‘एक सड़ा अंडा सब कुछ बिगाड़ देता है’: शाहिद अफरीदी ने फिर उगला जहर, WCL में भारत के पाकिस्तान के साथ नहीं खेलने पर फड़फड़ा उठे

क्रिकेट जगत में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब मैदान के बाहर की घटनाएं सुर्खियों बन जाती हैं। कुछ ऐसा ही मामला हाल ही में सामने आया है जब भारत के पूर्व ओपनर शिखर धवन और पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी के बीच सोशल मीडिया पर तीखी तकरार देखने को मिली। बात सिर्फ शब्दों की नहीं, बल्कि देशभक्ति, सेना और पुरानी दुश्मनी की भावनाओं से जुड़ गई।

विवाद की शुरुआत तब हुई जब शाहिद अफरीदी ने पहलगाम आतंकी हमले पर टिप्पणी करते हुए भारतीय सेना पर सवाल उठाए। अफरीदी ने कहा, ‘आपकी 8 लाख की फौज कुछ नहीं कर पाई। तुम्हारे देश में हर समय आतंकवाद होता है।’ यह बात कई भारतीयों को खटकी, लेकिन सबसे सटीक जवाब शिखर धवन ने दिया।

शिखर धवन ने अफरीदी के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, ‘कारगिल में भी तुम्हें हराया था, तुम्हारी हालत पहले से ही खराब है और कितना नीचे गिरोगे? हमें अपनी सेना पर गर्व है। भारत माता की जय।’ शाहिद अफरीदी ने इस पर तंज कसते हुए शिखर धवन को ‘चाय’ ऑफर की।

शाहिद अफरीदी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, ‘छोड़ो जीत-हार को, आओ तुम्हें चाय पिलाता हूं शिखर।’ #FantasticTea’ यह टिप्पणी विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के 2019 में पकड़े जाने के बाद पाकिस्तान द्वारा ‘चाय पिलाने’ की घटना की ओर इशारा करती है, जिसे भारत में अपमानजनक माना गया था। विवाद यही नहीं रुका।

वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लीजेंड्स (WCL) 2025 में रविवार 20 जुलाई को भारत और पाकिस्तान के बीच बहुप्रतीक्षित मैच रद्द कर दिया गया। भारत के कई खिलाड़ियों ने कथित तौर पर इस प्रदर्शनी मैच से हटने का फैसला संवेदनशील कूटनीतिक मौकों पर, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के खिलाफ शाहिद अफरीदी की पिछली टिप्पणियों का हवाला देते हुए किया।

शाहिद अफरीदी ने मैच वाले दिन मीडिया से बात करते हुए भारत के न फड़फड़ा उठे। शाहिद अफरीदी ने सीधे तौर पर शिखर धवन को इस फैसले के लिए दोषी ठहराया। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान के अनुसार, शाहिद अफरीदी की मौजूदगी में शिखर धवन के खेलने से खुले तौर पर इनकार करने से भारतीय खेमे में भारी उथल-पुथल मच गई।

शाहिद अफरीदी ने स्थानीय पत्रकारों से कहा, ‘खेल देशों को करीब लाता है। अगर हर चीज के बीच में राजनीति आ गई तो आप आगे कैसे बढ़ेंगे? लेकिन आप जानते हैं कि हमेशा एक सड़ा हुआ अंडा होता है, जो सब कुछ खराब कर देता है।’ शाहिद अफरीदी ने शुरुआत में शिखर धवन का नाम लिए बिना निशाना साधा और बाद में भारतीय दिग्गज को ही इस विवाद का कारण बता डाला।

शाहिद अफरीदी ने शिखर धवन को ‘अड़चन डालने वाला’ करार दिया। शाहिद अफरीदी ने सुझाव दिया कि पूरी भारतीय टीम को आखिरी समय में हटने के बजाय भारत में ही रहना चाहिए था। अफरीदी ने कहा, ‘उन्होंने मैच से एक दिन पहले अभ्यास किया था। मुझे लगता है कि उन्होंने सिर्फ एक खिलाड़ी की से मैच से हटने का फैसला किया। भारतीय टीम भी बहुत निराश है। वे यहां खेलने आए थे। आपको देश के लिए एक अच्छा राजदूत बनना चाहिए, न कि शर्मिंदगी।’

दिलचस्प यह है कि शाहिद अफरीदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खुद को एक शांतिप्रिय क्रिकेट दूत के रूप में पेश किया। अफरीदी ने कहा, ‘मैं यहां क्रिकेट खेलने आया हूं, राजनीति करने नहीं। अगर वह मेरी वजह से खेलना नहीं चाहते, तो मैं घर पर ही रहता। क्रिकेट चलता रहना चाहिए था। क्रिकेट के सामने शाहिद अफरीदी कौन हैं? कोई नहीं।’

अफरीदी का यह बयान अप्रैल 2025 में उस विवादास्पद बयान के विपरीत था, जिसमें पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान ने भारत सरकार पर पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए पहलगाम में अपने ही नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया था। अफरीदी ने पाकिस्तान में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया था, ‘भारत खुद आतंकवाद फैलाता है, अपने ही लोगों को मरवाता है और फिर दोष पाकिस्तान पर मढ़ देता है।’

एजबेस्टन में भारत बनाम पाकिस्तान मैच का रद्द होना सिर्फ टीम के आंतरिक फैसलों पर आधारित नहीं था। मैच की घोषणा के बाद भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जबरदस्त हंगामा मच गया। कई लोगों ने सीमा पर तनाव के बीच पाकिस्तानी क्रिकेटर्स से जुड़े मैच में पूर्व भारतीय खिलाड़ियों के खेलने की नैतिकता पर सवाल उठाए। इस साल की शुरुआत में भारत द्वारा आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए जाने के बाद से दोनों देशों के बीच यह पहला क्रिकेट मैच था, जिसने कूटनीतिक दुश्मनी को और बढ़ा दिया था।

भारतीय टीम के करीबी सूत्रों ने खुलासा किया है कि भारत के खिलाफ अफरीदी की टिप्पणी के बाद कई खिलाड़ियों ने उनके साथ मैदान साझा करने में असहजता जताई। टीम के सबसे वरिष्ठ खिलाड़ियों में से एक शिखर धवन ने सार्वजनिक रूप से कहा कि अगर अफरीदी मौजूद रहते हैं तो वह मैच में हिस्सा नहीं लेंगे।

इस मैच का रद्द होना दोनों देशों के बीच क्रिकेट संबंधों को फिर से पटरी पर लाने के प्रयासों के लिए बड़ा झटका है। वर्ल्ड चैंपियनशिप ऑफ लीजेंड्स 2025 के आयोजकों को उम्मीद थी कि भारत बनाम पाकिस्तान मैच स्टार पावर और दर्शकों की ऊर्जा से भरपूर होगा, खासकर तब जब मैच में लगभग 18 हजार प्रशंसकों के आने की उम्मीद थी।

मैं आपसे बात नहीं करना चाहती, आपने मेरे पापा को मारा; श्रीसंत की बेटी की बातें सुन हरभजन सिंह को आ गया था रोना

भारत के पूर्व ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने कहा कि अगर वह करियर की कोई एक घटना भुलाना चाहेंगे, तो वह अपने पूर्व साथी खिलाड़ी एस. श्रीसंत को थप्पड़ मारना है। हरभजन ने यह स्वीकार किया कि इंडियन प्रीमियर लीग के पहले संस्करण में जो कुछ भी हुआ, उसके लिए वह पूरी तरह से ज़िम्मेदार थे। उन्होंने श्रीसंत की बेटी के साथ हुई बातचीत के बारे में भी बताया, जिसने उनका दिल तोड़ दिया और उनकी आंखों में आंसू आ गए थे।

आईपीएल 2008 के दौरान मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए हरभजन ने एक लीग मैच के अंत में किंग्स इलेवन पंजाब के श्रीसंत को थप्पड़ मार दिया था। हालांकि, बीसीसीआई ने हरभजन को निलंबित कर दिया था, लेकिन यह अभी भी आईपीएल की सबसे चर्चित घटनाओं में से एक है। रविचंद्रन अश्विन के यूट्यूब चैनल पर ‘कुट्टी स्टोरीज’ शो में बोलते हुए हरभजन से पूछा गया कि क्या वह अपने जीवन से कोई घटना हटाना चाहेंगे? इस भज्जी ने कहा कि वह यह घटना होगी। बता दें कि हरभजन और श्रीसंत 2011 में भारत की वर्ल्ड कप चैंपियन टीम का हिस्सा रहे।

हरभजन ने अश्विन के शो पर श्रीसंत को थप्पड़ मारने को लेकर कहा, “एक चीज जो मैं अपनी जिंदगी में बदलना चाहता हूं, वो है श्रीसंत वाली घटना। मैं उस घटना को अपने करियर से हटाना चाहता हूं। यही वो घटना है जिसे मैं अपनी लिस्ट से बदलना चाहूंगा। जो हुआ वो गलत था और मुझे वो नहीं करना चाहिए था जो मैंने किया। मैंने 200 बार माफी मांगी। मुझे सबसे बुरा ये लगा कि उस घटना के सालों बाद भी, मैं हर मौके या स्टेज पर माफी मांगता रहा हूं। वो एक गलती थी।”

हरभजन ने कहा, “हम सभी गलतियां करते हैं और हम उम्मीद करते हैं और कोशिश करते हैं कि ऐसी गलतियां फिर कभी न दोहराएं। वो मेरा टीममेट था और हम साथ खेल रहे थे। हां, उस मैच में हम विरोधी थे। लेकिन बात उस हद तक नहीं पहुंचनी चाहिए थी जहां हम इस तरह का व्यवहार करें। हां, वो मेरी गलती थी और उसकी सिर्फ इतनी गलती थी कि उसने मुझे उकसाया, लेकिन असल में ऐसा होता है। हालांकि, मैंने जो किया वो ठीक नहीं था। मैंने कहा, ‘सॉरी’।”

45 वर्षीय सांसद ने बताया कि इस घटना ने उन पर खासकर श्रीसंत की बेटी से बातचीत के बाद कैसा असर डाला। उन्होंने कहा, “कई सालों बाद भी मुझे जो बात सबसे ज्यादा चुभती है, वह यह है कि जब मैं उनकी बेटी से मिला और उससे बड़े प्यार से बात कर रहा था तो उसने कहा, ‘मैं आपसे बात नहीं करना चाहती। आपने मेरे पिता को मारा है।’ मेरा दिल टूट गया और मैं रोने लगा। मैं खुद से पूछ रहा था कि मैंने उस पर क्या प्रभाव छोड़ा है? वह मुझे बुरी नजर से देख रही होगी, है ना? वह मुझे उसी आदमी के रूप में देखती है, जिसने उसके पिता को मारा था। मुझे बहुत बुरा लगा। मैं अब भी उनकी बेटी से माफी मांगता हूं कि मैं कुछ नहीं कर सकता। मैं उससे कहता रहता हूं, ‘लेकिन अगर मैं कुछ ऐसा कर सकता हूं जिससे तुम्हें अच्छा लगे और तुम्हें लगे कि मैं उस तरह का इंसान नहीं हूं, तो कृपया मुझे बताएं।’ काश जब वह बड़ी हो जाए, तो वह मुझे उसी नजर से न देखे। और सोचे कि उसके अंकल हमेशा उसके साथ रहेंगे और उसे हर संभव मदद देंगे। इसलिए मैं उस चैप्टर को मिटा देना चाहता हूं।”

मैनचेस्टर में कैसी होगी पिच? इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी का दावा सच निकला तो भारत की होगी बल्ले-बल्ले

इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज स्टीव हार्मिसन ने बुधवार (23 जुलाई) से शुरू होने वाले भारत और इंग्लैंड के बीच तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी के चौथे टेस्ट के लिए मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड की परिस्थितियों को लेकर जानकारी दी। हार्मिसन ने पिच को लेकर जो दावा किया है अगर वह सच हुआ तो मैनचेस्ट में भारतीय टीम की बल्ले-बल्ले हो सकती है। उन्होंने कहा कि यहां पिच बर्मिंघम के एजबेस्टन जैसी हो सकती है, जहां भारत जीता था।

पांच मैचों की यह सीरीज रोमांचक मोड़ पर है भारत 1-2 से पीछे है और उसे यह मैच हर हाल में जीतना। मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड की पिच की बात करें तो गति और उछाल देखने को मिलता है। हालांकि, समय के साथ चीजें बदली हैं। पिछले दो सालों में गति और उछाल कम देखने को मिली है। पांच मैचों की सीरीज के चौथे टेस्ट पर बारिश का खतरा मंडरा रहा है, ऐसे में हार्मिसन को उम्मीद है कि हल्की बारिश से पिच में जान आ जाएगी। इससे तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी।

हार्मिसन ने ईएसपीएनक्रिकइंफो मैच डे पर कहा, “ओल्ड ट्रैफर्ड में बारिश हो सकती है। इंग्लैंड में लगभग तीन महीनों से बारिश नहीं हुई है, अगर कहीं बारिश होगी तो वह मैनचेस्टर होगा, जैसा कि हमेशा होता है। हमें थोड़ी बारिश की जरूरत हो सकती है क्योंकि हमें पिच में जान की जरूरत है।”

हार्मिसन ने कहा, “पिछले 18 महीनों या दो सालों में मैनचेस्टर की प्रथम श्रेणी की पिचें वैसी नहीं रहीं जैसी वे 10 या 15 साल पहले थीं। वे उछाल भरी पिचें थीं। वे कठोर और आक्रामक थीं और रिवर्स स्विंग भी देती थीं। अब वे सभी बहुत एक जैसी हैं। वे बहुत धीमी और बहुत सपाट हैं।”

हार्मिसन ने कहा, “अगर दो स्पिनरों के साथ खेलने का मौका है, तो आप मैनचेस्टर में दो स्पिनरों के साथ खेल सकते हैं। इंग्लैंड ऐसा नहीं करेगा क्योंकि उनके पास लियाम डॉसन हैं। मुझे लगता है कि यह विकेट एजबेस्टन जैसा ही होगा। लॉर्ड्स में खेल आगे बढ़ने के साथ विकेट टूटा और शायद टर्न भी देखने को मिला। लेकिन मुझे लगता यहां ज्यादा गति होगी, मुझे नहीं लगता यहां ज्यादा उछाल होगी। मुझे लगता है कि यह कम स्कोर वाला मैच हो सकता है।”

बर्मिंघम में भारत ने रनों का अंबार लगाया था। भारत ने पहली पारी में 587 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया और फिर दूसरी पारी 427/6 पर घोषित कर दी। आखिरी दिन भारत को ज्यादा सीम मूवमेंट मिला और अंततः 336 रनों से शानदार जीत हासिल हुई।

भारत की प्लेइंग XI तय: जानें जुरेल या पंत में कौन होगा विकेटकीपर, नितीश रेड्डी की जगह किसे मिलेगा मौका

इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर टेस्ट से 2 दिन पहले सोमवार (21 जुलाई) को अनिवार्य प्रैक्टिस सेशन के शुरुआत में ही भारत की प्लेइंग 11 की झलक मिल गई। भारत के लिए सबसे अच्छी खबर यह है कि ऋषभ पंत विकेटकीपिंग करते दिखे। वह उंगली की चोट से उबर गए हैं। विकेटकीपिंग ड्रिल्स के बाद उन्होंने बैटिंग प्रैक्टिस की। पंत के फिट होने का मतलब है कि ध्रुव जुरेल को मैनचेस्टर में बेंच पर ही बैठना होगा।

प्रैक्टिस सेशन के दौरान स्लिप कॉर्डन को देखकर ऐसा लगा कि नितीश कुमार रेड्डी की जगह साई सुदर्शन की प्लेइंग 11 में वापसी होगी। मैनचेस्टर टेस्ट की प्लेइंग 11 की तस्वीर लगभग साफ है। भारतीय टीम प्लेइंग 11 में केवल 2 बदलाव कर सकती है। नितीश रेड्डी की जगह साई सुर्दशन और आकाशदीप की जगह अंशुल कम्बोज या प्रसिद्ध कृष्णा खेल सकते हैं।

VIDEO | India’s vice captain Rishabh Pant (@RishabhPant17) was seen batting in the nets after completing wicketkeeping drills at Old Trafford Cricket Stadium in Manchester, UK. #indiavsengland #RishabhPant pic.twitter.com/v5f2wwrG4g

प्रैक्टिस सेशन के दौरान आकाशदीप ने भी फिटेनस टेस्ट दिया, लेकिन फिलहाल उसकी रिपोर्ट सामने नहीं आई है। उन्हें ग्रोइन में दिक्कत है। जसप्रीत बुमराह का मैनचेस्टर टेस्ट खेलना तय है। यानी वह ओवल टेस्ट नहीं खेलेंगे। ऐसे में आकाशदीप को इस मैच में आराम दिया जा सकता है, ताकि वह आखिरी टेस्ट खेलने के लिए फिट रहें।

भारत को बड़ा झटका, आकाशदीप और अर्शदीप के बाद यह ऑलराउंडर चोटिल; इंग्लैंड दौरे से बाहर

साई सुदर्शन के आने से करुण नायर एक बार फिर नंबर 6 पर खेलते दिख सकते, जहां वह पहले टेस्ट में खेले थे। गौतम गंभीर को भारत का कोच बने 1 साल हो गया है। इस दौरान भारतीय टीम ने बल्लेबाजी में गहराई को बहुत तवज्जो दी है। इस वजह से पिछले 2 टेस्ट में 3 ऑलराउंडर खेले हैं। अब नितीश रेड्डी के चोटिल होने के बाद नंबर 8 तक बल्लेबाजी के लिए साई की प्लेइंग 11 में वापसी हो सकती है।

मैनचेस्टर में कैसी होगी पिच? इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी का दावा सच निकला तो भारत की होगी बल्ले-बल्ले

यशस्वी जायसावल, केएल राहुल, साई सुदर्शन,शुभमन गिल, करुण नायर, ऋषभ पंत, रविंद्र जडेजा, वाशिंगटन सुंदर, मोहम्मद सिराज, जसप्रीत बुमराह, प्रसिद्ध कृष्णा/अंशुल कम्बोज।

VIDEO: मैनचेस्टर में चलेगी भारत की ‘AK47’? जसप्रीत बुमराह के साथ नई गेंद संभाल सकते हैं अंशुल कम्बोज

इंग्लैंड के खिलाफ 23 जुलाई से मैनचेस्टर टेस्ट में भारत के लिए अंशुल कम्बोज उर्फ ‘AK47’ डेब्यू कर सकते हैं। तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी के चौथे टेस्ट से दो दिन पहले भारतीय टीम की प्रैक्टिस सेशन में इसके साथ संकेत मिले। अर्शदीप सिंह के चोटिल होने के बाद भारतीय टीम में जोड़े गए हरियाणा के इस तेज गेंदबाज को ओल्ड ट्रैफर्ड में आकाशदीप की जगह प्लेइंग 11 में मौका मिल सकता है।

अंशुल कम्बोज ने भारत के नेट सेशन में जसप्रीत बुमराह के साथ गेंदबाजी की। वह मैनचेस्टर में नई गेंद से बुमराह के पार्टनर हो सकते हैं। समाचार एजेंसी पीटीआई ने कम्बोज के बुमराह के साथ गेंदबाजी का वीडियो एक्स पर शेयर किया। कम्बोज ने पिछले घरेलू सत्र के बाद टेस्ट सीरीज से पहले इंग्लैंड लायंस के खिलाफ 2 तीन दिवसीय मैचों में प्रभावित किया। वह सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज थे। इसके अलावा उन्होंने 1 अर्धशतक भी जड़ा था।

भारत की प्लेइंग XI: जानें जुरेल-पंत में कौन होगा विकेटकीपर, नितीश रेड्डी की जगह किसे मिलेगा मौका

अंशुल कम्बोज को भारत की प्लेइंग 11 में आकाशदीप की जगह मौका मिल सकता है। आकाशदीप को लॉर्ड्स टेस्ट में ग्रोइन में दिक्कत हुई थी। ऐसे में उनके बाहर होने पर अर्शदीप सिंह को मौका मिलना चाहिए था, लेकिन दुर्भाग्य से तीसरे टेस्ट के बाद बाएं हाथ के तेज गेंदबाज को बेकहेनम में प्रैक्टिस सेशन के दौरान हाथ में चोट लग गई। इसके कारण मैनचेस्टर टेस्ट से आकाशदीप से पहले अर्शदीप बाहर हो गए। उन्हें टेस्ट डेब्यू के लिए इंतजार करना होगा।

VIDEO: India’s bowling spearhead Jasprit Bumrah bowls alongside youngster Anshul Kamboj in the nets at Manchester ahead of the 4th Test vs England. pic.twitter.com/FW3e2HtMYd

तेंदुलकर-एंडरसन ट्रॉफी में भारत करो या मरो की स्थिति में है। वह 5 मैचों की सीरीज में 1-2 से पीछे है। ऐसे में मैनचेस्टर में उसे मैच जीतना होगा। ऐसा न होने पर इंग्लैंड अजेय बढ़त बना लेगा। मैनचेस्ट में भारत 1 भी टेस्ट नहीं जीता है। 2014 के बाद वह यहां एक भी मैच नहीं खेला है। भारत को मैनचेस्टर में 86 साल से जीत का इंतजार है। उसे 9 में से 4 मैच में हार का सामना करना पड़ा।

Union Budget 2025 Makhana Board: मखाना बोर्ड के ऐलान से क्या NDA को बिहार विधानसभा चुनाव में कोई फायदा होगा?

Nirmala Sitharaman Makhana Board: केंद्र सरकार ने बजट में बिहार के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं इसलिए माना जा रहा है कि केंद्र की सरकार इस राज्य पर ज्यादा मेहरबान हुई है। जितने भी ऐलान बिहार के लिए किए गए हैं, उसमें से मखाना बोर्ड को लेकर कई गई घोषणा को सबसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सवाल यह पूछा जा रहा है कि क्या इस ऐलान से बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन को बिहार के विधानसभा चुनाव में कोई राजनीतिक फायदा होगा?

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि मखाने के प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग, वैल्यू एडिशन और इसकी मार्केटिंग करने के लिए मखाना बोर्ड की स्थापना की जाएगी। इसके बाद से ही मखाना बोर्ड को लेकर बड़ी चर्चा हो रही है। बिहार और इसके बाहर रहने वाले लोग इस बात को जानना चाहते हैं कि आखिर बिहार के लिए मखाना बोर्ड का ऐलान किए जाने का क्या मतलब है?

आइए, इस बारे में कुछ जानते-समझते हैं।

पिछले कुछ सालों में मखाना या फॉक्स नट एक सुपर फूड के रूप में काफी पॉपुलर हुआ है। सोशल मीडिया पर आपने कई तरह की रील देखी होंगी जिसमें मखाने के बारे में बताया गया है कि यह कितना फायदेमंद है। इसे लेकर यूट्यूब पर भी कई वीडियो हैं। मखाने को स्नैक के रूप में भी काफी पसंद किया जाता है।

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मखाना प्रिकली वॉटर लिली या गॉर्डन प्लांट (Euryale ferox) का सूखा हुआ खाने वाला बीज है। यह पौधा दक्षिण और पूर्वी एशिया में मीठे पानी के तालाब में भी उगाया जाता है। इसमें बैंगनी और सफेद फूल होते हैं और इसकी गोल, कांटेदार पत्तियां 1 मीटर से भी ज्यादा चौड़ी होती हैं।

बिहार के मिथिलांचल में बड़े पैमाने पर मखाने का उत्पादन होता है। बिहार से मखाना देश के कई इलाकों में जाता है। मिथिलांचल के मखाने को जीआई टैग भी मिल चुका है। इसके बाद मखाने की मांग काफी बढ़ गई है। हालांकि लो प्रोडक्टिविटी, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स का कम होना और अच्छी मार्केटिंग चेन ना होने की वजह से घरेलू और इंटरनेशनल मार्केट में मखाने की जिस पैमाने पर मांग है, बिहार उस मांग को पूरा नहीं कर पा रहा है।

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भारत में मखाने के कुल उत्पादन का लगभग 90% बिहार में होता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की 2020 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में 15 हजार हेक्टेयर जमीन पर मखाने की खेती होती है, जिससे लगभग 10,000 टन मखाना (पॉप्ड फॉर्म में) तैयार होता है।

मखाना उत्तरी और पूर्वी बिहार के नौ जिलों- दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा, सुपौल, अररिया, किशनगंज और सीतामढ़ी में होता है। ये सभी जिले मिथिलांचल इलाके में आते हैं। इनमें से भी चार जिले (दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया और कटिहार) बिहार में होने वाले कुल मखाना उत्पादन का 80% पैदा करते हैं। बिहार के बाहर मखाने की खेती असम, मणिपुर, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा के साथ-साथ नेपाल, बांग्लादेश, चीन, जापान और कोरिया में भी की जाती है।

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मखाना लंबे वक्त से हिंदू धर्म के अनुष्ठानों का हिस्सा रहा है। लेकिन पिछले कुछ सालों में यह अपने पौष्टिक गुणों के कारण लोगों की प्लेट तक पहुंच गया है। मखाने को कम वसा (low-fat) वाला, पोषक तत्वों से भरपूर और एक बेहतरीन हेल्दी स्नैक माना जाता है।

बिहार भारत में मखाने का सबसे बड़ा उत्पादक जरूर है लेकिन वह इसके बढ़ते बाजार का पूरा फायदा नहीं उठा पा रहा है। इसका बड़ा उदाहरण यह है कि भारत में मखाने के सबसे बड़े निर्यातक पंजाब और असम हैं जबकि पंजाब में तो मखाने की खेती तक नहीं होती। इसके पीछे तीन बड़ी वजहें हैं। बिहार में फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री विकसित नहीं हुई है। इसके अलावा बिहार के किसी भी हवाई अड्डे पर कार्गो की सुविधा नहीं है और इस वजह से निर्यात में मुश्किल आती है।

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बिहार के एक सीनियर ब्यूरोक्रेट ने नाम न छापने की शर्त पर द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “बिहार अपने मखाने को राज्य के बाहर एफपीयू (फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स) को सस्ते दामों पर कच्चे माल के रूप में बेच देता है। ये एफपीयू मखाने में स्वाद और पैकिंग करके इसे महंगे दामों पर बेचती हैं।” इसके अलावा बिहार में मखाने का बाजार असंगठित है और इस वजह से किसान और राज्य सरकार को इसका फायदा नहीं मिल पाता। इस वजह से ही मखाने की खेती करने वालों को बाजार में मखाने की तुलना में इसकी बहुत कम कीमत मिलती है।

मखाने की खेती बहुत मेहनत वाली होती है इससे इसकी लागत बढ़ जाती है। मखाने के बीजों को तालाबों या एक फुट गहरे पानी में बोया जाता है और इसकी कटाई करना मुश्किल होता है। मखाना सुखाने, भूनने और पॉपिंग की प्रक्रिया भी हाथ से ही की जाती है।

सीधी बात यही है कि बिहार में मखाने की बड़ी पैदावार होने के बावजूद प्रोसेसिंग और मार्केटिंग बेहतर न होने की वजह से किसान और राज्य सरकार को इसका फायदा नहीं मिल पा रहा है। अगर बिहार की सरकार फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स (FPUs) और एक्सपोर्ट की सुविधाओं को विकसित करे तो इससे दोनों को फायदा होगा।

पिछले साल बिहार सरकार ने केंद्र से मखाने के लिए एमएसपी की मांग की थी। मखाने की खेती और कटाई का काम मल्लाह (मछुआरे और नाविक) करते हैं और यह समुदाय काफी गरीब है। बिहार की आबादी में मल्लाहों की हिस्सेदारी सिर्फ़ 2.6% है। पिछले कुछ सालों में तमाम राजनीतिक दल उनका वोट हासिल करने की कोशिश करते रहे हैं। यह बेहद महत्वपूर्ण है कि बिहार में करीब 10 लाख परिवार मखाने की खेती और प्रोसेसिंग से जुड़े हुए हैं। इसलिए यह एक बड़ा वोट बैंक भी हैं।

India US Relations: 18 हजार भारतीयों पर लटकी डिपोर्टेशन की तलवार! भारत-अमेरिका के रिश्तों पर कितना असर डालेगा अवैध अप्रवासियों का मुद्दा? 

Illegal Indian Immigrants in America: डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही सबसे पहले और बड़ी चिंता यही शुरू हुई थी कि वहां रह रहे अवैध अप्रवासियों का क्या होगा? क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप चुनाव अभियान के दौरान अवैध अप्रवासियों के मुद्दे पर काफी मुखर रहे थे। अब ट्रंप ने कामकाज संभालते ही अवैध अप्रवासियों को डिपोर्ट करना शुरू कर दिया है। मतलब अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे लोगों को वापस उनके मुल्क भेजने का काम शुरू हो गया है। इसे लेकर भारत में काफी चिंता और सवाल हैं।

अवैध भारतीय अप्रवासियों को लेकर वहां से एक फ्लाइट भी वहां से रवाना हो चुकी है। इसके अलावा ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास के अप्रवासियों को भी उनके मुल्क भेजा जा चुका है। यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में ट्रंप का यह अभियान और तेज होगा। यह मुद्दा भारत के लिए ज्यादा बड़ा इसलिए है क्योंकि अमेरिका के भारत के साथ अच्छे रिश्ते हैं और बड़ी संख्या में भारतीय अप्रवासी वहां रह रहे हैं।

तो क्या आने वाले दिनों में अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर भारत और अमेरिका के रिश्तों में बदलाव देखने को मिलेंगे? हालांकि भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर कह चुके हैं कि अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे भारतीयों को वापस लेने के लिए हम तैयार हैं।

ट्रंप ने अमेरिका से अवैध भारतीय अप्रवासियों को भेजा वापस, पहली फ्लाइट दिल्ली के लिए रवाना

ट्रंप के सत्ता में आते ही इमिग्रेशन एंड कस्टम एनफोर्समेंट (ICE) की टीम लगातार छापेमारी कर लोगों को पड़ककर उनके मुल्क भेज रही है।

अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अप्रवासियों के बीच डर बहुत ज्यादा है। उन्हें हर पल इस बात का डर रहता है कि उन्हें कभी भी वहां की कानून एजेंसियां पकड़ सकती हैं और वापस उनके मुल्क भेज सकती हैं। ऐसा अनुमान है कि अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय अप्रवासियों की संख्या 7.25 लाख हो गई है। यह मैक्सिको और अल साल्वाडोर के बाद अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे अप्रवासियों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी है।

माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 तक, अमेरिका में अनुमानित 11 मिलियन अवैध अप्रवासियों में से लगभग 5,53,000 (5%) भारत से थे। ट्रंप के प्रशासन ने शुरुआत में कुल 15 लाख अवैध अप्रवासियों की लिस्ट तैयार की है और इसमें से 18 हजार भारतीय हैं।

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अमेरिका में अवैध रूप से जाने वाले भारतीयों की संख्या पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। विशेषकर हरियाणा और पंजाब से बड़ी संख्या में युवा ऐसे हैं जो डंकी रूट के जरिए अमेरिका जाते हैं। डंकी रूट का रास्ता ऐसे लोग अपनाते हैं जो अच्छी एजुकेशन ना होने, अच्छी इंग्लिश ना बोल पाने के कारण या और भी कई वजहों से अमेरिका का वीजा हासिल नहीं कर पाते। इसके लिए वह बहुत बड़ा रिस्क भी लेते हैं लेकिन फिर भी वह अमेरिका जाना चाहते हैं क्योंकि ऐसे लोगों का अमेरिका आने का मकसद ज्यादा पैसे कमाकर अपने घर भेजना होता है। ऐसे लोगों का सपना होता है कि वे किसी भी तरह अमेरिका के पक्के नागरिक बन जाएं यानी वहां की सिटीजनशिप हासिल कर लें।

पंजाब और हरियाणा में ऐसे कई युवाओं की कहानी सामने आ चुकी है जो डंकी रूट के जरिए अपने पसंदीदा देश पहुंचने के चक्कर में लाखों रुपए गंवाने के साथ ही कीमती वक्त का भी नुकसान कर चुके हैं।

भारत ने इस मामले में सहयोग करने वाला रुख दिखाया है और उसे ऐसी उम्मीद है कि अमेरिका भी भारतीय नागरिकों को अमेरिका में रहने के लिए H-1B वीजा या स्टूडेंट वीजा के मामले में बेहतर रुख अपनाएगा।

भारत इस बात को बेहतर ढंग से जानता है कि डोनाल्ड ट्रंप के एजेंडे में अवैध अप्रवासियों का मुद्दा सबसे ऊपर है और इसलिए इसे लेकर इस मामले में अमेरिका के साथ तालमेल बैठाना ही होगा क्योंकि अमेरिका में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के नेता ऐसा मानते हैं कि उनके मुल्क में बिगड़ रही कानून-व्यवस्था की बड़ी वजह यहां अवैध रूप से रह रहे लोग ही हैं।

यहां इस बात को भी समझना जरूरी होगा की भारत में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो किसी भी सूरत में अमेरिका जाना चाहते हैं। ऐसे लोग टूरिज्म, बिजनेस और एजुकेशन के मामले में वीजा लेकर अमेरिका जाना चाहते हैं।

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अमेरिकी मीडिया में आई रिपोर्ट्स से पता चलता है कि ICE के अफसरों को अवैध अप्रवासियों को पकड़ने के लिए रोजाना टारगेट दिया गया है और इस वजह से अवैध अप्रवासियों में इस बात का डर पैदा हो गया है कि कहीं उन्हें उनके ऑफिस या फिर घर से हिरासत में ना ले लिया जाए। बड़ी संख्या में लोग ऐसे भी हैं जो डरकर और चुप-चाप रहने को मजबूर हैं।

भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता उन छात्रों और प्रोफेशनल्स को लेकर है, जो अमेरिका में पढ़ाई और काम करने जाते हैं। मई 2024 तक, अमेरिका में लगभग 3,51,000 भारतीय छात्र थे, जिनमें से ज्यादातर मास्टर डिग्री के लिए STEM (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित) में पढ़ाई कर रहे थे। यह आंकड़ा भारत के विदेश मंत्रालय ने ही दिया था।

अक्टूबर, 2022 से सितंबर 2023 के बीच, अमेरिका द्वारा जारी किए गए लगभग 4 लाख H-1B वीजा में से 72% भारतीयों को मिले। इसी दौरान अमेरिका में भारत की चार बड़ी आईटी कंपनियों- इंफोसिस, टीसीएस, एचसीएल और विप्रो को लगभग 20,000 कर्मचारियों के लिए H-1B वीजा की मंजूरी मिली।

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अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिहाज से एक बात अहम है कि छात्र (F श्रेणी) और स्किल्ड प्रोफेशनल्स (H-1B) दोनों ही अमेरिका की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देते हैं। भारत की ओर से इस बात को अमेरिका के सामने रखा गया है।

डोनाल्ड ट्रंप H-1B वीजा कार्यक्रम का समर्थन करते रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद पिछले साल दिसंबर में उन्होंने कहा था कि वे H-1B के पैरोकार हैं और वीजा के पक्ष में रहे हैं। इसके बाद जनवरी में भी उन्होंने कहा था कि अमेरिका को “बेहद योग्य” और “महान” लोगों की जरूरत है, और वीजा कार्यक्रम के जरिये ही हमें ऐसे लोग मिलते हैं।

कुल मिलाकर भारत अमेरिकी इमिग्रेशन पॉलिसी में हो रहे बदलावों पर नजर रखेगा और इसे किस हद तक स्वीकार करेगा, ये भी आने वाले दिनों में और साफ होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी से दो दिन के लिए अमेरिका दौरे पर जाएंगे। इस दौरान वह ट्रंप से मुलाकात करेंगे और हो सकता है इस दौरान दोनों नेताओं के बीच व्यापार, रक्षा जैसे अहम मुद्दों के साथ ही इस मुद्दे पर भी बातचीत हो।

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Fact Check: कन्नड़ बिग बॉस फेम तुकाली संतोष का वीडियो गलत दावे के साथ महाकुंभ से जोड़कर किया वायरल

लाइटहाउस जर्नलिज्म को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से शेयर किया जा रहा एक वीडियो मिला। जिसमें दावा किया गया कि प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान ट्रैफिक में फंसे लोग रो रहे हैं।

जांच के दौरान हमने पाया कि वायरल दावा भ्रामक है। शेयर किए गए वीडियो में कन्नड़ बिग बॉस फेम तुकाली संतोष और उनकी पत्नी दिखाई दे रहे हैं।

इंस्टाग्राम यूजर रवींद्र राजू ने भ्रामक दावे के साथ वीडियो शेयर किया।

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अन्य यूजर भी इसी दावे के साथ वीडियो शेयर कर रहे हैं।

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उसी यूजर ने अपने पेज पर फिर से वीडियो शेयर किया।

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हमने वीडियो से प्राप्त कीफ्रेम पर गूगल रिवर्स इमेज सर्च चलाकर जांच शुरू की। हमने वीडियो पर ‘सुमन टीवी कन्नड़’ का वॉटरमार्क भी देखा।

हमें इंस्टाग्राम पर अपलोड किया गया एक वीडियो मिला, जिसमें कैप्शन में बताया गया था कि यह वीडियो तुकाली संतोष का है, जिसने भीड़ में एक कार को टक्कर मार दी थी।

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हमें TV9 कन्नड़ पर भी यह वीडियो मिला।

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हमें एक सप्ताह पहले अपलोड किया गया सुमन टीवी कन्नड़ पर भी यही वीडियो मिला।

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इस वीडियो को भोजपुरी स्टार पवन सिंह और भोजपुरी अभिनेता निर्भय प्रताप सिंह के मुद्दे से भी गलत तरीके से जोड़ा जा रहा था।

निष्कर्ष: कन्नड़ बिग बॉस फेम तुकाली संतोष और उनकी पत्नी मानसा संतोष का भीड़ से घिरा वीडियो गलत दावों से महाकुंभ 2025 से जोड़ा जा रहा है। वायरल दावा भ्रामक है।

Fact Check: झारखंड में पुलिस लाठीचार्ज के वीडियो को महाकुंभ का बताकर भ्रामक दावों के साथ किया शेयर 

लाइटहाउस जर्नलिज्म को सोशल मीडिया पर एक वीडियो मिला, जिसमें पुलिस कुछ लोगों की पिटाई करती दिख रही है। वीडियो के साथ दावा किया गया कि वीडियो में यूपी पुलिस महाकुंभ में शाही स्नान के लिए आए श्रद्धालुओं के साथ दुर्व्यवहार कर रही है।

जांच के दौरान, हमने पाया कि वीडियो प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ से संबंधित नहीं है, बल्कि यह पुराना है और झारखंड का है।

एक्स यूजर कमांडो अरुण गौतम ने भ्रामक दावे के साथ वीडियो शेयर किया।

महाकुंभ स्नान मे स्नानार्थी का इस तरह उत्तर प्रदेश पुलिस स्वागत करती है l ये है उत्तर प्रदेश सरकार का महाकुंभ व्यवस्था **गुंडाराज ‘ @ColRohitChaudry @devendrayadvinc @INCIndia @INCMaharashtra @INCMP @Jairam_Ramesh @jitupatwari @kcvenugopalmp @kharge @priyankagandhi @Pawankhera… pic.twitter.com/tmuu0pKu7I

अन्य यूजर भी इसी दावे के साथ वीडियो शेयर कर रहे हैं।

महाकुंभ स्नान मे स्नानार्थी का इस तरह उत्तर प्रदेश पुलिस स्वागत करती है l ये है उत्तर प्रदेश सरकार का महाकुंभ व्यवस्था * @Uppolice pic.twitter.com/Ud7gx07TKJ

महाकुंभ स्नान मे स्नानार्थी का इस तरह उत्तर प्रदेश पुलिस स्वागत करती है l ये है उत्तर प्रदेश सरकार का महाकुंभ व्यवस्था **गुंडाराज ‘ pic.twitter.com/lti71X5dUe

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हमने वीडियो InVid टूल में अपलोड करके जांच की शुरुआत की और उससे मिले कीफ्रेम पर रिवर्स इमेज सर्च चलाया।

हमें 2 जनवरी, 2025 को बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश द्वारा X पर अपलोड किया गया वही वीडियो मिला।

देखिए, झारखंड में इंसाफ़ मांगने पर क्या मिलता है! pic.twitter.com/xksFMSeTKb

कैप्शन से पता चलता है कि वीडियो झारखंड का है।

हमें bhaskar.com पर एक महीने पहले अपलोड की गई एक न्यूज़ रिपोर्ट में वीडियो के कुछ दृश्य मिले।

हेडलाइन से पता चलता है कि एक युवक का शव नाले में मिला और फिर परिजनों ने विरोध किया और पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठियों का इस्तेमाल करना पड़ा। यह घटना झारखंड के धनबाद में हुई।

हमें ईटीवी भारत की वेबसाइट पर भी यही दृश्य मिले।

हमें इस घटना के बारे में कई अन्य समाचार रिपोर्ट मिलीं।

हमें धनबाद के इस मामले पर एक वीडियो रिपोर्ट भी मिली।

निष्कर्ष: झारखंड के धनबाद में नाले में युवक का शव मिलने के बाद विरोध प्रदर्शन और पुलिस द्वारा लाठीचार्ज का वीडियो प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ से गलत दावों के साथ जोड़कर शेयर किया जा रहा है। वायरल दावा फर्जी है।

Karnataka Congress: CM सिद्धारमैया के सलाहकार ने क्यों दिया इस्तीफा, कर्नाटक कांग्रेस में चल रही कलह कब खत्म होगी?

BR Patil Resignation: कांग्रेस के लिए कर्नाटक में क्या कोई नई मुसीबत खड़ी हो सकती है? ताजा घटनाक्रम में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के पॉलीटिकल एडवाइजर बीआर पाटिल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हैरान करने वाली बात यह है कि पाटिल को सिद्धारमैया का कट्टर समर्थक माना जाता है। बताना होगा कि कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच चल रही लड़ाई पूरी तरह जगजाहिर है।

कर्नाटक कांग्रेस में दो बड़े नेताओं (सिद्धारमैया और शिवकुमार) के बीच चल रही लड़ाई पिछले महीने भी उजागर हुई थी जब सिद्धारमैया के समर्थक नेताओं ने कुछ डिनर मीटिंग्स की थी। याद दिलाना होगा कि साल 2023 में जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो रोटेशनल फॉर्मूले की बात कही गई थी।

इस रोटेशनल फॉर्मूले के तहत यह दावा किया गया था कि ढाई साल तक सिद्धारमैया मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगे और उसके बाद डीके शिवाकुमार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन सिद्धारमैया इस तरह के किसी भी फॉर्मूले को बार-बार नकारते रहे हैं।

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हालांकि कर्नाटक कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पाटिल के इस्तीफे का सिद्धारमैया-डीके शिवकुमार की लड़ाई से लेना-देना नहीं है। लेकिन पाटिल का इस्तीफा कमजोर घटनाक्रम नहीं है।

बीआर पाटिल कर्नाटक कांग्रेस के बड़े नेता हैं। वह कलबुर्गी जिले की अलंद सीट से चार बार विधायक रहे हैं। बताया जाता है कि वह इस बात से नाराज थे कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया उन्हें जरूरत के हिसाब से अहमियत नहीं दे रहे हैं। कलबुर्गी इलाके में डीके शिवकुमार का प्रभाव कम है। यह इलाका कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का सियासी किला है।

यह भी कहा जाता है कि बीआर पाटिल के मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे के साथ अच्छे राजनीतिक ताल्लुकात नहीं हैं।

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बीआर पाटिल के इस्तीफे की खबर जैसे ही कर्नाटक की राजनीति में जोर-शोर से चली तो इसे लेकर काफी हलचल पैदा हुई। जब पत्रकारों ने सिद्धारमैया से इस संबंध में सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि वह पाटिल से बात करेंगे। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, प्रियांक खड़गे का कलबुर्गी में अच्छा असर है और पाटिल लगातार इस बात को महसूस कर रहे थे कि मुख्यमंत्री का करीबी होने के बावजूद उन्हें दरकिनार किया जा रहा है।

राज्य में जब कांग्रेस की सरकार बनी थी तो इस बात की संभावना थी कि पाटिल मंत्री बनेंगे लेकिन कलबुर्गी जिले से प्रियांक खड़गे और एक और विधायक शरण प्रकाश पाटिल को मंत्री बनने का मौका मिला। हालांकि बाद में सिद्धारमैया ने पाटिल को मनाने की कोशिश की और उन्हें अपना पॉलीटिकल एडवाइजर बनाया। लेकिन सूत्रों का ऐसा कहना है कि पाटिल सरकार में उनकी सीमित भूमिका की वजह से नाराज थे।

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कुल मिलाकर पाटिल का इस्तीफा कर्नाटक कांग्रेस के अंदर चल रही उथल-पुथल को दिखाता है। पाटिल ने पिछले महीने कर्नाटक के विधानसभा परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना दिया था। यह धरना उन्होंने किसानों के लिए एमएसपी को गारंटी देने वाले कानून को लागू करने की मांग को लेकर दिया था।

पाटिल का कहना है कि उन्होंने पहले ही इस्तीफा देने का फैसला कर लिया था और वह कर्नाटक विधानमंडल (प्रिवेंशन ऑफ डिसक्वालीफिकेशन एक्ट) के पास होने का इंतजार कर रहे थे। यह कानून मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के सलाहकारों को विधायक के रूप में अयोग्य ठहराए जाने से बचाने के लिए बनाया गया है।

पाटिल ने कहा कि वह अपना इस्तीफा वापस नहीं लेंगे और ‘कुछ समस्याओं की वजह’ से इस्तीफा दे रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि अपने क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर जो उनकी शिकायत थी, उन्होंने इसे कांग्रेस विधायकों की बैठक में उठाया था लेकिन कुछ नहीं हुआ और इस वजह से उन्होंंने इस्तीफा दे दिया।

जुलाई, 2023 में कांग्रेस की सरकार बनने के कुछ हफ्ते बाद पाटिल ने सीएम सिद्धारमैया को पत्र लिखा था और कुछ मंत्रियों और विधायकों के बर्ताव को लेकर शिकायत की थी। तब इसे लेकर काफी विवाद हुआ था।

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