Fact Check: पुराने वीडियो को कंबोडिया के थाईलैंड पर हालिया हमले का बताकर किया शेयर, दावा भ्रामक

लाइटहाउस जर्नलिज्म को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से शेयर किया जा रहा एक वीडियो मिला। रॉकेट दागते हुए दिखाए गए इस वीडियो में दावा किया गया था कि कंबोडिया ने थाईलैंड पर RM-70 रॉकेट दागे हैं।

जांच के दौरान, हमने पाया कि यह वीडियो 2022 का था, जो कथित तौर पर यूक्रेन-रूस संघर्ष से संबंधित था। वायरल दावा भ्रामक है।

एक्स (X) यूजर NOOR AL HAQ NEWS ने भ्रामक दावे के साथ वायरल वीडियो शेयर किया।

🚨BREAKING: Cambodia just fired RM-70 rockets at Thailand — 20+ dead, mostly civilians. 🇰🇭⚔️🇹🇭Border villages hit without warning.This war just escalated — fast. pic.twitter.com/cv5U0utLNn

अन्य यूजर भी इसी वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर कर रहे हैं।

🚨कंबोडिया ने एक बार फिर थाईलैंड के सिसाकेत प्रांत पर BM-21 रॉकेट दागे।अब तक 20 से अधिक थाई नागरिकों की मौत की पुष्टि।जारी युद्ध में आम नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।#Cambodia #Thailand #RocketAttack #BreakingNews pic.twitter.com/Zla7B4Jqcl

Additional civilian casualties reported after Cambodia again fired BM-21 rockets at Thailand’s Sisaket province. 20+ Thai nationals have been killed in the ongoing war. #Thailand #combodiaopenedfire pic.twitter.com/jThtKS7jI9

Thailand- Cambodia example is the prime example of Op Preparedness which Indian should have when it comes to adversaries like China and Pakistan. We have HAL still stuck in timelines, trials and technical excuses. even after decades of formation. While our armed forces demand… pic.twitter.com/UJa4EA1gq8

हमने वीडियो को InVid टूल पर अपलोड करके और उससे प्राप्त कीफ्रेम पर रिवर्स इमेज सर्च करके जांच शुरू की।

हमें पता चला कि यह वीडियो इंटरनेट पर ईरान-इजरायल संघर्ष, भारत-पाकिस्तान संघर्ष और रूस-यूक्रेन संघर्ष के रूप में व्यापक रूप से शेयर किया जा रहा था।

हमें यह वीडियो टिकटॉक पर मिला, जिसे 2022 में पोस्ट किया गया था और तब इसे सबसे पहले अपलोड किया गया था।

टिकटॉक पर वीडियो में इस्तेमाल किया गया एक हैशटैग डोनबास (Donbas) था, जो यूक्रेन का एक शहर है।

लाइटहाउस जर्नलिज्म यह सत्यापित नहीं कर पाया कि यह वीडियो वास्तव में रूस-यूक्रेन युद्ध का था या नहीं; हालांकि, यह वीडियो 2022 का था और हाल का नहीं था जिसमें यह दावा किया गया था कि यह कंबोडिया के द्वारा थाईलैंड पर हमला करने का है।

निष्कर्ष: 2022 का पुराना वीडियो हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है। वीडियो में दावा किया गया है कि यह कंबोडिया द्वारा थाईलैंड पर हमले का है। वायरल दावा भ्रामक है।

मुकेश भारद्वाज का कॉलम बेबाक बोल: जग दीप्त हो!

राजा भोज ने जब विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठने की कोशिश की तो उसमें लगी बत्तीस पुतलियों ने बारी-बारी से पूछना शुरू किया कि क्या आप इस सिंहासन पर बैठने के योग्य हैं? हर बार बैठने की कोशिश के दौरान राजा भोज को पुतलियों से राजा विक्रमादित्य की न्यायप्रियता की कहानी सुनने को मिलती। इन कहानियों को सुनते-सुनते राजा भोज उस सिंहासन को पूजनीय वस्तु के रूप में देखने लगे। ऐसी ही प्रवृत्ति संवैधानिक कुर्सियों की होती है। संवैधानिक प्रक्रियाओं को अंजाम देते, संविधान का हवाला देते हुए आप अपने नियोक्ता के दिए पूर्व नियुक्ति पत्र को भूल जाते हैं। यह भी भूल जाते हैं कि साथ ही समय पूर्व सेवानिवृत्ति के कागज भी टंकित कर दिए गए हैं। फिर आप अपना सब कुछ ईश्वर की मर्जी पर छोड़, जो होगा देखा जाएगा के भाव से संवैधानिक प्रतिनिधि के रूप में व्यवहार करने लगते हैं। पटकथा निर्देशकों को नागवार गुजरता है कि आप अपने किरदार के लिए लिखे संवादों से इतर शब्द बोलें। अब जगदीप धनखड़ से उन शब्दों की उम्मीद करता बेबाक बोल जो जग को सच से दीप्त करे।

पूछ लेते वो बस मिजाज मिराकितना आसान था इलाज मिरा-फहमी बदायूनी

कुछ समय पहले संसद परिसर में धक्कामुक्की में दो सांसदों को चोट लगी थी। चोट देने का आरोप नेता प्रतिपक्ष पर था तो दोनों सांसदों के साथ ‘राष्ट्रीय मरीज’ जैसा व्यवहार हुआ। पार्टी से जुड़े इतने लोग उनसे मिलने पहुंचे कि अस्पताल की व्यवस्था भी परेशान हो गई थी। उस वक्त पार्टी से जुड़ा कोई भी व्यक्ति आह भर सकता था कि काश इनकी जगह मैं घायल होता।

जरा याद करें तीन-चार दशक पहले का दौर जब उपभोक्तावाद चरम पर नहीं था। तब आम घरों में बिस्कुट और डबल रोटी जैसी चीजें मौके पर ही आती थीं। उन दिनों घर के किसी बच्चे की तबीयत खराब होने पर उसे बिस्कुट-डबल रोटी जैसी हल्की चीज दी जाती थी तो घर के दूसरे बच्चे भी दावा करने लगते थे कि उन्हें भी बुखार है, लिहाजा वे भी बिस्कुट खाने के अधिकारी हैं। दो सांसदों की उच्च स्तरीय तीमारदारी देख कर अन्य सोच रहे थे, ‘घायल अच्छे हैं’।

कुछ समय बाद देश के दूसरे सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति ने अपने बीमार होने का हवाला देते हुए पद छोड़ दिया। बीमार का हाल पूछना तो दूर, बीमारी के नाम पर पद छोड़ने की उन्हें इतनी शुभकामना दी गई कि लगा बीमारी कोई शुभ चीज हो गई हो। उनके अस्तित्व को ऐसा शून्य जैसा करार दिया गया कि इतना उपेक्षित होकर अच्छे-भले तंदुरुस्त आदमी की सेहत बिगड़ जाए।

जगदीप धनखड़ के जरिए एक सीधा संदेश मिला है कि राजनीति में पवित्र गाय जैसी कोई अवधारणा नहीं होती। इसके लिए काम पूरा करने के बाद सभी समान रूप से त्याज्य हैं। इस तरह की राजनीति में आप पूर्व-नियुक्ति लेकर आते हैं। लोकतांत्रिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपकी पूर्व नियुक्ति पर सिर्फ मोहर लगाई जाती है। जिस वक्त पूर्व नियुक्ति पत्र टंकित होते रहते हैं, उसी वक्त आपकी समय पूर्व सेवानिवृत्ति का दस्तावेज भी तैयार किया जा रहा होता है। अगर आप राजनीतिक उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते हैं तो फिर पूर्व दस्तखतशुदा कागज पर तारीख ही डालनी होती है।

मुकेश भारद्वाज का कॉलम बेबाक बोल: कोई शेर सुना कर

पद का मोह ऐसा होता है कि आप सिर्फ पूर्व नियुक्ति वाले कागज पर मोहर लगते देख कर खुश होते हैं। आपको लगता है कि मेरे साथ ऐसा नहीं होगा कि दूसरे कागज की जरूरत पड़ जाए। मेरे साथ ऐसा नहीं होगा…बस यही भ्रम वह ऊर्जा देता है कि आप बंगाल में चुनी हुई सरकार से सीधे टकराना शुरू कर देते हैं। बंगाल का राजनिवास दिल्ली से भेजे गए दूत का ‘दूतावास’ जैसा हो गया था।

आपने वही करना शुरू कर दिया जो विपक्षी दलों वाले शासन में सभी राज्यपाल कर रहे थे। लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप राजाओं वाले समय से ज्यादा राजा की तरह व्यवहार कर रहे थे। बंगाल में आपके ‘दूतावास’ की भूमिका बहुत पसंद आई और इसके लिए आपको पुरस्कृत भी किया गया। आपको पुरस्कृत करते वक्त तर्क दिए गए कि आप जाट हैं, किसान हैं। ऊपरी प्रशंसा से आपने मान भी लिया कि जाटों और किसानों के बीच आपकी पैठ है इसलिए सदन में निष्पक्ष दिखने के लिए खुद के किसान पुत्र होने की बात भी कह डाली।

मुकेश भारद्वाज का कॉलम बेबाक बोल: ऐ ‘मालिक’ तेरे बंदे हम

आप जमीनी हकीकत भूल गए कि अगर जाट और किसानों के बीच आपकी पैठ होती तो 2027 तक वाले नियुक्ति-पत्र की मियाद किसान आंदोलन के साथ ही खत्म हो जाती। दिल्ली में भी सब सीधा और सपाट चल रहा था। आप अपनी पूर्व-नियुक्ति की शर्तों के हिसाब से काम कर रहे थे। तभी देश के संसदीय इतिहास को लेकर एक नया इतिहास बनने का मोड़ आ जाता है। पहली बार कोई उपराष्ट्रपति महाभियोग के दायरे में आने वाले थे। संसद परिसर की सीढ़ियों पर आपके संसद में किए जा रहे व्यवहार की नकल उतारी गई। यह भी शायद पहली बार हुआ था। आपको लगा कि विपक्ष के बीच आपकी कोई इज्जत नहीं है। सत्ता पक्ष से सर्वश्रेष्ठ मिलने के बाद भी दिल में हूक उठी कि उधर से भी इज्जत मिल जाती। इसलिए आपने अपनी नकल को लेकर गहरा रोष व्यक्त किया था।

दावा किया जाता है कि यौगिक क्रियाओं के दौरान व्यक्ति की कुंडलिनी जागृत होती है जो उसके मानस के सभी द्वार खोल देती है। कुछ ऐसा ही संवैधानिक क्रियाओं के साथ भी होता है। जिस परिसर में आप संविधान की शपथ लेकर प्रवेश करते हैं, जहां संविधान बचाने को लेकर संघर्ष शुरू हुआ, वहां आपको भी संवैधानिक प्रतिनिधि बनने जैसा मोह पैदा हो गया। इसे हम संविधान की शक्ति कह सकते हैं कि सब कुछ पाया हुआ व्यक्ति यह जान कर भी संवैधानिक हो जाना चाहता है कि शायद इसके बाद उसके पास कुछ भी न बचे।

मुकेश भारद्वाज का कॉलम बेबाक बोल: जी हुजूर (थरूर)

नियोक्ता के दिए नियुक्ति-पत्र की सेवा शर्तों को भूलकर आप संविधान के साथ संबद्ध दिखने की कोशिश करने लगे। ‘संविधान हत्या-दिवस’ जैसा कठोर शब्द आपके कानों में गूंज रहा था। सोचिए, आपके पक्ष के हिसाब से जिसकी हत्या हो चुकी है, आपको उसके साथ खड़े होने का मोह क्यों दिखा? क्या इसलिए कि भविष्य के नागरिक शास्त्र की किताबों में आपके किरदार की हत्या न हो जाए? भविष्य को यह समझ नहीं आए कि आपके भूत को किस खाते में दर्ज किया जाए। आज देश भी सोचे, उस कथित मृत संविधान की ताकत जिसने आपको संवैधानिक रूप से इतना स्वस्थ कर दिया कि अपने नियोक्ता पक्ष के लिए आप बीमार साबित हो गए।

परदे के पीछे क्या हुआ, हम वह जानने का दावा कतई नहीं कर रहे हैं। हम सिर्फ वही लिख रहे हैं जो परदे के सामने राजनीति के रंगमंच पर किरदार केंद्रित रोशनी और ध्वनि विस्तारक यंत्र के साथ हुआ। आपने कार्य मंत्रणा समिति की बैठक बुलाई। उसके पहले केंद्रीयमंत्री व पार्टी अध्यक्ष जगत प्रसाद नड्डा संसद में अपने-पराए का भेद बताते हुए कह रहे थे, ‘आपको जानना चाहिए आपका कहा कुछ भी रिकार्ड में नहीं जाएगा, जो मैं कहूंगा वह जाएगा।’ जो व्यक्ति संसद परिसर में अपनी नकल से दुखी हुआ था, वह अपनी भूमिका के इस तरह छिन जाने से भी दुखी हुआ होगा। इस्तीफे के महज 11 दिन पहले आपने कहा था ‘दैवीय कृपा रही तो मैं सही समय पर अगस्त 2027 में सेवानिवृत्त हो जाऊंगा।’ यह बोलते वक्त भी आपको पहले से तैयार त्यागपत्र याद आ रहा होगा तभी आपने सेवानिवृत्ति की तारीख बता कर गहरे अंदाज में कहा, दैवीय कृपा रही तो…। कुंडलिनी जागृत होने के बाद आपको अपने लिए सिर्फ ईश्वर से ही उम्मीद थी।

मुकेश भारद्वाज का कॉलम बेबाक बोल: राज हमारा धर्म तुम्हारा

आज हम बेबाक बोल के माध्यम से यह बता रहे हैं कि आपका कार्यक्रम इस्तीफे के बाद के दिनों का भी तय था। आपको 27 जुलाई को एक किताब के लोकार्पण में उपस्थित होना था। उसमें राज्यसभा में आपके सहयोगी को भी आना था। जिन आयोजनकर्ताओं ने आपको उपराष्ट्रपति के तौर पर बुलाया था वे आपको पूर्व उपराष्ट्रपति के तौर पर भी बुलाने को सहर्ष तैयार थे। न जाने क्या हुआ, आप आने के लिए तैयार नहीं हुए।

मुश्किल यह है कि राज्यसभा में आपके सहयोगी हरिवंश राष्ट्रपति से मिल कर पुष्प गुच्छ देते हुए तस्वीरें भी खिंचवा चुके हैं और उनका नाम अगले उपराष्ट्रपति के तौर पर भी लिया जा रहा है। मूल मुद्दा यह है कि राजनीतिक रंगमंच पर आपका इस्तीफा पटकथा का हिस्सा नहीं था। हम बस सामान्य ज्ञान के आधार पर कह रहे हैं कि कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है।

जिस तरह नीतीश कुमार के एकनाथ शिंदे बन जाने की आशंका जताई जा रही है, उसी तरह कहा जा रहा, कहीं आपकी हालत सत्यपाल मलिक जैसी न हो जाए। भारतीय घरों में संतान का नाम सोच-समझ कर उम्मीदों के साथ रखा जाता है। संयोग की बात है कि सत्यपाल मलिक को लगा कि सत्य का पालन करना चाहिए। आपके नाम में दीप है। मौजूदा हालात में आपने जो इतना बड़ा फैसला लिया उसके सच से जग को दीप्त करेंगे या नहीं? करना तो चाहिए।

पापा जल्दी टीवी चलाओ, हमला हो गया… लालू राज में हुए सबसे बड़े जहानाबाद जेल कांड की पूरी कहानी

Bihar Elections 2025: मैं बिहार हूं, मैंने अपनी धरती पर अपराध की अनगिनत कहानियां देखी हैं। समय-समय पर मेरे दामन पर हत्या, लूट, अपहरण, भ्रष्टाचार के दाग लगते रहे हैं। सरकारें बदली हैं, नेता नए आए हैं, लेकिन मेरी तकदीर में अपराध की रेखा इतनी गहरी और स्पष्ट है कि कोई चाहकर भी इसे नहीं मिटा पाया है। ऐसा ही एक किस्सा याद आता है जब जेल से ही एक खूंखार अपराधी भागा था, राबड़ी मुख्यमंत्री थीं, लालू सरकार चला रहे थे और मैंने सबसे बड़ा जेलब्रेक अपनी आंखों के सामने होते देखा था। मैं बिहार हूं और आज उसी जेलब्रेक की पूरी कहानी बताता हूं-

बात 2005 की है, लालू जेल में थे और राबड़ी बिहार की महिला मुख्यमंत्री। लेकिन उन्हें ना पढ़ना आता था और ना ही लिखना, ऐसे में राबड़ी का तो सिर्फ चेहरा था, सरकार लालू ही चला रहे थे। अपने कैबिनेट सेकरेट्री को आदेश देते रहते थे, उसी आधार पर कुछ फाइलें राबड़ी देवी के पास जाती थीं और फिर उन पर अंगूठा भी लगा दिया जाता था। दूसरी तरफ सारी ताकत लालू के दो सालों साधु और सुभाष के पास जा चुकी थी। बात चाहे शराब सेक्टर की हो, एक्साइज की हो, पब्लिक ट्रांसपोर्ट की हो, तबादलना करना हो, सबकुछ इन दोनों की तरफ से डंके की चोट पर हो रहा था।

इसी वजह से कानून व्यवस्था भी हर बीतते दिन के साथ खराब होती जा रही थी, धमकियां मिलना आम हो चुका था, अपहरण रोज हो रहे थे। इस बीच ही जहनाबाद में कुछ बहुत बड़ा होने वाला था। 13 नवंबर, 2005 का एक फैक्स आया था जिसमें जहानाबाद पुलिस को चेताया गया। एक सीनियर पुलिस अधिकारी आरआर वर्मा ने लिखा था-

सूत्रों से ऐसी खबर मिली है कि 100 के करीब चरमपंथी लोग जहानाबाद के Nadaul और Kako इलाके में इकट्ठा हो रहे हैं। ये भी जानकारी मिली है कि झारखंड से भी एक टीम ने उन्हें ज्वाइन कर लिया है। वहां भी 6 से 7 युवकों को बाइक पर कुछ इनफॉर्मेशन शेयर करते हुए देखा है। लोकल लोगों से वो सभी बातें कर रहे थे। हमे तो पता चला है कि Nadaul रेलवे स्टेशन, काको पुलिस स्टेशन या फिर किसी मोबाइल पुलिस यूनिट पर हमला हो सकता है। प्लीज सभी रेलवे स्टेशन्स, पुलिस स्टेशन्स को अलर्ट कर दीजिए। अपनी फोर्स इकट्ठा कर लें इन चरमपंथियों से मुकाबला करने के लिए। उन लोगों के पास क्योंकि गाड़ियां भी होंगी, वो दूसरे इलाकों में जा सकते हैं। ऐसे में पूरे जिले को अलर्ट कीजिए, गया के डीआईजी खुद इसका संज्ञान लें।

आरआर वर्मा, IG (Operations), पटना

अब उस जमाने में जहानाबाद के एसपी सुनील कुमार हुआ करते थे, अब उन्हें वो फैक्स मिला या नहीं, क्या उन्होंने स्थिति का जायजा लिया या नहीं, आज तक इस राज से पर्दा नहीं उठ पाया है। इतना जरूर रहा कि उस दिन भी अपना काम खत्म कर एसपी सुनील कुमार शाम पांच बजे घर के लिए निकल गए थे। इसी तरह उस जमाने में गया के डीआईजी का नाम भी सुनील कुमार ही था, वे तब जहानाबाद से काफी दूर अजमेर में थे। वहीं जहानाबाद के डिस्ट्रिक्ट मेजिस्ट्रेट राणा अधेश पटना में मौजूद थे।

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इसके ऊपर जिस जहानाबाद में जेल में कुछ बड़ा करने की तैयारी थी, वहां कोई जेलर तक नहीं था। 6 महीने से वो पोस्ट खाली पड़ी थी, एक असिस्टेंट जेलर जरूर थे, लेकिन वो भी तब छुट्टी पर गए हुए थे। किसी को उस छुट्टी के बारे में तब पता भी था या नहीं, लेकिन जहानाबाद के जेल में सुरक्षा के कोई इंतजाम दिखाई नहीं दे रहे थे। फैक्स में साफ लिखा था कि हमला हो सकता है, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई तैयारी नहीं दिख रही थी। दूर जहानाबाद पुलिस के ही सार्जेंट ऑल इंडिया रेडियो सुन रहे थे, खाने का इंतजार था, लेकिन तभी उनकी दिल्ली में बैठी बेटी का फोन आया। बेटी ने डरी-सहमी आवाज में बोला-

टीवी चलाओ पापा, नक्सली लोगों ने जहानाबाद जेल पर हमला किया है, बम फटा है, सुनाई नहीं दिया क्या। यहां सबकुछ टीवी पर आ रहा है।

सार्जेंट नवल चंद्र, बिहार पुलिस

अब सभी को पता चल चुका था कि जहानाबाद जेल पर हमला किया गया है। फैक्स में जिस बात का डर था, वो सच साबित हुआ। माओवादियों ने अपने मिशन को पूरा कर लिया था। जहानाबाद में कई जगह धमाके हुए, जेल के दो जूनियर अधिकारियों को भी गोली लगी और देखते ही देखते जहानाबाद जेल से 200 कैदियों को भगा दिया, वहां भी माओवादी संगठन का कमांडर अजय कानू का भागना सबसे ज्यादा चर्चा में आया।

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हिम्मत इतनी ज्यादा रही कि जहानाबाद जेल की दीवारों पर इन माओवादियों ने सरकार को सीधी चुनौती देने का काम किया, किसी बात का डर उन्हें नहीं था, उनके साथ क्या हो सकता था, ऐसा कभी सवाल ही नहीं आया। तल्ख अंदाज में उस समय की सरकार को धमकी देते हुए जेल की दीवारों पर लिख दिया गया-

चेतावनी जान हो, समानती सरकार के चंगुल से अपने कामरेडों को मुक्त करने आएंगे जल्द ही। लाल सलाम

अब ये सिर्फ चेतावनी भर नहीं थी, इस बात को अमलीजामा पहनाया गया और बिहार ने अपना सबसे बड़ा जेल कांड देख लिया जहां सरकार सोती रह गई, प्रशासन समय रहते हरकत में नहीं आ पाया और नाक के नीचे 200 खूंखार अपराधी भाग गए।

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‘मौन व्रत – मौन व्रत…,’ ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के सवाल पर बोले कांग्रेस सांसद शशि थरूर

लोकसभा में आज ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी है। जिसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से पूरी तैयारी की गई है। जहां सत्ता पक्ष की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, बैजयंत पांडा समेत कई लोग अपनी बात रखेंगे तो वहीं विपक्ष की ओर से गौरव गोगोई, प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई सांसद चर्चा करेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर का नाम चर्चा वाली लिस्ट में नहीं है। हालांकि उसके पहले अभी तक इस सत्र में एक भी दिन सही तरीके से नहीं चला है, जबकि आज भी जब संसद शुरू हुई तो भी कुछ देर के बाद ही हंगामे की वजह से कार्यवाही स्थगित हो गई।

हालांकि इस खबर में हम तिरुवनंतपुरम लोकसभा से कांग्रेस के इस बात की कर रहे हैं जब आज वो संसद पहुंचे तो वहां मौजूद पत्रकारों ने उनसे बात करनी चाही। दरअसल वो जैसे ही अपनी गाड़ी से उतरे तो पत्रकारों ने उनसे पूछा कि ऑपरेशन सिंदूर आज संसद में चर्चा होने वाली है उस पर आप क्या कहना चाहेंगे जिस पर थरूर ने मौन व्रत, मौन व्रत करते करते आगे बढ़ गए।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य शशि थरूर को बोलने को लेकर चर्चा की जा रही थी लेकिन पार्टी की ओर से बोलने वाली लिस्ट में थरूर का नाम नहीं है। केरल के सांसद ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद अमेरिका समेत कई अन्य देशों का दौरा किया था इसके साथ ही एक डेलीगेशन का भी नेतृत्व किया था।

‘क्या NIA ने पहचान कर ली, कैसे पता आतंकी पाकिस्तान से आए’, पहलगाम हमले पर चिदंबरम

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम मे हुए आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए थे। भारत सेना की ओर से इस ऑपरेशन को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया। इंडियन आर्मी ने इस ऑपरेशन को लेकर बताया था कि भारत ने उन आतंकी ढांचों को निशाना बनाया जहां से भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बनाई गई और उन्हें अंजाम दिया गया था। इनमें जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ बहावलपुर और लश्कर-ए-तैयबा का अड्डा मुरीद के भी शामिल हैं।

#WATCH | Delhi | Lok Sabha to discuss Operation Sindoor today, Congress MP Shashi Tharoor says, “Maunvrat, maunvrat…” pic.twitter.com/YVOwS7jpk5

‘हमारे लिए नमाजवादी कहते हैं…’, अखिलेश बोले- बीजेपी के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रस्तावक पांच बार के नमाजी थे

Akhilesh Yadav On RSS Chief Mohan Bhagwat Statement: आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत को भारत ही रखना चाहिए। उनके इस बयान पर अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि भारत सिर्फ एक नाम नहीं बल्कि देश की पहचान है और इसे न तो बदला जाना चाहिए और न ही इसका अनुवाद किया जाना चाहिए।

सपा चीफ अखिलेश यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘हिंदुस्तान भी अच्छा नाम है, हिंदुस्तान बहुत अच्छा नाम है। हिंदुस्तान के नाम में कोई कमी नहीं है। भारत भी होना चाहिए और इंडिया भी होना चाहिए। इंडिया के साथ में कौन था। हम तो भारत के साथ थे और हिंदुस्तान के साथ थे। इंडिया के साथ कौन था, ये जो कहते हैं ना नमाजवादी, सुना होगा आपने कभी-कभी हमारे बारे में नमाजवादी कहते हैं। दिल्ली में भी कोई सांसद हैं जो हमें नमाजवादी कह रहे हैं।’

अखिलेश यादव ने कहा, ‘बीजेपी के उन सांसद को शायद पता नहीं होगा वो बीजेपी में नए आए होंगे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का इतिहास नहीं पढ़ा होगा। बीजेपी के जो सबसे पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष बने उनके प्रस्तावक पांच बार के नमाजी थे और जब अधिवेशन हुआ, उसका खर्चा भी कुछ लोगों ने उठाया था। ये विषय आप पर है और आप लोग रिसर्च करके सच जरूर जनता को बता देना।’

Delhi: On the statement of RSS chief Mohan Bhagwat, that, “Bharat is not just a name but the identity of the country, and it should neither be changed nor translated,” Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav says, “No, Hindustan is also a good name. Hindustan is a very good name.… pic.twitter.com/IM16bCrdHe

हाईलेवल मीटिंग के बाद मोहन भागवत से पीएम मोदी की मुलाकात

अब बात मोहन भागवत के बयान की करें तो आरएसएस से जुड़े शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा आयोजित ज्ञान सभा उन्होंने कहा, ‘यह जरूरी है क्योंकि दुनिया शक्ति को समझती है। इसलिए भारत को शक्तिशाली बनना होगा। उसे आर्थिक दृष्टि से भी समृद्ध बनना होगा।’ राष्ट्रीय पहचान पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, ‘भारत एक व्यक्तिवाचक संज्ञा है और इसका अनुवाद नहीं किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘इंडिया भारत है। यह सच है। लेकिन भारत भारत है। इसलिए बातचीत, लिखने में और भाषण में चाहे वह व्यक्तिगत हो या सार्वजनिक हमें भारत को भारत ही रखना चाहिए। भारत की पहचान का सम्मान इसलिए है क्योंकि वह भारत है। अगर आप अपनी पहचान खो देते हैं, चाहे आपके कितने भी अच्छे गुण क्यों न हों, आपको इस दुनिया में कभी सम्मान या सुरक्षा नहीं मिलेगी। यही मूलमंत्र है।’ पूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…

‘पाकिस्तान जो भाषा बोल रहा है, वही भाषा चिदंंबरम और कांग्रेस बोल रहे हैं’, शिवराज बोले- चेहरे से नकाब क्यों नहीं हटना चाहिए

लोकसभा में पहले से तय कार्यक्रम के तहत दोपहर 12 बजे ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा होनी थी लेकिन विपक्ष के हंगामे की वजह से लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही 1 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद संसद के बाहर मीडिया से बातचीत में बीजेपी के सांसद और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्षी दलों पर जमकर हमला बोला।

उन्होंने संसद परिसर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “क्या चेहरे से नकाब उतरने का डर है? आतंक और आतंकवादियों से क्या संबंध है? आखिर पी. चिदंबरम यह क्यों कह रहे हैं? सबूत मांग रहे हैं कि पाकिस्तान का हाथ कहां तक है? पाकिस्तान जो भाषा बोल रहा है, वही भाषा चिदंबरम और कांग्रेस बोल रहे हैं।”

कृषि मंंत्री ने आगे कहा कि चर्चा क्यों नहीं होनी चाहिए, चेहरे से नकाब क्यों नहीं हटना चाहिए? आखिर डर किस बात का है। सारा देश देख रहा है, यह चर्चा करके भागते हैं और ऐसी भाषा बोलते हैं जो पाकिस्तान या देश के दुश्मनों की होती है। संपूर्ण विपक्ष के चेहरे से नकाब उतर चुका है।

Parliament Monsoon Session, Operation Sindoor Latest Updates

इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि कारगिल विजय दिवस पर भी कांग्रेस सवाल उठाती रही है। UPA 1 सरकार में कभी कारगिल विजय दिवस नहीं मनाया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के एक सांसद ने कहा था- हम क्यों मनाएं कारगिल विजय दिवस, यह देश का नहीं, पार्टी का युद्ध था।

शिवराज ने आगे कहा कि कांग्रेस पाकिस्तान की भाषा बोलती है और पाकिस्तान, दुनिया में इनके बयानों का उदाहरण देता है। कांग्रेस प्रधानमंत्री का विरोध करते-करते देश का ही विरोध करने लगी है। ऑपरेशन सिंदूर पर भी सवाल खड़े करने का पाप कांग्रेस कर रही है। कांग्रेस की यह मानसिकता राष्ट्रविरोध की सीमा तक जाती है। उन्होंने सवाल किया कि क्या इस तरह के प्रश्न खड़े करना देशभक्ति है?

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि आज लोकसभा में विपक्ष का रवैया साफ तौर पर साबित करता है कि कांग्रेस और उनके सहयोगी विपक्षी दल ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और हमारे सैनिकों व सशस्त्र बलों द्वारा भारत को दिलाए गए गौरव पर चर्चा करने से कतरा रहे हैं। यह निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है और एक नकारात्मक मानसिकता का प्रमाण है। 

‘फौज को अगर और मौका मिलता तो वो PoK ले लेती’, चिदंबरम के बयान पर अखिलेश ने कही बड़ी बात

दिल्ली की मिट्टी में मिले जानलेवा एलिमेंट्स, कैंसर का खतरा बढ़ गया: स्टडी

Delhi air cancer: देश में कैंसर के मामले आज भी तेज गति से बढ़ रहे हैं, यह बीमारी अभी भी लोगों के लिए जानलेवा बनी हुई है। मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की कर ली है, लेकिन कैंसर को लेकर आज भी एक अलग ही डर का माहौल दिख जाता है। इस बीच राजधानी दिल्ली को लेकर एक हैरान कर देने वाली रिपोर्ट सामने आई है। उस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली की सड़कों पर जो मिट्टी है, उसमें ऐसे केमिकल एलिमेंट मिले हैं जिससे से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

असल में दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी और सिडनी की ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी ने साथ मिलकर एक रिसर्च की है। उस रिसर्च के तहत ही राजधानी दिल्ली की 33 जगह से मिट्टी और धूल का सैंपल लिया गया था। उस मिट्टी की जांच फिर ऑस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू साउथ वेल्स में की गई। इस रिसर्च के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ मनोज प्रताप सिंह हैं जिन्होंने कई चौंकाने वाली बातें बताई हैं।

वे कहते हैं कि जो टॉक्सिक एलिमेंट मिले हैं, अगर उनके संपर्क में आया जाएगा तो इससे 1.8 लाख पुरुषों को कैंसर होने का खतरा रहेगा, वहीं महिलाओं में यह आंकड़ा 2.1 लाख तक जा सकता है, इसके अलावा 21000 बच्चे भी कैंसर से जूझ सकते हैं।

डॉक्टर सिंह इस बात पर भी जोर देते हैं कि बच्चों में इसका खतरा ज्यादा रहने वाला है। उनके मुताबिक IQ कम होने से लेकर मेमोरी लॉस की दिक्कत भी आ सकती है।

3 कारणों से युवाओं में तेजी बढ़ रहा कैंसर

सभी के मन में एक सवाल आ रहा है कि आखिर दिल्ली में इस तरह के खतरनाक और जानलेवा टॉक्सिक एलिमेंट कैसे पहुंच गए। इस पर डॉक्टर सिंह कहते हैं कि कई मौकों पर जो लगातार ब्रेक का इस्तेमाल किया जाता है, उस वजह से भी कई टॉक्सिक केमिकल एलिमेंट रिलीज होते हैं।

इसके अलावा बताया जा रहा है कि बड़े स्तर पर दिल्ली में जो फॉसिल फ्यूल्स को जलाया जा रहा है, उससे भी हवा जहरीली हो रही है। तकनीकी भाषा में इस सीरियम भी कहा जा सकता है जो मिट्टी में सबसे ज्यादा मिला है। रिसर्च में 15 प्रमुख केमिकल एलिमेंट्स का जिक्र हुआ है- आर्सेनिक (1), सीसा (2), कैडमियम (7), क्रोमियम VI (17), बेरिलियम (43), निकल (57), जिंक (75), क्रोमियम (78), यूरेनियम (97), तांबा (118), बेरियम (134), मैंगनीज (140), सेलेनियम (146), एल्युमिनियम (183) और वैनेडियम (200)।

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‘इन्होंने ही भगवा आतंक की बात उठाकर PAK को क्लीन चिट देने का काम किया था’, BJP बोलीं- जब वो सत्ता में थे…

P.Chidambaram Controversy: संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस से कुछ समय पहले ही कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने एक बयान देकर नया सियासी बवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में ये कह दिया कि हो सकता है कि पहलगाम आतंकी हमले के आतंकवादी घरेलू ही हों। इतना ही नहीं, उन्होंने ये भी कहा कि क्या सबूत ये बताते हैं कि आतंकवादी पाकिस्तान से ही आए थे। चिदंबरम के इस बयान पर बीजेपी आक्रामक है और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने बड़ा हमला बोला है और कहा कि चिंदबरम ने पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी है।

दरअसल, संसद परिसर में मीडिया से बातचीत के दौरान मोदी सरकार में मंत्री प्रहलाद जोशी ने ऑपरेशन सिंदूर पर पी चिदंबरम के बयान पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी है। यही लोग जब सत्ता में थे तो कहते थे कि इसमें पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं है।

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प्रहलाद जोशी ने कहा कि पूर्व गृह मंत्री और पूर्व वित्त मंत्री को यह समझना चाहिए कि ऐसे बयान पाकिस्तान के रुख को बढ़ावा देते हैं। दिग्गज बीजेपी नेता प्रहलाद जोशी ने कहा कि पी चिदंबरम और कांग्रेस पार्टी ने अपनी सरकार के दौरान ही भगवा आतंकवाद की बात उठाकर पाकिस्तान को क्लीन चिट दी थी।

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#WATCH | On P Chidambaram’s statement on Operation Sindoor, Union Minister Pralhad Joshi says, “P Chidambaram, who was the former Home Minister, has given a clean chit by Pakistan. The same people, when they were in power, used to say that there is no hand of Pakistan. The… pic.twitter.com/KdFnAkRjJk

विवाद बढ़ने पर पी चिदंबरम ने सफाई दी है और एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि ट्रोल विभिन्न प्रकार के होते हैं और गलत सूचना फैलाने के लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग करते हैं। सबसे खराब प्रकार का ट्रोल वह है, जो पूरे रिकॉर्ड किए गए साक्षात्कार को दबा देता है, दो वाक्यों को हटा देता है, कुछ शब्दों को म्यूट कर देता है और वक्ता को काले रंग में रंग देता है!

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Trolls are of different kinds and use different tools to spread misinformationThe worst kind is a troll who suppresses the full recorded interview, takes two sentences, mutes some words, and paints the speaker in a black colour!

बता दें कि एक इंटरव्यू के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि वह भी बताने को तैयार नहीं हैं कि पिछले कुछ हफ्तों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने क्या किया। चिदंबरम ने आगे कहा कि क्या उन्होंने आंतकियों की पहचान कर ली है, कहां से आएं थे।

चिदंबरम ने आगे कहा कि क्या पता वो देश के अंदर तैयार किए गए आतंकवादी हों। आपने क्यों यह मान लिया वो पाकिस्तान से आए थे। इसका कोई सबूत नहीं है। सरकार भारत को हुए नुकसान को भी छिपा रही है। चिदंबरम के इस बयान पर सियासी भूचाल आ गया है। पी चिदंबरम के बयान से कांग्रेस ने खुद को अलग कर लिया है।

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Operation Mahadev LIVE: लिडवास में सेना का ‘ऑपरेशन महादेव’ जारी, 3 आतंकी ढेर

Operation Mahadev: जम्मू-कश्मीर के लिडवास में सेना का ऑपरेशन महादेव जारी है। चिनार कॉर्प्स ने एक जारी बयान में सिर्फ इतना कहा है कि कॉन्टैक्ट इस्टैब्लिश हो चुका है और ऑपरेशन अभी जारी है। आर्मी ने बताया है कि अब तक तीन आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिन आतंकियों को घेरा गया है, उनका कनेक्शन पहलगाम हमले से हो सकता है।

जानकारी के लिए बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 26 पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया था। उस आतंकी हमले के बाद ही भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, इस कार्रवाई का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखा गया था। दावा हुआ कि 100 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया।

अब पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकाने तो ध्वस्त हुए, लेकिन एक सवाल कायम रहा- पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले दोषी कहां हैं? उनकी पहचान कब तक होने वाली है? अब इस समय जो ऑपरेशन महादेव चल रहा है, उसी को लेकर चर्चा है कि इसके जरिए पहलगाम के दोषियों तक पहुंचा जा सकता है, संभावना यह भी जता दी गई है कि सेना ने जिन आतंकियों को घेरा है, उनका हाथ 22 अप्रैल के हमले में हो सकता है।

बताया जा रहा है कि इस ऑपरेशन को संयुक्त रूप से सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर अंजाम दिया है, जिन आतंकियों को भी मौत के घाट उतारा गया है, उनका कनेक्शन TRF से हो सकता है। TRF वही आतंकी संगठन है जिसने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी, कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने भी उसे ग्लोबल टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन घोषित कर दिया था।

जिन आतंकियों को सेना ने मार गिराया है, उनके पास से भारी हथियार भी बरामद हुए हैं। तीनों ही आतंकी घने जंगलों में छिपे हुए थे, लेकिन उनकी कुछ संदिग्ध बातचीत सामने आई और उसी से इनपुट लेते हुए ऑपरेशन महादेव चलाया गया।

‘विपक्ष अब चर्चा से भाग रहा…’, ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के बीच किरेन रिजिजू बोले – 10 मिनट पहले शर्त लाना सही नहीं

Parliament Monsoon Session: ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू होने से पहले ही लोकसभा स्थगित होने पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी दलों को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दल ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से क्यों भाग रहे हैं। रक्षा मंत्री बहस की शुरुआत करेंगे। मैं सभी से उनकी बात सुनने का आग्रह करता हूं। किसी भी विपक्षी दल को पाकिस्तान की भाषा नहीं बोलनी चाहिए।

केंद्रीय मंत्री ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘पार्लियामेंट में सब तैयार थे और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा 12.15 मिनट पर शुरू होनी थी। इससे ठीक 10 मिनट पहले विपक्षी दल एक नया मुद्दा लेकर आते हैं कि सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से पहले एसआईआर मुद्दे पर चर्चा करे। संसद इस तरह से नहीं चलती है। पार्लियामेंट में हम लोग एक दूसरे की बातचीत सुनकर फिर बीएसी में चर्चा करके निर्णय करते हैं। फिर अचानक जब सब ने फैसला कर लिया कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा करेंगे। करीब 16 घंटे तक बहस होगी। आज भी बहस होगी और फिर कल भी होगी। अचानक शर्त लेकर आना सही नहीं है। ये कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दल ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा से क्यों भाग रहे हैं। मुझे ये बात समझ नहीं आ रही है।’

#WATCH | On Lok Sabha adjourned before commencement of discussion on Operation Sindoor, Union Minister Kiren Rijiju says, “Why are the Congress and Opposition now running away from discussion on Operation Sindoor?…””We were all ready for the discussion. 10 minutes before the… pic.twitter.com/tY25JphVBA

किरेन रिजिजू ने कहा, ‘विपक्ष ने चर्चा के लिए करीब दो महीने से मांग की थी। हम लोगों ने तो पहले ही दिन से कहा है कि हम ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। अब ये कोई तरीका नहीं होता है कि ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा से भागने के लिए आप रास्ता ढूंढ रहे हैं। ये तरीका ठीक नहीं है। ये पूरी तरह से धोखा है। यह लोकतंत्र के हिसाब से सही नहीं है।’

पाकिस्तान जो भाषा बोल रहा है, वही भाषा चिदंंबरम और कांग्रेस बोल रहे हैं – शिवराज

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘विपक्षी दलों ने पलटी मारी है और ऑपरेशन सिंदूर से भागने का जो नाटक किया वो ठीक नहीं है। अभी हम लोग थोड़ी देर के बाद में संसद शुरू होने के बाद में ये जो नई कंडीशन लेकर आए हैं ये नहीं चलेगी और ऑपरेशन सिंदूर पर रक्षा मंत्री प्रस्ताव शुरू में रखेंगे और रक्षा मंत्री जब चर्चा शुरू करें तो उनकी बात सुने और कोई भी विपक्षी पार्टी पाकिस्तान की भाषा ना बोले। विपक्ष के हंगामे से नाराज हुए ओम बिरला