाटक के धर्मस्थल में 100 से ज्यादा महिलाओं-लड़कियों से रेप, हत्या और दफनाने का पूरा मामला क्या है? पढ़िए टाइमलाइन

Dharmasthala Mass Burial Case: कर्नाटक के धर्मस्थल इलाके में महिलाओं और नाबालिग लड़कियों से बलात्कार, हत्या और उन्हें दफनाने के दावे के बाद हड़कंप मचा हुआ है। मामले में जांच के लिए कर्नाटक सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया गया है। यह मामला तब सामने आया जब धर्मस्थल में काम कर चुके एक सफाईकर्मी ने दावा किया कि उसे 1998 से 2014 के बीच महिलाओं और नाबालिगों के शवों को दफनाने और उनका अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया गया था।

सफाई कर्मचारी ने दावा किया था कि इन महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के शवों पर हमले के निशान भी थे। धर्मस्थल कर्नाटक का एक बड़ा तीर्थस्थल है, जहां बहुत सारे मंदिर हैं और यहां राज्य से बाहर के भी भक्त आते हैं।

पूर्व सफाई कर्मी ने बताया है कि पीड़िताओं के साथ किस तरह की खौफनाक घटनाएं हुई और इनमें एक स्कूली छात्रा भी शामिल है जिसे स्कूल यूनिफॉर्म में ही दफनाया गया था और एक 20 साल की महिला भी थी जिसका चेहरा तेजाब से जला दिया गया था।

‘मैंने कई साल तक बलात्कार पीड़िताओं के शव जलाए’

पूर्व सफाई कर्मी के दावे के बाद मामले में एफआईआर दर्ज की गई, मामले से जुड़े गवाहों को सुरक्षा दी गई और कंकाल के हिस्सों को अदालत में पेश किया गया। सफाई कर्मी के दावे के बाद कर्नाटक में बड़े पैमाने पर लोगों की नाराजगी सामने आई और अब राज्य सरकार ने जांच को आगे बढ़ाया है।

रूठों को मनाना, बागियों को चेताना… हाईकमान के हस्तक्षेप से दूर होगा कर्नाटक सरकार पर आया संकट

मंदिर के प्राधिकरण ने कहा कि वह इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच का समर्थन करता है और SIT को इस मामले में सच सामने लाना चाहिए। आइए, इससे इससे जुड़ी टाइमलाइन पर नजर डालते हैं।

एडवोकेट ओजस्वी गौड़ा और सचिन देशपांडे पूर्व सफाई कर्मचारी से मिले। सफाई कर्मचारी ने दावा किया कि वह धर्मस्थल में कब्रों को पहचान सकता है और वह इस अपराध को लोगों के सामने लाना चाहता है।

बेंगलुरु के वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल दक्षिण कन्नड़ पुलिस अधीक्षक से मिला और दावों की जांच करने की अपील की।

पति की हत्या कर घर में दफन की लाश, ऊपर से लगवा दिए नए टाइल्स, पालघर में ‘दृश्यम’ स्टाइल में हत्या

पूर्व सफाई कर्मचारी ने पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत दी। उसने फोटोग्राफिक सबूत भी दिए और आरोप लगाया कि उसे 16 साल तक महिलाओं और नाबालिगों के शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया।

धर्मस्थल पुलिस ने सफाई कर्मचारी की शिकायत के आधार पर Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita (BNSS)की धारा 211 (ए) के तहत FIR दर्ज की।

पूर्व सफाई कर्मचारी बेल्थांगडी कोर्ट के सामने पेश हुआ और उसने कंकाल के अवशेष अदालत के सामने रखे। उसने दावा किया कि इसने उसे एक कब्रगाह से निकाला है। शिकायतकर्ता के वकील पवन देशपांडे ने मीडिया से कहा कि इस मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नागलक्ष्मी चौधरी ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर मौतों की जांच के लिए एक SIT के गठन की मांग की।

बेंगलुरु की एक महिला ने धर्मस्थल पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि एमबीबीएस में पढ़ने वाली उसकी बेटी अनन्या भट्ट 2003 में धर्मस्थल जाने के बाद लापता हो गई थी। उसकी मां सुजाता ने इस बार फिर से शिकायत दर्ज कराई। मां का कहना है कि पीड़िताओं में उनकी बेटी भी शामिल हो सकती है। इसके बाद SIT के गठन को बल मिला।

एडवोकेट्स के एक समूह ने अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए गोपनीय बयानों को एक यूट्यूबर को लीक कर दिया गया है और इससे गवाहों की सुरक्षा और जांच को लेकर चिंता खड़ी हो गई है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सरकार किसी दबाव में नहीं है और तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच सही ढंग से आगे बढ़ेगी। दक्षिण कन्नड़ के जिला प्रभारी मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा कि मामले की जांच पारदर्शी तरीके से की जाएगी और किसी भी व्यक्ति को बचाया नहीं जाएगा।

कर्नाटक सरकार ने डीजीपी (आंतरिक सुरक्षा) प्रणब मोहंती की अध्यक्षता में एक SIT का गठन किया। SIT में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एमएन अनुचेथ, सौम्यलता और जेके दयामा को शामिल किया गया। SIT धर्मस्थल में हुई सभी संदिग्ध मौतों, गुमशुदगी और यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच करेगी।

मां का बदला लेने लिए बेटे ने पार की सारी हदें, 10 साल तक ‘दुश्मन’ को रहा ढूंढता, मिलने पर की हत्या

श्री क्षेत्र धर्मस्थल ने एक बयान जारी कर SIT के गठन का स्वागत किया और निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच की मांग की। SIT ने जांच शुरू कर दी है।

पूर्व सफाई कर्मचारी की शिकायत के मुताबिक, उसे धमकी दी जाती थी कि अगर उसने शवों को दफनाने से इनकार किया तो उसे जान से मार दिया जाएगा और काटकर बाकी लोगों की तरह दफना दिया जाएगा।

‘…मैं कर्नाटक का CM हूं, मैं यहां बैठा हूंं’, सिद्धारमैया बोले- मुख्यमंत्री पद पर कोई वैकेंसी नही ंहै