Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में चुनाव का ऐलान होने से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा ऐलान कर दिया। नीतीश ने कहा कि 1 अगस्त से उनकी सरकार बिहार के लोगों को हर महीने 125 यूनिट बिजली फ्री देगी। नीतीश के इस ऐलान के साथ ही ‘फ्री बिजली’ की राजनीति को लेकर पुरानी बहस फिर से जिंदा होती दिख रही है।
आईए, बात करते हैं कि भारत में ‘फ्री बिजली’ की राजनीति को किसने शुरू किया, किन-किन राज्यों में ‘फ्री बिजली’ के नाम पर चुनाव लड़े गए और कहां किस राजनीतिक दल को कितनी कामयाबीमिली?
‘फ्री बिजली’ देने का ऐलान सबसे पहले दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साल 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले किया था। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को अपने पहले ही चुनाव में बड़ी जीत मिली थी और उसने दिल्ली में की 70 में से 28 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी। माना गया था कि ‘फ्री बिजली’ के साथ ही फ्री पानी का भी इसमें बड़ा रोल रहा था। लेकिन चूंकि बिजली का बिल पानी से ज्यादा आता है इसलिए ‘फ्री बिजली’ का नारा लोगों की जुबां पर चढ़ गया था।
2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में यह फ़ॉर्मूला चल निकला और केजरीवाल के 200 यूनिट तक ‘फ्री बिजली’ के वादे ने वाकई कमाल कर दिया था। दोनों ही चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बड़ी कामयाबी हासिल की। इसके बाद आम आदमी पार्टी उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और जिन राज्यों में चुनाव लड़ने गई, वहां भी उसने ‘फ्री बिजली’ वाला कार्ड चल दिया।
दिल्ली के अलावा इस कार्ड ने पंजाब में भी जबरदस्त काम किया और आम आदमी पार्टी वहां सरकार बनाने में कामयाब रही।
आम आदमी पार्टी को देखते हुए दूसरे राजनीतिक दलों ने भी ‘फ्री बिजली’ के रास्ते पर कदम बढ़ाए। कांग्रेस ने कर्नाटक में 2023 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि अगर राज्य में उसकी सरकार बनी तो 200 यूनिट तक बिजली फ्री दी जाएगी। पार्टी को उसका फायदा मिला और कर्नाटक में उसकी सरकार बन गई।
तमाम राजनीतिक दलों ने ‘फ्री बिजली’ वाला फ़ॉर्मूला, छत्तीसगढ़ राजस्थान, हिमाचल में भी आजमाया। राजस्थान में पिछली कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी हर महीने 100 यूनिट बिजली मुफ्त देने की घोषणा की थी हालांकि उनकी सरकार चली गई थी लेकिन बीजेपी के यह काम आया। बीजेपी शासित राजस्थान में लोगों को 150 यूनिट बिजली फ्री दी जा रही है।
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‘फ्री बिजली’ की राजनीति को लेकर यह सवाल भी उठता है कि भारत जैसे बेहद गरीब मुल्क में लोगों को मुफ्त बिजली देने की क्या जरूरत है। जब देश के कई इलाकों में जबरदस्त पावर कट लग रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में कई-कई घंटे बिजली गुल रहती है और शहरों में भी बिजली की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। गर्मी और उमस के माहौल में लोगों को बिजली के लंबे पावर कट की वजह से परेशानी झेलनी पड़ती है, ऐसे में क्यों सारे राजनीतिक दल ‘फ्री बिजली’ की बात कर रहे हैं। लेकिन क्या करें राजनीति है ही ऐसी, जहां से आपको वोट मिलेंगे, राजनीतिक दल उस रास्ते पर चल पड़ेंगे।
‘फ्री बिजली’ की राजनीति से गरीब परिवारों को जरूर फायदा होता है। उनकी जेब में कुछ पैसे बचते हैं जो घर खर्च में इस्तेमाल होते हैं लेकिन सवाल यह है कि अगर ‘फ्री बिजली’ की राजनीति इसी तरह चलती रही तो इससे सरकारी खजाने को बहुत बड़ा नुकसान होगा। फ्री की इस राजनीति यानी रेवड़ी की राजनीति को लेकर सोशल मीडिया से लेकर सड़क और सुप्रीम कोर्ट तक में काफी बहस हो चुकी है।
‘फ्री बिजली’ की राजनीति के बीच एक बड़ी चर्चा सोलर पैनल को लेकर है। पिछले कुछ सालों में सोलर पैनल को केंद्र सरकार ने काफी बढ़ावा दिया है। भारत सरकार ने फरवरी 2024 में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घरों पर सोलर पैनल लगवाए और इस वजह से उन्हें बिजली फ्री मिलने लगी या फिर बिल काफी कम हो गया। सरकार इसके लिए सब्सिडी भी दे रही है।
केंद्र सरकार का कहना है कि उसकी कोशिश भारत में हर घर को मुफ्त बिजली उपलब्ध कराने और बिजली के बिल को जीरो करने की है। बड़ी संख्या में लोगों ने इसका फायदा उठाया और इससे उनके बिजली के बिल काफी कम हो गए। ऐसे में अगर सोलर पैनल का विचार आगे बढ़ता रहा तो निश्चित रूप से ‘फ्री बिजली’ की राजनीति का टिक पाना मुश्किल हो सकता है। हालांकि शहरों में लोगों के पास घरों के ऊपर इतनी जगह नहीं होती कि वे वहां सोलर पैनल लगा सकें लेकिन जिन घरों में सोलर पैनल लगाने के लिए जगह है, वे इस योजना के लिए आगे आ रहे हैं।
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मोदी सरकार ने इस दिशा में आगे बढ़ते हुए हाल ही में ऐलान किया कि अब न सिर्फ मकान मालिक बल्कि किराएदारों को भी पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का फायदा मिलेगा और इससे जुड़कर वे मुफ्त बिजली प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए सरकार ने कुछ शर्तें बताई हैं लेकिन यह सुविधा भी दी है कि मकान बदलने पर वे छत से सोलर पैनल को हटाकर कहीं दूसरी जगह भी ले जा सकते हैं।
सोलर पैनल से ऊर्जा की बचत के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा भी होती है इसलिए भी इसे काफी पसंद किया जाता है और बिजली के खर्च का बोझ भी लोगों पर कम होता है।
अब बात फिर से आती है राजनीति पर। हमने देखा कि पिछले कुछ सालों में कई राज्यों में ‘फ्री बिजली’ के फ़ॉर्मूले ने काम किया और यह बात मुफ्त बिजली से आगे बढ़कर फ्री बस यात्रा, मुफ्त इलाज, मुफ्त पानी तक पहुंच गई लेकिन इसमें भी ‘फ्री बिजली’ का नारा सोशल मीडिया और राजनीतिक दलों की जुबान पर काफी चर्चा में रहता है। ‘फ्री बिजली’ के नारे की ताकत को देखते हुए ही आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने पिछले साल दिसंबर में ही बात का ऐलान कर दिया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो बिहार के लोगों को हर महीने 200 यूनिट बिजली फ्री दी जाएगी। देखना होगा कि यह नारा क्या बिहार के विधानसभा चुनाव में भी काम करेगा?
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