Mahakumbh 2025: पाकिस्तान से पहली बार महाकुंभ आए 50 लोग, बोले- अपनी संस्कृति को जानने का मौका भारत आकर मिला

भारत-पाकिस्तान के संबंध आमतौर पर तनावपूर्ण ही रहते हैं। लेकिन, इस सबके बीच पाकिस्तान से पहली बार 50 लोग महाकुंभ आए हैं। सोशल मीडिया पर महाकुंभ की दिव्यता के बारे में देख-सुनकर पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हिंदू श्रद्धालु खुद को यहां आने से रोक न सके। गुरुवार को सिंध से 68 हिंदू श्रद्धालुओं का एक जत्था प्रयागराज पहुंचा।

मेला क्षेत्र के सेक्टर-9 में स्थित श्रीगुरुकार्ष्णि के शिविर में ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में सिंध से आए गोबिंद राम माखीजा ने बताया, “हमने जब से महाकुंभ मेले के बारे में सुना है, तब से हमारी इच्छा थी कि हम यहां आएं। हम खुद को यहां आने से रोक नहीं सके।” मखीजा ने कहा, “पिछले साल अप्रैल माह में 250 लोग पाकिस्तान से प्रयागराज आए थे और गंगा में डुबकी लगाई थी। इस बार सिंध के छह जिलों-गोटकी, सक्कर, खैरपुर, शिकारपुर, कर्जकोट और जटाबाल से 68 लोग प्रयागराज पहुंचे हैं, जिनमें करीब 50 लोग पहली बार महाकुंभ में आए हैं।”

गोबिंद माखीजा ने आगे कहा, “यहां अजब आनंद आ रहा है, बेहद खुशी हो रही है, यहां का अनुभव बयां करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। कल हम गंगा में डुबकी लगाएंगे। यहां आने पर हमें सनातन धर्म में जन्म लेने के गौरव की अनुभूति हो रही है।”

सिंध प्रांत के गोटकी से आई 11वीं कक्षा की छात्रा सुरभि ने बताया कि वह पहली बार भारत आई है। उसने कहा, “यहां पहली बार हमें अपने धर्म को गहराई से देखने-जानने का मौका मिल रहा है। बहुत अच्छा लग रहा है।” वहीं, सिंध से आई प्रियंका ने कहा, “मैं पहली बार भारत और इस महाकुंभ में आई हूं। यहां अपनी संस्कृति को देखकर बहुत दिव्य अनुभव हो रहा है। मैं गृहिणी हूं और भारत आना मेरा सबसे बड़ा सौभाग्य है। हम पैदा ही वहां हुए और मुस्लिमों के बीच ही रहे। सिंध प्रांत में हिंदुओं के साथ बहुत भेदभाव नहीं है, जैसा कि मीडिया दिखाती है। लेकिन अपनी संस्कृति को जानने का मौका हमें यहां आकर मिल रहा है।”

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भारत में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर अपने विचार प्रकट करते हुए सक्कर जिले से आए निरंजन चावला ने कहा, “सिंध में ऐसा माहौल नहीं है कि लोग भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करें। लेकिन कुछ इलाकों में हिंदुओं के लिए थोड़ी मुश्किले हैं।” चावला ने आगे कहा, “मैं भारत सरकार से निवेदन करना चाहूंगा कि वीजा जारी करने की प्रक्रिया थोड़ी आसान की जाए। अभी वीजा मिलने में 6 महीने लग जाते हैं। हालांकि, यहां आए जत्थे को सरलता से वीजा दिया गया, जिसके लिए हम भारत सरकार को धन्यवाद देते हैं।”

निरंजन चावला ने बताया, “कल रात हम महाकुंभ के इस शिविर में आए और 8 फरवरी को यहां से रायपुर जाएंगे, जिसके बाद हम हरिद्वार की यात्रा करेंगे। हमारे जत्थे में लोग छह अस्थि कलश लेकर आए हैं, जिन्हें वे हरिद्वार में विसर्जित करेंगे। हम लोग आज शाम को अखाड़ों के साधु-संतों से मिलने जाएंगे और पूरे मेला क्षेत्र का भ्रमण करेंगे।” पढ़ें- ‘इलाहाबाद हाई कोर्ट जाइए’, महाकुंभ भगदड़ को लेकर सुप्रीम कोर्ट की दो टूक

(इनपुट-भाषा)

PVTG Yojana: मोदी सरकार ने क्यों रोका उत्तर प्रदेश को दिया जाने वाला पैसा? केंद्रीय मंत्री ने बताई वजह; इन राज्यों को भी लगा झटका

PVTG Yojana: केंद्र सरकार ने हाल ही में एक बड़ी जानकारी देते हुए बताया कि उसने PVTG योजना के तहत राज्यों के दिए जाने वाले फंड में से कई राज्यों को झटका दिया है। इन राज्यों को केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) ने उनके हिस्से का पैसा नहीं दिया है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि इसमें बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश भी है, जहां पार्टी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का शासन है।

जानकारी के मुताबिक, केंद्र की मोदी सरकार ने कई राज्यों को 2022-023 में कमजोर जनजातीय समूहों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए योजना का पैसा नहीं मिला है। इसमें उत्तर प्रदेश का नाम होने से सभी चकित है। इसके अलावा योजना के पैसे से वंचित रहने वाले राज्यों में झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, उत्तराखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों का नाम भी है।

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इसको लेकर लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने जवाब दिया और बताया कि यूपी समेत अन्य राज्यों का पैसा PVTG Yojana के तहत क्यों रोका गया है। उन्होंने बताया कि यूपी और अन्य राज्यों ने केंद्र सरकार की शर्तों को पूरा नहीं किया है, जिसके चलते उन्हें योजना के तहत अभी तक कोई पैसा नहीं दिया गया है।

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केंद्रीय मंत्री ने दुर्गादास उइके ने कहा कि 2022-23 के दौरान पीवीटीजी की विकास योजना के तहत झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों को उक्त शर्तों को पूरा नहीं करने के कारण कोई धनराशि जारी नहीं की गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) के सामाजिक-आर्थिक और समग्र विकास के लिए ‘पीवीटीजी का विकास’ योजना लागू की और इस योजना के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रस्तावों के आधार पर धनराशि प्रदान की गई।

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इस योजना के बारे में बता दें कि इसका मुख्य उद्देश्य विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) का विकास है। इस योजना का उद्देश्य कृषि विकास और पशु विकास प्रदान करके PTGs के कल्याण को बढ़ावा देना है, जिससे उनके भरण-पोषण के लिए आय उत्पन्न की जा सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 75 समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए 24,104 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 15 नवंबर, 2023 को प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) की शुरुआत की।

सरकार की इस योजना के 2026 तक जनजातीय समूहों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच, सड़क और दूरसंचार संपर्क, घरों का विद्युतीकरण और स्थायी आजीविका के अवसर जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना है। केंद्र सरकार की अन्य खबरें पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई योगी सरकार को फटकार? यूपी गैंगस्टर एक्ट से जुड़ा है मामला, कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य के गैंगस्टर विरोधी कानून के तहत दर्ज एक मामले में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ अपने जवाब में अप्रचलित मामलों को शामिल करने के कारण वह “प्रॉसिक्यूटर नहीं बल्कि पर्सिक्यूटर” है। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की बेंच ने एक आरोपी की याचिका पर राज्य के हलफनामे का हवाला दिया और सवाल किया कि उसके खिलाफ ऐसे मामले क्यों हैं जिन्हें या तो रद्द कर दिया गया या जिनमें उसे बरी कर दिया गया।

न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, बेंच ने कहा, “आप अपने जवाब में उन मामलों को भी शामिल कर रहे हैं जिन्हें खारिज कर दिया गया है और जिनमें याचिकाकर्ता को बरी कर दिया गया है। अगर यह आपकी कार्यप्रणाली है, तो आप प्रॉसिक्यूटर नहीं नहीं, पर्सिक्यूटर हैं।”

इसलिए अदालत ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 के तहत आरोपों का सामना कर रहे चार व्यक्तियों को जमानत दे दी। बेंच ने यूपी सरकार से पूछा, “अगर वह (याचिकाकर्ता) पहले से ही कुछ मामलों में जमानत पर रिहा है, अगर कुछ कार्यवाही रद्द कर दी गई हैं, अगर कुछ कार्यवाही में उसे बरी कर दिया गया है… तो क्या आपके लिए इस कोर्ट के समक्ष फैक्चुअल स्थिति रखना जरूरी नहीं था?”

सुप्रीम कोर्ट में यह आदेश आरोपियों द्वारा दायर चार अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पारित किया गया। आरोपियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के नवंबर 2024 के आदेशों को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि याचिकाकर्ता भाई हैं और 2017 के बाद दर्ज मामलों में उन्हें फंसाया गया है, क्योंकि उनके पिता एक राजनीतिक दल से संबंधित MLC थे।

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उन्होंने कहा कि राज्य की कार्यप्रणाली ऐसी है कि जब याचिकाकर्ताओं को एक मामले में जमानत मिल जाती है तो उनके खिलाफ दूसरी FIR दर्ज कर दी जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्हें कभी राहत न मिले। लूथरा ने राज्य के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि एक याचिकाकर्ता के खिलाफ 28 FIR दर्ज हैं, जबकि अन्य के खिलाफ 15 FIR दर्ज हैं।

उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में राज्य ने आपराधिक पृष्ठभूमि के आधार पर जमानत का विरोध किया, याचिकाकर्ताओं को या तो बरी कर दिया गया या जमानत पर रिहा कर दिया गया और कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने उनमें से कुछ के खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी। लूथरा ने कहा, “मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है। राज्य अथॉरिटी का लगातार यही व्यवहार रहा है कि वे FIR दर्ज करते रहते हैं। मुझे नहीं पता कि मेरा मुवक्किल जेल में सुरक्षित है या बाहर।”

यूपी सरकार के वकील ने जमानत याचिकाओं का विरोध किया और कहा कि दर्ज मामलों में से एक कथित केस गैंगरेप का है। वकील ने सेक्शन 19(4) का हवाला देते हुए कहा कि किसी भी आरोपी को तब तक जमानत पर रिहा नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि पब्लिक प्रॉसिक्यूटर को जमानत का विरोध करने का मौका न दिया जाए और जहां प्रॉसिक्यूटर इसका विरोध करता है। रिपोर्ट के अनुसार, कोर्ट संतुष्ट थी कि यह मानने के लिए उचित आधार थे कि आरोपी ऐसे अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर रहते हुए उसके द्वारा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है।

बेंच ने उसके सामने पेश किए गए एक चार्ट से पता चलता है कि याचिकाकर्ता कई मामलों में संलिप्त थे, लेकिन अधिकतर मामलों में याचिकाकर्ता या तो जमानत पर रिहा हो गए या बरी हो गए। बेंच ने यह भी कहा कि कुछ मामलों में, इस कोर्ट  ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी। कथित गैंगरेप केस पर कोर्ट ने कहा कि जुलाई 2022 में सहारनपुर की एक ट्रायल कोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन राज्य सरकार ने ढाई साल बाद भी इसे रद्द करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

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हाथों में बेड़ियां, पैर तक जंजीरों में बंधकर बच्चे के साथ भारत आई पीड़िता की कहानी, 1 करोड़ गंवा कर ‘डंकी रूट’ से पहुंची थी US

Indians Deport from US: अमेरिका ने अवैध रूप से अपी सीमा में घुसे भारतीयों को भी डिपोर्ट करना शुरू कर दिया है। 5 फरवरी को अमेरिकी एयरफोर्स का एक विमान भारत के अमृतसर में भी उतरा, जिसमें अवैध रूप से अमेरिका में घुसे 104 भारतीयों को जंजीरों में बांधकर भारत लाए गए। इनमें पंजाब के कपूरथला की रहने वाली लवप्रीत नाम की महिला भी थीं, जो कि 1 करोड़ से ज्यादा रुपये खर्च करके अमेरिका पहुंची थीं और उन्हें मेक्सिको बॉर्डर पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था।

दरअसल, इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कपूरथला जिले के भोलाथ इलाके में रहने वाली 30 साल की लवप्रीत ने बताया कि उन्होंने अपने 10 साल के बच्चे के बेहतर फ्यूचर के लिए अमेरिका जाने का निर्णय लिया था। उन्होंने इसके लिए एजेंट को 1 करोड़ रुपये भी दिए थे और एजेंट ने उनसे डायरेक्ट अमेरिका ले जाने का वादा किया था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

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लवप्रीत ने 2 जनवरी को अपने दस साल के बेटे के साथ अमेरिका जाने के लिए निकली थी। एक महीने से भी ज़्यादा समय बाद जब वो ‘डंकी रूट’ के जरिए मेक्सिको बॉर्डर होते हुए 27 जनवरी को अमेरिका पहुंचीं थीं, तो उन्हें अमेरिकी सुरक्षाबलों ने गिरफ्तार कर लिया था। लवप्रीत ने कहा कि एजेंट ने हमारे परिवार से कहा कि वे हमें सीधे अमेरिका ले जाएंगे। लेकिन हमें जो सहना पड़ा, वह हमारी उम्मीद से कहीं ज़्यादा था।

लवप्रीत ने कहा कि उन्हें कोलंबिया के मेडेलिन ले जाया गया और वहां करीब दो सप्ताह तक रखा गया, उसके बाद उन्हें विमान से सैन साल्वाडोर ले जाया गया। वहां से हम तीन घंटे से अधिक समय तक पैदल चलकर ग्वाटेमाला पहुंचे, फिर टैक्सियों से मैक्सिकन सीमा तक पहुंचे। दो दिन मैक्सिको में रहने के बाद, वे आखिरकार 27 जनवरी को अमेरिका पहुंचे थे।

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लवप्रीत और अमेरिका पहुंचे अन्य भारतीयों की मुश्किलें तब बढ़ गईं, जब अमेरिकी अधिकारियों ने सीमा पार करने के बाद लवप्रीत और अन्य को हिरासत में ले लिया। उन्होंने बताया कि जब हम अमेरिका पहुंचे, तो उन्होंने हमसे हमारे सिम कार्ड और यहां तक ​​कि झुमके और चूड़ियां जैसे छोटे गहने भी हटाने को कहा था।

पीड़िता ने कहा कि वे पहले ही इतने लंबे सफर में अपना सामान खो चुकी थीं। उन्होंने कहा कि हमें पांच दिनों तक एक शिविर में रखा गया और 2 फरवरी को हमें कमर से लेकर पैरों तक जंजीरों से बांध दिया गया और हमारे हाथों में हथकड़ी लगा दी गई। केवल बच्चों पर ही थोड़ी नरमी बरती गई।

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लवप्रीत ने बताया कि सैन्य विमान में 40 घंटे की यात्रा के दौरान संचार की कमी से वे सभी परेशान थे। उन्होंने कि किसी ने हमें नहीं बताया कि हमें कहां ले जाया जा रहा है, और जब हम आखिरकार भारत पहुंचे, तो हमें झटका लगा। हमें अमृतसर हवाई अड्डे पर बताया गया कि हम भारत पहुंच गए हैं लेकिन ऐसा लगा जैसे हमारे सपने एक पल में ही टूट गए हों।

लवप्रीत ने कहा कि मुझे अपने बेटे के भविष्य और अमेरिका में एक नए जीवन की उम्मीद थी। मेरे परिवार ने एजेंट को भुगतान करने के लिए एक बड़ा ऋण लिया, उम्मीद है कि हमारा भविष्य बेहतर होगा। अब सब कुछ नष्ट हो गया है। हमें बताया गया था कि हम जल्द ही कैलिफ़ोर्निया में अपने रिश्तेदारों के पास होंगे, लेकिन अब मेरे पास दर्द के अलावा कुछ नहीं बचा है।

उन्होंने कहा कि लवप्रीत और उनके परिवार के पास भारत में 1.5 एकड़ ज़मीन है, जहां वह अपने पति और बुज़ुर्ग सास-ससुर के साथ रहती हैं। उनकी मांग है कि सरकार बेईमान एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई करे, जिन्होंने उन्हें और उनके जैसे अन्य लोगों क ठगा है। अमेरिका से संबंधित अन्य सभी खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

Delhi Exit Polls Results 2025: एक और एग्जिट पोल में AAP का झटका, डिटेल में जानिए किस पार्टी को कितनी सीटें मिलने का अनुमान

Delhi Exit Polls Results 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए 5 फरवरी को हुई वोटिंग के बाद आए कई एग्जिट पोल्स के नतीजों में ज्यादातर ने बीजेपी की जीत का अनुमान लगाया है। वहीं एक दिन बाद आज आए एक्सिस माइ इंडिया के एग्जिट पोल्स में भी आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगने का अनुमान है। इस एग्जिट पोल में बीजेपी के 45-55 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने का अनुमान है।

दरअसल, गुरुवार को आए इंडिया टुडे-एक्सिस माइ इंडिया के एग्जिट पोल में बीजेपी को करीब 48 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है। वहीं आम आदमी पार्टी को 42 फीसदी वोट मिलने का ही अनुमान है। इसके अलावा एग्जिट पोल में कांग्रेस को 7 और अन्य के खाते में 3 प्रतिशत वोट जाने का अनुमान लगाया गया है।

Delhi Election Exit Polls Results LIVE

दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग के बाद हुए एक्सिस माइ इंडिया के एग्जिट पोल में सीटों के अनुमान की बात करें तो इसमें भी वोट प्रतिशत की तरह ही बीजेपी और एनडीए ही आगे है। दिल्ली में बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (रामविलास) के तहत चुनाव में उतरी थी।

एक्सिस माइ इंडिया के एग्जिट पोल में बीजेपी को 45-5 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। इसके अलावा सत्ताधारी आम आदमी पार्टी को महज 15-25 सीटें मिलने का अनुमान है। कांग्रेस को 0-1 सीट मिलने की संभावना जताई गई है। वहीं अन्य के खाते में भी एक सीट जा सकती है।

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बता दें कि बीते दिन वोटिंग के बाद आए तमाम एग्जिट पोल्स में बीजेपी को पूर्ण बहुमत का अनुमान लगाया गया है। महज दो एग्जिट पोल्स ही आम आदमी पार्टी की तीसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनने का अनुमान जता रहे हैं, जबकि कुछ में दोनों ही मुख्य दलों के बीच कांटे का मुकाबला भी देखने को मिलने की उम्मीद लगाई गई है।

बीजेपी जहां एग्जिट पोल्स को लेकर उत्साहित नजर आ रही है, तो दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के शीर्ष स्तर के नेताओं से लेकर कार्यकर्ता इन एग्जिट पोल्स को खारिज कर रहे हैं। ऐसे में अब सभी राजनीतिक दलों को 8 फरवरी का इंतजार है, जब सुबह 8 बजे से शुरू होने वाली काउंटिंग के साथ ही स्थिति साफ हो सकती है। दिल्ली चुनाव से संबंधित अन्य सभी खबरों के लिए इस लिंक पर क्लिक करें।

Donkey Route: महीनों की यात्रा, जंगल पार करना… यूरोप से लेकर लैटिन अमेरिकी देशों के रास्ते US पहुंचना, जानें कितना खतरनाक है डंकी रूट का सफर

अमेरिका में रह रहे 104 अवैध प्रवासी भारतीय बुधवार को भारत लौटे। अमेरिकी C-147 प्लेन से अवैध प्रवासी भारतीयों का पहला जत्था भारत पहुंचा। इन निर्वासित भारतीय अप्रवासियों को लेकर एक सैन्य विमान बुधवार दोपहर अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा। विमान में निर्वासित व्यक्तियों में 25 महिलाएं, 12 नाबालिग और 79 पुरुष थे इन निर्वासितों में पंजाब के साथ ही हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के लोग शामिल थे।

निर्वासित लोगों में 33 गुजरात के हैं, 30 पंजाब के हैं जबकि दो-दो निर्वासित उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ से हैं और तीन महाराष्ट्र से हैं। ये सभी भारतीय अवैध तरीके से अमेरिका जाने के लिए ज्यादातर डंकी रूट (Donkey Route) का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या है डंकी रूट और कितना बड़ा है इसका नेटवर्क?

डंकी रूट का मतलब है दुनिया भर में किसी जगह तक पहुंचने के लिए लंबे-घुमावदार और अक्सर खतरनाक रास्ते अपनाना। किसी देश में प्रवास करने के लिए ये कठिन यात्राएं आवश्यक कानूनी परमिट या वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण की जाती हैं। दिल्ली पुलिस की आईजीआई इकाई के विश्लेषण के अनुसार, यात्रियों को उन देशों में भेजा जाता है, जहां वीजा-ऑन-अराइवल की सुविधा है और फिर उन्हें अवैध सीमा पार करके उनके गंतव्य देशों में भेज दिया जाता है।

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अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि फर्जी शेंगेन वीजा वाले यात्रियों को अजरबैजान या कजाकिस्तान जैसे अपेक्षाकृत सुलभ यूरोपीय देशों में भेजा जाता है। वहां से,उन्हें ग्वाटेमाला और कोस्टा रिका जैसे मध्य अमेरिकी या कैरेबियाई देशों के रास्ते अमेरिका भेजा जाता है।

एक अन्य डंकी रूट में पर्यटक वीजा पर तुर्की जाना या वीजा-ऑन-अराइवल पर कजाकिस्तान जाना और वहां से रूस के लिए रूट लेना शामिल है। कुछ मामलों में, यात्री मेक्सिको जाने से पहले नकली शेंगेन वीज़ा प्राप्त कर लेते हैं, जहां उन्हें अराइवल पर वीज़ा मिल जाता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यहां से वे डंकी रूट लेते हैं जो बॉर्डर पॉइंट्स से होकर कई किलोमीटर की यात्रा करके अमेरिका पहुंचते हैं।

भारत से सबसे लोकप्रिय डंकी रूट में पहला कदम लैटिन अमेरिकी देश तक पहुंचना है। इक्वाडोर, बोलीविया और गुयाना जैसे देशों में भारतीय नागरिकों के लिए आगमन पर वीजा की सुविधा है। ब्राजील और वेनेजुएला सहित कुछ अन्य देश भारतीयों को आसानी से पर्यटक वीजा देते हैं। प्रवासी का मार्ग इस बात पर भी निर्भर करता है कि उसके एजेंट के किन देशों में मानव तस्करी नेटवर्क से संबंध हैं। लैटिन अमेरिकी देशों तक पहुंचना कठिन नहीं है। हालांकि, इसमें महीनों लग सकते हैं।

कुछ एजेंट दुबई से मेक्सिको के लिए सीधे वीज़ा की व्यवस्था करते हैं। हालांकि, मेक्सिको में सीधे उतरना ज़्यादा ख़तरनाक माना जाता है क्योंकि स्थानीय अधिकारियों द्वारा गिरफ़्तारी की आशंका रहती है। इसलिए, ज़्यादातर एजेंट अपने ग्राहकों को लैटिन अमेरिकी देश में उतारते हैं और फिर उन्हें कोलंबिया ले जाते हैं। कोई देश अमेरिकी सीमा से जितना नज़दीक होगा भारत से वीज़ा पाना उतना ही मुश्किल होगा।

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कोलंबिया से प्रवासी पनामा में प्रवेश करते हैं। इसमें दोनों देशों के बीच एक खतरनाक जंगल, डेरियन गैप को पार करना शामिल है। यहाँ जोखिम में साफ़ पानी की कमी, जंगली जानवर और आपराधिक गिरोह शामिल हैं। इस क्षेत्र में प्रवासियों को डकैती और यहां तक कि बलात्कार का भी सामना करना पड़ सकता है, यहाँ किए गए अपराध रिपोर्ट नहीं किए जाते और उन्हें सज़ा नहीं मिलती। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो यात्रा में आठ से दस दिन लगते हैं अगर किसी प्रवासी की मृत्यु हो जाती है तो शव को अंतिम संस्कार के लिए घर भेजने का कोई तरीका नहीं है।

कोलंबिया से एक और मार्ग है जो पनामा के जंगल से बचने के लिए सैन एन्ड्रेस से शुरू होता है लेकिन यह ज़्यादा सुरक्षित नहीं है। सैन एन्ड्रेस से प्रवासी मध्य अमेरिका के एक देश निकारागुआ के लिए नाव लेते हैं। अवैध प्रवासियों के साथ मछली पकड़ने वाली नावें सैन एन्ड्रेस से लगभग 150 किलोमीटर दूर फिशरमैन के के तक जाती हैं। वहां से, प्रवासियों को मैक्सिको की ओर आगे बढ़ने के लिए दूसरी नाव से भेजा जाता है।

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संयुक्त राज्य अमेरिका और मेक्सिको को अलग करने वाली 3,140 किलोमीटर लंबी सीमा पर बाड़ लगी हुई है, जिसे प्रवासियों को कूदकर पार करना पड़ता है। कई लोग खतरनाक रियो ग्रांडे नदी को पार करना पसंद करते हैं। सीमा पार करने के बाद प्रवासियों को हिरासत में लिया जाता है और फिर शिविरों में रखा जाता है। अब, उनका भाग्य इस बात पर निर्भर करता है कि अमेरिकी अधिकारी उन्हें शरण के लिए उपयुक्त पाते हैं या नहीं।

आजकल, अमेरिका जाने के लिए एक और आसान डंकी रूट है, कई प्रवासी पहले यूरोप जाते हैं और वहां से सीधे मेक्सिको जाते हैं। यह सब एजेंटों के संपर्कों पर निर्भर करता है। यूरोप से जाना आसान है।

डंकी रूट पर यात्रा करने की औसत लागत 15 लाख से 40 लाख रुपये तक हो सकती है। लेकिन कभी-कभी यह लागत 70 लाख रुपये तक भी हो सकती है। कुछ एजेंट ज़्यादा पैसे के बदले में कम परेशानी वाली यात्रा का वादा करते हैं। भारत में एजेंटों के अमेरिका तक के तस्करों से संबंध हैं। अगर किसी कारण से भारतीय एजेंट भुगतान करने में विफल रहते हैं तो यह प्रवासी के लिए जीवन और मृत्यु का मामला हो सकता है। परिवार अक्सर किश्तों में भुगतान करते हैं।

EXIT POLLS पर अरविंद केजरीवाल का पहला रिएक्शन, बोले – हमारे 16 उम्मीदवारों के पास आए फोन, 15 करोड़ का दिया ऑफर

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर जारी हुए एग्जिट पोल्स पर अब अरविंद केजरीवाल ने भी प्रतिक्रिया दी है। अरविंद केजरीवाल ने X पर पोस्ट कर कहा कि कुछ एजेंसियां दिखा रही हैं कि ‘गाली गलौज पार्टी’ की 55 से ज़्यादा सीट आ रही हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो घंटे में हमारे 16 उम्मीदवारों के पास फ़ोन आ गए हैं कि AAP छोड़ के उनकी पार्टी में आ जाओ, मंत्री बना देंगे और हरेक को 15-15 करोड़ देंगे।

 अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि अगर इनकी पार्टी की 55 से ज़्यादा सीटें आ रहीं हैं तो हमारे उम्मीदवारों को फ़ोन करने की क्या ज़रूरत है? उन्होंने कहा कि ज़ाहिर तौर पे ये फ़र्ज़ी सर्वे करवाये ही इसलिए गए हैं ताकि ये माहौल बनाकर कुछ उम्मीदवारों को तोड़ा जा सके। उन्होंने कहा, “पर गाली गलौज वालों, हमारा एक भी आदमी नहीं टूटेगा।”

Delhi Election 2025 Exit Poll Result: किस पार्टी को कितनी सीटें?

EXIT POLLS से उत्साहित बीजेपी ने गुरुवार को दावा किया कि वह दिल्ली में “प्रचंड बहुमत” के साथ सरकार बनाने जा रही है और शहर के विकास के लिए काम करेगी। BJP ने दावा किया कि लोग सत्तारूढ़ AAP और उसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल से बेहद नाराज हैं।

बुधवार और गुरुवार को कई एग्जिट पोल में दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP के मुकाबले भाजपा की जीत की भविष्यवाणी की गई, जबकि कांग्रेस को पिछले चुनावों के मुकाबले कोई खास बढ़त नहीं मिलने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, दो एग्जिट पोल में AAP की जीत की भविष्यवाणी की गई है और कई ने आप और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर दिखाई है।

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी के अरुण सिंह ने कहा, “हमने जमीनी स्तर पर देखा कि लोगों में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ कितना गुस्सा है। उन्हें भाजपा से उम्मीद है। वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दिल्ली में ‘डबल इंजन’ वाली सरकार बनाना चाहते हैं।” उन्होंने कहा, “इसलिए मुझे पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली में BJP की ‘डबल इंजन’ वाली सरकार बनने जा रही है जो दिल्ली के लिए सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करेगी।”

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NBFC Personal Loan vs Bank Personal Loan 3

Personal loans are a great tool to fund any financial need, including a wedding in the family, a trip abroad, urgent medical expenses, debt consolidation, home renovation and repairs, and so on.

These loans are offered by almost all banks and non-banking financial companies (NBFCs) in India. That is why when you want to apply for a personal loan online or offline, choosing the best lender can be a difficult task.

Here we will discuss how NBFC personal loans are different from bank personal loans and which one to choose.

 What is Bank?

Banks are organised financial institutions and are governed by the apex bank of the nation, i.e. the Reserve Bank of India (RBI).

 What is NBFC?

A Non-Banking Financial Company or NBFC is not a bank. However, it runs financial functions similar to banks, like providing loans and credit facilities, investments, insurance plans, and so on.

Why Opt for NBFC Personal Loan?

NBFCs have been exceptional in the unsecured loans (including personal loans) market due to their customized offers, broader reach, co-lending agreements, robust risk management and a dynamic digital presence. NBFC personal loans come at attractive interest rates of 10.99% to 36% p.a. You can get the loan

amount of minimum Rs. 50,000 to maximum Rs. 50 Lakhs from NBFC in India

and make the repayment in equated monthly instalments (EMIs) in flexible tenure

of 10 months to 7 years.

NBFC Personal Loan vs Bank Personal Loan 2

Personal loans are a great tool to fund any financial need, including a wedding in the family, a trip abroad, urgent medical expenses, debt consolidation, home renovation and repairs, and so on.

These loans are offered by almost all banks and non-banking financial companies (NBFCs) in India. That is why when you want to apply for a personal loan online or offline, choosing the best lender can be a difficult task.

Here we will discuss how NBFC personal loans are different from bank personal loans and which one to choose.

 What is Bank?

Banks are organised financial institutions and are governed by the apex bank of the nation, i.e. the Reserve Bank of India (RBI).

 What is NBFC?

A Non-Banking Financial Company or NBFC is not a bank. However, it runs financial functions similar to banks, like providing loans and credit facilities, investments, insurance plans, and so on.

Why Opt for NBFC Personal Loan?

NBFCs have been exceptional in the unsecured loans (including personal loans) market due to their customized offers, broader reach, co-lending agreements, robust risk management and a dynamic digital presence. NBFC personal loans come at attractive interest rates of 10.99% to 36% p.a. You can get the loan

amount of minimum Rs. 50,000 to maximum Rs. 50 Lakhs from NBFC in India

and make the repayment in equated monthly instalments (EMIs) in flexible tenure

of 10 months to 7 years.

NBFC Personal Loan vs Bank Personal Loan

Personal loans are a great tool to fund any financial need, including a wedding in the family, a trip abroad, urgent medical expenses, debt consolidation, home renovation and repairs, and so on.

These loans are offered by almost all banks and non-banking financial companies (NBFCs) in India. That is why when you want to apply for a personal loan online or offline, choosing the best lender can be a difficult task.

Here we will discuss how NBFC personal loans are different from bank personal loans and which one to choose.

 What is Bank?

Banks are organised financial institutions and are governed by the apex bank of the nation, i.e. the Reserve Bank of India (RBI).

 What is NBFC?

A Non-Banking Financial Company or NBFC is not a bank. However, it runs financial functions similar to banks, like providing loans and credit facilities, investments, insurance plans, and so on.

Why Opt for NBFC Personal Loan?

NBFCs have been exceptional in the unsecured loans (including personal loans) market due to their customized offers, broader reach, co-lending agreements, robust risk management and a dynamic digital presence. NBFC personal loans come at attractive interest rates of 10.99% to 36% p.a. You can get the loan

amount of minimum Rs. 50,000 to maximum Rs. 50 Lakhs from NBFC in India

and make the repayment in equated monthly instalments (EMIs) in flexible tenure

of 10 months to 7 years.