फोर व्हीलर रखने वाली महिलाओं को अब नहीं मिलेगा लाडकी बहन योजना का लाभ, महाराष्ट्र सरकार ने नियमों में किया बदलाव

महाराष्ट्र सरकार ने जुलाई 2024 में मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिण योजना (Mukhyamantri Ladki Bahin Yojana) शुरू की थी। तब से अब तक पात्र महिलाओं को सात किश्तों में रुपये मिल चुके हैं। पर, अब इसमें कुछ बदलाव करते हुए आज से महाराष्ट्र सरकार उन महिलाओं की पहचान करेगी और उन्हें ‘अयोग्य’ घोषित करेगी, जिन्होंने चार पहिया वाहन रखने के बावजूद लाडकी बहन योजना के तहत लाभ उठाया है।

लाडकी बहन योजना के तहत 65 वर्ष तक की आयु वाली उन महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह दिए जाते हैं जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है। इसके लिए उनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी कर्मचारी नहीं होना चाहिए, लाभार्थी के पास चार पहिया वाहन नहीं होना चाहिए या किसी अन्य सरकारी योजना के तहत मासिक सहायता नहीं मिलनी चाहिए। अधिकारियों के अनुसार, अकेले पुणे की 21 लाख से अधिक महिलाओं ने इस योजना का लाभ उठाया है।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पुणे जिला परिषद के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी जामसिंह गिरासे ने कहा, “उन्हें अयोग्य घोषित करना ही एकमात्र कार्रवाई है जिसे हम करने का प्रस्ताव रखते हैं। कोई जांच नहीं होगी और न ही उन पर कोई जुर्माना लगाया जाएगा।” गिरासे ने कहा कि अधिकारी भी घर-घर जाकर ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, “हमने आरटीओ से ऐसी महिलाओं की सूची जमा करने को कहा है। हम सूची के अनुसार काम करेंगे। इसमें एक महीने का समय लग सकता है।”

‘अंधविश्वास की वजह से सीएम आवास में रहने नहीं जा रहे फडणवीस’, संजय राउत का दावा

इस बीच, पिंपरी-चिंचवाड़ के इंद्रायणी नगर इलाके की एक महिला लाभार्थी ने कहा कि भले ही उसके पास एक चार पहिया वाहन है लेकिन इसे 10 साल पहले खरीदा गया था। “मैंने तीन साल से ज़्यादा समय पहले अपनी नौकरी खो दी थी। मुझे कोई वेतन नहीं मिलता लेकिन मेरे पास एक चार पहिया वाहन है जिसे मैंने 10 साल पहले खरीदा था जब मैं काम करती थी। मैं क्या करूँ?”

इस पर गिरासे ने कहा, “सरकारी निर्देशों के अनुसार अगर किसी महिला के नाम पर चार पहिया वाहन है तो उसे अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।”

वहीं, पुणे कांग्रेस के प्रवक्ता गोपाल तिवारी ने सरकार की इस कार्रवाई को महिलाओं के लिए अमानवीय” और अपमानजनक करार दिया। उन्होंने कहा, “कुछ महिलाओं के पास चार पहिया वाहन हो सकता है। कई महिलाओं ने कोविड-19 महामारी से पहले इसे खरीदा था। कोविड के दौरान, पुणे के कई निवासियों ने अपनी नौकरी खो दी। वे अपनी ईएमआई का भुगतान करने की स्थिति में भी नहीं थे। कुछ अभी भी नौकरी पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। अगर ऐसे व्यक्ति के पास अभी भी कार है, लेकिन उसके पास कोई नौकरी नहीं है, तो क्या सरकार उन्हें अयोग्य घोषित करेगी? यह केवल महिलाओं के प्रति सरकार के अमानवीय और अपमानजनक रवैये को दर्शाता है।” पढ़ें- दिल्ली चुनाव से जुड़े लेटेस्ट अपडेट्स

Happy Basant Panchami 2025 Wishes Images LIVE: मां सरस्वती के आगमन का उत्सव मनाएं…यहां से चुनें बसंत पंचमी के बेस्ट बधाई संदेश और तस्वीरें

Happy Basant Panchami 2025 Wishes Images, Quotes, Messages LIVE: बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है। देश के कई हिस्सों में बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस शुभ दिन पर लोग एक दूसरे को बधाई भी देते हैं। ऐसे में सरस्वती पूजा की आप सभी को बधाई। आप अपनों को भी यहां से चुनकर कुछ बेहतरीन बधाई संदेश भेज सकते हैं।

Happy Basant Panchami (Saraswati Puja) 2025 Wishes Images, Messages

Happy Basant Panchami Saraswati Puja 2025 Wishes, Images, Quotes, Status, Messages Live: यहां से चुनें बसंत पंचमी के बधाई संदेश-

सरस्वती पूजा का यह प्यारा त्योहार,

जीवन में खुशियां लाएगा अपार,

सरस्वती विराजें आपके द्वार,

शुभकामनाएं हमारी करें स्वीकार।

सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं

ज्ञान का दीपक जलाएं, भजन और गीत गाएं।मां सरस्वती के आगमन का उत्सव मनाएं।

हैप्पी बसंत पंचमी

गूंजे वीणा का मधुर संगीत, हर मन में भर जाए नई प्रीत

ज्ञान का उजियारा फैले, हर दिल में नई उम्मीद।

बसंत पंचमी की बधाई

सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी,विद्यारम्भं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु मे सदा।

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं

फूलों की वर्षा, शरद की फुहार,

सूरज की किरणें, खुशियों की बहार,

चंदन की खुशबू, अपनों का प्यार,

मुबारक हो आप सबको, बसंत पंचमी का त्योहार।

सरसों का रंग बसंत की पहचान, खुशियां फैलाए यही अरमान।

ज्ञान का दीप जले हर द्वार, ऐसी हो बसंत पंचमी इस बार।

शुभ बसंत पंचमी

बसंत का ये प्यारा त्योहार, जीवन में लाए खुशियों की बहार

ज्ञान की रोशनी से सजे हर घर, मां सरस्वती करें सबका उद्धार।

बसंत पंचमी की शुभकामनाएं

मां तू स्वर की है दाता,तू ही है वर्णों की ज्ञाता,तुझमें ही नवाते हम शीश,हे मां सरस्वती दे हमें अपना आशीष।

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।

मां सरस्वती की कृपा अर्जित करें,दुष्कर्मो को जीवन में वर्जित करें,बना रहे सदा आपस में प्यार और दुलार,आओ मिलकर मनाएं बसंत पंचमी का त्योहार।

बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं!

वीणा लेकर हाथ में मां सरस्वती हो आपके साथ में,

मिले मां का आशीर्वाद हर दिन,

मुबारक हो आपको सरस्वती पूजा का ये दिन।

Basant Panchami Wishes In Hindi

पीले-पीले सरसों के फूल,

पीली उड़ी पतंग,

रंग बरसे पीले और छाए सरसों की उमंग,

जीवन में आपके रहे हमेशा बसंत के ये रंग.

आपके जीवन में बनी रहे खुशियों की तरंग,

हैप्पी बसंत पंचमी 2025

एकबार फिर आई बसंत,

फूलों पर रंग लाई बसंत,

बज रहे हैं जल तरंग,

दिल में हो उमंग, खुशियों के संग

बसंत पंचमी की शुभकामनाएं!

सरस्वती नमस्तुभ्यं,

वरदे कामरूपिणी,

विद्यारम्भं करिष्यामि,

सिद्धिर्भवतु मे सदा।

सरस्वती पूजा की हार्दिक बधाई!

तू श्वेतवर्णी कमल पर विराजे,

हाथों में वीणा मुकुट सर पे साजे,

मन से हमारे मिटा दो अंधेरे

उजालों का हमको संसार दे मां।

आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!

जीवन का यह बसंत,आप सबको खुशियां दे अनंत,प्रेम और उत्साह का, भर दे जीवन में रंग,बसंत पंचमी की बधाई!

सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी,विद्यारम्भं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु मे सदा।बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!

जीवन का यह बसंत,आप सबको खुशियां दे अनंत,प्रेम और उत्साह का, भर दे जीवन में रंग,बसंत पंचमी की बधाई!

शारदा शारदाम्भोजवदना वदनाम्बुजे।

सर्वदा सर्वदास्माकं सन्निधिं सन्निधिं क्रियात्॥

बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई!

Basant Panchami 2025 Wishes Images

मां सरस्वती की कृपा हो,

दुष्कर्मो को जीवन में वर्जित करें,

बना रहे सदा आपस में प्यार और दुलार,

आओ मिलकर मनाएं बसंत पंचमी का त्योहार।

आप सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं!

सरस्वती पूजा के इस धन्य दिन पर,आप हर्षित पीला वस्त्र पहनें और सरसों के खेतों की तरह खिलें;पतंग उड़ाने का आनंद लें और उनकी तरह आकाश में उड़ें।बसंत पंचमी की शुभकामनाएं!

लेकर मौसम की बहार आयाबसंत ऋतू का त्योहार आओ हम सब मिलके मनाएंदिल में भर के उमंग और प्यार,सरस्वती पूजा की शुभकामनाएं!

मंदिर की घंटी,

आरती की थाली,

नदी के किनारे सूरज की लाली,

जिंदगी में आए खुशियों की बहार,

आपको मुबारक हो बसंत पंचमी का त्योहार।

बसंत पंचमी के दिन लोग पीले वस्त्रों को धारण करते हैं और मां सरस्वती की आराधना करते हैं। इस दिन मां सरस्वती को लोग पीले पकवान का भी भोग लगाते हैं। मालूम हो कि बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु का आधिकारिक तौर पर आगमन हो जाता है। मान्यताओं के मुताबिक, इसी पवित्र तिथि को मां सरस्वती प्रकट हुई थीं।

Delhi Assembly election 2025: क्या दिल्ली का चुनाव तय करेगा इंडिया गठबंधन का भविष्य? राहुल-केजरीवाल की लड़ाई क्यों है BJP के लिए खुशी की वजह

Rahul Gandhi Sheeshmahal Remark: दिल्ली के विधानसभा चुनाव से न सिर्फ राजधानी की राजनीति पर बल्कि केंद्र की राजनीति पर भी बड़ा असर होने जा रहा है क्योंकि इंडिया गठबंधन के दो बड़े नेता- लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल आमने-सामने आ गए हैं। निश्चित रूप से बीजेपी इससे खुश हो रही होगी। यहां यह बात भी दिलचस्प है कि 8 महीने पहले दिल्ली में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर ही दिल्ली में बीजेपी के खिलाफ चुनावी लड़ाई लड़ी थी। तब राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के निशाने पर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होते थे लेकिन आज यह दोनों नेता एक-दूसरे पर व्यक्तिगत हमले करने से भी नहीं चूक रहे हैं।

राहुल गांधी ने मंगलवार को दिल्ली में हुई अपनी चुनावी सभा में अरविंद केजरीवाल पर तीखे हमले बोले। राहुल ने केजरीवाल की ईमानदारी पर सवाल उठाया और कहा कि वह पहले छोटी गाड़ी में चलते थे। दिल्ली में उन्होंने बहुत बड़ा शराब घोटाला किया। राहुल ने यहां तक कहा कि केजरीवाल ने खुद के लिए शीशमहल बनवा लिया।

राहुल ने केजरीवाल की ‘नए तरीके की राजनीति’ को लेकर सवाल उठाया और कहा कि दिल्ली दंगे के दौरान वह चुप बैठे रहे। राहुल ने कहा कि नरेंद्र मोदी से अरविंद केजरीवाल कांप जाते हैं।

ईमानदारी का चोला ओढ़कर आएसबसे बड़ा शराब घोटाला कर दिया ये है केजरीवाल की राजनीति pic.twitter.com/lb15YkxZDE

अरविंद केजरीवाल ने राहुल गांधी के तीखे हमलों का जवाब देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने अपने X हैंडल पर सवाल उठाया, “राहुल गांधी और उनके परिवार को नेशनल हेराल्ड के घोटाले में अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है। रॉबर्ट वाड्रा को बीजेपी से क्लीन चिट कैसे मिल गई है।” केजरीवाल ने पूछा कि राहुल गांधी राजमहल को लेकर क्यों चुप हैं? आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के सरकारी आवास को राजमहल कहती है।

मोदी जी तो शराब घटोले जैसा फ़र्ज़ी केस बनाकर भी लोगों को जेल में डाल देते हैं। आप और आपका परिवार नेशनल हेराल्ड जैसे ओपन एंड शट केस में अभी तक गिरफ्तार क्यो नहीं हुए? रॉबर्ट वाडरा को बीजेपी से क्लीन चिट कैसे मिल गई? डर और बहादुरी पर ज्ञान ना ही दें तो अच्छा है। देश जानता है कौन… https://t.co/leVJ3abx2L

निश्चित रूप से देश की राजनीति पर नजर रखने वाले तमाम पत्रकारों, राजनीतिक विश्लेषकों और एनडीए के साथ ही इंडिया गठबंधन के नेताओं ने भी कभी इस बात की कल्पना नहीं की थी कि राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल इस तरह एक दूसरे के आमने-सामने आ जाएंगे।

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर इससे पहले भी इन दोनों नेताओं के बीच हल्की नोक-झोंक देखने को मिली थी लेकिन उसके बाद मामला शांत होता दिख रहा था। राहुल गांधी ने सीलमपुर की एक चुनावी रैली में कहा था कि जब भी कांग्रेस जाति जनगणना की बात करती है तो नरेंद्र मोदी और अरविंद केजरीवाल कुछ नहीं बोलते हैं। इसके जवाब में केजरीवाल ने भी कहा था कि राहुल गांधी कांग्रेस को बचाने की जबकि वह देश को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।

फ्री की योजनाओं के सहारे दिल्ली की चुनावी लड़ाई लड़ रहे BJP-AAP और कांग्रेस, जनता के असल मुद्दों पर बात कब करेंगे?

आम आदमी पार्टी की चुनावी राजनीति को देखने से एक बात साफ समझ में आती है कि AAP का आगे आना कांग्रेस के लिए बेहद घाटे का सौदा साबित हुआ है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के आने से पहले कांग्रेस लगातार 15 साल तक सरकार चला चुकी थी लेकिन आज दिल्ली में कांग्रेस की यह हालत हो गई है कि वह पिछले दो चुनाव में 0 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई। जबकि 2013 में पहली बार कांग्रेस के समर्थन से ही केजरीवाल सीएम बने थे।

इसके अलावा पंजाब में कांग्रेस को हटाकर आम आदमी पार्टी सत्ता में आ गई। गोवा और गुजरात में आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने की वजह से कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ। कांग्रेस को एक बड़ा नुकसान यह भी हुआ कि विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस के लगातार कमजोर होने की वजह से अरविंद केजरीवाल एक मजबूत नेता के रूप में उभरे।

Delhi assembly election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में BJP के बजाय कांग्रेस को लेकर ज्यादा अलर्ट क्यों है AAP?

इसका असर इंडिया गठबंधन के बाकी नेताओं पर भी पड़ा और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन में शामिल समाजवादी पार्टी, ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने खुलकर ऐलान कर दिया कि वे कांग्रेस के साथ नहीं हैं बल्कि आम आदमी पार्टी के साथ हैं। निश्चित रूप से देश की सबसे पुरानी पार्टी और लंबे वक्त तक अपने दम पर केंद्र में सरकार चला चुकी कांग्रेस के लिए यह बहुत बड़ा झटका था और उसका अपमान भी था।

राहुल गांधी इस बात को बहुत बेहतर ढंग से जानते हैं कि अगर उन्हें बीजेपी का मुकाबला करना है और केंद्र की सत्ता से एनडीए सरकार को हटाना है तो राज्यों में मजबूती से चुनाव लड़ना होगा लेकिन 2014 के बाद से ही कांग्रेस लगातार चुनाव हार रही है और केंद्र में भी वह कमजोर हो गई है। हालांकि इस बार उसने लोकसभा चुनाव में पिछली बार के मुकाबले अपनी सीटें लगभग दोगुनी की लेकिन राज्यों में आज भी उसकी पकड़ काफी कमजोर है। कुल मिलाकर तीन राज्यों- कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में ही वह अपने दम पर सरकार चला रही है।

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा और महाराष्ट्र में वह हार चुकी है। ऐसे में राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की कोशिश है कि कांग्रेस कम से कम ताकत से चुनाव लड़ती हुई दिखाई दे भले ही नतीजे कुछ भी हों।

शायद इसी रणनीति पर चलते हुए राहुल गांधी ने सीधे अरविंद केजरीवाल पर ऐसे तीखे हमले किए जिसका अंदाजा किसी को नहीं था।

अब सवाल यह है कि विपक्ष के दो बड़े नेताओं की यह लड़ाई कहां जाकर रुकेगी क्योंकि 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके होंगे। अगर चुनाव नतीजों में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस की वजह से राजनीतिक नुकसान होता है तो यह तय माना जाना चाहिए कि इससे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच खाई और चौड़ी हो जाएगी।

ओखला में AAP के अमानतुल्लाह खान के लिए चुनौती बनेंगी कांग्रेस उम्मीदवार अरीबा; BJP को मिलेगा हिंदू वोटर्स का साथ?

यह कहा जा सकता है कि दिल्ली का विधानसभा चुनाव कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच सियासी दोस्ती से लेकर कट्टर दुश्मनी की ओर आगे बढ़ रहा है और इसका सीधा असर इंडिया गठबंधन पर पड़ सकता है।

अगर अरविंद केजरीवाल दिल्ली में लगातार तीसरी बार अपने दम पर सरकार बनाने में कामयाब रहे तो वह 2029 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष का नेता बनने का दावा कर सकते हैं। याद दिलाना होगा कि पिछले महीने ही इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा, इसे लेकर अच्छी-खासी लड़ाई हो चुकी है। ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी कह चुकी है कि ममता को इस गठबंधन की अगुवाई करनी चाहिए। कांग्रेस के पुराने सहयोगी और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी ममता बनर्जी का साथ दिया था।

निश्चित रूप से दिल्ली के चुनाव नतीजों के बाद भारत की सियासत में कोई बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अगर कांग्रेस दिल्ली में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई तो इंडिया गठबंधन में उसकी स्थिति और कमजोर होगी और अगर अरविंद केजरीवाल फिर से सरकार बनाने में कामयाब रहे तो वह विपक्ष में बड़े नेता के तौर पर सामने आएंगे खासकर उत्तर भारत में।

यह भी कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की सियासी लड़ाई खत्म नहीं होगी क्योंकि 2027 की शुरुआत में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं और वहां इन दोनों राजनीतिक दलों को फिर एक-दूसरे का मुकाबला करना है। निश्चित रूप से राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल के आमने-सामने आने की वजह से बीजेपी काफी खुश होगी और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में वह इसका फायदा लेने की पूरी कोशिश करेगी।

दिल्ली में बीजेपी, AAP, कांग्रेस ने किस जाति को दिए कितने टिकट। क्लिक कर समझिए राजधानी के चुनाव में जाति का पूरा खेल।

Fact Check: पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था कुंभ में स्नान, क्या वायरल दावा सच है?

लाइटहाउस जर्नलिज्म ने पाया कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की एक तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से शेयर की जा रही है। सोशल मीडिया यूजर्स ने दावा किया कि तस्वीर में प्रधानमंत्री नेहरू को अतीत में कुंभ में पवित्र स्नान करते हुए दिखाया गया है। जांच के दौरान हमने पाया कि यह तस्वीर कुंभ की नहीं बल्कि 1938 की प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) की है, जब प्रधानमंत्री नेहरू अपनी माँ की अस्थियाँ विसर्जित करने गए थे।

X यूजर अरविंद चोटिया ने भ्रामक दावे के साथ तस्वीर शेयर की।

हां, ये नेहरू जी ही हैं…महाकुंभ में डुबकी नेहरू जी भी लगाते थे। तस्वीर भी खिंचवाते थे। वे भी नेता ही थे और सबसे बड़े नेता भी थे लेकिन कभी किसी ने उनकी डुबकी पर सवाल नहीं उठाए। गरीबी दूर करने के लिए तो परिश्रम ही करना पड़ता है। महाकुंभ में जाना और गंगा जी में डुबकी लगाना आस्था… pic.twitter.com/aBCOuAeUWf

अन्य सोशल मीडिया यूजर्स भी इसी तरह के दावों के साथ तस्वीर शेयर कर रहे हैं।

प्रयागराज में गंगा स्नान करके देश की ग़रीबी दूर करते जवाहर लाल नेहरू! (1938) अब ठीक है @kharge जी? फ़ोटो साभार – इंडिया टुडे। मूल फ़ोटो आनंद भवन में लगी है। pic.twitter.com/gfAf1tN1ER

Nehru took a dip in Kumbh. Akhilesh too. RaGa PGV are planning a trip.But Khadge’s poverty alleviation is through Iftar. pic.twitter.com/L6RehH0VIC

@kharge ji I think Pt.Nehru while taking a dip in the Holy Sangam during 1938 Kumbh was trying to eradicate poverty from the nation !The photo is available in Anand Bhavan, Prayagraj ! https://t.co/S4ZPBW55mo pic.twitter.com/l1dUkXdSuc

हमने वायरल इमेज पर रिवर्स इमेज सर्च करके जांच शुरू की।

इससे हमें एक पोस्ट मिली, जिसमें बताया गया था कि जवाहरलाल नेहरू को इलाहाबाद में अपनी मां की अस्थियां विसर्जित करते हुए देखा गया था।

The photo you posted is of Nehru doing ‘Antim kriya karma’ upon his Mother’s death! It’s not public display of religiosity or superstition. Have some semblance of decency ffs! https://t.co/yasLEOZXzg pic.twitter.com/6z4RmgI5uL

हमें यह तस्वीर reckontalk.com पर भी मिली।

शीर्षक में लिखा था: सार्वजनिक सेवा के बीच एक निजी दुख। यह मार्मिक तस्वीर भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को एक गहरी व्यक्तिगत रस्म निभाते हुए दिखाती है जो उन्हें उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ती है।

हमें यह तस्वीर इंडिया टुडे की वेबसाइट पर एक लेख में भी मिली।

तस्वीर के नीचे लिखा है: जवाहरलाल नेहरू इलाहाबाद में अपनी माँ की अस्थियाँ विसर्जित करते हुए।

निष्कर्ष: कुंभ में स्नान करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बताई जा रही वायरल तस्वीर असल में 1938 की है, जब प्रधानमंत्री नेहरू ने इलाहाबाद में अपनी माँ की अस्थियाँ विसर्जित की थीं। वायरल दावा भ्रामक है।

Fact Check: लड़कियों के अपहरण वाला वायरल वीडियो स्क्रिप्टेड है, असली घटना का नहीं

लाइटहाउस जर्नलिज्म ने पाया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो व्यापक रूप से साझा किया जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि एक व्यक्ति ने नई दिल्ली में तीन अपहृत लड़कियों को बचाया है।

इस दावे में कहा गया है कि फर्जी जॉब प्लेसमेंट एजेंसियां ​​चलाने वाले कुछ लोग युवा लड़कियों को निशाना बनाते हैं, उन्हें विदेश में नौकरी दिलाने का वादा करते हैं और फिर उनका शोषण करते हैं। कथित तौर पर एक ‘सभ्य युवक’ ने एक घर से तीन लड़कियों को बचाया, उनकी हालत दिखाते हुए। दूसरों को, खासकर पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित लड़कियों को चेतावनी देने के लिए इस वीडियो को साझा करें।

जांच के दौरान हमने पाया कि वीडियो स्क्रिप्टेड था और इसे इस तरह प्रसारित किया जा रहा था जैसे कि यह नई दिल्ली में हुई एक वास्तविक घटना हो।

X उपयोगकर्ता Monk Bharath ने वायरल दावे के साथ वीडियो साझा किया।

Share this with your Friends and Family In Delhi, in the name of job placement in foreign country job call center, some so called people who belong to a particular community themselves run job consultancy agency, in which they call only Hindu girls and women on the pretext of… pic.twitter.com/QlOKF2uXuD

आर्काइव व्हर्जन.

अन्य उपयोगकर्ता भी इसी तरह के दावों के साथ वीडियो साझा कर रहे हैं, कुछ मराठी में भी।

ஹிந்து சொந்தங்களுக்கான எச்சரிக்கைப் பதிவு‼️வெளிநாட்டில் வேலை என ஏமாற்றி ஹிந்து பெண்களை அரபு நாடுகளில் விற்கப்படுவதை தடுத்த ஒரு ஹிந்து இளைஞர்.? pic.twitter.com/MBdoaElKEd

वीडियो के शुरुआत में एक डिस्क्लेमर देखा जा सकता है, जिसमें उल्लेख किया गया है कि वीडियो मनोरंजन के उद्देश्य से बनाया गया है।

हमने वीडियो को InVid टूल में अपलोड किया और उससे प्राप्त कीफ्रेम पर रिवर्स इमेज सर्च चलाया। इससे हमें YouTube पर अपलोड किया गया वीडियो मिला।

वीडियो को 2.3 मिलियन बार देखा गया था और इसे एक साल पहले अपलोड किया गया था।

हमने प्रोफ़ाइल की जाँच की और पाया कि उनके YouTube प्रोफ़ाइल पर ऐसे कई वीडियो थे।

हमें नवीन जांगड़ा का इंस्टाग्राम हैंडल भी मिला।

वायरल वीडियो को उनके इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल पर 13 अप्रैल, 2023 को बिना किसी कैप्शन के अपलोड किया गया था।

A post shared by Naveen Jangra (@officialnaveenjangra)

निष्कर्ष: एक स्क्रिप्टेड वीडियो गलत तरीके से इस दावे के साथ शेयर किया गया है कि यह नई दिल्ली में हुई एक वास्तविक घटना के बारे में है। जबकि वीडियो निर्माता द्वारा मनोरंजन के मकसद से बनाया गया है। वायरल दावा भ्रामक है।

Fact Check: प्रधानमंत्री मोदी के आवास का वायरल वीडियो AI से बनाया गया, दावा फर्जी

लाइटहाउस जर्नलिज्म ने पाया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो खूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि यह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आवास है।

जांच के दौरान, पता चला कि यह वीडियो AI द्वारा बनाया गया है और असली नहीं है।

X यूजर डॉ. शीतल मदान ने वायरल वीडियो को गलत दावे के साथ साझा किया।

मोदी जी का महल और करोड़ों का खर्च, क्या यह देश की गरीब जनता के साथ अन्याय नहीं है? #मोदी_का_राजमहल#Aapinf pic.twitter.com/nCvumFVtpO

अन्य यूजर भी इसी तरह के दावों के साथ यही वीडियो साझा कर रहे हैं।

मोदी जी का महल और करोड़ों का खर्च, क्या यह देश की गरीब जनता के साथ अन्याय नहीं है? #मोदी_का_राजमहल#AapInf pic.twitter.com/CXlDhbVPcC

pic.twitter.com/Bt7yPVDfhc Big Breaking ??चौथी पास अय्याश राजा के राजमहल का Video पहली बार आया जनता के सामने‼️?राजमहल के दरवाज़े जनता के लिए क्या इसलिए ही नहीं खोले जाते?

क्या इसलिए ही राजमहल के दरवाज़े जनता के लिए नहीं खोले जाते?kya bolti janta?kya ye sach hai ?? durse desh walo ko bhi nii pta hoga raj mahal ka raj jese kii Donald Trump ji nd etc pic.twitter.com/IQEJJJwDo5

इस वीडियो का स्रोत AAP का एक्स हैंडल पाया गया।

Big Breaking ??राजमहल का Video पहली बार आया जनता के सामने‼️?क्या इसलिए ही राजमहल के दरवाज़े जनता के लिए नहीं खोले जाते? pic.twitter.com/P52Ph2ak9n

कैप्शन में, हैंडल ने यह उल्लेख नहीं किया कि वीडियो में पीएम नरेंद्र मोदी के आवास को दर्शाया गया है।

वीडियो बहुत सहज दिख रहा था; इसलिए, यह स्पष्ट था कि यह AI द्वारा जेनरेट किया गया था।

हमने वीडियो को InVid टूल में अपलोड किया और कई कीफ़्रेम प्राप्त किए।

कुछ कीफ़्रेम में ओपन एआई लोगो था, जिससे पता चलता है कि वीडियो ‘सोरा’ (सोरा ओपनएआई का वीडियो जेनरेशन मॉडल है, जिसे टेक्स्ट, इमेज और वीडियो इनपुट लेने और आउटपुट के रूप में एक नया वीडियो बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है) का उपयोग करके बनाया गया हो सकता है।

फिर हमने वीडियो को 20 सेकंड के वीडियो क्लिप में तोड़ा और HIVE मॉडरेशन के ज़रिए चलाया।

डिटेक्टर ने पाया कि वीडियो AI द्वारा जनरेट किया गया था।

निष्कर्ष: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आधिकारिक आवास बताकर शेयर किया जा रहा वीडियो AI द्वारा बनाया गया है। वायरल दावा झूठा है।

Fact Check: छत्रपति संभाजीनगर का पुराना वीडियो लुधियाना में अंबेडकर की मूर्ति तोड़ने को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन का बताकर वायरल

अमृतसर में संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर की मूर्ति को तोड़े जाने के विरोध में लोगों ने मंगलवार को लुधियाना में जालंधर बाईपास को जाम कर दिया। जालंधर-लुधियाना राष्ट्रीय राजमार्ग पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी एकत्र हुए। इस बीच, एक्स (पहले ट्विटर) पर एक वीडियो व्यापक रूप से शेयर किया जा रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि यह वीडियो लुधियाना में हुए विरोध प्रदर्शन का है।

जांच के दौरान, लाइटहाउस जर्नलिज्म ने पाया कि वायरल किया जा रहा वीडियो पुराना है और छत्रपति संभाजीनगर (पहले औरंगाबाद) का है।

एक्स यूजर तरुण जाटव ने भ्रामक दावे के साथ वीडियो शेयर किया।

किसी जातिवादी युवक ने बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति को तोड़ दिया था उसके विरोध में पूरा लुधियाना (पंजाब) बन्द है। ये लोग क्यों भूल जाते हैं कि हम मानते बुद्ध को है तो मानते सम्राट अशोक को भी है। जय भीम pic.twitter.com/sgFdmp5AVu

आर्काइव वर्जन।

अन्य यूजर भी इसी दावे के साथ वीडियो शेयर कर रहे हैं।

हमने वीडियो से प्राप्त कीफ्रेम पर रिवर्स इमेज सर्च चलाकर जांच शुरू की।

हमें शिवाय धुले के यूट्यूब चैनल पर छह साल पहले अपलोड किया गया एक ऐसा ही वीडियो मिला।

कैप्शन में लिखा था: औरंगाबाद महामोर्चा (औरंगाबाद महामोर्चा) जय भीम

हमें वीडियो में दिख रही छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के ज़रिए वीडियो में दिख रही सटीक लोकेशन मिली।

वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि इसके दोनों तरफ फ्लाईओवर थे।

निष्कर्ष: छत्रपति संभाजीनगर (पहले औरंगाबाद) में हुई एक रैली का छह साल पुराना वीडियो अब लुधियाना, पंजाब में हुए विरोध प्रदर्शन का बताकर शेयर किया जा रहा है। वायरल दावा भ्रामक है।

Delhi Assembly Elections 2025: दिल्ली में केजरीवाल के साथ क्यों आए अखिलेश यादव, क्या टूट जाएगी ‘यूपी के दो लड़कों’ की जोड़ी?

Akhilesh Yadav Arvind Kejriwal Delhi Election 2025: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खुलकर आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव मैदान में उतरे। उन्होंने AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए रोड शो तो किया ही, यह भी कहा कि दिल्ली में AAP की सरकार बन रही है।

अखिलेश यादव के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के लिए प्रचार करने से सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या यूपी के दो लड़कों की जोड़ी अब टूट जाएगी? क्या ‘यूपी के दो लड़के’ बिछुड़ जाएंगे?

याद दिलाना होगा कि अखिलेश यादव और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बीजेपी से मुकाबला करने के लिए 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और तब इसे यूपी के दो लड़कों की जोड़ी कहा गया था। हालांकि यह जोड़ी 2022 के विधानसभा चुनाव में टूट गई थी, जब कांग्रेस और सपा के बीच उत्तर प्रदेश में गठबंधन नहीं हो पाया था लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर से ‘यूपी के दो लड़के’ साथ आए थे और इसका फायदा इन दोनों राजनीतिक दलों को मिला था।

2019 के मुकाबले 2024 में सपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार किया था। गठबंधन में चुनाव लड़ते हुए सपा को 37 और कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत मिली थी। इससे बीजेपी और एनडीए को बड़ा राजनीतिक नुकसान हुआ था।

लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश हरियाणा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से कुछ सीटें चाहते थे लेकिन कांग्रेस ने उन्हें कोई सीट नहीं थी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव महा विकास अघाड़ी के साथ मिलकर 12 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते थे। इसके लिए सपा की महाराष्ट्र इकाई ने कई बार कांग्रेस से गुहार लगाई थी लेकिन कांग्रेस तैयार नहीं हुई थी। तब अखिलेश यादव खुद महाराष्ट्र गए थे और कुछ सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार किया था। सपा ने 9 सीटों पर चुनाव लड़ा था और दो सीटों पर जीत दर्ज की थी।

शायद हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव में कांग्रेस के द्वारा हिस्सेदारी और भागीदारी न दिए जाने की टीस अखिलेश यादव के मन में जरूर है। अखिलेश को यह भी याद होगा कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें सीट बंटवारे में जगह नहीं दी थी और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ‘अखिलेश-वखिलेश’ कहा था।

सबसे बड़ी बात यह है कि यह दोनों ही राजनीतिक दल- सपा और कांग्रेस इंडिया गठबंधन के प्रमुख दल हैं।

हरियाणा, महाराष्ट्र के बाद बात जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार की आई तो सपा और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस खुलकर आम आदमी पार्टी के पक्ष में आ गए और यह निश्चित रूप से कांग्रेस के लिए बेहद अपमानजनक था।

लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए उत्तर प्रदेश में मिलकर चुनाव प्रचार किया था लेकिन बुधवार का दिन दिल्ली और हिंदुस्तान की सियासत में इसलिए याद रखा जाएगा क्योंकि अखिलेश यादव कांग्रेस को एक तरह से मुंह चिढ़ा रहे थे। दिल्ली में जब अखिलेश अरविंद केजरीवाल के साथ किराड़ी में रोड शो कर रहे थे तो वहां से कुछ किलोमीटर दूर ही बादली विधानसभा क्षेत्र में राहुल गांधी एक जनसभा में अरविंद केजरीवाल पर हमला बोल रहे थे।

क्या दिल्ली का चुनाव तय करेगा इंडिया गठबंधन का भविष्य? राहुल-केजरीवाल की लड़ाई क्यों है BJP के लिए खुशी की वजह

वैसे भी दिल्ली विधानसभा चुनाव ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की सियासी दोस्ती को दुश्मनी में बदल दिया है। बीते दिनों जब राहुल गांधी ने केजरीवाल की ईमानदारी, उनके कामकाज पर सवाल उठाए और शराब घोटाले को लेकर उन्हें कटघरे में खड़ा किया तो अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम ने भी राहुल को इसका जोरदार जवाब दिया। इससे पता चलता है कि इन दोनों नेताओं के बीच सियासी रिश्ते बेहद तल्ख हो चुके हैं।

अब हम फिर से अपने वही सवाल पर वापस आते हैं कि क्या दिल्ली के चुनाव नतीजों के बाद यूपी के दो लड़कों की जोड़ी टूट जाएगी?

सपा का दिल्ली की राजनीति में कोई आधार नहीं है। सपा का मुख्य आधार उत्तर प्रदेश में ही है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर अखिलेश अरविंद केजरीवाल के लिए कांग्रेस को नाराज करने के लिए क्यों तैयार हो गए? क्योंकि यह लगभग तय है कि वह 2027 की शुरुआत में होने वाला उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के साथ ही मिलकर लड़ेंगे और उत्तर प्रदेश में आम आदमी पार्टी का कोई जनाधार नहीं है। इसके बाद भी अखिलेश यादव ने अगर यह कदम उठाया है तो निश्चित रूप से उन्होंने काफी सोच-समझकर ही ऐसा किया होगा।

फ्री की योजनाओं के सहारे दिल्ली की चुनावी लड़ाई लड़ रहे BJP-AAP और कांग्रेस, जनता के असल मुद्दों पर बात कब करेंगे?

टीवी चैनलों से लेकर सड़क-चौराहों तक होने वाली राजनीतिक बहसों में इसे लेकर भी चर्चा खूब होती है कि इंडिया गठबंधन में शामिल तमाम दल कांग्रेस को बहुत ज्यादा हिस्सेदारी नहीं देना चाहते। ऐसे दलों में समाजवादी पार्टी के अलावा, बिहार का राष्ट्रीय जनता दल, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस आदि शामिल हैं। ममता बनर्जी तो पश्चिम बंगाल के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन न करके अकेले ही चुनाव लड़ती रही हैं। शायद इन दलों को डर है कि कांग्रेस को ज्यादा हिस्सेदारी देने से राज्य में उनकी ताकत घट सकती है।

अब आते हैं दिल्ली पर। दिल्ली में पिछले दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस शून्य पर आउट हुई है। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद उसके कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा हुआ था लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र की हार ने एक बार फिर पार्टी के कामकाज और उसके नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

दिल्ली विधानसभा चुनाव में BJP के बजाय कांग्रेस को लेकर ज्यादा अलर्ट क्यों है AAP?

दिल्ली में चुनावी मुकाबला मुख्य रूप से बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच दिखाई दे रहा है। अगर कांग्रेस इस चुनाव में भी दिल्ली में खाता नहीं खोल पाई तो वह याद जरूर रखेगी कि अखिलेश यादव ने कांग्रेस का साथ देने या दिल्ली के चुनाव से दूर रहने के बजाय अरविंद केजरीवाल का साथ दिया था। ऐसे में ‘यूपी के दो लड़के’ दिल्ली चुनाव के बाद क्या साथ रहेंगे और रहेंगे तो कितने ‘मन’ से रहेंगे, इसे लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

यहां क्लिक करके पढ़िए दिल्ली में बीजेपी, AAP, कांग्रेस ने किस जाति को दिए कितने टिकट।

Delhi Assembly Polls 2025: केजरीवाल के लिए कितना बड़ा झटका है 8 विधायकों का इस्तीफा, BJP-कांग्रेस इसका फायदा उठा पाएंगे?

Delhi AAP MLAs Resignation: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग से ठीक पहले आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका तब लगा जब शुक्रवार को आठ विधायकों ने पार्टी को अलविदा कह दिया। दिल्ली में 5 फरवरी को वोटिंग होनी है और उससे 5 दिन पहले एक के बाद एक धड़ाधड़ सात विधायकों का इस्तीफा निश्चित रूप से राष्ट्रीय राजधानी के चुनाव नतीजों को प्रभावित कर सकता है। इन विधायकों के इस्तीफा देने का कितना असर चुनाव नतीजों पर होगा, इस पर बात करने से पहले यह जान लीजिए कि ये विधायक कौन हैं और ये पिछली बार किस सीट से चुनाव जीते थे।

इन विधायकों में मादीपुर से गिरीश सोनी, पालम से भावना गौड़, कस्तूरबा नगर से मदनलाल, त्रिलोकपुरी से रोहित महरौलिया, जनकपुरी से राजेश ऋषि, महरौली से नरेश यादव, आदर्श नगर से पवन शर्मा और बिजवासन से भूपिंदर सिंह जून का नाम शामिल है। इससे पहले भी कई नेता बीते महीनों में पार्टी छोड़ चुके हैं और राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल भी आम आदमी पार्टी के लिए सिरदर्द बन चुकी हैं।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी और इसके राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए यह चुनाव काफी मुश्किल माना जा रहा है। पिछले दो चुनाव में दिल्ली की राजनीति में लगभग एकतरफा जीत दर्ज करने वाले केजरीवाल इस चुनाव में बीजेपी के ताबड़तोड़ हमलों से परेशान दिखाई देते हैं। न सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस भी उन पर पुरजोर ढंग से हमलावर है और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के सीधे निशाने पर केजरीवाल हैं।

दिल्ली में केजरीवाल के साथ क्यों आए अखिलेश यादव, क्या टूट जाएगी ‘यूपी के दो लड़कों’ की जोड़ी?

बीजेपी और कांग्रेस के धारदार हमलों का अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री आतिशी, पार्टी के तमाम बड़े नेता और सोशल मीडिया की टीम लगातार जवाब दे रही है और इसी दौरान वे चुनाव आयोग से भी जोर-आजमाइश कर रहे हैं। कुल मिलाकर इस वजह से राष्ट्रीय राजधानी में चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है।

बीजेपी की ओर से चुनाव प्रचार की कमान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संभाली हुई है। प्रधानमंत्री आम आदमी पार्टी की सरकार को आप-दा की सरकार बताते हुए 5 फरवरी को दिल्ली से इसकी विदाई करने की अपील कई बार चुनावी रैलियों के मंच से कर चुके हैं। इसके अलावा पूरी दिल्ली में लगे होर्डिंग्स के जरिए और सोशल मीडिया पर विज्ञापनों के जरिए भी बीजेपी ने यही नारा दिया है- अब और नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे।

क्या दिल्ली का चुनाव तय करेगा इंडिया गठबंधन का भविष्य? राहुल-केजरीवाल की लड़ाई क्यों है BJP के लिए खुशी की वजह

आम आदमी पार्टी की दिल्ली की राजनीति के बारे में एक बात बिल्कुल साफ है कि अरविंद केजरीवाल ही यहां पार्टी के सबसे बड़े चेहरे हैं। 70 सीटों पर टिकट तय करना यानी कि किस सीट से कौन उम्मीदवार होगा, सरकार में कौन मंत्री होगा, किस मंत्री के पास क्या विभाग होंगे, संगठन कैसे काम करेगा, यह सब कुछ अरविंद केजरीवाल ही तय करते हैं। इसलिए इस बार भी 2013, 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव की तर्ज पर केजरीवाल ने ही उम्मीदवार तय किए।

अरविंद केजरीवाल इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि कथित आबकारी घोटाले को जिस तरह बीजेपी और फिर कांग्रेस ने मुद्दा बनाया, उनके सरकारी आवास ‘शीशमहल’ में हुए खर्च को मुद्दा बनाया गया, उससे इस बार के चुनाव में स्थिति पिछले दो चुनाव जैसी नहीं है। इसलिए इस चुनाव में उन्होंने बहुत समझदारी से, बहुत सतर्कता के साथ उम्मीदवारों का चयन किया और पिछले चुनावों में जीते कई नेताओं का टिकट काट दिया। इस्तीफा देने वाले यह सात विधायक भी टिकट कटने की वजह से नाराज थे।

चूंकि अरविंद केजरीवाल ही दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे हैं इसलिए इन सभी नेताओं के विधायक बनने के पीछे केजरीवाल एक बड़ी वजह जरुर थे। इन सभी नेताओं को केजरीवाल ने ही टिकट दिया और जिताकर विधानसभा तक पहुंचाया।

फ्री की योजनाओं के सहारे दिल्ली की चुनावी लड़ाई लड़ रहे BJP-AAP और कांग्रेस, जनता के असल मुद्दों पर बात कब करेंगे?

वोटिंग से ठीक पहले सात विधायकों का इस्तीफा देना एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम है और इन विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में जरूर इसका कुछ हद तक असर देखने को मिलेगा। लेकिन क्यों ये भी आपको बताते हैं।

भले ही इन नेताओं के विधानसभा पहुंचने में केजरीवाल का बड़ा रोल रहा हो लेकिन फिर भी एक विधायक का अपने निर्वाचन क्षेत्र में कुछ ना कुछ असर जरूर होता है। इनमें से कुछ नेता तो दो बार विधायक रह चुके थे जबकि कस्तूरबा नगर से मदनलाल तीन बार विधायक का चुनाव जीत चुके थे। पालम से भावना गौड़, आदर्श नगर से पवन कुमार शर्मा, जनकपुरी से राजेश ऋषि, महरौली से नरेश यादव लगातार दो बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके थे। 10 साल तक किसी विधानसभा सीट से विधायक रहे नेता की जनता और समर्थकों के बीच पकड़ काफी मजबूत होती है।

चूंकि ये नेता लगातार जनता के बीच में सक्रिय रहे हैं और 2025 के चुनाव में उन्हें कहीं से भी यह उम्मीद नहीं थी कि पार्टी उनका टिकट काट देगी और वे चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे ऐसे में इन विधायकों ने अपने कार्यकाल में जितने लोगों की मदद की, काम करवाए उनके बीच में इनका आधार जरूर होगा और इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इनके इस्तीफा देने से इन सात निर्वाचन क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन पर असर जरूर पड़ेगा। क्योंकि इनके अधिकतर समर्थक शायद अब आम आदमी पार्टी को वोट नहीं देंगे और इससे चुनाव नतीजों पर असर पड़ सकता है।

याद दिलाना होगा कि इससे पहले दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री रहे कैलाश गहलोत पार्टी छोड़कर चले गए थे। आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद और एक वक्त में अरविंद केजरीवाल के भरोसेमंद लोगों में शुमार स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है।

दिल्ली सरकार के एक और पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम पार्टी छोड़ चुके हैं और कांग्रेस के लिए प्रचार कर रहे हैं। राजकुमार आनंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री रहते वक्त सरकार में मंत्री थे, वह बीजेपी के टिकट पर पटेल नगर से चुनाव लड़ रहे हैं। छतरपुर के विधायक करतार सिंह तंवर ने आम आदमी पार्टी का साथ छोड़ दिया।

इतने नेताओं के लगातार इस्तीफा देने को कोई छोटी घटना नहीं कहा जा सकता और इन सभी के निर्वाचन क्षेत्रों में निश्चित रूप से आम आदमी पार्टी के लिए जीतना मुश्किल होगा।

साल 1998 से दिल्ली की सत्ता से बाहर बीजेपी पूरी ताकत लगा रही है कि किसी भी तरह अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को इस बार दिल्ली में सरकार बनाने से रोका जाए। इसके लिए पार्टी का शीर्ष नेतृत्व और दिल्ली इकाई सहित तमाम प्रदेशों के मुख्यमंत्री और बड़े नेता दिल्ली की गलियों की खाक छान रहे हैं। बीजेपी की कोशिश है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार को सत्ता से विदा किया जाए। इसके अलावा कांग्रेस भी कुछ सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ रही है।

अब सवाल इस बात का है कि विधायकों के इस्तीफे का बीजेपी और कांग्रेस कितना फायदा उठा पाती हैं। जिस तरह का जबरदस्त और आक्रामक चुनाव प्रचार बीजेपी और कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ किया हुआ है, उससे आम आदमी पार्टी की मुश्किलों में इजाफा हुआ है। राजनीति में हवा का रुख बदलते हुए देर नहीं लगती और 7 विधायकों का इस्तीफा सहित कई बड़े नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने के बाद केजरीवाल के लिए दिल्ली की सत्ता में वापसी करना चक्रव्यूह को भेदने जैसी चुनौती है। 8 फरवरी को पता चलेगा कि केजरीवाल इस चक्रव्यूह को भेद पाते हैं या नहीं?

ओखला में AAP के अमानतुल्लाह खान के लिए चुनौती बनेंगी कांग्रेस उम्मीदवार अरीबा। क्लिक कर पढ़िए।

Fact Check: गंगा में डुबकी लगाने वाला सांसद डिंपल यादव का वीडियो महाकुंभ का नहीं, वायरल दावा भ्रामक

विश्वास न्यूज: सोशल मीडिया पर समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में उन्हें घाट पर स्नान करते हुए देखा जा सकता है। वीडियो को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि डिंपल यादव महाकुंभ पहुंचीं और उन्होंने संगम स्नान किया।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल दावा गलत है। वायरल वीडियो महाकुंभ का नहीं, बल्कि करीब दो साल पुराना है। जब डिंपल यादव पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की अस्थियों को विसर्जित करने के लिए हरिद्वार गई थी। उन्होंने उस दौरान गंगा स्नान किया था। 

फेसबुक यूजर ‘लोकेश न्यू’ ने 29 जनवरी 2025 को शेयर किया था। वीडियो के कैप्शन में लिखा हुआ है, “महाकुंभ 2025 में डिंपल यादव ने लगाई डुबकी।”

पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां पर देखें।

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च किया। हमें दावे से जुड़ी एक रिपोर्ट अमर उजाला की वेबसाइट पर मिली। रिपोर्ट को 20 अक्टूबर 2022 को प्रकाशित किया गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनका परिवार अस्थियों को विसर्जित करने के लिए हरिद्वार गए थे। अखिलेश यादव ने हरिद्वार पहुंचकर चंडीघाट स्थित नमामि गंगे घाट (नीलधारा) पर पूजन किया और विधि-विधान से अस्थियों को विसर्जित किया। इसके बाद पूरे परिवार ने गंगा में डुबकी लगाकर मुलायम सिंह यादव की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की थी। इसी दौरान डिंपल यादव ने भी डुबकी लगाई थी।

प्राप्त जानकारी के आधार पर गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स की मदद से सर्च करने पर हमें वायरल वीडियो का लंबा वर्जन न्यूज 18 डिबेट के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर मिला। वीडियो रिपोर्ट को 17 अक्टूबर 2022 को अपलोड किया गया था। मौजूद जानकारी के अनुसार, वायरल वीडियो हरिद्वार का है और मुलायम सिंह यादव के अस्थि विसर्जन की पूजा का है। 

अधिक जानकारी के लिए हमने हरिद्वार के रिपोर्टर दीपक प्रजापति से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल दावा गलत है। यह वीडियो हरिद्वार में मुलायम सिंह यादव की अस्थि विसर्जन की पूजा का है। 

दैनिक भास्कर की वेबसाइट पर 26 जनवरी 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कुछ दिन पहले महाकुंभ का हिस्सा बनने के लिए प्रयागराज पहुंचे थे। यहां पर उन्होंने 11 डुबकी लगाई थी।

अंत में हमने वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर के अकाउंट को स्कैन किया। हमने पाया कि यूजर महाकुंभ से जुड़ी पोस्ट को शेयर करता है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि डिंपल यादव के वीडियो को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। वायरल वीडियो महाकुंभ का नहीं, बल्कि करीब दो साल पुराना है, जब डिंपल यादव पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की अस्थियों को विसर्जित करने के लिए हरिद्वार गई थीं। उस दौरान उन्होंने गंगा स्नान किया था।

(यह फैक्ट-चेक मूल रूप से विश्वास न्यूज द्वारा किया गया है। यहां इसे शक्ति कलेक्टिव के सदस्य के रूप में पेश किया जा रहा है।)

https://www.vishvasnews.com/politics/fact-check-video-of-dimple-yadav-taking-a-dip-in-ganga-is-not-from-mahakumbh