क्यों बिहार-बंगाल क्रिमिनल नेक्सस पुलिस के लिए बन रहा बड़ी मुसीबत? कोलकाता में पकड़ा गया पटना हॉस्पिटल मर्डर का आरोपी

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बिहार की राजधानी पटना के एक अस्पताल में कुछ दिन पहले बदमाशों ने एक कैदी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। अब इसी सिलसिले में कोलकाता के एक 26 वर्षीय व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है। ऐसे में एक बार फिर सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्या पश्चिम बंगाल पड़ोसी राज्यों, खासकर बिहार के अपराधियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बनता जा रहा है। पुलिस अधिकारी मज़बूत अंतर-राज्यीय समन्वय की आवश्यकता पर ज़ोर दे रहे हैं, वहीं विपक्षी नेताओं और पूर्व पुलिस अधिकारियों ने सीमा पार अपराध के एक उभरते पैटर्न की ओर इशारा किया है। यहां से अपराधी आसानी से काम कर रहे हैं।

रविवार को कोलकाता पुलिस के विशेष कार्य बल (STF) ने एक गेस्टहाउस से 26 वर्षीय तौसीफ को गिरफ्तार किया। वह 36 वर्षीय चंदन मिश्रा की हत्या का आरोपी है, जो हत्या का एक दोषी था और पैरोल पर बाहर था। कोलकाता पुलिस ने कहा कि बिहार पुलिस आरोपियों को हिरासत में लेने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू कर रही है, जिनमें से तीन को गिरफ्तार भी कर लिया गया है।

एक रिटायर्ड वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि अपराधियों की सीमा पार आवाजाही कानून के लिए काफी चुनौतियां पेश करती है। अधिकारी ने कहा, “यह घटना अकेली नहीं है, बल्कि यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति का संकेत है, जहां एक राज्य में आपराधिक गतिविधियों में शामिल व्यक्ति दूसरे राज्य में सक्रिय पाए जा रहे हैं या शरण ले रहे हैं।”

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हालांकि CPI(M) केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि राज्य की ममता सरकार इसमें शामिल है। उन्होंने कहा, “अपराधी बंगाल और कोलकाता को सुरक्षित पनाहगाह मान रहे हैं। क्या यह स्थानीय पुलिस को नियंत्रित करने वालों की मदद के बिना हो सकता है? अपराधियों को लगता है कि यहां कोई उनके लिए चीज़ें ‘मैनेज’ कर सकता है।”

वहीं जवाब में तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता कुणाल घोष ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि सीमा पार आपराधिक गतिविधियां सिर्फ़ बंगाल तक ही सीमित नहीं हैं। उन्होंने कहा, “ऐसी घटनाएं हुई हैं जहां अपराध यहां हुए लेकिन अपराधियों का पता दूसरे राज्यों से चला। हमने पड़ोसी राज्यों में डकैती शिविर भी चलते देखे हैं, जहां से अपराधियों को बंगाल भेजा गया।”

कुणाल घोष ने आसनसोल का एक कथित उदाहरण देते हुए कहा, “आसनसोल में एक डकैती के बाद यह पाया गया कि अपराधियों को एक पड़ोसी राज्य में प्रशिक्षित किया गया था। उन्हें वहां हथियार दिए गए और अपराध करने के लिए यहां भेजा गया। उस समय हमने यह नहीं कहा था कि राज्य अपराधियों के लिए पनाहगाह है।” घोष ने अगरतला में कथित रोहिंग्या घुसपैठियों की गिरफ़्तारियों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग दिल्ली जा रहे थे, तो कुछ बंगाल जाने वाली ट्रेन पकड़ने की योजना बना रहे थे। हमारे खुफिया नेटवर्क की बदौलत ही पड़ोसी राज्यों से कई लोगों को गिरफ्तार करने में मदद मिली।

2024 में बिहार के गैंगस्टर पप्पू चौधरी का नाम टीएमसी पार्षद सुशांत घोष की हत्या के प्रयास में सामने आया। पप्पू चौधरी और उसके साथी बिहार गैंगस्टर सुबोध सिंह को पुलिस ने बंगाल में कई हाई-प्रोफाइल अपराधों से जोड़ा है, जिसमें 2019 में भाजपा नेता मनीष शुक्ला की हत्या और 2023 में दुर्गापुर के व्यवसायी राजू झा की हत्या शामिल है। सुबोध सिंह का नाम बंगाल के कई जिलों में कई मामलों में सामने आया है। 2024 में नदिया और पुरुलिया में ज्वेलरी की दुकानों में हुई डकैती के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए चार संदिग्ध कथित तौर पर बिहार स्थित एक गिरोह का हिस्सा पाए गए।

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पुलिस सूत्रों का अनुमान है कि बिहार के सीमावर्ती इलाकों में लगभग 50 आपराधिक गिरोह सक्रिय हैं, जिनके तार बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश और यहां तक कि नेपाल तक फैले हुए हैं। उनके अनुसार पिछले तीन वर्षों में कोलकाता पुलिस एसटीएफ और बिहार एसटीएफ के संयुक्त अभियानों में कम से कम 58 गिरफ्तारियां हुई हैं और 115 से अधिक शस्त्र जब्त किए गए हैं, जिनमें से कई कथित तौर पर बिहार में अवैध हथियार कारखानों से प्राप्त किए गए हैं। दोनों राज्यों के बीच हथियारों का व्यापार एक बढ़ती हुई चिंता का विषय बना हुआ है।

पिछले साल बिहार के मुंगेर में एक संयुक्त छापेमारी में एक हथियार निर्माण इकाई का पर्दाफाश हुआ, जहां से बंदूक के पुर्ज़े और उपकरण ज़ब्त किए गए। कोलकाता और झारखंड के कुछ हिस्सों में भी इसी तरह की छापेमारी में अवैध हथियार और कारतूस बरामद हुए हैं।

एक पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा, “बंगाल-बिहार सीमा की प्रकृति और अपराधियों का एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में आसानी से आना-जाना, चीज़ों को मुश्किल बना देता है। हमें वर्तमान स्थिति से कहीं अधिक कठोर अंतर-राज्यीय समन्वय की आवश्यकता है।”

एक अन्य वरिष्ठ सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने आगे कहा, “खुफिया जानकारी विकसित न कर पाना और सक्रिय कदम न उठा पाना हमारी विफलता है। बिहार में जो हो रहा है, उस पर हमारी नज़र नहीं है, लेकिन अगर बार-बार अपराधी गिरफ्तारी से बचने के लिए कोलकाता भागते पाए जाते हैं, तो इससे बदनामी होती है। यह निश्चित रूप से चिंताजनक है।”