Bihar Special Intensive Revision: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट रिवीजन में आधार और वोटर आईडी कार्ड को वैलिड डॉक्यूमेंट के तौर पर स्वीकार करने में इलेक्शन कमीशन की अनिच्छा पर सवाल उठाया और कहा कि कोई भी दस्तावेज जाली हो सकता है। हालांकि, कोर्ट ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा, ‘धरती पर किसी भी डॉक्यूमेंट को जाली बनाया जा सकता है।’ कोर्ट ने कहा, ‘इन दो डॉक्यूमेंट्स को शामिल करें। कल आप न केवल आधार देखेंगे, बल्कि 11 में से 11 जाली भी हो सकते हैं। यह एक अलग मुद्दा है। इसे बड़े पैमाने पर शामिल किया जाना चाहिए। कृपया आधार को शामिल करें।’
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चुनाव आयोग की तरफ से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी पेश हुए। उन्होंने दलील दी कि राशन कार्डों से जुड़ी बड़ी समस्याएं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ईपीआईसी भी निर्णायक नहीं हो सकता। हालांकि, अदालत ने उनके रुख पर सवाल उठाया। जस्टिस बागची ने टिप्पणी की, ‘आप कहते हैं कि एसआईआर अधिसूचना के अनुसार कोई भी दस्तावेज निर्णायक नहीं है। मान लीजिए कि कोई व्यक्ति आधार के साथ फॉर्म अपलोड करता है, तो आप उसे ड्राफ्ट में शामिल क्यों नहीं करेंगे।’ जस्टिस कांत ने कहा, ‘केवल ईपीआईसी आदि ही क्यों, किसी भी दस्तावेज के साथ जालसाजी की जा सकती है। आइए हम आधार और ईपीआईसी कार्ड के साथ आगे बढ़ें।’
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अपनी याचिका में कहा, ‘याचिका में कहा गया है कि 24 जून 2025 के एसआईआर आदेश को यदि रद्द नहीं किया गया तो मनमाने ढंग से और उचित प्रक्रिया के बिना लाखों नागरिकों को अपने प्रतिनिधियों को चुनने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है, जिससे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और लोकतंत्र बाधित हो सकता है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा हैं।’ वोटर लिस्ट रिवीजन के खिलाफ ADR ने सुप्रीम कोर्ट में खोला चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा