सैन्य अधिकारी के बच्चे की मौत के मामले में दो लेफ्टिनेंट कर्नलों के खिलाफ रद्द हुआ मुकदमा, जानें क्या था पूरा मामला

Bombay High Court News: बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा खंडपीठ द्वारा 25 सितंबर को सार्वजनिक रूप से अपलोड किए गए फैसले में इंजीनियर्स कोर के लेफ्टिनेंट कर्नल उमेश कनाडिकर और लेफ्टिनेंट कर्नल गुरिंदर सिंह उप्पल पर मुकदमा चलाने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197 के तहत दी गई अभियोजन स्वीकृति को रद्द कर दिया है।

सेना के दोनों लेफ्टिनेंस कर्नलों पर उन पर कुछ नागरिकों के साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 304A (लापरवाही से मौत) के तहत गोवा की एक आपराधिक अदालत में मुकदमा चलाया जाना था।

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अपने अभियोजन को चुनौती देने वाले दोनों अधिकारियों द्वारा दायर रिट याचिकाएं 6 अप्रैल, 2017 की एक घटना की वजह से हुई थी, क्योंकि लेफ्टिनेंट कर्नल नरेंद्र आर. तारलकर और सर्जन लेफ्टिनेंट कमांडर तृष्णा तारलकर का साढ़े चार साल का बेटा, गोवा में नौसेना अधिकारियों के आवास में नवनिर्मित मैरिड एकोमोडेशन प्रोजेक्ट-II की 6वीं मंजिल से गिर गया था।

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इस घटना के चलते गोवा नौसेना क्षेत्र के मुख्यालय द्वारा एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नई दिल्ली के अध्यक्ष नरेश कुमार गर्ग और प्रबंध निदेशक प्रदीप कुमार गर्ग के खिलाफ वास्को पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया। दोनों ही सेना के जवानों पर इमारत के निर्माण के दौरान उचित देखभाल और सुरक्षा उपाय न करने का आरोप लगाया गया था। इसके कारण छठी मंजिल से गिरकर नाबालिग लड़के की मौत हो गई। साथ ही, खिड़की की ग्रिल भी दीवार पर ठीक से नहीं लगाई गई थी।

इस मामले में गोवा नौसेना क्षेत्र मुख्यालय के डिप्टी नेवल प्रोवोस्ट मार्शल, कमांडर स्टर्ली जॉर्ज द्वारा दायर एक शिकायत में, एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर के पदाधिकारियों और आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए के तहत मामला दर्ज किया गया था। जांच के दौरान तीन और लोगों को आरोपी बनाया गया और जाँच पूरी होने पर, आरोप पत्र दाखिल किया गया, जिस पर सुनवाई लंबित है।

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इस बीच दोनों सैन्य अधिकारियों पर सेना अधिनियम की धारा 69 और भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए के तहत जनरल कोर्ट मार्शल (जीसीएम) द्वारा मुकदमा चलाया गया। दोनों अधिकारियों के संबंध में सेना नियम 51 के तहत उठाई गई ‘अधिकार क्षेत्र की दलील’ को जीसीएम द्वारा स्वीकार किए जाने पर कोर्ट मार्शल समाप्त हुआ।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए दोनों अधिकारियों के वकील, ब्रिगेडियर जनेश खेड़ा (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सेना नियमों के प्रावधानों के अनुसार अधिकारियों को एक और कोर्ट मार्शल बुलाने की अनुमति थी, जो इस मामले में नहीं किया जा सका क्योंकि मुकदमा एक निश्चित समय सीमा के कारण स्थगित हो गया था। बाद में, रक्षा मंत्रालय ने सीआरपीसी की धारा 197 के तहत दोनों सैन्य अधिकारियों पर एक आपराधिक अदालत में मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी।

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कहां बना है दिल्ली BJP का नया दफ्तर, चल गया पता, पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन

दिल्ली बीजेपी को अपना स्थायी कार्यालय मिल गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दीन दयाल उपाध्याय मार्ग पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की दिल्ली इकाई के नए कार्यालय का सोमवार को उद्घाटन करेंगे। दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने रविवार को यह जानकारी दी। वीरेंद्र सचदेवा ने कार्यालय का निर्माण पूरा होने पर भाजपा कार्यकर्ताओं को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 9 जून 2023 को कार्यालय का ‘भूमि पूजन’ किया था।

वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “पार्टी की स्थापना के बाद पहला कार्यालय अजमेरी गेट पर खोला गया था। इसके बाद कुछ समय के लिए कार्यालय को रकाबगंज रोड पर स्थानांतरित किया गया और लगभग 35 वर्षों तक 14 पंडित पंत मार्ग पर स्थित कार्यालय से काम किया गया। अब पार्टी कार्यालय कल दीन दयाल उपाध्याय मार्ग स्थित नये भवन में स्थानांतरित हो जाएगा। यह यात्रा संघर्ष से भरी रही है, फिर भी उल्लेखनीय है।”

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने घोषणा की है कि सोमवार को सप्तमी नवरात्रि के पावन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजधानी में नए भाजपा कार्यालय का उद्घाटन करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का आभारी है। उन्होंने कहा, “उनके दूरदर्शी नेतृत्व में ही संगठन ने देश के प्रत्येक राज्य की राजधानी और जिले में पार्टी कार्यालय बनाने का लक्ष्य रखा था। इस मिशन के तहत, दिल्ली प्रदेश कार्यालय से संबंधित लंबे समय से लंबित भूमि विवादों का न केवल समाधान किया गया, बल्कि निर्माण भी पूरा हुआ। आज, दिल्ली के सभी 14 संगठनात्मक जिलों के अपने कार्यालय हैं।”

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उद्घाटन स्थल पर प्रधानमंत्री मोदी के अलावा जेपी नड्डा, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, दिल्ली भाजपा के कई वरिष्ठ और दिग्गज कार्यकर्ता, कई केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय पदाधिकारी, दिल्ली के सांसद, विधायक, पार्षद और हजारों पार्टी कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे।

चैतन्यानंद को पटियाला हाउस कोर्ट ने 5 दिन की पुलिस हिरासत में भेजा, लड़कियों ने लगाया था यौन उत्पीड़न का आरोप

Chaitanyanand Molestation Case: कॉलेज के डायरेक्टर रहते हुए छात्राओं के साथ छेड़खानी करने के मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने स्वामी चैतन्यानंद को झटका दिया है। कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामले में चैतन्यानंद को 5 दिन की पुलिस हिरासत भेजा दिया है। बता दें कि चैतन्यानंद श्री शारदा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन मैनेजमेंट रिसर्च नामक कॉलेज का पूर्व अध्यक्ष था, जो कि अगस्त के महीने से फरार चल रहा था।

बता दें कि 62 साल के स्वयंभू धर्मगुरु स्वामी चैतन्यानंद सरस्वती को छात्राओं के साथ सामूहिक छेड़छाड़ के आरोपों के बाद गिरफ्तार किया गया था। उसकी अंतरिम जमानत याचिकाओं कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

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#UPDATE | Delhi’s Patiala House Court sends accused Partha Sarthy alias Chaityananda Saraswati to 5-day police custodyHe is accused of allegedly molesting female students pursuing PGDM courses under the EWS scholarship and forgery. https://t.co/y5lFllQ0PU

पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि उसने कई महिलाओं के साथ छेड़खानी की, उनसे यौन संबंध बनाने की मांग तक की, जिसको लेकर कई पीड़िताओं ने गवाही भी दी। आरोप लगाने वाले पक्ष की तरफ से कहा गया कि चैतन्यानंद ने छात्राओं को धमकियां दी थीं।

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आरोप है कि स्वामी चैतन्यानंद कॉलेज की लड़कियों पर हमेशा नजर रखता था। उनकी गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए उसने सीसीटीवी कैमरे तक लगवाए थे। हैरानी की बात यह भी है कि उसने कुछ कैमरे तो महिला बाथरूम में भी इन्सटॉल करवाए थे। लगभग 16 लड़कियों ने इस मामले में शिकायत की थी। कई अन्य आरोपों की पुष्टि की जानी है।

आरोपी चैतन्यानंद के वकील ने पुलिस की दलील का विरोध किया। बाबा ने कहा कि मुझे अपने वस्त्र पहनने की अनुमति नहीं है। आप मुझे परेशान करने के लिए ही पुलिस हिरासत चाहते हैं। अगर आपको लगता है कि (महिलाओं को) कोई खतरा है, तो मुझे न्यायिक हिरासत में लेकर उसका मुकाबला किया जा सकता है।

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Operation Mahadev: लिडवास में सेना का ‘ऑपरेशन महादेव’ जारी, 3 आतंकी ढेर

Operation Mahadev: जम्मू-कश्मीर के लिडवास में सेना का ऑपरेशन महादेव जारी है। चिनार कॉर्प्स ने एक जारी बयान में सिर्फ इतना कहा है कि कॉन्टैक्ट इस्टैब्लिश हो चुका है और ऑपरेशन अभी जारी है। आर्मी ने बताया है कि अब तक तीन आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिन आतंकियों को घेरा गया है, उनका कनेक्शन पहलगाम हमले से हो सकता है।

जानकारी के लिए बता दें कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने 26 पर्यटकों को मौत के घाट उतार दिया था। उस आतंकी हमले के बाद ही भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया, इस कार्रवाई का नाम ऑपरेशन सिंदूर रखा गया था। दावा हुआ कि 100 से ज्यादा आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया।

अब पाकिस्तान में मौजूद आतंकी ठिकाने तो ध्वस्त हुए, लेकिन एक सवाल कायम रहा- पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले दोषी कहां हैं? उनकी पहचान कब तक होने वाली है? अब इस समय जो ऑपरेशन महादेव चल रहा है, उसी को लेकर चर्चा है कि इसके जरिए पहलगाम के दोषियों तक पहुंचा जा सकता है, संभावना यह भी जता दी गई है कि सेना ने जिन आतंकियों को घेरा है, उनका हाथ 22 अप्रैल के हमले में हो सकता है।

बताया जा रहा है कि इस ऑपरेशन को संयुक्त रूप से सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर अंजाम दिया है, जिन आतंकियों को भी मौत के घाट उतारा गया है, उनका कनेक्शन TRF से हो सकता है। TRF वही आतंकी संगठन है जिसने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी, कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने भी उसे ग्लोबल टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन घोषित कर दिया था।

जिन आतंकियों को सेना ने मार गिराया है, उनके पास से भारी हथियार भी बरामद हुए हैं। तीनों ही आतंकी घने जंगलों में छिपे हुए थे, लेकिन उनकी कुछ संदिग्ध बातचीत सामने आई और उसी से इनपुट लेते हुए ऑपरेशन महादेव चलाया गया।

‘जांच पूरी होने का क्यों किया इंतजार?’ जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

Justice Yashwant Varma News: इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर ही सवाल उठाए। आंतरिक जांच समिति ने नकदी बरामदगी विवाद में जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी पाया था।

जब जस्टिस यशवंत वर्मा मार्च में दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे तो उनके सरकारी आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में जली हुई नकदी मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की पीठ ने वर्मा की पैरवी करने वाले वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि जस्टिस जांच समिति के सामने क्यों पेश हुए? क्या आप अदालत इसलिए आए थे कि वीडियो हटा दिया जाए?

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सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा पर सवाल खड़े किए और कहा कि आपने जांच पूरी होने और रिपोर्ट जारी होने का इंतज़ार क्यों किया? क्या आप समिति के पास यह सोचकर नही गए, कि शायद आपके पक्ष में फैसला आ जाए?’ न्यायालय ने न्यायमूर्ति वर्मा से उनकी याचिका में बनाए गए पक्षकारों को लेकर सवाल किए और कहा कि उन्हें उनकी याचिका के साथ आंतरिक जांच रिपोर्ट दाखिल करनी चाहिए थी।

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जस्टिस वर्मा की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने पीठ के समक्ष कहा कि अनुच्छेद 124 (सुप्रीम कोर्ट की स्थापना और गठन) के तहत एक प्रक्रिया है और किसी न्यायाधीश के बारे में सार्वजनिक तौर पर बहस नहीं की जा सकती है। सिब्बल ने कहा कि संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट पर वीडियो जारी करना, सार्वजनिक टीका टिप्पणी और मीडिया द्वारा न्यायाधीशों पर आरोप लगाना प्रतिबंधित है।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह एक पन्ने पर ‘बुलेट प्वाइंट’ में लिख कर लाएं और वर्मा की याचिका में पक्षकार बनाए गए लोगों के ज्ञापन को सही करें। न्यायालय अब इस मामले पर 30 जुलाई को सुनवाई करेगी। जस्टिस यशवंत वर्मा ने भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा आठ मई को की गई उस सिफारिश को भी रद्द किए जाने का अनुरोध किया था, जिसमें उन्होंने (खन्ना) संसद से उनके (वर्मा) खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया था।

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अपनी याचिका में जस्टिस वर्मा ने कहा कि जांच ने साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी बचाव पक्ष पर डाल दी, जिसके तहत उनके विरुद्ध लगाए गए आरोपों की जांच करने और उन्हें गलत साबित करने का भार उन पर डाल दिया गया है। जस्टिस वर्मा ने आरोप लगाया कि समिति की रिपोर्ट पहले से तय धारणा पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि जांच की समय-सीमा केवल कार्यवाही को जल्द से जल्द समाप्त करने की इच्छा से प्रेरित थी, चाहे इसके लिए “प्रक्रियात्मक निष्पक्षता” से ही क्यों न समझौता करना पड़े।

जस्टिस वर्मा की याचिका में तर्क दिया गया कि जांच समिति ने वर्मा को पूर्ण और निष्पक्ष सुनवाई का अवसर दिए बिना ही उनके खिलाफ निष्कर्ष निकाल दिया। घटना की जांच कर रही जांच समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार के सदस्यों का स्टोर रूम पर गुप्त या सक्रिय नियंत्रण था, जहां आग लगने की घटना के बाद बड़ी मात्रा में आधी जली हुई नकदी मिली थी, जिससे उनका कदाचार साबित होता है, जो इतना गंभीर है कि उन्हें हटाया जाना चाहिए।

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थाईलैंड ने F-16 विमान से कंबोडिया पर किया अटैक, जानिए क्यों आपस में भिड़े हुए हैं दोनों बौद्ध देश

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच तनाव चरम पर हैं। अब थाईलैंड ने कंबोडिया पर F-16 फाइटर जेट के जरिए बमबारी की है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने थाईलैंड आर्मी के हवाले से बताया कि थाईलैंड – कंबोडिया की सीमा पर थाईलैंड द्वारा तैनात किए गए छह F-16 फायटर जेट्स में से एक ने गुरुवार को कंबोडिया पर बम गिराए और एक मिलिट्री टारगेट को नष्ट कर दिया।

गुरुवार सुबह इन दोनों ही बौद्ध देशों ने गुरुवार सुबह एक-दूसरे पर अटैक करने के आरोप लगाए। थाईलैंड आर्मी की डिप्टी स्पोक्स पर्सन ऋचा सुक्सुवानोन ने बताया कि उन्होंने प्लान के मुताबिक मिलिट्री टारगेट्स के खिलाफ हवाई ताकत का इस्तेमाल किया है।

कंबोडिया की डिफेंस मिनिस्ट्री ने बताया कि थाईलैंड के विमानों ने सड़क पर बम गिराए। उन्होंने कहा कि वे “कंबोडिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के विरुद्ध थाईलैंड के लापरवाह और क्रूर सैन्य आक्रमण की कड़ी निंदा करते हैं।”

रॉयटर्स द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, दोनों बौद्ध देशों के बीच तनाव तब और ज्यादा गहरा गया, जब थाईलैंड ने कंंबोडिया से अपना राजदूत वापस बुला लिया और कहा कि वो कंबोडिया के राजदूत को वापस भेज देंगे। इससे पहले थाईलैंड ने कंबोडिया पर आरोप लगाया कि उसने विवाद वाले इलाके में लैंड माइन बिछाई हुई हैं, जिससे एक हफ्ते के भीतर दूसरे थाई सैनिक ने अपने अंंग खो दिए। थाईलैंड का कहना है कि कंबोडिया से टकराव में उसके नौ नागरिकों मारे जा चुके हैं। कंबोडिया का कहना है कि जिन लैंड माइन्स की बात थाईलैंड कर रहा है, वो दशकों पर सिविल वार के समय की हैं। हालांकि थाईलैंड मानता है कि सीमावर्ती एरिया में ये लैंडमाइन हाल में बिछाए गए हैं।

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थाईलैंड के विदेश मंत्रालय ने कहा कि कंबोडिया के सैनिकों ने उसके मिलिट्री बेस पर गुरुवार सुबह हैवी आर्टिलरी फायरिंग की और अस्पताल सहित उसके सिविलियन एरिया को निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि अगर कंबोडिया अपने हमले और थाईलैंड की संप्रभुता के उल्लंघन पर अड़ा रहा तो रॉयल थाई सरकार अपनी आत्मरक्षा के उपायों को और तेज करने के लिए तैयार है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, थाईलैंड के सीमावर्ती सुरिन राज्य के लोगों ने कंक्रीट से बने आश्रय स्थलों में पनाह ली हुई है। इन जगहों के आसपास रेत की बोरियां और कार के टायर लगाए गए हैं। एक महिलाल ने थाईलैंड की सरकारी टीवी चैनल को बताया कि अनगिनत गोलियां उनकी तरफ दागी गईं।

कंबोडिया के विदेश मंत्रालय े कहा कि थाईलैंड की तरफ से बिना किसी उकसावे के बावजूद एयर स्ट्राइक की गई। कंंबोडिया ने अपने पड़ोसी से अपनी सेना वापस बुलाने और ऐसी किसी भी एक्शन से बचने के लिए कहा, जिससे हालात बिगड़ें।”

थाईलैंड और कंबोडिया अपनी 817 किलोमीटर लंबी बॉर्डर शेयर करते हैं। 100 सालों से भी अधिक समय से दोनों देश अपनी सीमा पर अन-मार्क्ड पॉइंट्स पर कंट्रोल को लेकर संघर्षरत हैं। इस वजह से कई वर्षों से झड़पें हो रही हैं और इन झड़पों में कम से कम एक दर्जन मौतें हो चुकी हैं। इनमें साल 2011 में एक हफ्ते तक चली आर्टिलरी फायरिंग भी शामिल है। इस साल मई में विवाद तब फिर से बढ़ गया, जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच फायरिंग हुई और कंबोडिया के एक सैनिक की मौत हो गई। इस वजह से राजनयिक संकट भी पैदा हो गया।

आखिर चार साल बाद पाकिस्तान के लिए पिघला यूएस, आतंक से जंग के नाम पर बाइडेन एडमिनिस्‍ट्रेशन ने दी 450 मिलियन डॉलर की F-16 डील को मंजूरी

India-UK FTA News: सॉफ्ट ड्रिंक्स, कॉस्मेटिक्स, मेडिकल उपकरण होंगे सस्ते… ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते से भारत को कितना फायदा होगा?

UK India Vision 2035: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन के दौरे पर हैं और इस दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच Free Trade Agreement (FTA) पर दस्तखत किए गए हैं। कहा जा रहा है कि इससे दोनों देशों के बीच होने वाला व्यापार हर साल 34 बिलियन डॉलर तक बढ़ जाएगा और यह दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को एक नया आकार देने वाला साबित होगा।

इसके साथ ही दोनों देश ट्रेड, डिफेंस, एजुकेशन और जलवायु से जुड़े मुद्दों को लेकर UK-India Vision 2035 रोड मैप को सामने रखेंगे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इसे एक ऐतिहासिक समझौता बताया है।

अब बात करते हैं कि भारत के लिए इस समझौते में क्या है, यानी भारत को इससे क्या फायदा होगा?

इस समझौते के होने के बाद भारत की कंपनियों को ब्रिटिश मार्केट में ज्यादा पहुंच मिलेगी, टैरिफ कम होंगे और इससे व्यापार करना आसान होगा। जबकि ब्रिटिश एक्सपोर्टर्स के लिए वहां के प्रोडक्ट जैसे कि- सॉफ्ट ड्रिंक, कॉस्मेटिक, मेडिकल इक्विपमेंट और ऑटोमोबाइल पर लगने वाले टैरिफ 15% से घट कर सिर्फ 3 प्रतिशत रह जाएंगे और इससे भारत के लोगों के लिए स्वाभाविक रूप से इनकी कीमतें कम हो जाएंगी। यानी ये प्रोडक्ट सस्ते हो जाएंगे।

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ब्रिटेन हर साल भारत से 11 अरब डॉलर के सामान का आयात करता है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि इस समझौते के होने के बाद ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर नौकरियों के मौके बनेंगे। खुद प्रधानमंत्री स्टारमर ने कहा है कि इस समझौते से देश के हर कोने में विकास को रफ्तार मिलेगी।

समझौते के होने के बाद व्यापार करने में आने वाली मुश्किलें भी कम होंगी और व्यापार से जुड़ी प्रक्रियाओं को सरल बनाया जाएगा। भारत सरकार की ओर से कहा गया है कि यह समझौता काफी व्यापक है और ब्रिटेन के साथ रणनीतिक संबंधों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

लगभग 99% भारतीय प्रोडक्ट्स को ब्रिटिश बाज़ार में duty-free access मिलेगा। इसमें कपड़ा, फुटवियर, आभूषण, ऑटो कंपोनेंट, मशीनरी, रसायन, खेल के सामान, फर्नीचर और दवा जैसे क्षेत्रों के उत्पाद शामिल हैं।

स्कॉच व्हिस्की और जिन (Scotch whisky and gin) पर आयात शुल्क 150% से घटकर 75% हो जाएगा। अगले 10 सालों में यह घटकर 40% हो जाएगा। यूके में बनी कारों पर भारत में 100% से ज्यादा टैक्स लगता है लेकिन अब यह घटकर सिर्फ 10% होगा, लेकिन ऐसा कोटे के आधार पर होगा।

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फुटवियर के मामले को देखें तो भारतीय कंपनियों को Zero-duty access मिलेगा। इससे आगरा, कानपुर और चेन्नई के मैन्युफैक्चरर को फायदा होगा। भारतीय EV और हाइब्रिड वाहन बनाने वाली कंपनियों को UK में निर्यात पर कम टैक्स देना होगा। इससे Tata Motors और Mahindra Electric को फायदा होगा।

इसके अलावा ऑटो कम्पोनेंट और इंजीनियरिंग सामान, मेडिकल उपकरण और फर्नीचर, खिलौने-खेल के सामान बनाने वाली कंपनियों को भी इस डील के होने के बाद मुनाफा होगा।

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Fact Check: दुबई में आई बाढ़ का पुराना वीडियो नई दिल्ली एयरपोर्ट का बताकर वायरल, दावा झूठा

लाइटहाउस जर्नलिज्म को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक वीडियो मिला जो तेजी से वायरल हो रहा था। इस वीडियो में दावा किया गया था कि इसमें नई दिल्ली हवाई अड्डे पर आई बाढ़ को दिखाया गया है।

जांच के दौरान, हमने पाया कि यह वीडियो वास्तव में दुबई का है, न कि नई दिल्ली का। वायरल दावा भ्रामक है।

X यूज़र HASSAN ने इस वीडियो को एक भ्रामक दावे के साथ साझा किया।

Airplane 🛫✈️ ocean 🌊 me take off karte howe. Aase manzar kabhi nahi dehka hoga.#DelhiRains #Airport pic.twitter.com/1wtNe1A9rc

अन्य यूज़र भी इसी तरह के दावे के साथ यह वीडियो साझा कर रहे हैं।

दिल्ली एयरपोर्ट तो समन्दर बन गया..😱 निजामुद्दीन अहमद वारसी pic.twitter.com/IEpHoTreEK

हमने वायरल वीडियो से प्राप्त कीफ्रेम्स पर रिवर्स इमेज सर्च चलाकर जांच शुरू की, जिसमें वीडियो पर मौजूद टेक्स्ट को हटा दिया गया था।

इसके माध्यम से, हमें 2024 में YouTube पर अपलोड किया गया एक वीडियो मिला। वीडियो से पता चला कि इसमें दुबई हवाई अड्डे को दिखाया गया था।

हमें यह वीडियो 2024 में फुल स्काईवे के फेसबुक पेज पर भी मिला।

हमें डेली मेल की X प्रोफ़ाइल पर भी एक समान वीडियो मिला।

🚨 BREAKING: Dubai is UNDERWATER as floods submerge the city pic.twitter.com/XN7hmkA4oJ

हमें joe.co.uk पर एक लेख भी मिला।

आर्टिकल में कहा गया है: दुबई में एक दिन में दो साल के बराबर बारिश होने के बाद भारी बाढ़ आई है। दुबई में आमतौर पर हर साल औसतन केवल 3.12 इंच बारिश होती है। खराब मौसम की स्थिति के कारण दुबई हवाई अड्डे से उड़ानें डायवर्ट और रद्द कर दी गईं जिससे पूरे शहर में हालात बिगड़ गए।

हमें TRT वर्ल्ड के YouTube चैनल पर भी ऐसा ही वीडियो मिला।

निष्कर्ष: दुबई हवाई अड्डे में आई बाढ़ का 2024 का वीडियो नई दिल्ली एयरपोर्ट का बताकर शेयर किया जा रहा है। वायरल वीडियो गुमराह करने वाला है।

शिव मंदिर को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया में युद्ध, भारत किसका करेगा समर्थन?

Thailand-Cambodia War: हजारों साल पुराने शिव मंदिर को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया के बीच में जंग छिड़ चुकी है, रॉकेट दागे जा रहे हैं, जंग में फाइटर जैट भी कूद चुके हैं। माना जा रहा है कि इस युद्ध में चीन भी एक अहम भूमिका निभा सकता है। यहां भी उसके दोनों देशों के साथ रिश्ते अच्छे हैं, लेकिन क्योंकि थाईलैंड के साथ आर्थिक साझेदारी ज्यादा चल रही है, ऐसे में माना जा रहा है कि दबाव कंबोडिया पर बनाया जा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर भारत का क्या स्टैंड रहने वाला है? भारत थाईलैंड का समर्थन करेगा या वो कंबोडिया के साथ जाएगा?

अब इस सवाल का सीधा जवाब है- भारत ऐसे मामलों में ना कभी पूरी तरह थाईलैंड का समर्थन करने वाला है और ना ही वो कंबोडिया का समर्थन करेगा। भारत तो हमेशा की तरह ऐसे मामलों में न्यूट्रल रहता है, वो बैलेंसिंग करने की कोशिश करता है। इसका भी अपना कारण है। बात चाहे थाईलैंड की हो या फिर कंबोडिया की, भारत के दोनों के साथ रिश्ते काफी अच्छे हैं। दोनों देशों के साथ अलग-अल क्षेत्रों में कई सालों से सहयोग चल रहा है। ऐसे में किसी एक देश को समर्थन कर भारत दूसरे के साथ रिश्ते बिगाड़ने का रिस्क नहीं ले सकता।

भारत के थाईलैंड के साथ रिश्ते काफी मजबूत हैं। दोनों ही देश इस समय Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation (BIMSTEC) का हिस्सा हैं, इसके ऊपर एक्ट ईस्ट पॉलिसी की वजह से भी मजबूत साझेदारी देखने को मिलती है। वहीं भारत और थाईलैंड समय-समय पर ज्वाइंट मिलिट्री एक्सरसाइज भी करता है, बात चाहे मैत्री की हो या फिर Siam Bharat की। दोनों ही देशों की नेवी भी समय-समय पर संयुक्त अभ्यास करती रहती है।

व्यापार की बात करें तो भारत और थाईलैंड के बीच में 18 बिलियन डॉलर का कारोबार चलता है। यहां भी ndia-ASEAN Free Trade Agreement के जरिए भारत ट्रेड को और ज्यादा बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। इसके ऊपर इंडिया-म्यांमार-थाईलैंड ट्राइलेट्रल हाईवे का जिक्र करना भी जरूरी है, इस एक हाईवे की वजह से भारत और साउथईस्ट एशिया के बीच में कनेक्टिविटी काफी मजबूत हो जाएगी।

अब बात अगर कंबोडिया की करें तो यह थाईलैंड की तुलना में छोटा और कमजोर देश है, भारत के इसके साथ भी सांंस्कृतिक, व्यापारिक रिश्ते हैं। भारत पिछले कई दशकों से कंबोडिया की आईटी, इंफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन के क्षेत्र में मदद कर रहा है। इसके ऊपर कई मंदिरों का जीर्णोद्धार भी भारत की मदद से हुआ है। भारत तो पिछले कई सालों से कंबोडिया की सेना को भी ट्रेन कर रहा है, वहां भी बड़े स्तर पर मदद दी जा रही है। बात चाहे काउंटर टेररिज्म ट्रेनिंग की हो या फिर कैपिसिटी बिल्डिंग की, भारत ने हमेशा कंबोडिया को सहारा दिया है।

बात अगर व्यापार की करें तो भारत और कंबोडिया में 300-400 मिलियन डॉलर का कारोबार है। यहां भी भारत अब आने वाले समय में एग्रिकल्चर और टेक्सटाइल सेक्टर में भी अपनी साझेदारी बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इसके ऊपर कुछ समय पहले कंबोडिया Mekong-Ganga Cooperation फ्रेमवर्क का भी हिस्सा भी बन चुका है, इससे भारत के साथ सांस्कृति, पर्यटक और शैक्षणिक रिश्ते अच्छे हुए हैं।

यहां पर एक समझने वाली बात यह भी है कि भारत एक्ट ईस्ट पॉलिसी में काफी मानता है, ASEAN देशों के साथ उसके रिश्ते अच्छे रहे, इस बात को प्राथमिकता दी जाती है। मोदी सरकार के आने के बाद तो एक्ट ईस्ट पॉलिसी को और ज्यादा बल मिला है। यहां भी चीन के प्रभाव को कम करने के लिए भी ASEAN देशों के साथ रिश्ते मजबूत करने की कवायद होती है। इसी वजह से जानकार मानते हैं कि थाईलैंड और कंबोडिया के बीच में छिड़ी जंग ना सिर्फ ASEAN देशों के बीच जारी आपसी साझेदारी को झटका देगा बल्कि कहीं ना कहीं भारत की रणनीति को भी नुकसान पहुंचाएगा।

इसी वजह से कहा जा रहा है कि इस बार भी भारत किसी एक देश का साथ नहीं लेने वाला है बल्कि वो शांति पर फोकस करेगा, किस तरह से दोनों देशों को बातचीत की टेबल पर लाया जाए, इस पर जोर दिया जाएगा। वैसी इसी नीति पर भारत रूस-यूक्रेन युद्ध, ईरान-इजरायल जंग में भी चल चुका है, ऐसे में यहां भी उसी सिद्धांत पर आगे बढ़ने की तैयारी है।

चीन की एक रणनीति रही है जहां पर कमजोर देशों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज देकर उन्हें डैप्ट ट्रैप में फंसा लेता है। बात चाहे नेपाल की हो या फिर श्रीलंका की, वो ऐसा कर चुका है, बांग्लादेश के साथ भी ऐसा हो रहा है। इसके ऊपर ऐसे सभी देशों के साथ कई क्षेत्रों में चीन साझेदारी बढ़ता है, कारण स्प्ष्ट है, वो भारत को आगे बढ़ने का और विस्तार करने का मौका नहीं देना चाहता। इसी वजह से इस युद्ध में भी अगर चीन कमजोर कंबोडिया का साथ देता है और भारत खुलकर थाईलैंड के समर्थन में उतर जाता है, तो यह हिंदुस्तान की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के लिए झटका होगा। कंबोडिया अगर औ ज्यादा चीन के करीब गया, उस स्थिति में भी चिंता भारत की बढ़ने वाली है।

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है। यह एक सदी से भी ज़्यादा पुराना है जब कंबोडिया पर फ़्रांसीसी औपनिवेशिक कब्ज़े के दौरान दोनों देशों के बीच सीमाएं पहली बार खींची गई थीं। 2008 में जब कंबोडिया ने विवादित सीमा क्षेत्र में स्थित 11वीं सदी के एक मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में रजिस्टर करने की मांग की तो दोनों देशों के बीच दुश्मनी और बढ़ गई।

इस कदम के बाद थाईलैंड में भयंकर विरोध प्रदर्शन हुए और सशस्त्र संघर्षों की एक श्रृंखला शुरू हो गई, जिसमें सबसे घातक संघर्ष 2011 में हुआ, जब हफ़्ते भर चली लड़ाई में 15 लोग मारे गए और हज़ारों लोग विस्थापित हुए। तब से, समय-समय पर छिटपुट झड़पें होती रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप सैनिकों और नागरिकों दोनों की जानें गईं। मई में सीमा पर हुई झड़प में एक कंबोडियाई सैनिक की मौत के बाद तनाव की यह मौजूदा लहर शुरू हुई। उस घटना ने संबंधों को एक दशक से भी ज़्यादा समय के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा दिया।

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Snake Rescuer Death: जान ले रही सोशल मीडिया पर सांपों के साथ रील डालने की ‘सनक’, जिंदगी को दांव पर क्यों लगा रहे लोग?

Snake Rescuer Deepak Mahawar: सोशल मीडिया पर आपने कई ऐसी रील देखी होंगी जिसमें लोग अपने गले में या हाथों में सांप को लेकर खतरनाक स्टंट करते दिखाई देते हैं। इस तरह की सनक या कुछ हटकर करने की कोशिश जानलेवा साबित हो रही है। ऐसा सिर्फ लोग सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए करते हैं और पैसा कमाने के लिए भी लेकिन वे इतना भी नहीं सोचते कि इसमें कहीं उनकी जान चली गई तो?

क्या सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए हम अपनी जान को दांव पर लगा सकते हैं, क्या ये निहायत ही बेवकूफी भरा काम नहीं है? आइए कुछ ऐसे मामलों को देखते हैं जिनमें सांपों को बचाने वाले स्नेक रेस्क्यूर्स कैसे अपनी जान गंवा चुके हैं।

हाल ही में मध्य प्रदेश के गुना जिले में दीपक महावर की मौत हो गई। मौत के बाद दीपक महावर की एक क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें उनके गले में कोबरा लटका हुआ था लेकिन इस जहरीले सांप के काटने की वजह से उनकी जान नहीं बच सकी।

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6 जुलाई को बिहार के वैशाली में ‘सर्प मित्र’ कहे जाने वाले जेपी यादव की कोबरा के काटने से मौत हो गई। इसी साल मई में बिहार में कोबरा बचाओ अभियान के दौरान समस्तीपुर में ‘स्नेक मैन’ जय कुमार साहनी को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इस साल मार्च में ही तमिलनाडु के कोयंबटूर में भी संतोष कुमार के साथ ऐसा ही हुआ और अगस्त 2023 में सांपों को बचाने वाले के. मुरली की रसेल वाइपर नाम के सांप के काटने की वजह से मौत हो गई।

2023 में कर्नाटक के ‘सांप’ कहे जाने वाले नरेश अपने स्कूटर में एक कोबरा सांप को रखकर ले जा रहे थे जिसने उन्हें काट लिया और उनकी मौत हो गई। 2021 में राजस्थान के पाली में ‘snake expert’ मनीष वैष्णव की मौत हो गई थी। मनीष वैष्णव को फेसबुक लाइव के दौरान कोबरा ने काट लिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी।

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सोशल मीडिया पर ऐसा देखा गया है कि सांप को लेकर किए जाने वाले स्टंट काफी वायरल होते हैं और लोग अपने फॉलोवर्स की संख्या बढ़ाने के लिए सांप के साथ स्टंट करते हैं। इससे उन्हें नाम और पैसा भी मिलता है लेकिन कई बार इसमें जान भी चली जाती है। जैसा हमने ऊपर आपको कुछ उदाहरण में बताया है।

कई लोग सिर्फ सोशल मीडिया पर पॉपुलर होने और पैसे कमाने के लिए ही सांपों के साथ बेहद खतरनाक स्टंट करते हैं जबकि कुछ लोग सांपों को बचाने के काम से पैसे कमाने के लिए जुड़े हुए हैं। कई लोगों की मौत होने के बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी गंभीर चर्चा हो रही है।

भारत में कई बड़े ‘स्नेक इनफ्लुएंसर’ हैं। जैसे- उत्तर प्रदेश के मुरलीवाले हौसला, उनके यूट्यूब पर 1.6 करोड़ सब्सक्राइबर और इंस्टाग्राम पर 36 लाख फॉलोअर हैं। छत्तीसगढ़ के कमल चौधरी के यूट्यूब पर 12 लाख, कर्नाटक के स्नेक हरिहा के 2 लाख सब्सक्राइबर हैं। इसके अलावा भी कई ऐसे यूटयुबर्स हैं जो सांपों के साथ वीडियो बनाकर लगभग एक लाख सब्सक्राइबर बना चुके हैं।

भारत के कई राज्यों में सांपों को बचाने के लिए नियम बनाए गए हैं। ज्यादातर जगहों पर फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को सांपों को पकड़ने के लिए ऐसे ही ‘स्नेक रेस्क्यूर्स’ के भरोसे रहना पड़ता है। विशेष रूप से बरसात के मौसम में सांपों के मिलने की घटनाएं बहुत ज्यादा होती हैं।

मध्य प्रदेश में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के एक सीनियर अफसर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमारे पास प्रशिक्षित लोगों की कमी है और इसलिए हमें प्राइवेट लोगों की सेवाएं लेनी पड़ती हैं।

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भारत में सांपों की चार खतरनाक प्रजातियां हैं और यह सांप बेहद जहरीले हैं। इनमें krait (Bungarus caeruleus), cobra (Naja naja) saw-scaled viper (Echis carinatus) और (Russell’s viper) हैं। सांपों के साथ किसी प्रकार का स्टंट करना, उनके साथ करतब दिखाना, उन्हें छेड़ना वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत अपराध है और इसके लिए सजा भी हो सकती है लेकिन बावजूद इसके लोग ऐसा धड़ल्ले से करते हैं।

Wildlife Trust of India के मुख्य अधिकारी जोस लुइस बताते हैं, “बचाव के दौरान सांप उत्तेजित होता है और अगर उसे काटने का मौका मिलता है तो वह ज्यादा मात्रा में जहर छोड़ सकता है।” जबलपुर के विवेक शर्मा बताते हैं कि सांपों को बचाने वाले ज्यादातर लोग 40 साल से कम उम्र के हैं, कम पढ़े-लिखे हैं और सामान्य घरों से आते हैं। उनके सामने आर्थिक मजबूरियां होती हैं और वह इस काम में होने वाले जोखिम का अंदाजा नहीं लगा पाते।

सांप को बचाना बेहद ही जिम्मेदारी भरा और जोखिम वाला काम है। इसे उन्हीं लोगों को करना चाहिए जिन्हें इसकी जानकारी हो। सोशल मीडिया पर वायरल होने के लिए इस तरह का कॉन्टेंट बनाना आपकी जान पर भारी पड़ सकता है।

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