धनखड़ के इस्तीफे के बाद कौन चलाएगा राज्यसभा? यहां जानें जवाब

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Jagdeep Dhankar Vice President Resigns: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, उनकी तरफ से स्वास्थ्य कारणों का हवाल देकर इतना बड़ा कदम उठाया गया है। अब उनके अचानक दिए गए इस्तीफे ने सभी को हैरान कर दिया है। इस फैसले ने कई सवालों को भी जन्म दिया है, सबसे जरूरी और स्वभाविक तो यही है- आखिर अब राज्यसभा कौन चलाने वाला है? मानसून सत्र तो अभी चल रहा है, धनखड़ वाली कुर्सी पर कौन बैठेगा?

अब इस सवाल जवाब एकदम स्पष्ट है। जो भी देश के उपराष्ट्रपति होते हैं, उनका सबसे बेसिक काम राज्यसभा को संभालना ही होता है, संवैधानिक भाषा में इसे हम सभापति का पद कहते हैं। जिस तरह लोकसभा की कार्यवाही स्पीकर देखते हैं, राज्यसभा में यही जिम्मेदारी सभापति की होती है। अब इस केस में अभी तक तो सभापति की जिम्मेदारी जगदीप धनखड़ ने संभाल रखी थी, लेकिन उन्होंने क्योंकि इस्तीफा दे दिया है तो इस जिम्मेदारी को कोई और लेने वाला है।

अब जैसे हर चीज का बैकअप होता है, राज्यसभा भी ऐसी अप्रत्याशित घटनाओं के लिए तैयार रहता है। अगर कभी उपराष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफा दे दें तो उस स्थिति में संसद की कार्यवाही उपसभापति के पास चली जाती है। जब तक नए उपराष्ट्रपति नहीं चुन लिए जाते, उपसभापति ही उस पद को संभालते हैं। इस समय राज्यसभा के उपसभापति की जिम्मेदारी हरिवंश नारायण सिंह के पास है। ऐसे में जब मानसून सत्र फिर शुरू होगा, उस कुर्सी पर धनखड़ की जगह हरिवंश बैठे होंगे।

वैसे कुछ सवाल पूछ रहे हैं क्या हमारा संविधान कार्यवाहक उपराष्ट्रपति की बात करता है? अब यह सवाल भी इसलिए क्योंकि हमने कार्यवाहक पीएम, कार्यवाहक सीएम देखे हैं, ऐसे में क्या कार्यवाही उपराष्ट्रपति भी होते हैं? इसका सीधा जवाब है नहीं। हमारा संविधान कोई भी ऐसा पद नहीं देता है, ऐसे में अगर उपराष्ट्रपति इस्तीफा देंगे तो जल्द से जल्द फिर चुनाव ही करवाना होगा।

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उपराष्ट्रपति ने अपने पत्र में लिखा, “मैं संविधान के अनुच्छेद 67A के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं। मैं भारत के राष्ट्रपति में गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा और मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा। मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदों से जो मुझे स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला, वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा। मैं इस महान लोकतंत्र के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान मिला, वह अत्यंत मूल्यवान रहा। यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है कि मैंने भारत की अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और परिवर्तनकारी युग में तेज विकास को देखा और उसमें अपनी भागीदारी निभाई। इस महत्वपूर्ण दौर में सेवा करना मेरे लिए सच्चे सम्मान की बात रही है। आज जब मैं इस पद को छोड़ रहा हूं तो मेरे दिल में भारत की उपलब्धियां और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है।

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