Explained: रूस से तेल आयात पर भारत की दुविधा क्यों बढ़ी? जानिए अब क्या करना होगा

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भारत पर रूस से तेल आयात बंद करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गेनाइजेशन यानी नाटो के महासचिव मार्क रुट ने चीन, ब्राजील और भारत से कहा है कि वे रूस पर यूक्रेन में युद्ध बंद करने का दबाव डालें, नहीं तो अमेरिकी प्रतिबंध के लिए तैयार रहें। दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी कहा है कि यूक्रेन में युद्ध पर अगले 50 दिनों में कोई समझौता नहीं होता है, तो रूस को भारी शुल्क का सामना करना पड़ेगा।

तेल मंत्रालय के अनुसार, भारत अपनी जरूरत का करीब 88 फीसद तेल आयात करता है। रूस के कुल तेल निर्यात का 38 फीसद तेल भारत खरीद रहा है। दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रूसी और मध्य एशिया अध्ययन केंद्र में असोसिएट प्रोफेसर राजन कुमार कहते हैं कि भारत पर दबाव तो बढ़ गया है और इस दबाव की यूं ही उपेक्षा नहीं की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि भारत के सामने दो चुनौतियां होंगी। रूस से तेल आयात बंद हुआ तो भारत को सस्ता तेल नहीं मिलेगा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बढ़ेंगी। यानी भारत को महंगा तेल खरीदना होगा, लेकिन मामला केवल तेल का नहीं है। अमेरिका तो कह रहा है कि भारत रूस से व्यापार ही बंद कर दे। ऐसे में भारत की रक्षा आपूर्ति का क्या होगा? मुझे नहीं लगता है कि भारत अमेरिका के इस दबाव को पूरी तरह से मानेगा।

राजन कुमार कहते हैं, ट्रंप की धमकी अगर सच्चाई में बदलती है तो भारत के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी। जहां तक रूस की बात है तो मुझे लगता है कि वह भारत की मजबूरी को समझता है, लेकिन भारत के सामने चीन भी है और चीन अमेरिकी धमकियों के सामने झुकेगा नहीं। चीन ने ट्रंप की हर धमकी का जवाब दिया है और ट्रंप खुद व्यापार समझौता करने के लिए मजबूर हुए। यानी ट्रंप अपने दोस्तों के साथ बहुत सख्ती से पेश आ रहे हैं, लेकिन जो उन्हें उसी भाषा में जवाब दे रहा है, उससे समझौते कर रहे हैं। लेकिन भारत चीन नहीं है। चीन ने रेयर अर्थ मिनरल और सेमीकंडक्टर की सप्लाई रोक दी थी।

राजन कुमार कहते हैं, जाहिर कि रूस की निर्भरता चीन पर और बढ़ेगी और यह भारत के लिए किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है। रूस के पास अब चीन का कोई विकल्प नहीं है। रूस के कुल तेल निर्यात का 47 फीसद चीन में हो रहा है। इसके बावजूद चीन पूरी तरह से पश्चिम विरोधी नहीं हो सकता है क्योंकि पश्चिम के साथ चीन का व्यापार बहुत बड़ा है। रूस से तमाम करीबी के बावजूद चीन ने रूस को रक्षा समाग्री नहीं दी।

भारत के सामने दो चुनौतियां होंगी। रूस से तेल आयात बंद हुआ तो भारत को सस्ता तेल नहीं मिलेगा। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बढ़ेंगी। यानी भारत को महंगा तेल खरीदना होगा, लेकिन मामला केवल तेल का नहीं है। अमेरिका तो कह रहा है कि भारत रूस से व्यापार ही बंद कर दे। ऐसे में भारत की रक्षा आपूर्ति का क्या होगा?

रूस में भारत के राजदूत रहे और भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने कहा कि नाटो अब भारत को धमकी दे रहा है। यहाँ तक कि नाटो प्रमुख ने चीन से पहले भारत का जिक्र किया है। नाटो प्रमुख भारत, चीन और ब्राजील को धमकी देकर जियोपालिटिकल गहराई की अज्ञानता ही जाहिर कर रहे हैं। सिब्बल ने कहा, क्या इन तीनों देशों को भी नाटो निर्देशित करेगा? तुर्की रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात करता है। तुर्की नाटो का सदस्य है। क्या नाटो महासचिव तुर्की पर भी प्रतिबंध लगाएंगे?

उन्होंने कहा कि ईयू अब भी अपनी जरूरत का सात फीसद तेल रूस से आयात करता है। क्या हंगरी और स्लोवाकिया पर भी प्रतिबंध लगाए जाएंगे? ये दोनों देश भी नाटो के सदस्य हैं। मार्क रूट इस पर भी चुप हैं। नाटो को हमें आधिकारिक रूप से जवाब देना चाहिए ताकि ट्रंप को भी एक संदेश जाए। ट्रंप यूक्रेन में युद्ध बंद कराना चाहते हैं लेकिन पुतिन तैयार नहीं हैं। अब ट्रंप रूस को सीधे बोलने के बजाय उन देशों को निशाना बना रहे हैं, जो रूस से तेल खरीद रहे हैं। रूस प्रति दिन 70 लाख बैरल से ज्यादा तेल निर्यात कर रहा है और अगर यह बाधित होता है तो कच्चे तेल की कीमत बढ़ेगी।

नाटो अब भारत को धमकी दे रहा है। यहां तक कि नाटो प्रमुख ने चीन से पहले भारत का जिक्र किया है। नाटो प्रमुख भारत, चीन और ब्राजील को धमकी देकर जियोपालिटिकल गहराई की अज्ञानता ही जाहिर कर रहे हैं। क्या इन तीनों देशों को भी नाटो निर्देशित करेगा? नाटो महासचिव को अहसास नहीं है कि ऐसी चेतावनियों का क्या असर होगा।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के संस्थापक अजय श्रीवास्तव के मुताबिक, भारत को ये दबाव नहीं मानना चाहिए क्योंकि अमेरिका का यह आखिरी दबाव नहीं होगा। इनकी मांगें बढ़ती जाएंगी। रूस से सस्ता तेल मिल रहा है और हमें खरीदना चाहिए। अगर रूस से तेल नहीं लेंगे तो तेल महंगा होगा और इसका असर सीधे भारत की जनता पर पड़ेगा।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने एक बयान में कहा था कि हम किसी भी तरह के दबाव में नहीं हैं। भारत का तेल आयात किसी देश पर निर्भर नहीं है। हम पूरे मामले में किसी तरह से परेशान नहीं हैं। अगर कुछ होता है, तो हम उसे संभाल लेंगे। तेल आपूर्ति को लेकर कोई समस्या नहीं है। भारत और चीन रूस के कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक देश हैं।

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