ना विपक्ष को बख्शा, सरकार को भी आईना… सबसे मुखर उपराष्ट्रपति बनने में सफल रहे धनखड़

Jagdeep Dhankar Resigns: जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया, अचानक लिया गया यह फैसला कई को हैरान कर गया। जिसकी उम्मीद किसी ने नहीं की थी, जिसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों तक में नहीं चल रही थी, वो फैसला धनखड़ ने सोमवार देर रात लिया। कारण उन्होंने स्वास्थ्य बताया, लेकिन नेताओं के बयान बता रहे हैं कि वजह से सियासी भी हो सकती है। अब असल कारण या सियासी कारण तो आने वाले दिनों में साफ होगा, इस समय हर कोई जगदीप धनखड़ के कार्यकाल को याद कर रहा है।

देश में जब भी उपराष्ट्रपति की बात होती है, उनके पास संवैधानिक अधिकार तो होते हैं, लेकिन कभी ज्यादा चर्चा नहीं की जाती। कितने उपराष्ट्रपति आए कितने उपराष्ट्रपति गए, लेकिन ऐसा नहीं देखने को मिलता कि उनके कार्यकाल को उस तरह से याद रखा जाए। इसका बड़ा कारण यह होता है कि उपराष्ट्रपति ज्यादा सक्रिय दिखाई नहीं देते, वे खुलकर अपने विचार नहीं रखते। लेकिन इसी मामले में जगदीप धनखड़ दूसरे कई उपराष्ट्रपतियों से एकदम अलग दिखाई दिए।

जगदीप धनखड़ जब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बनाए गए थे, उनके तेवर साफ दिख चुके थे। उन्होंने उस समय भी साबित कर दिया था कि राज्यपाल भी मायने रखता है, उनकी सक्रियता के बिना भी कुछ नहीं हो सकता। अब विवाद हुए, तकरार हुई, लेकिन जगदीप धनखड़ जबरदस्त लोकप्रियता और सुर्खियां बंटोरते रहे। इसी वजह से जब बाद में जगदीप धनखड़ को उप राष्ट्रपति पद के लिए आगे किया गया, साफ समझ आ चुका था कि अब यह पद भी खूब सुर्खियां बंटोरने वाला है।

ऐसा हुआ भी और जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति की कुर्सी संभालते अलग ही तेवर दिखाएं, उन्होंने राह ऐसी पकड़ी जो किसी दूसरे वाइस प्रेसिडेंट तो नहीं पकड़ी थी। उन्होंने खुलकर अपने विचार रखें, उन्होंने बिना हिचके किसी एक पक्ष का समर्थन किया, जरूरत पड़ने पर सरकार तक को आईना दिखाया। शायद ही कोई दिन रहा जब जगदीप धनखड़ का बयान ना आया हो, उनकी खबर ना बी हो। यह बताने के लिए काफी रहा कि जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है।

यहां जानते हैं जगदीप धनखड़ कुछ ऐसे बयान जो उन्हें तुरंत सुर्खियों और विवादों में लाए-

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भारत के साथ संभावित व्यापार समझौते की खबरों के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से टैरिफ (सीमा शुल्क) बढ़ाने की धमकी दी है। स्टील और एल्युमीनियम के बाद उन्होंने तांबे पर 50%, साथ ही अगले साल से आयातित दवाओं पर 200% तक शुल्क-वृद्धि की चेतावनी दी है। बेशक, ऐसे बयानों पर अभी स्पष्टता आनी शेष है, लेकिन सीमा शुल्क में यदि इस तरह की बढ़ोतरी होती है, तो भारत पर भी इसका कुछ हद तक असर पड़ सकता है, खासकर दवा उद्योग पर।

दरअसल, भारत का सबसे बड़ा दवा बाजार अमेरिका ही है। वित्त वर्ष 2025 में उसने 9.8 अरब डालर की दवाइयां मंगवाई थी, जो पिछले साल के मुकाबले 21 फीसद ज्यादा थी। भारत जितनी दवाइयां दूसरे देशों को बेचता है, उसका 40 फीसदी हिस्सा अमेरिकी बाजार को जाता है। इनमें भी जेनेरिक दवाइयों की मात्रा काफी ज्यादा 45 फीसद तक होती है। ऐसे में, सीमा शुल्क बढ़ाने से अमेरिकी बाजार में भारतीय दवाइयां महंगी हो सकती हैं, जिससे उनकी मांग भी प्रभावित होगी।

रही बात तांबे की, तो साल 2024-25 में भारत ने वैश्विक स्तर पर दो अरब डालर मूल्य का तांबा और तांबे से बने उत्पादों का निर्यात किया था, जिनमें से 36 करोड़ डालर मूल्य का, यानी 17 फीसदी निर्यात अमेरिकी बाजारों को किया गया था।

आंकड़ों की मानें, तो तांबा निर्यात के लिहाज से अमेरिका भारत का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। हमसे ज्यादा तांबा सऊदी अरब (26 फीसद) और चीन (18 फीसद) अमेरिका भेजते हैं। मगर अच्छी बात यह है कि तांबे की गिनती काफी महत्त्वपूर्ण खनिजों में होती है और इसका ऊर्जा, विनिर्माण व बुनियादी ढांचे सहित तमाम क्षेत्रों में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाता है। नए शुल्क के बाद यदि अमेरिकी बाजार में इसकी मांग घटती भी है, तो घरेलू उद्योग से उसकी भरपाई की जा सकेगी।

लिहाजा, ट्रंप यदि अपनी धमकी को अमल में लाते हैं, तब भी हमें कुछ हद तक ही परेशानी होगी। मगर मूल सवाल तो यह है कि क्या वह ऐसा करेंगे?

दरअसल, ट्रंप अब तक शुल्क को लेकर अपने बयान बार-बार बदलते रहे हैं। वह कभी नए शुल्क का एलान करते हैं, तो अगले ही दिन उसे टाल देने की बात भी कहने लगते हैं। इससे लगता है कि वह दो कदम आगे बढ़ते हैं और एक कदम पीछे हट जाते हैं। उनकी उलझन वाजिब भी दिखती है।

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असल में, उन्होंने पद संभालने के साथ ही सख्त शुल्क नीति लाने का एलान किया था। उनका मानना था कि ऐसा कहने से तमाम देश अमेरिका के साथ नया समझौता करने को बाध्य होंगे और वाशिंगटन को अपने व्यापार-घाटा से पार पाने में मदद मिलेगी। उस वक्त उन्होंने 90 दिनों में 90 समझौते करने की उम्मीद जताई थी। मगर ऐसा हो नहीं सका।

अब तक बमुश्किल दो-तीन समझौते ही वह कर सके हैं, वे भी पूरी तरह से लागू नहीं हो सके हैं। मसलन, ब्रिटेन व वियतनाम के साथ उन्होंने संधि का एलान किया, जबकि चीन के साथ सीमित प्रावधानों पर सहमति बन सकी है। जाहिर है, ट्रंप अपनी नीतियों पर मनमर्जी आगे नहीं बढ़ सके हैं। उनकी यह सोच साकार होती नजर नहीं आ रही कि सख्त शुल्क नीति के जवाब में अन्य देश अमेरिका के आगे झुकने को मजबूर होंगे।

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जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद ये 5 सवाल सभी के मन में आ रहे हैं

Jagdeep Dhankar Resignation: जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया है, सोशल मीडिया पर तो अभी से ही अटकलों का बाजार गर्म हो चुका है। कोई कारण सियासी मान रहा है तो कोई इसे सीधे किसी और चीज से जोड़कर देख रहा है। लेकिन क्योंकि सरकार ने इस पर कुछ स्पष्ट नहीं बताया है, धनखड़ ने भी सिर्फ स्वास्थ्य कारणों पर फोकस किया है, ऐसे में अभी तक पुख्ता रूप से कुछ भी नहीं कहा जा सकता।

अब इस बीच हर किसी के मन में 5 सवाल जरूर आ रहे हैं, हर कोई गूगल पर इन्हें लेकर सर्च कर रहा है। ऐसे में एक ही जगह पर उन सभी पांच सवालों के जवाब दे देते हैं।

जगदीप धनखड़ ने जो एक चिट्ठी जारी की है, उसमें उन्होंने स्वास्थ्य कारणों को ही अपने इस्तीफे का कारण बताया है। उन्होंने अपनी तरफ से किसी भी तरह के सियासी प्रेशर का जिक्र नहीं किया है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में अभी से चर्चा है कि किसी और वजह से अचानक से इस्तीफा हुआ है।

अभी तक किसी का भी नाम सामने नहीं आया है, लेकिन बीजेपी के अंदरखाने ऐसी बात चल रही है कि किसी अनुभवी नेता को ही इतना जरूरी पद मिलना चाहिए। चर्चा हरिवंश नारायण सिंह की भी हो रही है, इस समय वे उपसभापति की भूमिका निभा रहे हैं।

जैसे हर चीज का बैकअप होता है, राज्यसभा भी ऐसी अप्रत्याशित घटनाओं के लिए तैयार रहता है। अगर कभी उपराष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा दे दें तो उस स्थिति में संसद की कार्यवाही उपसभापति के पास चली जाती है। जब तक नए उपराष्ट्रपति नहीं चुन लिए जाते, उपसभापति ही उस पद को संभालते हैं।

इसका सीधा जवाब है नहीं। हमारा संविधान कोई भी ऐसा पद नहीं देता है, ऐसे में अगर उपराष्ट्रपति इस्तीफा देंगे तो जल्द से जल्द फिर चुनाव ही करवाना होगा।

संविधान के आर्टिकल 68 के मुताबिक, उपराष्ट्रपति के पद पर उनकी मृत्यु, इस्तीफा या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से होने वाली रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, पद खाली होने के बाद जल्द से जल्द कराया जाएगा। संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधि पद्धति यानी प्रपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन सिस्टम से होता है।

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Jagdeep Dhankhar Resigns: ‘सितंबर में बहुत कुछ होगा…’, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर संजय राउत बोले – दिल्ली में पर्दे के पीछे कुछ हो रहा

Jagdeep Dhankhar Resign: देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर ना केवल विपक्ष बल्कि सत्ता पक्ष को भी चौंका दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों को इसकी वजह बताया। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक का था। इसी बीच, शिवसेना यूबीटी सांसद संजय राउत ने एक बड़ा दावा किया है और कहा कि सितंबर में बहुत कुछ होने वाला है।

मीडिया से बातचीत में शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने कहा, ‘देखिए मैं इस बारे में अभी कोई बात नहीं कर सकता हूं। लेकिन पर्दे के पीछे कुछ हो रहा है। बड़ी राजनीति हो रही है। दिल्ली में राष्ट्रीय राजनीति में पर्दे के पीछे कुछ ऐसी बात हो रही है जो जल्दी ही सामने आ जाएगी। उपराष्ट्रपति का जो इस्तीफा है वो कोई साधारण घटना नहीं है। जो कारण दिया गया है उनकी हेल्थ का मैं वो मानने को बिल्कुल तैयार नहीं हूं। वो बहुत ही स्वस्थ आदमी हैं और खुश मिजाज आदमी हैं। वैसे मैदान छोड़ने वाले आदमी में से तो नहीं है। हमारे उनसे मतभेद तो हो सकते हैं और दूसरा मैं मानता हूं कि वो सहजता से मैदान छोड़ने वाले व्यक्ति नहीं है। वो लड़ने वाले आदमी है।’

संजय राउत ने आगे दावा करते हुए कहा, ‘नहीं उनकी हेल्थ ठीक है और वो एकदम स्वस्थ हैं। कल दिनभर मैं जब उनको देख रहा था तो वो एकदम परफैक्ट थे। कुछ ना कुछ तो हो रहा है। इस बात का जल्द से जल्द पता चलेगा। बहुत कुछ हो सकता है सितंबर के महीने में। आपको जल्दी ही देखने को मिलेगा। बीजेपी को तो विपक्ष से प्रॉब्लम होती ही है। वो तो विपक्ष को देश में रखना ही नहीं चाहती है।

ना विपक्ष को बख्शा, सरकार को भी आईना… सबसे मुखर उपराष्ट्रपति बनने में सफल रहे धनखड़

VIDEO | Delhi: While addressing a press conference, Shiv Sena (UBT) leader Sanjay Raut says, “Something is happening behind the curtains in Delhi which will be revealed soon. It’s not an ordinary event. Jagdeep Dhankar’s health was totally fine. I have been observing him. He is… pic.twitter.com/GO9rlUZkBY

कांग्रेस पार्टी के सांसद जयराम रमेश ने भी धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘कल दोपहर 12:30 बजे जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की अध्यक्षता की। इस बैठक में सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू समेत ज़्यादातर सदस्य मौजूद थे। थोड़ी देर की चर्चा के बाद तय हुआ कि समिति की अगली बैठक शाम 4:30 बजे फिर से होगी।’

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कांग्रेस नेता ने आगे कहा, ‘शाम 4:30 बजे जगदीप धनखड़ की अध्यक्षता में समिति के सदस्य दोबारा बैठक के लिए इकट्ठा हुए। सभी नड्डा और रिजिजू का इंतजार करते रहे, लेकिन वे नहीं आए। सबसे हैरानी की बात यह थी कि जगदीप धनखड़ को व्यक्तिगत रूप से यह नहीं बताया गया कि दोनों मंत्री बैठक में नहीं आएंगे। स्वाभाविक रूप से उन्हें इस बात का बुरा लगा और उन्होंने BAC की अगली बैठक आज दोपहर 1 बजे के लिए टाल दी। इससे साफ है कि कल दोपहर 1 बजे से लेकर शाम 4:30 बजे के बीच जरूर कुछ गंभीर बात हुई है, जिसकी वजह से जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू ने जानबूझकर शाम की बैठक में हिस्सा नहीं लिया।’

जयराम रमेश ने कहा, ‘अब एक बेहद चौंकाने वाला कदम उठाते हुए, जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इसकी वजह अपनी सेहत को बताया है। हमें इसका मान रखना चाहिए। लेकिन सच्चाई यह भी है कि इसके पीछे कुछ और गहरे कारण हैं। जगदीप धनखड़ ने हमेशा 2014 के बाद के भारत की तारीफ की, लेकिन साथ ही किसानों के हितों के लिए खुलकर आवाज उठाई। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में बढ़ते ‘अहंकार’ की आलोचना की और न्यायपालिका की जवाबदेही व संयम की जरूरत पर जोर दिया। मौजूदा ‘G2’ सरकार के दौर में भी उन्होंने जहां तक संभव हो सका, विपक्ष को जगह देने की कोशिश की।’ पल-पल की अपडेट्स के लिए पढ़ें लाइव ब्लॉग

Dharmasthala Case: कर्नाटक के धर्मस्थल में 100 से ज्यादा महिलाओं-लड़कियों से रेप, हत्या और दफनाने का पूरा मामला क्या है? पढ़िए टाइमलाइन

Dharmasthala Mass Burial Case: कर्नाटक के धर्मस्थल इलाके में महिलाओं और नाबालिग लड़कियों से बलात्कार, हत्या और उन्हें दफनाने के दावे के बाद हड़कंप मचा हुआ है। मामले में जांच के लिए कर्नाटक सरकार ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया गया है। यह मामला तब सामने आया जब धर्मस्थल में काम कर चुके एक सफाईकर्मी ने दावा किया कि उसे 1998 से 2014 के बीच महिलाओं और नाबालिगों के शवों को दफनाने और उनका अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया गया था।

सफाई कर्मचारी ने दावा किया था कि इन महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के शवों पर हमले के निशान भी थे। धर्मस्थल कर्नाटक का एक बड़ा तीर्थस्थल है, जहां बहुत सारे मंदिर हैं और यहां राज्य से बाहर के भी भक्त आते हैं।

पूर्व सफाई कर्मी ने बताया है कि पीड़िताओं के साथ किस तरह की खौफनाक घटनाएं हुई और इनमें एक स्कूली छात्रा भी शामिल है जिसे स्कूल यूनिफॉर्म में ही दफनाया गया था और एक 20 साल की महिला भी थी जिसका चेहरा तेजाब से जला दिया गया था।

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पूर्व सफाई कर्मी के दावे के बाद मामले में एफआईआर दर्ज की गई, मामले से जुड़े गवाहों को सुरक्षा दी गई और कंकाल के हिस्सों को अदालत में पेश किया गया। सफाई कर्मी के दावे के बाद कर्नाटक में बड़े पैमाने पर लोगों की नाराजगी सामने आई और अब राज्य सरकार ने जांच को आगे बढ़ाया है।

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मंदिर के प्राधिकरण ने कहा कि वह इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच का समर्थन करता है और SIT को इस मामले में सच सामने लाना चाहिए। आइए, इससे इससे जुड़ी टाइमलाइन पर नजर डालते हैं।

एडवोकेट ओजस्वी गौड़ा और सचिन देशपांडे पूर्व सफाई कर्मचारी से मिले। सफाई कर्मचारी ने दावा किया कि वह धर्मस्थल में कब्रों को पहचान सकता है और वह इस अपराध को लोगों के सामने लाना चाहता है।

बेंगलुरु के वकीलों का एक प्रतिनिधिमंडल दक्षिण कन्नड़ पुलिस अधीक्षक से मिला और दावों की जांच करने की अपील की।

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पूर्व सफाई कर्मचारी ने पुलिस अधीक्षक को लिखित शिकायत दी। उसने फोटोग्राफिक सबूत भी दिए और आरोप लगाया कि उसे 16 साल तक महिलाओं और नाबालिगों के शवों को दफनाने के लिए मजबूर किया गया।

धर्मस्थल पुलिस ने सफाई कर्मचारी की शिकायत के आधार पर Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita (BNSS)की धारा 211 (ए) के तहत FIR दर्ज की।

पूर्व सफाई कर्मचारी बेल्थांगडी कोर्ट के सामने पेश हुआ और उसने कंकाल के अवशेष अदालत के सामने रखे। उसने दावा किया कि इसने उसे एक कब्रगाह से निकाला है। शिकायतकर्ता के वकील पवन देशपांडे ने मीडिया से कहा कि इस मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष नागलक्ष्मी चौधरी ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिखकर मौतों की जांच के लिए एक SIT के गठन की मांग की।

बेंगलुरु की एक महिला ने धर्मस्थल पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि एमबीबीएस में पढ़ने वाली उसकी बेटी अनन्या भट्ट 2003 में धर्मस्थल जाने के बाद लापता हो गई थी। उसकी मां सुजाता ने इस बार फिर से शिकायत दर्ज कराई। मां का कहना है कि पीड़िताओं में उनकी बेटी भी शामिल हो सकती है। इसके बाद SIT के गठन को बल मिला।

एडवोकेट्स के एक समूह ने अदालत में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए गोपनीय बयानों को एक यूट्यूबर को लीक कर दिया गया है और इससे गवाहों की सुरक्षा और जांच को लेकर चिंता खड़ी हो गई है।

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सरकार किसी दबाव में नहीं है और तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच सही ढंग से आगे बढ़ेगी। दक्षिण कन्नड़ के जिला प्रभारी मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा कि मामले की जांच पारदर्शी तरीके से की जाएगी और किसी भी व्यक्ति को बचाया नहीं जाएगा।

कर्नाटक सरकार ने डीजीपी (आंतरिक सुरक्षा) प्रणब मोहंती की अध्यक्षता में एक SIT का गठन किया। SIT में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एमएन अनुचेथ, सौम्यलता और जेके दयामा को शामिल किया गया। SIT धर्मस्थल में हुई सभी संदिग्ध मौतों, गुमशुदगी और यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच करेगी।

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श्री क्षेत्र धर्मस्थल ने एक बयान जारी कर SIT के गठन का स्वागत किया और निष्पक्ष और उच्च स्तरीय जांच की मांग की। SIT ने जांच शुरू कर दी है।

पूर्व सफाई कर्मचारी की शिकायत के मुताबिक, उसे धमकी दी जाती थी कि अगर उसने शवों को दफनाने से इनकार किया तो उसे जान से मार दिया जाएगा और काटकर बाकी लोगों की तरह दफना दिया जाएगा।

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जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर पीएम नरेंद्र मोदी का पहला रिएक्शन

PM Narendra Modi On Dhankar Resignation: जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर पीएम मोदी का पहला रिएक्शन आ गया है। उन्होंने कहा है कि वे उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। असल में सोमवार रात को जगदीप धनखड़ ने अचानक से उप राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, उन्होंने खुद एक चिट्ठी में स्वास्थ्य का हवाला दिया था। उस एक फैसले के बाद से ही सियासत गरमा गई थी और तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं।

अब इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर कहा है कि श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं। वैसे पीएम मोदी ने जरूर सामने से आकर रिएक्शन दिया है, लेकिन बीजेपी के बड़े और दिग्गज नेताओं ने इस पर अभी तक खुलकर कोई टिप्पणी नहीं की है। इसके ऊपर विपक्षी खेमे में तो इस समय बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा को निशाने पर लिया जा रहा है।

Shri Jagdeep Dhankhar Ji has got many opportunities to serve our country in various capacities, including as the Vice President of India. Wishing him good health.श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम…

जब से जगदीप धनखड़ का इस्तीफा हुआ है, एक वर्ग जेपी नड्डा पर भी सवाल खड़े कर रहा है। असल में सोमवार को जब मानसून सत्र शुरू हुआ था, तब कार्यवाही के दौरान नड्डा ने कह दिया था सिर्फ मेरी बात ऑन रिकॉर्ड जाएगी, बाकी किसी का कुछ नहीं जाएगा। विपक्ष का आरोप रहा कि नड्डा का ऐसा बयान चेयर का सबसे बड़ा अपमान है। दावा यहां तक किया गया कि इसी वजह से जगदीप धनखड़ नाराज हुए।

वैसे अब जब जगदीप धनखड़ इस्तीफा दे चुके हैं, सभी के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चा पांच सवालों की हो रही है।

जगदीप धनखड़ ने जो एक चिट्ठी जारी की है, उसमें उन्होंने स्वास्थ्य कारणों को ही अपने इस्तीफे का कारण बताया है। उन्होंने अपनी तरफ से किसी भी तरह के सियासी प्रेशर का जिक्र नहीं किया है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में अभी से चर्चा है कि किसी और वजह से अचानक से इस्तीफा हुआ है।

अभी तक किसी का भी नाम सामने नहीं आया है, लेकिन बीजेपी के अंदरखाने ऐसी बात चल रही है कि किसी अनुभवी नेता को ही इतना जरूरी पद मिलना चाहिए। चर्चा हरिवंश नारायण सिंह की भी हो रही है, इस समय वे उपसभापति की भूमिका निभा रहे हैं।

जैसे हर चीज का बैकअप होता है, राज्यसभा भी ऐसी अप्रत्याशित घटनाओं के लिए तैयार रहता है। अगर कभी उपराष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा दे दें तो उस स्थिति में संसद की कार्यवाही उपसभापति के पास चली जाती है। जब तक नए उपराष्ट्रपति नहीं चुन लिए जाते, उपसभापति ही उस पद को संभालते हैं।

इसका सीधा जवाब है नहीं। हमारा संविधान कोई भी ऐसा पद नहीं देता है, ऐसे में अगर उपराष्ट्रपति इस्तीफा देंगे तो जल्द से जल्द फिर चुनाव ही करवाना होगा।

संविधान के आर्टिकल 68 के मुताबिक, उपराष्ट्रपति के पद पर उनकी मृत्यु, इस्तीफा या पद से हटाए जाने या अन्य किसी कारण से होने वाली रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, पद खाली होने के बाद जल्द से जल्द कराया जाएगा। संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल 

 

‘हेल्दी इंसान को गिरके तुरंत मरते भी देखे हैं…’, रवि किशन बोले- उनको डॉक्टर ने कहा है U Need to Rest

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर जमकर चर्चा हो हो रही है, विपक्षी दल यह मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि उनके इस्तीफे की वजह उनका स्वास्थ्य ही है। विपक्षी दलों से संबंध रखने वाले कई सांसद उनके इस्तीफे को लेकर पर्दे के पीछे कुछ और खेल बता रहे हैं।

विपक्षी दलों द्वारा उठाए जा रहे सवालों को बीजेपी के गोरखपुर से सांसद रवि किशन ने राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने संसद परिसर में न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि विपक्ष का काम है बोलना, किसी भी बात पर, किसी के स्वास्थ्य का भी मजाक उड़ा सकते है, उसपर भी राजनीति कर सकते हैं। मनुष्य के जीवन में आप हेल्दी इंसान को गिरके तुरंत मृत्यु होते भी देखे हैं। कब कौन से पल आदमी बीमार होता है, सुबह क्या है, शाम को क्या है…

उन्होंने आगे कहा, “उनको डॉक्टर ने कहा है कि भई यू नीड टू रेस्ट, अगर कोई रेस्ट करना चाहता है तो उसपर भी राजनीति? किसी का शरीर गवाह न कर रहा है, डॉक्टर ने कहा होगा, कोई रिपोर्ट आई होगी, कोई मेडिकल जांच हुई होगी, डॉक्टर ने कहा होगा… जस्ट टेक केयर, यू नीड टू रेस्ट, सम बडी इज रेस्टिंग, आप उसपर भी राजनीति कर रहे हैं, मतलब हद हो गई राजनीति का लेवल दिन प्रति दिन नीचे गिरता जा रहा है।”

शिवसेना यूबीटी के सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबर शॉकिंग है। उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति की हेल्थ इतनी भी खराब नहीं थी कि उन्हेंं इस्तीफा देना पड़े। किसी ने उनकी तबीयत खराब की है। सत्ताधारी पार्टी चुप है, इसका मतलब है कि कुछ गलत है।

#WATCH | Delhi | On the resignation of Vice President Jagdeep Dhankhar, BJP MP Ravi Kishan says, “…The opposition is making fun of someone’s health condition and doing politics on it…The level of politics is falling…” pic.twitter.com/BuK2ruA0LH

प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी ने जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर क्या कहा?

लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को ‘चौंकाने वाला’ घटनाक्रम करार देते हुए मंगलवार को केंद्र से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या उसे इस बारे में पहले से कोई जानकारी थी। गोगोई ने उपराष्ट्रपति पद के लिए नयी नियुक्ति के संबंध में भी सरकार से स्पष्टीकरण मांगा।

उन्होंने X पर लिखा किया, “माननीय उपराष्ट्रपति का इस्तीफा चौंकाने वाला है। मैं आदरणीय धनखड़ जी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।” उन्होंने कहा, “लेकिन केंद्र सरकार यह स्पष्ट करे कि क्या उसे पहले से इसकी सूचना थी और क्या उसने नया उपराष्ट्रपति चुनने के लिए योजना बनाई थी। कल माननीय उपराष्ट्रपति की अध्यक्षता में हुई बैठक में वरिष्ठ मंत्रियों की अनुपस्थिति अब और भी महत्वपूर्ण हो गई है।”

‘सितंबर में बहुत कुछ होगा…’, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर संजय राउत बोले – दिल्ली में पर्दे के पीछे कुछ हो रहा

‘वो लंबे – जंबे जाट हैं, हट्टे – कट्टे’, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर रेणुका चौधरी बोलीं- BJP में अजीब वायरस घूम रहा

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के कारणों पर विपक्षी दल लगातार सवार कर रहे हैं। अब कांग्रेस पार्टी की राज्यसभा सांसद रेणुका चौधरी ने भी उनके इस्तीफे के पीछे अन्य वजह बताई है। उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में कहा कि अगर स्वास्थ्य खराब होता तो AIIMS जैसे बहुत ही बढ़िया अस्पताल हैं। उपराष्ट्रपति का स्वास्थ्य बड़ा मुद्दा नहीं है। उन्होंने कहा, “वो लंबे – जंबे जाट हैं, हट्टे – कट्टे… सब ठीक – ठाक है लेकिन ये सरकारी बीमारी है। अजीब वायरस बीजेपी में धूमती रहती है। इनको भी लग गई है।”

#WATCH | Delhi | On the resignation of Vice President Jagdeep Dhankhar, Congress Rajya Sabha MP Renuka Chowdhury says, “…If his health has deteriorated, he could have been admitted to AIIMS…Vice President Jagdeep Dhankhar is a Jaat. Everything is fine, but there is a strange… pic.twitter.com/na9spTXoS7

जगदीप धनखड़ के गांव के लोगों में उनके इस्तीफे से निराशा का माहौल है। न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत में उनके गांव के व्यक्ति हरेंद्र धनखड़ ने कहा कि उनके इस्तीफे की खबर सुनकर हमें गहरा सदमा लगा। यह भी सच है कि मार्च में उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी। पिछले महीने जब वे उत्तराखंड गए थे, तो वहां भी उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। 2022 में जब वे उपराष्ट्रपति बने, तो गांव में खुशी का माहौल था कि किठाना के एक किसान का बेटा देश का उपराष्ट्रपति बना। उन्होंने स्कूल और गौशाला को भी काफ़ी आर्थिक सहयोग दिया है। गांंव और आसपास के इलाके में हर कोई दुआ कर रहा है कि उनका स्वास्थ्य अच्छा रहे। वे जल्द स्वस्थ भी हों…

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे पर पीएम नरेंद्र मोदी का पहला रिएक्शन

अशोक गहलोत ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को चौंकाने वाला बताते हुए कहा कि “दबाव में काम करने वाला व्यक्ति ही इस प्रकार से चौंकाने वाला इस्तीफा दे सकता है।” गहलोत ने यह भी कहा कि धनखड़ के इस्तीफे से राजस्थान वासियों को गहरा धक्का लगा है। उन्होंने कहा, “ये घटना पूरे देश को चौंकाने वाली है इसमें कोई दोराय नहीं है। क्योंकि आजादी के बाद उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा पहली बार हुआ है।”

उन्होंने कहा, “घटना इस प्रकार मोड़ ले रही है, प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) आजकल विदेश दौरे पर जा रहे हैं… अचानक उपराष्ट्रपति का इस्तीफा होता है जो पूरे देश दुनिया में चर्चा का विषय बन जाता है।” उन्होंने कहा, “धनखड़ साहब राजस्थान के हैं तो (उनके इस्तीफे से) राजस्थान वासियों को बहुत धक्का लगा। क्योंकि वह किसानों की बात संसद के अंदर व बाहर लगातार उठाते रहे हैं। थोड़े दिन पहले ही उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री को खरी खोटी भी सुनाई। दस जुलाई को ही उन्होंने कहा कि मैं 2027 तक सेवानिवृत्त हो जाऊंगा।”

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Jagdeep Dhankhar Resignation: क्या CM नीतीश कुमार होंगे उपराष्ट्रपति? बिहार सरकार में BJP के मंत्री का बहुत बड़ा बयान आ गया

Bihar CM Nitish Kumar News: उपराष्ट्रपति के पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की सबसे ज्यादा चर्चा जिस राज्य में हो रही है, वह सूबा बिहार है। इसके पीछे वजह यह है कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा, इसे लेकर सोशल मीडिया पर चल रही अटकलों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम सबसे आगे है। हालांकि यह सिर्फ सोशल मीडिया पर चल रही अटकलें हैं लेकिन तमाम लोगों का ऐसा दावा है कि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनने का मौका मिल सकता है।

अब इस मामले में नीतीश की सरकार के मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू का बयान भी आ गया है। नीरज कुमार सिंह बबलू से मंगलवार को जब पत्रकारों ने सवाल पूछा कि ऐसी चर्चा चल रही है कि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनना चाहिए तो उन्होंने सीधे शब्दों में जवाब दिया, ‘अच्छी बात है, बन जाएं तो क्या दिक्कत है… बन जाएं।’

#WATCH | Patna: When asked about speculations of CM Nitish Kumar in the race for the vice-president’s post after Dhankhar’s resignation, Bihar Minister Neeraj Kumar Singh Bablu says, “It is a good thing. If he becomes, then what is the problem with this?…” pic.twitter.com/rA2ZFWQcSA

इस मामले में बिहार बीजेपी के विधायक हरिभूषण ठाकुर का भी बयान आया है। ठाकुर ने कहा, “उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया; इसमें कोई संदेह नहीं है… अगर नीतीश कुमार (उपराष्ट्रपति के रूप में) कार्यभार संभालते हैं तो बिहार के लोग खुश होंगे।”

#WATCH | Patna | On VP Jagdeep Dhankhar’s resignation, BJP MLA Haribhushan Thakur says, “He resigned due to health conditions; this is not questionable… Bihar’s people will be happy if Nitish Kumar takes over (as Vice President)…” pic.twitter.com/6KxHKfI6yx

नीरज कुमार सिंह बबलू और बीजेपी के विधायक हरिभूषण ठाकुर के बयानों से सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं को ताकत मिली है क्योंकि टीवी चैनलों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस बात को लेकर बहस चल रही है कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और इसमें अधिकतर लोग इस पद पर नीतीश कुमार की दावेदारी को मजबूत बता रहे हैं। हालांकि नीतीश की पार्टी जेडीयू की ओर से इसे लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद ये 5 सवाल सभी के मन में आ रहे हैं

फिर भी चर्चाओं और अटकलों का बाजार गर्म है। बिहार में अगले महीने विधानसभा चुनाव का ऐलान हो सकता है और अक्टूबर-नवंबर तक राज्य में नई सरकार बन जाएगी। इस बीच, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद जब सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में चलने लगा तो पटना से लेकर दिल्ली तक लोगों के कान खड़े हो गए। लोगों ने सवाल उठाया कि क्या वाकई ऐसा हो सकता है?

नीतीश कुमार पिछले 20 साल से (जीतन राम मांझी के 10 महीने के कार्यकाल को छोड़कर) लगातार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। नीतीश कुमार चाहे गठबंधन के साथ रहे या फिर एनडीए के साथ, वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहे लेकिन अब ऐसी चर्चा है कि वह बतौर उपराष्ट्रपति दिल्ली जा सकते हैं।

इस तरह की चर्चाओं पर तब तक विराम नहीं लगेगा जब तक एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया जाता। एक चर्चा यह भी है कि नीतीश कुमार को अगर बीजेपी और एनडीए उपराष्ट्रपति बनाते हैं तो इससे उन्हें विधानसभा चुनाव में बिहार की पिछड़ी जातियों का अच्छा-खासा समर्थन मिलेगा।

धनखड़ के इस्तीफे के बाद कौन चलाएगा राज्यसभा? यहां जानें जवाब

बिहार की आबादी में पिछड़ा समुदाय की आबादी 63% है और यह न सिर्फ बिहार बल्कि उत्तर प्रदेश और भारत के तमाम राज्यों में एक ताकतवर जातीय समूह है। इस तरह की अटकलें सही साबित होती हैं यानी नीतीश कुमार अगर उपराष्ट्रपति बनते हैं तो एनडीए उत्तर प्रदेश, बिहार में पिछड़ी जाति के मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ को और मजबूत कर सकता है।

देखना होगा कि इस तरह की अटकलों में कितना दम है?

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इस्तीफा जगदीप धनखड़ का, लेकिन पूरा विपक्ष जेपी नड्डा को ‘विलेन’ बताने में क्यों लगा?

Why Did Jagdeep Dhankar Resign: उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा हो चुका है। उस इस्तीफे को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। धनखड़ ने खुद जरूर स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, लेकिन विपक्ष इसे एक बड़ा राजनीतिक कदम मान रहा है, वो इसके अलग ही मायने निकाल रहा है। यहां भी सबसे ज्यादा चर्चा बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा की हो रही है। पूरा विपक्ष इस समय जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद जेपी नड्डा को ही विलेन की तरह पेश कर रहा है।

अब विपक्ष के पास अपनी एक थ्योरी इस समय तैयार है। उस थ्योरी के आधार पर ही वो धनखड़ के इस्तीफे के बाद नड्डा को निशाने पर ले रहे हैं। यह पूरा विवाद सोमवार को शुरू हुए मानसून सत्र से जुड़ा हुआ है। असल में राज्यसभा में जेपी नड्डा की विपक्षी सांसदों के साथ कहासुनी हुई थी। संसद की कार्यावही के दौरान क्योंकि विपक्ष लगातार हंगामा कर रहे थे, ऐसे में जेपी नड्डा ने दो टूक कहा था- मैं जो बोल रहा हूं, वहीं ऑन रिकॉर्ड जाएगा, बाकी कुछ नहीं जाएगा। अब इसी बयान को विपक्ष ने एक बड़ा मुद्दा बना लिया है।

विपक्ष के नेताओं का तर्क है कि जेपी नड्डा ने इस बयान से सीधे-सीधे चेयर का अपमान किया है। विपक्ष ही इस थ्योरी को भी बल दे रहा है कि इसी वजह से जगदीप धनखड़, जेपी नड्डा से खफा हो गए थे। इसके ऊपर इस समय खबर यह भी है कि बिजनेस एडवाइजरी की जो मीटिंग सोमवार शाम को होनी थी, उसमें जेपी नड्डा ने हिस्सा नहीं लिया। विपक्ष ने इसे भी मुद्दा बना लिया है, वो भी इसे भी धनखड़ की नाराजगी और अपमान से जोड़कर देख रहा है। यह अलग बात है कि इस विवाद पर अब खुद जेपी नड्डा ने सफाई पेश की है।

सबसे मुखर उपराष्ट्रपति बनने में सफल रहे धनखड़

बैठक में शामिल ना होने पर नड्डा ने कहा था कि उपराष्ट्रपति कार्यालय को बैठक में उपस्थित न हो पाने की हमारी असमर्थता के बारे में सूचित कर दिया गया था। इसके अलावा संसद वाले विवाद के लिए भी नड्डा ने दो टूक कहा कि उनका बयान चेयर के लिए नहीं बल्कि हंगामा कर रहे विपक्षी सांसदों के लिए था। वैसे एक और कारण इस समय सामने आया है जिसे धनखड़ के इस्तीफए से जोड़कर देखा जा रहा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस यशवंत वर्मा को जो हटाने की तैयारी चल रही है, उसमें राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने भी एक नोटिस दे दिया था, वो साइन किया गया नोटिस वर्मा को हटाने को लेकर ही था। बड़ी बात यह रही कि जगदीप धनखड़ ने उसे स्वीकार कर लिया। यह तब की बात है जब लोकसभा में सरकार द्वारा जस्टिस वर्मा को हटाने की कार्रवाई शुरू तक नहीं की गई थी। ऐसे में माना गया कि क्रेडिट की रेस में विपक्ष आगे निकल गया और सरकार की फजीहत हुई। कुछ लोग इस थ्योरी को भी जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से जोड़कर देख रहे हैं।

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