‘अखिलेश जी…’ गुस्से में दिखे स्पीकर ओम बिरला, सदन स्थगित करने से पहले कही बड़ी बात

Lok Sabha Operation Sindoor Debate: संसद में आज लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी है लेकिन यह चर्चा विपक्षी हंगामे की वजह से अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। हंगामे के चलते पहले सदन की कार्यवाही को 12 बजे, फिर 01 बजे तक स्थगित किया गया। 01 बजे कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सांसदों ने फिर हंगामा शुरू कर दिया, जिस पर स्पीकर ओम बिरला काफी गुस्से में आ गए और उन्होंने सपा सांसद अखिलेश यादव का नाम लेकर कहा कि वे नेताओं को सर्वदलीय बैठक में समझा कर भेजा करें।

दरअसल, 12 बजे हंगामे के चलते स्थगित हुई लोकसभा की कार्यवाही जब एक बजे फिर शुरू हो तो विपक्षी सांसदों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। विपक्षी सांसद बिहार वोटर लिस्ट के रिवीजन यानी SIR को लेकर चर्चा के आश्वासन की मांग करने लगे, जिस पर स्पीकर ओम बिरला ने आपत्ति जताई कहा कि ये तरीका बिल्कुल ठीक नहीं है।

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विपक्षी सांसदों के हंगामे को लेकर स्पीकर ओम बिरला ने कहा, “मैंने आपसे पूर्व आग्रह किया है, फिर आपसे मैं निवेदन करना चाहता हूं, सभी दल के नेताओं के साथ मेरी वार्ता हुई थी और सभी दल के नेताओं ने कहा था कि कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी चाहिए, मैंने सहमति दी थी, सरकार ने सहमति दी थी. अब फिर आग्रह कर रहा हूं कि आप ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होने दें, जो सारे विषय हैं, उन सारे विषयों पर कभी भी सदन में बताने से चर्चा नहीं होगी।”

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स्पीकर के समझाने के बावजूद जब विपक्षी दलों के सांसद हंगामा करते रहे तो स्पीकर का गुस्सा देखने को मिला। उन्होंने कहा, “मैं फिर आपसे आग्रह करता हूं।” आप सर्वदलीय बैठक में इस बात की चर्चा करते हैं कि पहले SIR पर चर्चा होनी चाहिए, तब सदन चलने देंगे। पहले आप कमिटमेंट करते हैं।”

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इस दौरान ओम बिरला ने सपा सांसद अखिलेश यादव का नाम लेकर विपक्ष पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “अखिलेश जी, आप सदन के नेताओं को भेजा करो तो थोड़ा समझा कर भेजा करो, निर्णय करने की क्षमता हो तो सर्वदलीय बैठक में आया करो। अगर कोई निर्णय पीछे से कर रहा है तो अपनी क्षमता में मत आने दो। सदन चलेगा तो ऑपरेशन सिंदूर पर चलेगा।”

इसके बावजूद जब सदन नहीं चला तो स्पीकर ओम बिरला ने लोकसभा की कार्यवाही 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के पुनर्रीक्षण का काम चल रहा है, जिसके विरोध में विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया है। वहीं इस मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर संसद में विपक्षी सांसद हंगामा कर रहे हैं।

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‘यह आदमी हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है’, कर्नल सोफिया पर टिप्पणी करने वाले मंत्री विजय शाह को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश के मंत्री कुंवर विजय शाह को इंडियन आर्मी की अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी के खिलाफ की गई टिप्पणी पर सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगने के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि वह कोर्ट के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि मंत्री का आचरण अदालत को उनकी मंशा और ईमानदारी पर संदेह पैदा कर रहा है।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, शाह की तरफ से पेश हुए वकील के परमेश्वर ने कहा कि उन्होंने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी है और यह ऑनलाइन मौजूद है और इसे अदालत के रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। इस पर कोर्ट ने कहा, ‘इस तरह की माफी से आपका क्या मतलब है? यह आदमी हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहा है। यह बयान उसने पहली तारीख को दिया था। यह रिकॉर्ड में कहां है? यह (ऑनलाइन माफी) उसके इरादों को दर्शाता है, इससे हमें उसकी ईमानदारी पर और शक होता है।’

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जब उन्होंने बताया कि एसआईटी ने शाह का बयान दर्ज कर लिया है, तो जस्टिस कांत ने कोर्ट में मौजूद एसआईटी के एक सदस्य से सवाल किया कि पीड़ित या आहत लोगों के बयान दर्ज करने के बजाय शाह का बयान दर्ज करने का क्या महत्व है। जस्टिस ने कहा , ‘उसका बयान दर्ज करना इतना जरूरी क्यों है? जो लोग पीड़ित हुए हैं, उनके बयान दर्ज किए जाने चाहिए थे।’ इसके बाद, पीठ ने एसआईटी सदस्य से जांच पूरी करने में लगने वाले समय के बारे में पूछा।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने मंत्री द्वारा दिए गए बयानों की जांच के लिए गठित स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम को 13 अगस्त तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जांच टीम ने 87 लोगों से पूछताछ की है। वह इस समय उनके बयानों की जांच कर रही है। बेंच ने कांग्रेस नेता जया ठाकुर द्वारा शाह के इस्तीफे की मांग वाली याचिका पर भी विचार करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि रिट याचिका में पिछले मामलों के बारे में लगाए गए कुछ आरोपों की तीन सदस्यीय एसआईटी द्वारा जांच की जाएगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 18 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी। कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी 

‘Enough Is Enough, अब हमने सुदर्शन चक्र उठा लिया…’,पाकिस्तान को राजनाथ की चेतावनी

Rajnath Singh Operation Sindoor Speech: देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर जानकारी दी है। उन्होंने इस सैन्य ऑपरेशन के बारे में हर सवाल का जवाब दिया है। उनकी तरफ से बताया गया है कि आखिर कैसे 22 मिनट के भीतर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया गया था।

राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे सैन्य नेतत्व ने ना सिर्फ अपनी मैच्युरिटी दिखाई। ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने से पहले हमारी सेना ने हर पहलू का अध्ययन किया था। हमारे पास कई विकल्प थे, लेकिन हमने वो विकल्प चुने जिनसे आतंकियों के ठिकानों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचे और पाकिस्तान के आम लोगों को नुकसान ना पहुंचे। सेना की स्ट्राइक ने आतंकियों के 9 ठिकानों को सटीकता से ध्वस्त किया, एक अनुमान के अनुसार 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया। ये सिर्फ अनुमान है, आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है।

ये सारे वो आतंकी हैं जिन्हें पाकिस्तान की सेना का खुला समर्थन मिल रहा था। सेना ने उन सभी बेस को पूरी तरह नष्ट किया। पूरा ऑपरेशन मात्र 22 मिनट में संपन्न किया गया था, हमने आतंकियों को उनके घर में घुसकर मारा है। प्रत्येक भारतीय इस भावना से होत प्रोत हो गया था। यह सिंदूर की लाली शौर्य की कहानी है, भारत की मस्तक की वीरता की निशानी है। सेना ने अंधेरी रात होने के बावजूद सेना ने सबूत भी जुटाए हैं, हमलों के कुछ देर बाद ही मीडिया के जरिए जनता के लिए जारी कर दिया गया था।

अपने संबोधन में राजनाथ सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर को किसी के भी दबाव में नहीं रोका गया। उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन यह जरूर स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के कहने पर ही सीजफायर हुआ था। रक्षा मंत्री के मुताबिक तीनों ही सेनाओं को खुली आजादी दी गई थी, टारगेट भी उन्हीं को चुनने के लिए कहा गया था। संबोधन में रक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ स्थगित हुआ है, इसे फिर प्रारंभ किया जा सकता है। उन्होंने कहा है कि अगर पाकिस्तान ने कोई भी मिस एडवेंचर किया तो फिर मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

राहुल गांधी का नाम लिए बिना राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि ये नहीं पूछा कि दुश्मन के कितने विमान गिराए गए, यदि उन्हें प्रश्न पूछना ही है तो उन्हें यह पूछना चाहिए क्या भारत ने आतंकी ठिकानों को तबाह किया,तो इसका उत्तर है हां, हां। मैं विपक्ष के साथियों से कहना चाहता हूं कि अगर पूछना है तो पूछिए कि क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा, तो इसका जवाब है हां। अगर आपको सवाल पूछना है कि जिन आतंकियों ने बहनों क सिंदूर मिटाया, क्या हमने उनके आकाओं को मिटाया, तो इसका उत्तर है हां। अगर आपको पूछना है तो पूछिए क्या हमारे सैनिकों को कोई क्षति हुई है, तो जवाब है ना। लक्ष्य जब बड़े होते हैं तो छोटे मुद्दों पर ध्यान नहीं जाना चाहिए।

रक्षा मंत्री ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई परीक्षा में अच्छे नंबर लाता है तो परिमाण ही मैटर करता है, ये नहीं सोचना चाहिए कि पेंसिंल कैसे टूट गई। इसके बाद रक्षा मंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत ने हमेशा शांति की बात की है। अटल बिहारी वाजपेयी ने भी 1999 में लाहौर की यात्रा की थी। 2015 में पीएम मोदी भी नवाज शरीफ से मिले थे। लेकिन टेररिज्म और टॉक साथ में नहीं चल सकती है।

पाकिस्तान पर हमला करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि एक ऐसा देश जिसके पास लोकतंत्र का एक भी तिनका ना हो, उससे बातचीत नहीं हो सकती, गोलियों की आवाज में संवाद की आवाज खो जाती है। राजनाथ सिंह ने इसके बाद दो टूक कहा कि भारत ने अब सुदर्शन चक्र उठा लिया है, अब शांत नहीं बैठा जाएगा। रक्षा मंत्री ने आत्मनिर्भर भारत पर भी विस्तार से बात की।

उनकी तरफ से जोर देकर कहा गया कि आज का भारत सक्षम भी है और आत्मनिर्भर भी है। अगर कोई हमारे नागरिकों को मारेगा तो भारत चुप नहीं बैठेगा। हम आतंकवाद को हर रूप में खत्म करना चाहते हैं। इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सर्वदलीय दलों की भी तारीफ की जो दुनियाभर में भारत का संदेश लेकर गए थे।

रक्षा मंत्री ने लोकसभा में हुंकार भरते हुए कहा कि हमने एक नई लक्ष्मण रेखा खींच दी है, भारत अब किसी भी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से जो हमने किया, वो बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था। लेकिन जो होता है समय पर ही होता है। हमारी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को स्पष्ट कर दिया है, उसको लेकर कोई समझौता नहीं होने वाला है। कुछ दिन पहले ही मुझे SCO बैठक में जाने का मौका मिला था, वहां के जारी बयान में हमारा स्टैंड कमजोर किया जा रहा था, ऐसे में हमने उस पर साइन ही नहीं किया और कोई ज्वाइंट स्टेटमेंट सामने नहीं आया।

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भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर क्यों रोके हमले? रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिया सबसे बड़े सवाल का जवाब

Operation Sindoor Debate in Lok Sabha: पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर आज लोकसभा में बहस की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की और विपक्ष द्वारा लंबे वक्त से उठाए जा रहे अहम सवाल का जवाब भी दिया। विपक्ष लगतार सवाल उठा रहा था कि आखिर भारतीय सेना ने बढ़त के बावजूद पाकिस्तान पर अपने हमले क्यों रोके। इसका जवाब देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अपने लक्ष्य को हासिल कर चुका था।

लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर तीनों सेनाओं के समन्वय का शानदार उदाहरण था। हमारी सेनाओं ने पाकिस्तान की हर हरकत का करारा जवाब दिया। भारतीय नौसेना ने भी उत्तरी सीमा पर अपनी तैनाती मजबूत कर दी। हम समुद्र से लेकर जमीन तक पाकिस्तान पर हमले में सक्षम हैं।

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राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से यह संदेश देना था कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलेरेंस की नीति रखता है। ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा और सभी उद्देश्य पूरे होने के बाद ही इसे रोका गया। किसी भी दबाव में ऑपरेशन रोकने के दावे पूरी तरह से गलत हैं।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी सिर्फ रोका गया है और अगर पाकिस्तान की तरफ से फिर कोई दुस्साहस किया गया तो यह ऑपरेशन फिर शुरू होगा। भारतीय सेना और वायुसेना के साथ ही नौसेना की समन्वय कार्रवाई ने पाकिस्तान को झुकने के लिए मजबूर कर दिया।

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उन्होंने बताया कि 10 मई को पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारतीय डीजीएमओ से संपर्क किया और भारतीय सेना से अपनी कार्रवाई रोकने की अपील की। हमारे सैनिकों का मनोबल औऱ समर्पण उसका दर्शन 140 करोड़ भारतीयों ने किया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मैंने खुद अपनी आंखों से देखा कि हमारे सैनिकों का मनोबल बुलंदी पर था। वे न केवल भारतीय सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं बल्कि हमारे स्वाभिमान की भी रक्षा कर रहे हैं।

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Operation Sindoor: भारत के कितने विमान गिराए गए? राजनाथ सिंह बोले- किसी भी परीक्षा में परिणाम मैटर करता है…

Operation Sindoor: संसद में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बहस जारी है। लोकसभा में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सरकार की ओर से अपनी बात रख रहे हैं। सदन में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने लड़ाकू विमानों को लेकर भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विपक्ष बार बार ये सवाल कर रहा है कि हमारे कितने विमान गिराए गए, इस प्रश्न की जगह दूसरा प्रश्न करना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण ये नहीं कि कितने विमान गिराए गए, इसके जगह किसी भी परीक्षा का परिणाम मैटर करता है। जो ये हैं कि इस ऑपरेशन में भारत ने विजय पताका फहराया है।

रक्षा मंत्री ने लोकसभा में बोलते हुए आगे कहा, ‘अध्यक्ष महोदय, कभी-कभी विपक्ष के लोग ये बात पूछते रहे हैं कि हमारे कितने विमान गिराए गए? मुझे लगता है कि उनका ये प्रश्न राष्ट्रीय जनभावनाओं का सही से प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा है। उन्होंने एक बार भी हमसे नहीं पूछा कि हमारी सेनाओं ने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए।’ इसके बाद सत्ता पक्ष के सभी संसद सदस्य जोर-जोर से मेज थपथपाने लगे।

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, ‘यदि उन्हें प्रश्न पूछना ही है तो ये प्रश्न पूछा जाना चाहिए कि क्या भारत पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया, तो उसका उत्तर है हां। मैं विपक्ष के सभी सम्मानित साथियों से कहना चाहता हूं, आपको प्रश्न पूछना है तो ये पूछिए कि क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा तो उसका उत्तर है हां। आपको प्रश्न पूछना है तो ये प्रश्न पूछिए कि जिन आतंकियों ने हमारी बहनों का सिंदूर उजाड़ा उन सभी के आकाओं के ठिकानों को बर्बाद किया, तो उत्तर है हां।’

भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर क्यों रोके हमले? रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिया सबसे बड़े सवाल का जवाब

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम मे हुए पाकिस्तान समर्थित आतंकी हमले में 26 निर्दोष भारतीय मारे गए थे। जिसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल से हमले किए। भारतीय सेना की ओर से इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया। इंडियन आर्मी ने इस ऑपरेशन को लेकर बताया था कि भारत ने उन आतंकी ढांचों को निशाना बनाया जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई गई और उन्हें अंजाम दिया गया था। इनमें जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ बहावलपुर और लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा मुरीद के भी शामिल हैं। इस हमले से पाकिस्तान पूरी तरह से हिल गया था।

‘जांच समिति के सामने पेश क्यों नहीं हुए? जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

Justice Yashwant Varma News: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर ही सवाल उठाए। आंतरिक जांच समिति ने नकदी बरामदगी विवाद में जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी पाया था।

जब जस्टिस यशवंत वर्मा मार्च में दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे तो उनके सरकारी आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने वर्मा की पैरवी करने वाले वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि जस्टिस जांच समिति के सामने क्यों नहीं पेश हुए? क्या आप अदालत इसलिए आए थे कि वीडियो हटा दिया जाए?

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सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा पर सवाल खड़े किए और कहा कि आपने जांच पूरी होने और रिपोर्ट जारी होने का इंतज़ार क्यों किया? क्या आप समिति के पास यह सोचकर नहीं गए, कि शायद आपके पक्ष में फैसला आ जाए?’ न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा से उनकी याचिका में बनाए गए पक्षकारों को लेकर सवाल किए और कहा कि उन्हें उनकी याचिका के साथ आंतरिक जांच रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए थी।

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जस्टिस वर्मा की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने पीठ के समक्ष कहा कि अनुच्छेद 124 (सुप्रीम कोर्ट की स्थापना और गठन) के तहत एक प्रक्रिया है और किसी न्यायाधीश के बारे में सार्वजनिक तौर पर बहस नहीं की जा सकती है। सिब्बल ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर वीडियो जारी करना, सार्वजनिक टीका टिप्पणी और मीडिया द्वारा न्यायाधीशों पर आरोप लगाना प्रतिबंधित है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह एक पन्ने पर ‘बुलेट प्वाइंट’ में लिख कर लाएं और वर्मा की याचिका में पक्षकार बनाए गए लोगों के ज्ञापन को सही करें। न्यायालय अब इस मामले पर 30 जुलाई को सुनवाई करेगी। जस्टिस यशवंत वर्मा ने भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा आठ मई को की गई उस सिफारिश को भी रद्द किए जाने का अनुरोध किया था, जिसमें उन्होंने (खन्ना) संसद से उनके (वर्मा) खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया था।

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अपनी याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा कि जांच ने साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी बचाव पक्ष पर डाल दी, जिसके तहत उनके विरुद्ध लगाए गए आरोपों की जांच करने और उन्हें गलत साबित करने का भार उन पर डाल दिया गया है। जस्टिस वर्मा ने आरोप लगाया कि समिति की रिपोर्ट पहले से तय धारणा पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि जांच की समय-सीमा केवल कार्यवाही को जल्द से जल्द समाप्त करने की इच्छा से प्रेरित थी, चाहे इसके लिए “प्रक्रियात्मक निष्पक्षता” से ही क्यों न समझौता करना पड़े।

जस्टिस वर्मा की याचिका में तर्क दिया गया कि जांच समिति ने वर्मा को पूर्ण और निष्पक्ष सुनवाई का अवसर दिए बिना ही उनके खिलाफ निष्कर्ष निकाल दिया। घटना की जांच कर रही जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का स्टोर रूम पर गुप्त या सक्रिय नियंत्रण था, जहां आग लगने की घटना के बाद बड़ी मात्रा में आधी जली हुई नकदी मिली थी, जिससे उनका कदाचार साबित होता है, जो इतना गंभीर है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए।

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‘देश ये जानना चाहता है, वो पांच आतंकी कैसे घुसे?’, कांग्रेस के गौरव गोगोई ने सरकार से पूछे कई चुभने वाले सवाल

संसद का मानसून सत्र चल रहा है। लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा चल रही है। ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा की शुरुआत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने की। वहीं इसके बाद लोकसभा में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कुछ चुभते हुए सवाल पूछे। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि राजनाथ सिंह जी ने बहुत सारी जानकारी दी, लेकिन रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने कभी उल्लेख नहीं किया कि कैसे पाकिस्तान से आतंकवादी पहलगाम पहुंचे और 26 लोगों को मार डाला। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के हित में सवाल पूछना हमारा कर्तव्य है।

गौरव गोगोई ने कहा, “पूरा देश और विपक्ष पीएम मोदी का समर्थन कर रहा था। अचानक 10 मई को हमें पता चला कि युद्ध विराम हो गया है। क्यों? हम पीएम मोदी से जानना चाहते थे कि अगर पाकिस्तान घुटने टेकने को तैयार था, तो आप रुके क्यों, और किसके सामने आत्मसमर्पण किया? अमेरिकी राष्ट्रपति 26 बार कह चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए मजबूर किया।”

गौरव गोगोई ने कहा कि हम आज राजनाथ सिंह जी से जानना चाहते हैं कि हमारे कितने लड़ाकू विमान गिराए गए। उन्होंने कहा कि हमें यह न केवल जनता को, बल्कि अपने जवानों को भी बताना होगा, क्योंकि उनसे भी झूठ बोला जा रहा है। गौरव गोगोई ने कहा कि 35 राफेल विमान थे और कितने अभी फंक्शनल हैं? उन्होंने कहा कि अगर एक भी नुकसान हुआ है तो ये बहुत बड़ा नुकसान है।

भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर क्यों रोके हमले? रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिया सबसे बड़े सवाल का जवाब

गौरव गोगोई ने चीन को लेकर भी मोदी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि जब युद्ध चल रहा था तब चीन पूरी तरह से पाकिस्तान की मदद कर रहा था, कहां गए लाल आंख दिखाने वाले? उन्होंने कहा कि हमारी विदेश नीति का क्या, जो एकदम फ्लॉप साबित हुई है। गौरव गोगोई ने कहा कि IMF पाक को लोन देता है, आप क्या करते हैं?

गौरव गोगोई ने कहा कि आतंकवादियों का मकसद जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को तबाह करना और देश के सांप्रदायिक ताने-बाने को ध्वस्त करना था। उन्होंने कहा कि सच्चाई बताई जानी चाहिए। गौरव गोगोई ने कहा कि पहलगाम हमले को 100 दिन बीत चुके हैं लेकिन सरकार आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में नहीं ला पाई है। गौरव गोगोई ने पूछा कि सेना ने PoK पर कब्जा क्यों नहीं किया? गौरव गोगोई ने कहा की रक्षा मंत्री ने बताया कि युद्ध हमारा मकसद नहीं था, तो मैं पूछना चाहता हूं क्यों नहीं था, होना चाहिए था। गौरव गोगोई ने कहा कि PoK आज नहीं लेंगे तो कब लेंगे।

‘आधार और वोटर ID को माना जाए वैलिड डॉक्यूमेंट’, SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से किया इनकार, EC को दी सलाह

Bihar Special Intensive Revision: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट रिवीजन में आधार और वोटर आईडी कार्ड को वैलिड डॉक्यूमेंट के तौर पर स्वीकार करने में इलेक्शन कमीशन की अनिच्छा पर सवाल उठाया और कहा कि कोई भी दस्तावेज जाली हो सकता है। हालांकि, कोर्ट ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा, ‘धरती पर किसी भी डॉक्यूमेंट को जाली बनाया जा सकता है।’ कोर्ट ने कहा, ‘इन दो डॉक्यूमेंट्स को शामिल करें। कल आप न केवल आधार देखेंगे, बल्कि 11 में से 11 जाली भी हो सकते हैं। यह एक अलग मुद्दा है। इसे बड़े पैमाने पर शामिल किया जाना चाहिए। कृपया आधार को शामिल करें।’

बिहार के 65 लाख मतदाताओं का क्या होगा

चुनाव आयोग की तरफ से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि राशन कार्डों से जुड़ी बड़ी समस्याएं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ईपीआईसी भी निर्णायक नहीं हो सकता। हालांकि, अदालत ने उनके रुख पर सवाल उठाया। जस्टिस बागची ने टिप्पणी की, ‘आप कहते हैं कि एसआईआर अधिसूचना के अनुसार कोई भी दस्तावेज निर्णायक नहीं है। मान लीजिए कि कोई व्यक्ति आधार के साथ फॉर्म अपलोड करता है, तो आप उसे ड्राफ्ट में शामिल क्यों नहीं करेंगे।’ जस्टिस कांत ने कहा, ‘केवल ईपीआईसी आदि ही क्यों, किसी भी दस्तावेज के साथ जालसाजी की जा सकती है। आइए हम आधार और ईपीआईसी कार्ड के साथ आगे बढ़ें।’

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अपनी याचिका में कहा, ‘याचिका में कहा गया है कि 24 जून 2025 के एसआईआर आदेश को यदि रद्द नहीं किया गया तो मनमाने ढंग से और उचित प्रक्रिया के बिना लाखों नागरिकों को अपने प्रतिनिधियों को चुनने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है, जिससे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और लोकतंत्र बाधित हो सकता है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं।’ वोटर लिस्ट रिवीजन के खिलाफ ADR ने सुप्रीम कोर्ट में खोला चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा

Jagdeep Dhankhar Resignation: उप राष्ट्रपति रहते हुए न्यायपालिका के साथ किन मुद्दों पर हुआ धनखड़ का टकराव?

Jagdeep Dhankhar Controversy: जगदीप धनखड़ को एक ऐसे उप राष्ट्रपति के रूप में जाना जाएगा जिनका अपने कार्यकाल में न्यायपालिका से टकराव होता रहा। वह विपक्ष के निशाने पर तो रहे ही न्यायपालिका को लेकर की गई टिप्पणियों को लेकर भी सुर्खियों में रहे। इससे पहले जब वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे तब भी ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी की सरकार के साथ उनका आमना-सामना होता रहा।

आइए, जानते-समझते हैं कि न्यायपालिका के साथ धनखड़ के रिश्ते कब-कब खराब हुए।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद ये 5 सवाल सभी के मन में आ रहे हैं

साल 2022 में धनखड़ की टिप्पणी को लेकर सबसे पहले विवाद तब हुआ जब उन्होंने दिसंबर में राज्यसभा में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा National Judicial Appointments Commission (NJAC) कानून को रद्द करने के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश संसद की संप्रभुता से समझौता है और जनादेश का अपमान है।

धनखड़ ने कहा था कि संसद “जनता के आदेश” की कस्टोडियन है और वह इस मुद्दे को हल करेगी। यह वह वक्त था जब विपक्ष राज्यसभा में संवैधानिक संस्थाओं के कामकाज में सरकार की कथित दखलअंदाजी और न्यायपालिका के साथ टकराव को लेकर चर्चा करने की योजना बना रहा था।

उस दौरान केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि न्यायाधीशों को नियुक्त करने की कॉलेजियम प्रणाली जवाबदेह नहीं है और संविधान के खिलाफ है। उनकी इस टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी।

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जनवरी, 2023 में धनखड़ की टिप्पणी को लेकर एक बार फिर विवाद हुआ जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 1973 के केशवानंद भारती मामले का हवाला दिया। इस फैसले में कहा गया था कि संसद को संविधान में संशोधन करने का तो अधिकार है लेकिन इसके बेसिक स्ट्रक्चर में नहीं। ऑल इंडिया प्रीसाइडिंग ऑफिसर्स कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था, ‘क्या हम एक लोकतांत्रिक मुल्क हैं?’

धनखड़ ने कहा था, ‘लोकतांत्रिक समाज का आधार जनता की सर्वोच्चता, जनता और संसद की संप्रभुता होती है। कार्यपालिका संसद की संप्रभुता पर निर्भर करती है। विधायिका और संसद तय करती है कि मुख्यमंत्री कौन होगा, प्रधानमंत्री कौन होगा। विधायिका के पास ही अंतिम शक्ति होती है। विधायिका ही तय करती है कि संस्थानों में कौन होगा।’

धनखड़ ने कहा था कि सभी संवैधानिक संस्थाओं- विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को अपनी सीमाओं के अंदर रहकर काम करना जरूरी है।

मार्च, 2025 में जब दिल्ली हाई कोर्ट के तत्कालीन जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिली तो धनखड़ के बयान से एक बार फिर NJAC को लेकर बहस छिड़ गई। धनखड़ ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द नहीं किया होता तो हालात काफी अलग होते। बताना होगा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए NJAC एक्ट को खारिज कर दिया था।

‘मैं सही टाइम पर रिटायर होऊंगा’, धनखड़ ने कुछ दिन पहले कहा था

इस साल 22 अप्रैल को जब सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया कि राष्ट्रपति और राज्यपाल को 3 महीने के भीतर किसी बिल को मंजूरी देनी होगी तब भी धनखड़ ने बिना लाग-लपेट के इसके खिलाफ अपनी बात रखी। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में संविधान के 75 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा था, ‘संविधान में संसद से ऊपर किसी की कोई कल्पना नहीं है और चुने हुए जनप्रतिनिधि ही इस बात को तय करते हैं कि संविधान की विषय वस्तु क्या होगी?’

धनखड़ ने एक कार्यक्रम में राज्यसभा इंटर्न्स को संबोधित करते हुए कहा था, ‘भारत में हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां न्यायपालिका राष्ट्रपति को निर्देश दे। हमारे पास ऐसे जज हैं, जो कानून बनाएंगे (विधायिका का काम करेंगे), कार्यपालिका का काम करेंगे और एक सुपर संसद के रूप में काम करेंगे लेकिन उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता।’

‘BJP ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ अन्याय किया है…’, पूर्ण राज्य की मांग को लेकर दिग्विजय सिंह और तारिक हमीद ने लगाए गंभीर आरोप

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य को लेकर आए दिन राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला मांग करते रहते हैं। अब उनकी हां में हां मिलाते हुए कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा है कि पीएम मोदी हर चुनाव में वादा करते हैं कि वो जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे लेकिन वो कभी वादा पूरा नहीं करते। उन्होंने बीजेपी पर राज्य के साथ भेदभाव का भी आरोप लगाया है।

जम्मू-कश्मीर कांग्रेस प्रमुख तारिक हमीद कर्रा ने कहा है ‘राज्य की मांग अब एक जन आंदोलन में बदल गई है। पहले हमने जम्मू-कश्मीर में घर-घर पहुंचाया है। अब हम लोग दिल्ली में पूर्ण राज्य की मांग करने पहुंचे हैं। हम सरकार पर जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने के मजबूर करेंगे और दबाव डालेंगे।’

वहीं आंदोलन का हिस्सा बनने पहुंचे कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ अन्याय किया है और प्रधानमंत्री मोदी हर चुनाव में वादा करते हैं कि वे जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देंगे। लेकिन वे कभी वादा पूरा नहीं करते।’

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बीते दिनों लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के लिए चिट्ठी लिखी थी। साल 2019 में केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करते हुए उसे केंद्र शासित राज्य बना दिया गया था साथ ही लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था।

#WATCH | Delhi | Congress MP Digvijay Singh says, “The BJP has done injustice to the people of J&K and PM Modi promises in every election that they will grant statehood to J&K…But they never fulfil the promise…” pic.twitter.com/yjRKkGZW9M

जिसके बाद बीते साल जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के चुनाव हुए, जिसमें उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस को जीत मिली और वो राज्य के मुख्यमंत्री बनें। हालांकि अब्दुल्ला और राज्य के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बीच आए दिन मतभेद की खबरें आती रहती हैं।